दिल ए नादान की गुस्ताखियों को बेवज़ह ज़ाया न करना bewafa shayari,

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दिल ए नादान की गुस्ताखियों को बेवज़ह ज़ाया न करना bewafa shayari,
दिल ए नादान की गुस्ताखियों को बेवज़ह ज़ाया न करना bewafa shayari,

दिल ए नादान की गुस्ताखियों को बेवज़ह ज़ाया न करना bewafa shayari,

दिल ए नादान की गुस्ताखियों को बेवज़ह ज़ाया न करना ,

वो चिलमन की ओट से तेरा मुझको शेफ्ता करना ।

 

वो नज़रों का तक़द्दुस वो सुनहरे बालों की ज़फ़ा ,

सरहदों के परिंदे भी कब रंज़िश समझते हैं ।

 

जबीन ए रंज़िश पुख़्ता तो हो ,

गोया हम जिगर की ख़ाक़ नज़र कर देगे ।

 

ग़म ए बारिश में डूब जाने की ज़िद ,

दिल तन्हाई में भी तन्हा नहीं होता ।

 

रात भर फिरते शिकारी परिंदे फिराक ए शिकार पर ,

फिर सुबह होता है बसेरा अहिंसा वाले पाठशाला के झाड़ पर ।

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ऊँचे दरख्तों की साखों पर लटकती तख्तियाँ ,

अहिंसा लिखा सब में मगर दिखाई कहीं देता नहीं ।

 

तेरी मेरी नफरत से मुनाफ़ा कमा गया ,

फिर सियासी दांव में इंसान लगा गया ।

 

अहिंसा परमो धर्म में झाड़ू फेर कर,

चल दिए हैं फिर सियासी दाँव अपना खेल कर ।

 

राज काज है सब चलता रहे ,

सियासी अहिंसा बस परपंच सच तो ये है आदमी का खून बहता रहे ।

 

तख़ल्लुस ही बेख़्याली में कलम चलती गयी ,

तक़ल्लुफ़ किया जो दिल ने तुझे याद किया ।

 

अख़बारों की सुर्खियां बटोरती तल्खियाँ ,

हो रहा गर क़त्ल ए आम तो वो बस आवाम है ।

 

मदीने में एक दिया एक मंदिर में संग संग जलाएं ,

मज़हब से ऊपर इंसानियत का मज़हब बनायें ।

 

मैं ग़मज़दा हूँ मेरे गमो की ताकीद न कर ,

कोई जो हंस के मिल जाए चमन में ज़ुज़बी होगा ।

 

आस्तीनों में सांप पाल रखे हैं ,

इसलिए ख्यालों को आस्मां में उछाल रखे हैं ।

 

उन नज़रों के तजस्सुस में बहर ओ बर कहाँ ,

जिनके पलकों तले बहिश्त छुपे बैठे हो ।

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बाद मीना के लहरों का बहर ,

सबकी तक़दीर में बस सैलाब छुपा बैठा था ।

 

लहरों की एक ठोकर पर दम भरती हैं ,

समंदर से मिलने के लिए नदियाँ पर्वतों से उतरती हैं ।

pix taken by google