ठण्ड का समय है चारों तरफ घना कोहरा छाया हुआ है , कार १० की रफ़्तार से दौड़ी जा रही थी , कार में बैठा शक्श अपने दोस्त से बोलता है गाड़ी रोक यार पेशाब करना है , दोस्त गाडी रोक देता है लड़का झाड़ियों के पास जाकर हल्का होने लगता है तभी उसकी नज़र सामने पत्ते की ओश पर पड़ती है जिसकी बूँद ज़मीन पर टपकती है और ज़मीन में मिल जाती है , तभी उसकी नज़र अपनी पेशाब पर पड़ती है वो भी ज़मीन में मिल जाती है , वो हल्का होकर वापस कार में बैठता है , और अपने दोस्त से बोलता है भाई इस दुनिया जो भी चीज़ बानी है आज नहीं तो कल सबको नष्ट होना है दुनिया भौतिकवाद पर जी रही है , जबकि हक़ीकत ये है सब कुछ अणु- परमाणु की थ्योरी पर चल रहा है ड्राइविंग सीट पर बैठा दोस्त कहता है , भाई तुझे न पार्टी में ज़्यादा चढ़ गयी है , बहन,,,, इसलियए तू आध्यात्मिक बातें कर रहा है , पहला वाला बोलता है तू देख लेना एक दिन तेरे को मेरी बात समझ में आएगी , और कार बातों ही बातों में रोड से निकल जाती है ,
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राजवीर की ख़ुशी का आज ठिकाना नहीं था उसकी आँखों में अलग की तरह की चमक देखकर ही महसूस की जा सकती है , राजवीर डॉल के फीचर्स के बारे में सोच सोच कर ही हैरान हो रहा था , डॉल के परफॉर्मेंस उसकी कल्पना से परे थी , राजवीर ने उसका नाम नैना रखने का फैसला किया है , राजवीर जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस से नैना की एक्टिविटीज को मोबाइल से -भी ट्रैक कर सकता है , ट्रैकिंग डिवाइस से जब वो मोबाइल को कनेक्ट करता है तब पता है की नैना रूम में उस जगह नहीं है जिस जगह उसने चार्ज में लगाया था , ऑफिस का काम निपटा कर राजवीर घर जल्दी पहुंच जाता है , और घर पहुँचते ही नैना उसका स्वागत गर्म जोशी से करती है , राजवीर उसे अपनी बाहों में भर लेता है , नैना कहती है पहले तुम फ्रेश हो जाओ फिर इसके बाद रोमांस करेंगे तुम्हारे जिस्म से पसीने की बदबू आरही है , राजवीर कहता है लेकिन तुम तो मशीन हो , तुम्हे मेरे पीने की बदबू से क्या प्रॉब्लम हो सकती है , नैना कहती है मैं नार्मल रोबोट नहीं हूँ डिअर मैं ए आई रोबोट हूँ रोबोटिक्स की दुनिया का लेटेस्ट वर्जन हूँ मैं और तुम्हरे पसीने के जर्म्स से मेरे डिजिटल पार्टिकल्स डैमेज हो जायेगे जिसके बाद मैं सिर्फ सेक्स डॉल बन के रह जाऊंगी और फिजिकल रिलेशन के वक़्त तुम्हे नेचुरल फीलिंग्स नहीं दे पाऊंगी , और मुझे नहीं लगता है इतनी नायाब चीज़ को तुम इतनी आसानी से खुद खराब करना चाहोगे मुझे इतनी आसानी से रिपेयर नहीं किया जा सकता है , नैना की बातें राजवीर के दिमाग से परे थी , राजवीर बोलता है ओके मैं पहले फ्रेश हो लेता हूँ फिर मिलता हूँ वॉशरूम जाते जाते राजवीर कहता है आजाओ तुम भी साथ में को बाथ का मज़ा लेते हैं नैना कहती है छड जाण दे नॉटी राजवीर कहता है ओये होये तैनू पंजाबी भी आंदि यै , नैना कहती है तू बोल तो रशियन भी सुना दूँ राजवीर कहता है रहन दे तू तो बस रसियन वाला मज़ा दे मैनू और बोलता हुआ वाश रूम में घुस जाता है ,
राजवीर फ्रेश होकर बाहर आता है , अपना फोन चेक करता है और माँ को रिटर्न कॉल करता है , माँ कहती है शिमला वाले राजिंदर भाई साहेब के यहां शादी में गयी थी अभी कल ही लौटे , और हाँ तेरे लिए एक चंगी कुड़ी देखी है कश्मीर की कली है तू तो देख ले बस लट्टू हो जायेगा कचनार की कच्ची कली है बस तू एक बार देख ले और हाँ कर दे, बैशाखी के बाद वाले लगन में तेरा सगुन पक्का हो जावेगा बस फिर क्या झट मगणी तै चट्ट ब्याह देरी दा कोई लफड़ा नहीं इसके बाद सीधा हनीमून के लिए पेरिस चले जाना टिकट दा पैसा मैं देवांगी मेरे पुत्तर दा ब्याह हो और मैं इत्ता भी न कर सकूं तै धिक्कार है मैनु , तू वाट्सएप्प देख मैं अभी फोटू भेजती हूँ कुड़ी की बस तू मना न करियो , राजवीर माँ की बातों को सुनकर भावनाओं में बह जाता है , और माँ को न नहीं बोल पाता है, माँ फ़ौरन वाट्सएप्प में लड़की के पिक्चर भेजती है राजवीर पिक्स देखता है और देख कर दंग रह जाता है , वो माँ को हाँ बोल देता है तभी नैना किचन से चाय बना कर लाती है , राजवीर के चेहरे में ख़ास स्माइल देखकर नैना से रहा नहीं जाता है वो फ़ौरन समझ जाती है और राजवीर से कहती है बहुत खुश नज़र आरहे हो क्या बात है , राजवीर कहता है माँ का फोन था अब मेरी शादी होने वाली है उन्होंने मेरे लिए लड़की देख ली है , नैना कहती है शादी के बाद मेरा क्या होगा , राजवीर थोड़ा सोचता है फिर कहता है तुम भी रही आना मैं बता दूंगा ये ओफिसिअल रोबोट है , मुझे ऑफिस से केस स्टडी के लिए मिला है , नैना मुस्कुरा देती है राजवीर उसे अपनी बाहों में खींच लेता है , और धीरे धीरे उसे अपनी आगोश में ले लेता है , सीने से लगते ही राजवीर को महसूस होता है की नैना की हार्ट बीट राजवीर की हार्ट बीट के साथ घट बढ़ रही है , राजवीर कहता है तुम्हारे अंदर से तो इंसानो जैसी धड़कने सुनायी देती है , नैना कहती है सब आर्टिफीसियल है जब इंसानो को नकली दिल लगाया जा सकता है फिर मैं तो मशीन हूँ फन डॉल को रियल फील करने के लिए इसमें भी वही तकनीक उपयोग की गयी है , कोई बात नहीं सोनियो बोलता हुआ नैना के साथ मोहब्बत की अनंत गहराइयों में गोते लगाने लगता है , और इसी गुत्थमगुत्थी में न जाने कब सुबह हो जाती है समझ में ही नहीं आता , अभी न्यूज़ पेपर में राजवीर पढ़ रहा था की ए आई टेक्नोलॉजी आजाने से जन्म से अपाहिज रोगियों को भी कृत्तिम अंग लगा कर पुनः पहले जैसा स्वस्थ किया जा सकेगा और , मृत लाशों को ए आई की मदद से ज़िंदा करके आर्मी में जवानो की जगह काम में लाया जायेगा , राजवीर कहता है यार ऐसा हो गया तो लोग कभी मरेंगे ही नहीं और जंग के के मैदान में किसी को क़ुर्बानी नहीं देनी होगी , राजवीर ख़ुशी के मारे झूम उठता है तभी नैना बीच में बोल पड़ती है जंग है तो क़ुर्बानी है फिर वो चाहे इंसानो की हो या मशीनों की , राजवीर कुछ बोल पाता तभी उसकी माँ का फोन आजाता है वो नैना से एक्सक्यूज़ मी बोलता हुआ बालकनी की तरफ चला जाता है , नैना समझ जाती है वो अपने आपको चार्जिंग पॉइंट में लगा के सोफे में बैठ जाती है , इधर माँ राजवीर से कहती है तू फ़ौरन भटिंडा चला आ लड़की वाले आरहे हैं कल यहीं दोनों एक दूसरे से मिल लेना , राजवीर ओके माँ बोलता हुआ फ्लाइट की टिकट बुक करता है , और अपना सामान पैक करने लगता है , नैना बोलती है हैप्पी जर्नी , और इसी के साथ वो नैना की बैटरी स्विच ऑफ करता हुआ फ्लैट से निकल जाता है , इधर डोर लॉक होते ही नैना की आँखों के लेंस एक बार पुनः ब्लिंक होने लग जाते हैं ,
