नज़रों के साहिलों में जाम ए मैकशी की जुस्तजू sad poetry in urdu 2 lines ,

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नज़रों के साहिलों में जाम ए मैकशी की जुस्तजू sad poetry in urdu 2 lines ,
नज़रों के साहिलों में जाम ए मैकशी की जुस्तजू sad poetry in urdu 2 lines ,

नज़रों के साहिलों में जाम ए मैकशी की जुस्तजू sad poetry in urdu 2 lines ,

नज़रों के साहिलों में जाम ए मैकशी की जुस्तजू ,

गोया शर्त ये है लब पर गिले शिकवे आँखों में हो शौऱीदगी

 

आँखों से न समझे हो गर किस्से सारे ,

हम लफ़्ज़ों में थोड़ी सी दिल ए नादानी कर लें ।

 

किस्सा आज भी वही है मेरी चौखट का ,

शब् ओ सेहर चश्म ओ चरागों का बहार तकना थक के सो जाना ।

love shayari 

निज़ाम ए सल्तनत में ऐसा कैसे होके गया ,

बुत सोते रहे इब्न ए इंसान पत्थरों पर पड़ा रोता रहा ।

 

समझते हो बात बहुत रह रह कर ,

कभी मरीज़ ए दाना की अनकही का इलाज़ भी कर दो ।

 

सुनी सभी ने ज़बान ज़बान पर थी ,

घुली वो बदलियों में अनकही सौगात बरसने को बेताब अब भी मिली ।

 

शहर ए हाकिम से पूछना जाके ,

दरमियानी रात के दायरे में फुसफुसाहट का माज़रा क्या है ।

 

जश्न चंद लम्हो बस का है बकर ,

फिर बस ज़मीन ए ख़ाकसारी है ।

 

सारी सल्तनत सिमट गयी निज़ाम ए हामी में ,

मुल्क़ ओ मिल्लत की जलाल ए फानी में ।

 

छोटे छोटे गुलों के टुकड़े हैं बक़र ,

जो मैं ताज़ा तरीन नज़्मों में पिरो के लाया हूँ ।

 

तेरे ख्यालों में मेरी शिरकत नहीं न सही ,

तेरी हर किस्सा ए मुँहज़बानी मेरी अपनी तो है ।

 

बच बचा के निकला गुल शब् ए माहताब में ,

फिसली कलम जो शबनम पर तो ग़ज़ल बनके चल पड़ी ।

 

रुकते तो वादे वफ़ा की रुसवाई होती ,

खुद ही बदल डाले परिंदों ने अपने आब ओ दाना हिसाब से ।

 

रफ्ता रफ्ता उम्र भी बढ़ती गयी ,

रफ्ता रफ्ता मैं सोना चाहता हूँ ।

 

रात तन्हा थी सफर तन्हा है ,

मेरी पलकों में तेरी सरगोशियों का पहरा है ।

 

रात शायराना ग़ज़ल करती है ,

दिल के रिंदों में तर्जुमान नहीं ।

 

तुन्हें इश्क़ का तज़ुर्बा है हमें हिज्र ए तन्हाई है,

चलो दो चार जुमले वादे वफ़ा के भी अदा कर दें ।

one line sad status 

pix taken by google