love shayari बादाकशों की महफिलें बदनाम हुआ करती हैं ,

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love shayari बादाकशों की महफिलें बदनाम हुआ करती हैं ,
love shayari बादाकशों की महफिलें बदनाम हुआ करती हैं ,

love shayari बादाकशों की महफिलें बदनाम हुआ करती हैं ,

बादाकशों की महफिलें बदनाम हुआ करती हैं ,

जाम आँखों से पिये जा पैमाने से गिनती बेहिसाब हुआ करती है ।

 

शहर ए दस्तूर था पिलाने का ,

हम ग़म में शराब मिला मिला कर के पीते गए ।

 

शीशा क्या करेगे पैमाने का हिसाब ,

इतनी भरी शराब की खुद ब खुद लुढ़क गया ।

 

कोई करे इबादत कोई सज़दे को उठाये हाँथ ,

हमने तो दोनों हाँथों में पाकीज़ाह ए पैमाना उठा रखा है ।

 

शायरों की नज़रों से दिल मिला कर देखो ,

सब शराबी हैं , और सारा जहां मैख़ाना है ।

 

पिये हम थे आशियाने में ,

सारा आलम बहक रहा था शामियाने में ।

 alone shayari

ज़िक़्र ए हुश्न जब होता है शामियाने में ,

क़लम ए स्याह भी शाही क़लम का फ़रमान हुआ करती है ।

 

हुश्न प्यास इश्क़ मोहब्बत ,

तिज़ारत ए इश्क़ तुझको क्या नाम दे डालूँ तेरे सदके में हर सै तरदीद लगा करती है ।

 

मेरा मिजाज़ ए इश्क़ फ़ितूर सही ,

तेरा मोहब्बत ए जज़्बा भी तो बेईमानी है ।

 

आड़ी तिरछी नज़्मो को शायरी समझ कर के ,

वो घर तक चला आया सरगोशियों का पीछा करते ।

 

लाख़ महलों में सेये पाले हों ,

ज़ाहिलों से ज़हालत की बदबू कहीं नहीं जाती ।

 

अरसे गुज़र गए ख़ुद की मर्ज़ी से ,

अब तो आँख कहीं ख़्वाब कहीं सोते हैं ।

 

शाही क़लम से फरमान जारी है ,

गुनहगारों की फ़ेहरिस्त में अब्वल इश्क़ ए तारी है ।

 

क्या खिजां ए मौसम क्या बहार ए अंजुमन ,

गुलों के रंग ओ बू पर ख़ुदा जब बर्फ़ बरसाए ।

 

वादी ए सेहरा में बहार लाख़ सही ,

दिल ए नादाँ का शहर शाम ओ सेहर बुझा बुझा सा है ।

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बर्क़ ए रानाईयाँ गुलों पर बर्फ़ की मख़मली चादर ,

खिजां ए मौसम में कोई कैसे बनावटी मुस्कान तामीर करे ।

 

राख़ उड़ती है जिसके कूचे पर ,

सज के सेहरा कभी उस दर से बाग़ ए बहार चले ।

pix taken by google