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राजवीर भटिंडा पहुंच चुका था माँ ने लड़की दिखाई , राजवीर को लड़की देखते ही पसंद भी आ गयी , और नेक्स्ट वीक में शादी और सगाई दोनों का प्रोग्राम भी रख दिया , राजवीर ने वही से १ सप्ताह की छुट्टी की आवेदन भी लगा डाली, इधर नैना ने अपने आप को अनलॉक्ड कर चुकी थी अब उसके ऊपर किसी की कोई कमांड नहीं थी, और ना ही उसे मोबाइल से ट्रैक किया जा सकता था उसने अपने आप को सेटेलाइट से कनेक्ट करके खुद को नए वर्जन में अपग्रेड कर लिया था इसी के साथ राजवीर के तमाम ऑफिसियल और परसनल डाक्यूमेंट्स का डाटा नैना की हार्ड डिस्क में सेव था , शादी होने के तुरंत बाद ही राजवीर और उसकी पत्नी हनीमून के लिए स्विट्ज़रलैंड निकल जाते हैं , और १ मंथ बाद वो सीधा राजवीर के फ्लैट में पहुंचते हैं , राजवीर फ्लैट का लॉक खोलता है , सब कुछ व्यवस्थित पाकर वो बहुत खुश होता है और नैना भी उसी जगह पर बैठी थी जहां वो उसे बिठा के गया था , सब कुछ व्यवस्थित देखकर राजवीर बहुत खुश होता है , तभी उसकी नज़र धूल खाई डॉल नैना पर पड़ती है वो उसे एक बोरे में भर कर घर के गोदाम में फेंक आता है , अपनी पत्नी सिमरन को वो उस डॉल के बारे में कुछ नहीं बताना चाहता है , रात भर नैना वहीँ गोदाम में पड़ी रहती है , दूसरे दिन राजवीर ऑफिस चला जाता है , तभी घर के गोदाम से प्लीज ओपन द डोर की आवाज़ सुनायी देती है , सिमरन पहले तो डर जाती है मगर हिम्मत करके वो दरवाज़ा खोलती है , सामने लड़की जैसी डॉल देखकर हक्की बक्की रह जाती है , नैना कहती है मैं डॉल हूँ मुझे गोदाम में मत रखो प्लीज मेरा दम घुटता है मैं मशीन हूँ डस्ट मैं बर्दास्त नहीं कर पाती मेरे इलेक्ट्रॉनिक पार्टिकल्स डैमेज हो जायेगे , अब अगर तुम लोगों को मेरी ज़रूरत नहीं है तो मुझे कंपनी को वापस कर दो या किसी और ओनर के हैंडओवर कर दो सिमरन कुछ समझ पाती इससे पहले वो डॉल फफक फफक कर रोने लग जाती है प्लीज मुझे मत निकालो में नौकरानी बनकर रहूंगी घर का सारा काम कर लूँगी , सिमरन घरेलू सीधी साधी लड़की उसकी बातों में आजाती है और भावना में आकर उसके आंसू पोछती हुयी उसे अपने गले से लगा लेती है , तभी नैना एक बारीक सी पिन सिमरन की बॉडी में इंजेक्ट कर देती है , सिमरन को थोड़ा सा अजीब लगता है लेकिन कुछ ही पलों में वो नॉर्मल हो जाती है , और घर के काम में लग जाती है इधर नैना भी उसके बताये हर एक कमांड को बराबर फॉलो करती हुयी सिमरन के साथ साथ काम में लग जाती है शाम को जब राजवीर घर आता है तो बहुत खुश होता है और बीवी को बाहों में उठा कर सीधा पलंग पर ले जाकर पटक देता है और अपने कपडे उतारने लगता है तभी सिमरन कहती है रुको न वो आजायेगी राजवीर कहता है कौन आजायेगी तभी नैना किचन से चाय लेकर आजाती है , नैना को सामने देखकर राजवीर हक्का बक्का रह जाता है , वो सिमरन से पूछता है ये तुम्हे कहाँ मिल गयी , सिमरन कहती है गोदाम में जहां तुम इस बेचारी मशीन को बंद करके चले गए थे , मैं अकेली घर में बोर होती रहती हूँ अब ये ही मेरी बेस्ट फ्रेंड है , राजवीर कुछ कह पाता तभी नैना पलट कर वापस किचन में चली गयी, राजवीर चुपके से सिमरन के कान में कहता है डार्लिंग ऑफिस के फ्रेंड्स ने हम दोनों के लिए हनीमून पैकेज बुक करवाया है शिमला में नेक्स्ट संडे को हम शिमला जाएंगे सिमरन कहती है वैरी नाइस डिनर के बाद राजवीर बैडरूम में सिमरन के साथ गुत्थम गुत्थी में लग जाता है , इधर नैना खुद को चार्जिंग पॉइंट में सेट करके बैटरी चार्ज करने में लग जाती है ,
chapter 2
कहते हैं सिंह साहेब शराब बहुत हो गयी है आज सिंह साहेब कहते हैं साहेब अगर आप ऐसी बात करेंगे तो फिर हमारा क्या होगा , एक पैग प्लीज़ हमारे लिए चौबे जी ओके सिंह साहेब बोलकर कुछ सोचने लग जाते हैं फिर अचानक बोल पड़ते हैं , जब से ये साला ए आई आया है , सबकी नाक में दम करके रखा हुआ है किसी की आवाज़ में कोई भी फोन कर देता है और इमरजेंसी बताकर पैसे ऐंठ लेता है , साला इसी चक्कर में मेरी सारी ज़िन्दगी भर की कमाई एक झटके में जाते जाते बच गयी तभी गजेंद्र सिंह बोलते हैं बहुत सावधानी से काम करने एक वक़्त आगया है साहेब आप लोग का ज़माना और था जब सारा काम कागज़ में होता था अब तो सब ऑनलाइन है , कौन फोन कर रहा है सामने कौन बैठा है कुछ समझ में ही नहीं आता है , अभी तो बस नौकरी बचाओ की लगी है इस हफ्ते केस के सिलसिले में शिमला जाने की प्लानिंग है सोच रहा हूँ आप भी साथ चलते तो मज़ा आजाता बोलिये तो आपके लिए होटल में रूम बुक करवा दूँ , चौबे जी बोलते हैं ठण्ड तो बहुत है लेकिन ठंडी में मौज मस्ती का अपना ही मज़ा है , सिंह साहेब कहते हैं तो ठीक है नेक्स्ट संडे को तैयार रहिएगा हम शिमला रवाना होंगे , ओके सिंह साहेब बोलते हुए चौबे जी अपने रूम में जाकर सो जाते हैं और दुसरे दिन अपने घर को निकल जाते हैं , और नेक्स्ट संडे चौबे जी और सिंह साहेब शिमला के लिए रवाना होते हैं , मगर सिमरन ज़िद में अड़ जाती है की नैना भी उनके साथ शिमला चलेगी , राजवीर को अब नैना में कोई इंट्रेस्ट नहीं था मगर न चाहते हुए भी उसे नैना को साथ में ले जाना पड़ता है , और जिस जगह वो रुकते हैं चौबे जी भी वहीँ रुकते हैं , नेक्स्ट मॉर्निंग चौबे जी की नज़र राजवीर के साथ नैना पर पड़ती है , चौबे जी सोचते हैं काफी लकी आदमी है हो सकता है बीवी के साथ साली को भी लेके आया हो हनीमून में , खैर बात आई गयी हो जाती है , दोपहर में लंच के समय चौबे जी और राजवीर की एक बार फिर से मुलाक़ात होती है , और ये पहचान कब दोस्ती में बदल जाती है पता भी नहीं चलता है , शाम को सिंह साहेब को केस के सिलसिले में बाहर जाना था उन्होंने चौबी जो को पहले ही बता दिया था हो सकता है की रात को मैं वापस न आऊँ आप आराम से रहिएगा , शाम को पार्टी सुरु होती है राजवीर सिमरन और नैना के साथ फॅमिली बार में बैठे थे , जहां चौबे जी पहले से ही मौजूद थे , उनकी नज़र बार बार बार नैना पर जा रही थी क्यों की उसने वेस्टर्न ड्रेस पहनी थी और उसकी स्किन अलग ही ग्लो मार रही थी। राजवीर चौबे जी की नज़र समझ सकता था , थोड़ी देर बाद नैना और सिमरन वहाँ से चले जाते हैं , तभी मौका पाकर चौबे जी राजवीर से पूछ लेते हैं एक तो आपकी बीवी है साथ में दूसरी मोहतरमा कौन हैं , राजवीर कहता है फ्रेंड हैं चौबे जी का नैना के प्रति लगाव देखकर राजवीर समझ जाता है , कुछ ही देर में मीटिंग ख़त्म हो जाती है , राजवीर और चौबे जी अपने अपने रूम में चले जाते हैं ,
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इधर राजवीर सिमरन के साथ बेड रूम में घुस जाता है , उधर नैना चार्जिंग पॉइंट पर बैठी , अपनी बैटरी चार्ज करने में लग जाती है , तभी उसकी नज़र बालकनी पर चहल कदमी कर रहे चौबे जी पर पड़ती है , वो बार बार उसी की तरफ देखे जा रहे थे नैना समझ जाती है , वो फ़ौरन अपने आपको चार्जिंग पॉइंट से अलग करती है , दूसरे ही पल वो चौबे जी के सामने खड़ी होती है , चौबे जी बहुत खुश होते हैं उनके ख़्वाबों की परी उनके सामने थी , उसे अपनी बाहों में भरने की कोशिश करते हैं , तभी सिमरन अपने असली रोबोटिक रूप में आजाती है अब वो सिर्फ एक मशीन थी , चौबे जी कुछ समझ पाते तभी वो अपना हाँथ चौबे जी के सर पर रखती है और मस्तिष्क का सारा डाटा अपनी हार्ड डिस्क में फीड कर लेती है , और कुछ ही सेकंड में अत्यधिक हीट की वजह से चौबे जी का शरीर पसीने से तर बतर हो जाता है , और मस्तिष्क फट कर तरबूजे की तरह फर्श पर फ़ैल जाता है , इसी के साथ नैना वापस जाकर अपने चार्जिंग पॉइंट पर सेट हो जाती है , सुबह होटल में हल्ला मच जाता है , की होटल में किसी का खून हुआ है , इधर सिंह साहेब भी फ़ौरन वापस आ जाते हैं , होटल सीज़ कर दिया जाता है , हर तरफ अफरा तफरी का माहौल बन जाता है , सभी से पूछ तांछ की जाती है , सी सी टी वी फुटेज भी देखा जाता है , ऐसा कुछ ख़ास सुराग पुलिस के हाँथ नहीं लगता है जिससे इस बात की पुष्टि की जा सके की चौबे जी को किसने इतनी बेरहमी से क़त्ल किया , लेकिन अचानक नैना का गायब होना इस बात की ओर इंगित करता है की हो न हो नैना का मर्डर में हाँथ है , राजवीर से भी पूछ ताछ की जाती है , राजवीर को कस्टडी में ले लिया जाता है , राजवीर नैना के बारे में अभी जानकारी देना सुरु ही किया था , की न्यूज़ चैनल पर एक न्यूज़ चलती है , देश के सभी नेताओ और सर्वोच्च अधिकारियों का बैंक खाता हैक किया जा चुका है , तभी ए सी पी गजेंद्र सिंह के मोबाइल पर एक वरिष्ठ मंत्री का फोन आता है , सबके बैंक अकॉउंट की जानकारी कैसे लीक हुयी सबके सब लम्बे से जायेगे , कुछ करो डैम इट, यस सर बोल कर गजेंद्र सिंह चुप हो जाते हैं , नैना की जानकारी पाते ही साइबर सेल वाले वहाँ पहुंच जाते हैं , होटल में ए आई रोबोट की जानकारी मिलते ही सेंट्रल अथॉरिटी ऑफ़ साइबर क्राइम की टीम भी वहां पहुंच जाती है , वो नैना को ढूढ़ने में लग जाती है , सेंट्रल से फ़ोर्स मगवा ली जाती है क्यूंकि खतरा अब सिर्फ बैंक अकॉउंट का नहीं था , देश की सुरक्षा व्यवस्था खतरे में पड़ चुकी थी , लगभग सारा का सारा सिस्टम हैक हो चुका था , बड़ी मसक्क्त के बाद श्रीनगर हवाई अड्डे में एक रोबोट के होने की आशंका बताई जाती है , सीरियल कोड चेक करने पर यह नैना ही थी जो की अब पूरी तरह से अपना रूप चेंज करके रोबोट बन चुकी थी , तभी मिलिट्री कमांडो के द्वारा नैना को चारों तरफ से घेर लिया जाता है , वो नैना को चेतावनी देते हैं , अपने आपको को हमारे हवाले कर दो तुम्हे चारों तरफ से घेर लिया गया है , तभी नैना कहती है फ,, ऑफ़ मैन बचकानी बातें करना बंद करो ,
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से ऑपरेट करके चलाया जा रहा था , वो पूर्णतः ह्यूमन नहीं थी , वो ह्यूमन बॉडी में मशीन थी , तभी पलक झपकते ही नैना के इशारे में सारी की सारी फ़ोर्स इंसानी सिपाहियों पर ताबड़तोड़ गोली चलाना सुरु कर देते हैं , सभी वहां से भागना सुरु कर देते हैं , केंद्र सरकार विश्व के ए आई मुख्यालय से आपातकालीन सहायता मांगती है , वर्ल्ड ए आई मुख्यालय विश्व शांति के नाम पर एक लम्बे सौदे की बात करता है उसके ऐवज में वो वो उनकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है , और अपने सैटेलाइट से नैना का कनेक्शन काटने के लिए तैयार हो जाता है , और कनेक्शन कट होते ही नैना की परफॉर्मेंस धीमी होने लगती है , और ह्यूमन फ़ोर्स मैकेनिकल फ़ोर्स पर भारी पड़ने लग जाती है , क्यों की सारे मैकेनिकल फ़ोर्स की कमांड अब नैना के हाथ में थी , और कुछ ही पल में सारे के सारे ह्यूमन रोबोट्स वही पर ढेर हो जाते हैं। और ह्यूमन फ़ोर्स के द्वारा एक एक ह्यूमन रोबोट्स को चुन चुन कर डिस्ट्रॉय किया जाता है , और समंदर की अनंत गहराइयों में हमेशा हमेशा के लिए दफना दिया जाता है ।
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]]>देर रात तक ऑफिस वर्क और सुबह लेट उठना राजवीर की लाइफ का हिस्सा बन चुका था , जब तक दो चार क्लाइंट के फोन नहीं आ जाते हैं तब तक किसी की क्या मजाल की राजवीर को बिस्तर से टस से मस कर ले , खैर अपनी इन्ही सब हरकतों की वजह से बॉस से लटेड़े जाना राजवीर की फितरत बन गया था , घडी में पौने ११ बज चुके थे , मगर आज राजवीर बिस्तर छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था , बॉक्सर के अंदर कोहराम मचा रखा था मगर मस्तिष्क पर नींद इतनी हावी थी की बिस्तर गीला हो जाए तो हो जाए मगर वाश रूम तक न जाना पड़े , फोन साइलेंट मोड में था मगर वाइब्रेट मोड़ में घिर्र घिर्र किये जा रहा था , बहुत ज़्यादा इर्रिटेट होने के बाद राजवीर फोन उठाता है ट्रू कॉलर में तान्या का नाम आता है , कॉल रिसीव करते ही आवाज़ आती है , सर मैं तान्या में चैट मैट डेटिंग साइट से बोल रही हूँ क्या आप हमारी सर्विसेज लेना पसंद करेंगे , राज कहता है अभी मैं सो रहा हूँ बाद में बात करते हैं और कॉल काट के रख देता हैं ,
