दुपट्टे के साथ उँगलियों में फिर गए कितने love shayari ,

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दुपट्टे के साथ उँगलियों में फिर गए कितने love shayari ,
दुपट्टे के साथ उँगलियों में फिर गए कितने love shayari ,

दुपट्टे के साथ उँगलियों में फिर गए कितने love shayari ,

दुपट्टे के साथ उँगलियों में फिर गए कितने ,

गोया क़ाफ़िर नमाज़ी और दिन रात तस्बीह फेरने वाले ।

 

पूछो न उनके रिहाईसी इलाकों का पता ,

जिनके दुपट्टे के एक झटके से अपना दिल तोड़ आये हो ।

 

यूँ घड़ी घड़ी मेरे दिल की छत पर चहल कदमी ,

मुझसे ही मेरा चाँद न लपक ले जाए कोई ।

 

ढह गयी रात तेरी ज़ुल्फ़ों में ,

साँस अटकी रही कोई बात ज़बान तक नहीं आई ।

dard shayari

सियासी दहशत ही सर झुकाती है लोगों के गोया ,

आदम ए रियासत में बिना बहसत के रियाया के सर नहीं झुकते ।

 

कुछ मज़बूरियां भी होगी ये मंज़र ये शाम ओ शहर कल भी होंगे ,

होगा सब कुछ वही बस जहां में हम तुम नहीं होंगे ।

 

दिल ए नादान से गुस्ताखियाँ हुयी होती तो हम मान जाते ,

गोया दिल ए नाचीज़ सा दिल लिया खेला हँसा ये भी कोई बात हुयी फिर तोड़ दिया ।

 

तुम यहां हाल ए दिल लिखने में आतुर हो ,

हमसे तो अवामखस्ता हालबयानी नहीं होती ।

 

मर गया बेमौत मट्टी पालीधते मज़दूर ,

मटके की किश्मत तो साहूकारों की अशर्फियों से भर गयी ।

 

उम्रें पता नहीं चलती नाज़नीनों की बस ,

इनके हैप्पी बर्थडे यूँ ही हर रोज़ मनते हैं ।

 

ताजपोशी के वक़्त हुकुमरानों के वादे वाज़िब होते हैं ,

बाद मुद्दत के चाँद नज़र आभी जाए दीदार ए शाहिब बड़े मुश्किल होते हैं ।

 

साहिल पर बैठ कर लहरों संग दूर निकल जाना ,

फिर वक़्त की आहट से कभी डर के सहम जाना ।

 

कभी लहरों पर छम छम दौड़ती , कभी साहिल पर खनकना चाहती है ,

तेरी पायल की छन छन मेरे गीतों पर ग़ज़ल लिखना चाहती है ।

dosti shayari

जिस साहिल की तलब थी माझी को , उस मंज़िल से मेरा सरोकार नहीं ,

तूफ़ान में डाल के कश्ती बैठा हूँ और हाँथों में मेरे पतवार नहीं ।

 

उलझी रही फिर रात तन्हाइयों के बीच ,

तन्हा कटा सफर फिर कोई मुशाफिर नहीं मिला ।

pix taken by google