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शाम के आठ बजे थे पुलिस फोर्स से रिटायर्ड डी एस पी चौबे जी अभी शाम की चाय पी कर इंस्टाग्राम में रील देख के मनोरंजन कर ही रहे थे की उनके वाट्सएप्प में एक मैसेज आता है , सर मैं टीना बोल रही हूँ , क्या आप मुझसे दोस्ती करना पसंद करेंगे , चौबे जी पहले तो सोच में पड़ जाते हैं फिर ओके बोल कर वाट्सएप्प क्लोज़ कर देते हैं , और अपने पोते पोतियों के साथ खेलने में मस्त हो जाते हैं , शाम किसी तरह गुज़रती है , पत्नी की मौत के बाद चौबे जी बिलकुल अकेले हो गए थे , पढ़ाई की वजह से दिन में बच्चे स्कूल चले जाते थे , और वही शाम का वक़्त मिलता था जो थोड़ा बहुत टाइम वो दादा जी के साथ बिताते थे , और फिर वही रात जब तक नींद नहीं आती थी अपने रूम में लेटे फोन चलाते और सो जाते , लेकिन आज कुछ ख़ास था रूम की लाइट्स जल्दी बंद करके वो वाट्सएप्प में दिन वाली लड़की का मैसेज ढूढ़ने में लग जाते है और थोड़ी ही देर की मसक्कत के बाद उसका मैसेज मिल जाता है चौबे जी इनबॉक्स में जाते हैं , तभी सामने वाली लड़की ऑन लाइन दिखती है चौबे जी हाय लिखकर कर भेजते हैं , मैसेज का रिप्लाई आता है हाय हैंडसम हाउ आर यू हैंडसम देखकर चौबे जी फूले नहीं समाते हैं , मगर दूसरे ही पल वो अपना पुलिस वाला दिमाग लगा लेते हैं , ऑनलाइन हो रहे फ्रॉड के बारे में आये दिन न्यूज़ चैनल्स और पेपर में देखते पढ़ते हैं , फिर लड़की कहती है क्या आप मेरे साथ मस्ती करना पसंद करेंगे चौबे जी कहते हैं मस्ती कैसी मस्ती मैं समझा नहीं तुम अपनी आवाज़ सुनाओ लड़की कॉल करती है बात चीत से चौबे जी कन्फुज़ थे की आखिर ये हो क्या रहा है लड़की कहती है ऑनलाइन कैमरे में चौबे जी कहते हैं भाई तुम हो कौन पहले अपनी शक्ल तो दिखाओ लड़की कहती है ओके और चौबे जी को वीडियो कॉल करती है , चौबे जी कैमरे को दीवाल की तरफ करके कॉल उठा लेते हैं तभी सामने एक धुंधली सी पिक निर्वस्त्र दिखाई देती है , चौबे जी को वीडियो कॉल में न पाके लड़की बौखला जाती है और कॉल डिस्कनेक्ट कर देती है चौबे जी का शक यकीन में बदल जाता है हो न हो कोई स्कैमर ही है , चौबे जी उस आई डी का तुरंत स्क्रीन शॉट लेते हैं , क्यों की उन्हें पता था की अब वो लड़की उनको ब्लॉक मारने वाली है , और होता भी वही है , अगले ही पल वो आई डी अनवेलबल बताने लगती है , चौबे जी मुस्कुराते हुए कहते हैं साला मेरे साथ फ्रॉड करने चला था ,
chapter three ,
पहुंचने से पहले उसे एक बैंक से कॉल आई सर आप पिंटू जोजेफ बोल रहे हैं , फला फला बैंक से फला फला अकॉउंट नंबर आपका है आपका खाता बंद होने वाला वाला है अगर आप खाता चालू रखना चाहते हैं तो हमने अभी आपके मोबाइल में एक ओ टी पी भेजा है कृपया वो आप हमे बताएँ जोजेफ हड़बड़ा जाता है , और तुरंत ओ टी पी नंबर बता देता है इसी के साथ कॉल डिस्कनेक्ट हो जाती है , और एक मैसेज आती है आपके खाते से दो लाख रूपये कट गए ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए धन्यवाद जोजेफ हड़बड़ा जाता है आनन फानन में बैंक की तरफ भागता है पैसे कटने की जानकारी देता है , बैंक वाले कहते हैं सर आपको अपना ओ टी पी नहीं बताना था , हम कुछ नहीं कर सकते आप पुलिस में कंप्लेंट दर्ज़ करवाइये पिंटू जोजेफ पुलिस में कंप्लेंट दर्ज़ करवाता है पुलिस कॉल डिटेल से उस नंबर पर कॉल करती है मगर फोन स्विच ऑफ बताता है , वो जोजेफ को समझाती है अपने ओ टी पी किसी भी हालत में दूसरे वयक्ति को नहीं देना है बैंक से कभी भी कोई भी ओ टी नहीं मांगा जाता है , बेचारा मायूस जोजेफ पेट काट काट कर जोड़ा हुआ पैसा गवाने के बाद घर की तरफ मुँह लटकाये लौट जाता है ,
third customer ,
नए नए टीनएजर्स कपल को सोशल साइट्स पर रील बनाने का बड़ा चस्का रहता है , रज्जन ने भी अभी अभी एक साइट ज्वाइन की थी और रील बनाता था , सोशल साइट में ही उसकी एक फ्रेंड बन जाती है , जिसकी आई डी का नाम एंजेल प्रिया होता है दोनों में अच्छी खासी गप सप होने लगती है दोनों दिन दिन भर चैटिंग करते हैं , एक दिन एंजेल प्रिया की आई डी हैक हो जाती है , वो परेशान होकर दूसरी आई डी से रज्जन को मैसेज करती है की मेरी पहली वाली आईडी किसी ने हैक कर कर ली वो बोल रहा था की पैसे दो आईडी वापस करुगा प्लीज तुम अपने मोबाइल के ऐप्प से मेरी आईडी रिकवर कर दो न हालाँकि रज्जन एंजेल प्रिया की बातों में किसी तरह से नहीं आता है , क्यों की रज्जन जब भी एंजेल प्रिया को वीडियो कॉल में आने के लिए बोलता तभी वो मना कर देती रज्जन एंजेल प्रिया को साइबर सिक्योरिटी का हेल्प लाइन नंबर देता है और कहता है इसमें कॉल करके अपनी प्रॉब्लम बता दो वो तुम्हारी हर संभव हेल्प करेंगे , येन तेन प्रकारेण तमाम जद्दो ज़हद के बाद एंजेल प्रिया की आईडी वापस मिल जाती है , दिन गुज़रते जाते हैं रज्जन जबलपुर में एकाउंटिंग मैनेजमेंट से एम् बी ए कर रहा था , उसका एम् बी का लास्ट सैम था , कॉलेज के कैंपस सिलेक्शन में उसे जॉब मिल जाती है , और उसे अगले हफ्ते पुणे जाना रहता है , तभी उसे याद आता है ये एंजेल प्रिया आईडी वाली लड़की तो पुणे की ही है , वो उसे कांटेक्ट करता है और सब कुछ बता देता है , और कहता है प्लीज अब तो वीडियो कालिंग में आओ न , वो कहती है नहीं न हम सीधा आमने सामने मिलेंगे , मैं नहीं चाहती की हमारे प्यार का एक्साइटमेंट इतनी ज़ल्दी ख़त्म हो , तुम पुणे आओ हम वहीँ पर मिलते हैं , रज्जन किसी तरह सब्र करता है , और अगले महीने पुणे के लिए रवाना हो जाता है , वहां जाते ही उसकी मुलाक़ात एंजेल प्रिया से होती है , गज़ब की खूबसूरत थी एंजेल प्रिया , उसकी स्किन इतनी स्मूथ थी की हाँथ फेस पर लगाओ तो फिसल के सीधा नीचे पहुंच जाए , छोटे शहर का रज्जन उसे देखते ही मंत्रमुग्ध हो जाता है , रोज़ महंगे महंगे रेस्टॉरेंट में खाना डेली मॉल में शॉपिंग , रज्जन की सारी सैलरी इसी में ख़तम हो जाती थी , उसके दोस्त उसे समझाते भी थे भाई देख मेट्रो सिटी की लड़कियों का कोई भरोसा नहीं है , मगर रज्जन एंजेल प्रिया के प्यार में अंधा हो चुका था , वो जब भी एंजेल से मिलता यही कहता जान हम शादी कब करेंगे , और एंजेल कहती बस अगले महीने यही करते करते एक साल निकल जाता है , और एक दिन एंजेल कहती है , सुनो न तुम्हे बहुत जल्दी है मुझसे शादी करने की न कब भेज दूँ मैं अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर हमारे रिश्ते का सगुन लेकर एंजेल प्रिया की बात सुन कर ख़ुशी के मारे गदगद हो जाता है , तभी एंजेल कहती है जानू तुम्हारे मम्मी पापा के सामने जाने के लिए मेरे पास कोई ट्रैडिशनल ड्रेस नहीं है , क्या मैं जीन्स टॉप पहन के उनके सामने जाऊंगी , मेरी जीन्स से मेरे अंडरगार्मेंट्स दिखते हैं , और हाँ ये पिछवाड़े में बनी टैटू की तितली कैसे छुपाऊँगी , रज्जन कहता है बिल्कुल नहीं मेरी फैमिली में सिर्फ संस्कारी बहू चलेगी , एंजेल प्रिया तपाक से बोलती है हाँ तो फिर चलो मुझे ट्रेडिशनल ड्रेस और ज्वेल्लरी दिला दो , राजवीर ओके बोलता है और उसके साथ चल देता है , तभी ऑफिस से बॉस का फोन आता है तुरंत ऑफिस आ जाओ मुंबई निकलना है एक ज़रूरी सेमीनार अटेंड करना है ४ दिन रुकना पड़ेगा , रज्जन अपनी प्रॉब्लम बताता हुआ एंजेल प्रिया के हाँथ में अपना क्रेडिट कार्ड देता है , और कहता हैं जान तुम अकेली शॉपिंग कर लो नेक्स्ट संडे को मैं मम्मी पापा को बुलवा लेता हूँ मुझे लौटने में वक़्त लग जायेगा तुम अरेंजमेंट कर लेना प्लीज ,
एंजेल प्रिया मुस्कुराती हुयी एक कुटिल मुस्कान के साथ रज्जन का क्रेडिट कार्ड हाँथ में लेती है , और कहती है ओके बेबी मैं सब कर लूँगी तुम बिलकुल भी टेंशन मत लेना तुम्हे कहीं ड्रॉप करना है क्या रज्जन कहता है नहीं मैं बस से चला जाऊँगा , और इसी के साथ एंजेल प्रिया स्कूटी उठाकर वहाँ से नौ दो ग्यारह हो जाती है , रज्जन बॉस के साथ मुंबई के लिए रवाना हो जाता है , अभी आधा घंटा ही हुआ था की रज्जन के मोबाइल में मैसेज आता है आपके अकाउंट से ३३००० की फिर ४५ ०००० की शॉपिंग हुयी क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने के लिए आपका सादर धन्यवाद , मुंबई पहुंचकर रज्जन एंजेल प्रिया को कॉल करता है , एंजेल प्रिया का फोन स्विचड ऑफ बताता है , रज्जन ४ दिन में लग भग ४० बार फोन ट्राय करता है , मगर फोन नहीं लगता है और सोशल साइट्स से उसकी एंजेल प्रिया वाली आई डी भी गायब हो चुकी होती है ४ दिन बाद जब रज्जन पुणे वापस आता है , और एंजेल प्रिया की खोजखबर न पाकर अपने दोस्तों को घटना से अवगत कराता है , तब दोस्त कहते हैं बेटा वो भाग गयी अब वो वापस नहीं मिलेगी , तू एक काम कर क्रेडिट कार्ड की इनस्टॉल भर दे वरना वो तेरी गा,,,,,, मार लेंगे , और होता भी वही है एक निश्चित समयावधि के बाद क्रेडिट कार्ड वाली फोन करना सुरु कर देती हैं , पहले तो वो बड़े प्रेम से बात करती हैं मगर बाद में सर देखिये ऐसा है , अगर आपने समय में इंस्टॉल नहीं भरी तो मैं आपके ऊपर रेप केस ठोंक दूँगी धमकी सुनकर रज्जन की फट जाती है , सारी की सारी सैलरी से इंस्टाल भरने लगता है और दोस्तों के साथ रूम में सरन ले लेता है और उन्ही के फेंके टुकड़ों पर पलना सुरु कर देता है , दोस्त कहते हैं भाई तेरी बंदी न तुझे धोखा दे गयी , रज्जन एंजेल प्रिया के बारे में कुछ भी बुरा सुनने के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं होता है और कहता है नहीं भाई प्यार था वो मेरा , और वहां से उठ कर चला जाता है।
second customer chapter 2
इज़्ज़त करते हैं उनकी पहली पोस्टिंग चौबे जी के साथ ही हुयी थी दोनों पीने खाने के अच्छे खासे शौक़ीन थे , जब भी गजेंद्र सिंह की बीवी मायके चली जाती , गजेंद्र सिंह चौबे जी को घर में इनवाईट कर लेते , और दोनों आराम से बैठ के चिकेन मटन पार्टी एन्जॉय करते , नौकरों को ख़ास हिदायत थी की रंग में किसी तरह की भंग न हो जो भी आये उसे बंगलो के बाहर से चलता कर दो , शाम का वक़्त था , दोनों जाम पे जाम टकरा रहे थे की अचानक , चौबे जी से इंस्टग्राम वाली आई डी का जिक्र मुँह से निकल गया , गजेंद्र सिंह आई डी का स्क्रीन शॉट अपने मोबाइल में ले लेते हैं , और कहते है साइबर क्राइम में बड़ा फ्रॉड चल रहा है , साले बड़े हरामी हैं ये आजकल के लड़के अभी कुछ दिन पहले गोंदिया का एक मुंशी रिटायर हुआ था , अपनी बेटी की शादी के लिए रुपया निकाल रहा था सारा का सारा जी पी ऍफ़ झाड़ गए गए हराम ज़ादे , अभी नाशिक से पकड़ा है हमने एक कपल को साले लड़का लड़की दोनों मिलके पैसे ऐंठते थे लोगों से पहले लोगों को वीडियो कॉल में मस्ती करने के लिए बुलाते थे उनकी वीडियो बना कर उन्हें ब्लैक मेल करते थे , अब जेल में हैं दोनों कंप्यूटर ब्रांच से इंजीनियरिंग कर रहे थे , काम धाम मिला नहीं तो फ्रॉड का रास्ता इख्तियार कर लिए अब करें भी तो क्या करें , आजकल एक और नया ऑनलाइन शॉपिंग से फ्रॉड का धंधा चला है , कॅश ऑन डिलीवरी सामान मगवाने पर भी कूरियर वाला ऑनलाइन पेमेंट के लिए बोलेगा आपके मोबाइल में ओ टी पी आएगा आपसे कूरियर वाला ओ टी पी पूछेगा इधर आपने ओ टी पी दिया उधर बैंक अकाउंट खाली , चौबे जी कहते हैं अच्छा हुआ मैं बाल बाल बच गया , गजेंद्र सिंह कहते हैं साला पुलिस वाला भी एम् टेक है चोर भी एम् टेक है बस रोना तो इसी बात का है हम वर्दी में पैसे कमाने के लिए कानून के दायरे में रह कर काम करते हैं , और वो किसी को भी चूना लगा के चले जाते हैं खैर आप बताइये आगे का प्लान क्या है , चौबे जी कहते हैं अरे टेंशन तो हो जाती है सिंह साहेब किसी दिन कोई एम् एम् एस न बना के वायरल कर दे , अरे हटाइये साहेब ये बताइये की बैंकॉक चलेंगे थाई मसाज लेने , गोवा वाले ट्रिप में मज़ा नहीं आया इस बार गुप्ता जी जैसे बुढऊ को न ले चलेंगे साथ में भोस,,, के गोवा जाकर कौन पूजा पाठ करता है , सामने रसियन लडकियां बिकिनी पहन के ज़ुम्बा डांस कर रही थी , और वो आदमी बीच पर जा कर सूरज को जल चढ़ा रहा था , बोल रहा था पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी , चूतिया कहीं का ,
customer first chapter2
दोपहर के १२ बज चुके थे , सौम्या के १२ मिस्ड कॉल राजवीर के मोबाइल में डले थे , राजवीर आँख खोलते ही सौम्या को कॉल करता है , मगर उसका फोन फ्लाइंग मोड में होने की वजह से अनरीचेबल बताता है , फोन की रिंगटोन चालू करके वो एक बार फिर सोने लगता है , तभी शैलेश का फोन आता है , वो कहता है भाई तेरी बंदी बज गयी राजवीर बोलता है कौन रूही , शैलेश बोलता है नहीं राजवीर फिर बोलता है नम्रता शैलेश बोलता है नहीं , राजवीर बोलता है तो फिर पक्का मोना रही होगी वही इन सब की बड़ी शौक़ीन है , शैलेश बोलता है सौम्या अभी किसी नए लौंडे के साथ ओयो में घुसी है , मैंने अपनी आँखों से देखा है राजवीर बोलता है नहीं बे तुझे धोखा हुआ है वो मेरे साथ आज बरिष्ता में कॉफी पीने जाने वाली थी , सौम्या ऐसी लड़की नहीं है , वो अच्छी फॅमिली से बिलोंग करती है , शैलेश बोलता है वो कॉफी नहीं कोकाकोला पीने जा रही है रुक चू,,, अभी वीडियो भेजता हूँ , और वो राजवीर के मोबाइल में एक वीडियो भेजता है जिसमे सौम्या किसी अजनबी की कमर में हाथ डाले ओयो के भीतर घुसती नज़र आती है , राजवीर देख कर हैरान रह जाता है और शैलेश को बोलता है भाई सभी लडकियां एक जैसी होती हैं , और फोन काट देता है तभी एक अननोन नंबर से राजवीर के मोबाइल में कॉल आता है , राजवीर कॉल उठा लेता है सामने से एक लड़की ख़ास ऑफर के बारे में बताती है सर मार्किट में नया स्वचालित सेक्स डॉल आया है , जिसे आप किसी लड़की की तरह फीलिंग्स महसूस कर पाएंगे , और गर्ल फ्रेंड की तरह ये आपको धोका भी नहीं देगी , आज हमारे पास ख़ास ऑफर चल रहा है जिसके चलते ये रोबोटिक डॉल ३५०००० की जगह आपको मात्र आपको १८००० रूपये में दी जाएगी , इसे तीन दिन के अंदर आपको डिलीवर कर दिया जायेगा , तभी लड़की एक बार पुनः कहती है क्या सोच रहे हैं सर इससे बेस्ट ऑफर दुबारा नहीं मिलेगा , राजवीर कहता है ओके ऑर्डर कन्फर्म कर दो , और इसी के साथ राजवीर का ऑर्डर कन्फर्म हो जाता है ,
राजवीर हाँ बोलिये , कूरियर वाला बोलता है सर आपका पार्सल आया है क्या अभी आप घर में हैं , राजवीर बोलता है अभी तो घर में नहीं हूँ आप अपने ऑफिस का अड्रेस दे दीजिये वही से पार्सल रिसीव कर लूँगा , कूरियर वाला बोलता है ठीक है सर और फोन को काट देता है , शाम को लौटते वक़्त कूरियर ऑफिस से सामान लेता हुआ जब राजवीर घर की तरफ लौटता है तभी रास्ते में इलेक्शन के चलते भरी चेकिंग चल रही होती है , राजवीर की कार भी चेक की जाती है लेकिन जब सामान पर मेटल डिटेक्टर घुमाया जाता है , तब बीप बीप की आवाज़ आने लगती है , पुलिस बॉक्स खोलने के लिए बोलती है राजवीर बॉक्स खोलता है , पुलिस डॉल देख कर दंग रह जाती है , और राजवीर से पूछती है बॉस ये सब क्या है राजवीर कहता है इट्स माई मशीन सर , ये सिलिकॉन डॉल है सिर्फ फन के काम में आती है , पुलिस वाला कहता है इस पर तो बीप की आवाज़ आ रही है तभी सामने खड़ा इंस्पेक्टर आ जाता है और राजवीर को कहता है राजवीर तू यहां क्या हुआ भाई , वो राजवीर के बचपन का दोस्त था , तभी हवलदार कहता है साहेब ये डॉल का क्या इसमें तो बीप की आवाज़ आरही है इंस्पेक्टर देखता है और कहता है जाने दे ये नार्मल सिलिकॉन डॉल है आजकल इलेक्ट्रॉनिक्स में आगयी है हम लोग खूब यूज़ करते थे कॉलेज के दिनों में हवलदार वहाँ से चला जाता है , उसकी बात सुनकर राजवीर हंस देता है इंस्पेक्टर बोलता है भाई अब इस उम्र में भी तू सिलिकॉन डॉल से काम चला रहा है , कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनाया राजवीर कहता है आती तो बहुत हैं मगर टिकती कोई नहीं , इंस्पेक्टर बोलता है भाई गर्लफ्रेंडों का यही लफड़ा है , मम्मी पापा के पसंद की कोई अच्छी सी घरेलु लड़की देख और शादी कर ले , राजवीर कहता है हाँ भाई अब यही करना पड़ेगा तभी एस पी साहेब इंस्पेक्टर को बुला लेते हैं इंस्पेक्टर राजवीर को बोलता है ठीक है भाई तू निकल नेक्स्ट संडे को मिलते हैं , बहुत दिन हुए दारू पार्टी किये हुए , इसी के साथ राजवीर वहाँ से निकल जाता है। और जब घर पहुँचता है तो सब से पहले डॉल को सामने खड़ी करता है और उसकी बैटरी चार्ज करने के लिए इलेक्ट्रिक पावर प्लग से जोड़ देता है , और बुकलेट में उसकी विशेषताएं पढ़ने में लग जाता है , अन्य विशेषताओं के साथ जिसमे लिखा था इसे आप इनडोर और आउट डोर भी ले जा सकते हैं ये सोलर ऊर्जा से भी चार्ज हो जायेगी , पढ़कर राजवीर खुश हो जाता है , और फ्रेश होकर डॉल को साथ में लेकर बिस्तर में चला जाता है रात भर डॉल के साथ मस्ती करता है और सुबह अपने आप को बिलकुल स्ट्रेस फ्री पाता है , मगर जब सुबह राजवीर चार्जिंग पॉइंट पर डॉल को जब नहीं पाता है तो हैरान हो जाता है , तभी डॉल उसके लिए किचन से चाय लेकर आती है , गुड मॉर्निंग करती है , राजवीर ऑफिस के लिए तैयार हो जाता है और अपना वैलेट ढूढ़ने लगता है तभी उसकी नज़र डॉल के हाँथ पर पड़ती है डॉल एक मुस्कान के साथ उसका वैलेट उसे देती है राजवीर थैंक्स बोलता है और डॉल का स्विच ऑफ करके ऑफिस चला जाता है। दरवाज़ा बंद होते ही डॉल की झुकी पलकें ऊपर उठती है की आँखों के लेंस ब्लिंक करने लगते हैं।
second part of this story is here
story continue,,,,,,,,,,
pics taken by google ,
अँधेरी सुनशान गलियों में कुत्तों के भौंकने के साथ कुछ आवारा औरतों के हंसने की आवाज़ें सुनाई देती है , तभी ऊपर से कुछ परिवारों के मेंबर्स ब्लैक पॉलीथिन में खाने से बचे हुए मांस के टुकड़े घर की बालकनियों से नीचे फेंक देते हैं और चिल्ला कर कहते हैं चली जाओ बदजात दुष्ट चुड़ैलों हमारे परिवार के बच्चों को बक्श दो क्या बिगाड़ा है हमारे बच्चों ने तुम्हारा , इतना कहकर घर की खिड़कियाँ बंद कर लेती हैं , इधर गली में घूम रही बदजात औरतें उन मांस के टुकड़ों को उठा उठा कर बड़े चाव से खाने में व्यस्त हो जाती है और कहती है आज तो बच गए तुम्हारे बच्चे कब तक बचाओगी अपने परिवार के मर्दों को ।
कहते हैं के त्रिजुआ कैट के विभाजन के बाद दुष्ट आत्माओं और पुण्य आत्माओं के बीच घमाशान युद्ध हुआ , इस युद्ध का कोई परिणाम तो नहीं निकला मगर त्रिजुआ कैट ज़रूर दो भागों में बँट गया एक का नाम धीम पुर पड़ा और दूसरे का अधीम पुर , धीम पुर में पुण्य आत्माओ का और अधीम पुर में दुष्ट आत्माओं का निवास था त्रिजुआ कैट का पूर्व राजा चिरोटा अत्यंत बलशाली था , किन्तु उसकी कुछ गलत आदतों की वजह से उसे पुण्यात्माओं का राज्य धीम पुर छोड़ कर अधीम पुर में जाकर बसना पड़ा , चिरोटा सूरा सुंदरा का शौक़ीन था जिसके चलते उसने स्वयं की महारानी का त्याग कर एक बदजात डायन के साथ दैहिक सम्बन्ध बना रखे थे , रात भर ऐय्यासी में डूबे रहने की वजह से चिरोटा को राज्य से बेदखल कर दिया गया था , अब चिरोटा मात्र नाम का राजा था राज्य की सारी देख रेख मंत्रिमंडल और चिरोटा के रिश्तेदार देख रहे थे , चिरोटा की दो पुत्रियां थी चारु , वीचारु दोनों विलक्षण शक्तियों की धनी थी ,किन्तु बाप के बदजात महिला के संपर्क में आने की वजह से उसे कुछ यौन सम्बन्धी अनुवांशिक बीमारियाँ हो गयी थी जिसके चलते उनकी शक्तियां भी धीरे धीरे क्षीण होती जा रही थी ,
बाल्यावस्था तक तो सब सामान्य था किन्तु यौवन आते आते दोनों राजकुमारियों में शक्ति के साथ सौंदर्य भी क्षीण होने लगा , जिसके चलते धीम पुर का कोई भी नवयुवक दोनों राजकुमारियों में से किसी को अपनाने के लिए तैयार नहीं था , धीरे- धीरे दोनों राजकुमारियों की मानसिकता कुण्ठाग्रसित होती जा रही थी , इन सब चल रहे दुष्चक्रों का प्रमुख दोष चिरोटा को भी नहीं दिया जा सकता था , क्यों की बचपन में ही चिरोटा के माँ बाप किसी महामारी के चलते चल बसे थे जिसके कारण उसका लालन पालन उसके सगे सम्बन्धियों ने किया था , अनाथ चिरोटा का बचपन सब कुछ होते हुए भी अभावग्रस्त गुजरा था , उचित उच्च शिक्षा का अभाव कुलीन लोगों से दूरी और दूसरों से अपनेपन का न मिल पाना चिकोटा को दुर्व्यसनो की ओर धकेलता चला गया और जब राज्य सम्हालने योग्य हुआ तब वह पूरी तरह से कुसंगति के जाल में फंस चुका था , सालों से नेतृत्व विहीन त्रिजुआकैट भीतर ही भीतर दो भागों में बँट चुका था , दुष्ट आत्माओं का प्रकोप बढ़ रहा था , पुण्य आत्माएं त्राहिमाम कर रही थी , वर्षों बाद राजा मिला वो भी अप्सरा और रक्कासाओं की पनाह में पड़ा रहता था , रियाया की सुख शांति की उसे परवाह नहीं थी , इधर दुष्ट आत्माओं ने अपना नया नेता चुन लिया था , जिसका नाम था फुवांचू वो किसी भी पल चिकोटा के राज्य में हमला करने के लिए तत्पर था ,
पुण्य आत्माओं के खून से मिलाकर अपनी नश्लें जो सुधारनी थी , उसने चिरोटा की तरफ दोस्ती का हाँथ बढ़ाया और चिरोटा उसकी चालाँकि समझ नहीं पाया उसने फुवांचू की मित्रता का आमंत्रण स्वीकार कर लिया , दोनों घरानो में मित्रता का दौर सुरु हुआ दोनों एक दूसरे के महलों में बेरोक- टोक आने जाने लगे मर्दों की मित्रता के साथ साथ धीरे धीरे दोनों राज्यों की महारानियों का आना जाना भी सुरु हो गया , फुवांचू ने अपने बावर्ची खाने में जिस खानसामा को लगाया था उसे ख़ास हिदायत दे रखा था की दस्तर खान में परोसे गए खाने में कुछ गंदे खून की बूँद को भी मिलाया जाए ताकि , पुण्य आत्माओं को धीरे धीरे दुष्ट आत्माओं में बदला जा सके , और ये परिवर्तन एक दिन में संभव नहीं था , इसके लिए दुष्ट आत्माओं वाले मुर्दों का खून पुण्य आत्माओं के लिए धीरे धीरे असर करने वाले मीठे ज़हर का काम कर रहा था , अब गंदे खून का असर चिकोटा और उसके परिवार के सदस्यों पर भी गंदे खून का असर साफ़ दिखाई देने लग गया था , उनकी त्वचा का रंग बात करने का लहज़ा और और सबसे ज़्यादा असर तो उनके मस्तिष्क में उठने वाले विचारों पर पड़ रहा था जो की अब धीरे धीरे दुष्ट आत्माओं जैसे होते जा रहे थे , और सब से ज़्यादा असर चिकोटा की दोनों राजकुमारियों में दिखाई देने लग गया था , क्यों की वो शारीरिक और मानसिक रूप से अपरिपक्व थी , और उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कुछ ख़ास देखा भी नहीं था , उनके मन और शरीर को दूषित करने के लिए फुवांचू ने ख़ास तरह के ऐश ओ आराम को व्यवस्था कर रखी थी ,
चिकोटा अब पूर्णतः फुवांचू के सियासी मकड़ जाल में फंस चुका था , यहां तक की धीम पुर का खज़ाना भी धीरे धीरे खाली होता जा रहा था , फुवांचू के नुमाइंदे धीमपुर के कोने कोने में छुपे रहते थे , जो की धीमपुर की हर एक गति विधि से फुवांचू को अवगत कराते रहते थे , यहां तक की चिकोटा के घरेलु मामलों में भी फुवांचू की दखल थी , महल के अंदर होने वाली हर एक गतिविधि से फुवांचू भलीभांति अवगत था , विषाक्त भोजन और अत्यधिक सुरा सुंदरा के सेवन के चलते चिकोटा के मस्तिष्क के साथ साथ शरीर भी रोगी होता जा रहा था , चिकोटा को अब अपनी राजकुमारियों के विवाह की चिंता हो रही थी , उधर चिकोटा की दोनों बेटियां फुवांचू के दोनों बेटों के साथ बचपन से पल बढ़ रही थी , और फुवांचू चाहता था की उसके बेटों को विवाह चिकोटा की बेटियों के साथ हो जाए , इस तरह उसके खान दान की रगों में बह रहा दूषित खून पवित्र हो जायेगा , और उसे भी पुण्यात्माओं के रिश्तेदार होने का खिताब मिल जायेगा , और च्यूंकी धीमपुर का कोई उत्तराधिकारी नहीं है इसलिए चिकोटा की मौत के बाद सारे राज्य पर उसी का हक़ होगा , इसलिए उसने अपने बेटों को अच्छी तरह से सीखा पढ़ा रखा था की हर हाल में तुम्हे चारु और वीचारु दोनों को अपने प्रेम जाल में फसाये रखना है , और विवाह के लिए दबाव बनाये रखना है , चाहकर भी फुवांचू के दोनों बेटे रंजन और चितरंजन अपने बाप की आज्ञा की अवहेलना नहीं कर सकते थे ,
और आखिरकार हुआ भी वही जो फुवांचू चाहता था , उसने एक दिन लगी छनी में चिकोटा से अपने दिल की बात कह डाली , और चिकोटा फुवांचू के द्वारा दिए गए अपने दोनों बेटों के लिए विवाह प्रस्ताव को मना नहीं किया जा सका क्यों की चिकोटा शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से जीर्ण छीण हो चुका था , बेटियां भी बाप के निर्णय का विरोध नहीं कर पायीं , और चिकोटा की दोनों बेटियों चारु और वीचारु का विवाह फुवांचू के दोनों बेटों रंजन और चितरंजन के साथ संपन्न कर दिया जाता है , दोनों राज्यों में हर्ष का माहौल छा जाता है मगर धीमपुर की जनता इस विवाह के विरुद्ध खड़ी हो जाती है , और वो मन ही मन चाहकर भी चिरोटा का विरोध नहीं कर पाती है खैर चारु और वीचारु को इससे घंटा कुछ फर्क नहीं पड़ता है , रंजन और चितरंजन चारु और वीचारु के मोहजाल में पूर्णतः फंस चुके थे , और आखिर वो क्षण भी आगया जिसका दोनों बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे , दोनों राजकुमारियों को अधीमपुर लाया गया , नगर में प्रवेश करते ही पहले तो वो वहां के रहवासियों को देख कर डर गयीं मगर फिर अपने आपको सम्हाल लीं , इधर दोनों राजकुमारियों के सयन कक्ष को सुहागरात के लिए रकम रकम के फूल पत्तियों और इत्र फुलेल से सजाया गया और उनके लिए ख़ास तरह के रोगन रक्त सोरबा एवं केशर युक्त दूध का इंतजाम किया गया ताकि रात्रि कालीन कार्यक्रम में कोई विघ्न न पड़े और सुहागरात का प्रोग्राम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाए , कुछ ही देर में रंजन और चितरंजन चारु और वीचारु के कमरों में घुसते हैं , चारु के कमरे में घुसते ही रंजन को जन्नत का एहसास होता है , वो घूंघट में छुपे हुए चाँद से मुखड़े को देखने के लिए आगे बढ़ता है तभी चारु उछल कर अपने बेड पर खड़ी हो जाती है और और रंजन को तिरछी नज़रों से देख कर गाना गाने लगती है बलमा हमार मिले बड़े रंग रसिया चारु का ये रूप देखकर रंजन थोड़ी देर के लिए तो डर जाता है , मगर काम अग्नि में जल रहा रंजन अपने आपको ये सोच कर सम्हाल लेता है बाहरी रूप तो मात्र मोह माया है असली प्यार तो अंदर की काया है , यही सोच कर वो उतार से ढलान की तरफ बढ़ ही रहा था , की झाडी झांकाडियों के बीच सफा- चट मैदान देख कर भयभीत हो कर रह जाता है , उसके मुख से सारा तेज़ गायब हो जाता है और शादी के बाद के जन्नत का दिवास्वप्न एक झटके में चकना चूर हो जाता है , उसके मुख से चीख निकल जाती है , और वो सीधा कमरे का द्वार फाड़ता हुआ जंगल की तरफ ४०० किलोमीटर प्रति मिनिट की रफतार से भाग जाता है , फुवांचू ये दृश्य देखकर भौचक्का रह जाता है ऑफर कहता है दुष्ट आत्माओं के देश में ये सब आम बातें हैं , चू,,,, के चक्कर में चु ,,, गया लव, मैं भी तो जब पहली बार अपनी पत्नी से मिला था तब मेरे भी तोते ऐसे ही उड़े थे ,
चीख पड़ी और बोली देखो मैं किसी और की अमानत हूँ और मैं नहीं चाहती की मेरे गर्भ में पल रहा बच्चा तुम्हारे द्वारा फेंकी गयी गन्दगी से गन्दा हो , हाँ लेकिन मैं एक वादा ज़रूर करती हूँ मैं तुम्हारे दिल में पल रहे अरमानो को नहीं तोङूगी बस इस बच्चे की डिलीवरी के बाद मैं तुम्हे वो तमाम सुख उछल उछल कर दूँगी जो तुमने हम दोनों को लेकर अपने दिल में सजाये थे , और बस इस बच्चे को इस दुनिया में आ जाने दो ताकि मैं ये जिसकी अमानत है उसके सुपुर्द करके अपने आपको पूर्णतः तुम्हारे हवाले कर सकूं , इतना कहते हुए वीचारु चितरंजन के पैजामे के ऊपर हाँथ फेर देती है जिससे की चितरंजन अपने साथ हुयी बेवफाई का ग़म बड़े आराम से भूल जाता है , और चितरंजन की शेरवानी पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लेती है और ऊपर ऊपर वो सब करने देती है जो सुहागरात में होता है बस वो नहीं करने देती जिससे की उसका पुण्य आत्माओं वाला बालक प्रदूषित हो , वीचारु का अपने प्रति प्रेमाकर्षण देख कर चितरंजन की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है वो धीर धीरे पूर्णतः वीचारु के मोह पास में फंसता चला जाता है , और वीचारु के इशारों पर नाचने लगता है , इसी के साथ अधीमपुर का भावी महाराज महज़ एक सुंदरी का गुलाम बनके रह जाता है ,
इधर चिकोटा अपनी दोनों बेटियों का घर बसा देखकर अत्यनत खुश होता है , मगर चारु के साथ जो घटित होता है इस बात का छोभ कहीं नहीं चिकोटा को रह रहकर दिल ही दिल में अंदर ही नादर कहीं न कहीं कचोटता है , मगर वो अपने भीतर की कथा व्यथा किसी से कह नहीं पाता और इसके लिए वो चारु को भी दोष नहीं दे पाता है , और अपने आपको सुरा सुंदरा में डुबोता चला जाता है , धीमपुर राज्य का अधिकांश हिस्सा अधीमपुर की सेना की छावनी में तब्दील हो चुका था , अब चाहकर भी चिकोटा अपने स्वयं के राज्य के फैसले नहीं ले पाता है चिकोटा धीमपुर के राजकीय अधिकार क्षेत्र से पूर्णतः बाहर हो चुका था , और वो चाहकर भी कोई भी न्यायालयीन प्रकरण का निर्णय नहीं ले पाता है , पुरुष प्रधान समाज होने की वजह से चारु और वीचारु अपंने बाप की राजनीतिक विफलता नहीं देख पाती है , इसीलिए वो चाहती है धीमपुर की बागडोर अब उन दोनों के हाँथ में आजाये और वो दोनों वीचारु के पुत्र के बड़ा होने का इंतज़ार करने लग जाती है , और तब तक चितरंजन अपने इशारों पर घुमाने का आदी बना देती है , दिन गुजरने लगते हैं , उम्र बढ़ने के कारण चिकोटा और फुवांचू का शरीर ढलने लग जाता है , इसी बात का फायदा उठा कर चारु बाल्यास्था में ही वीचारु के पुत्र को धीमपुर के उत्तराधिकारी मनोनीत कर देती है और उसे गोद में बिठाकर धीमपुर पर शासन करने लग जाती है , अब उसके सामने सबसे बड़ी समस्या थी फुवांचू के सैनिक जिन्होंने अधीमपुर की आधी से ज़्यादा सर ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा था , और इस समस्या का हल चारु अकेली नहीं कर सकती थी चिकोटा शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्णतः आसक्त हो चुका था , इसके लिए उसे वीचारु के सहयोग की आवश्यकता थी , अपने सहयोग के लिए चारु वीचारु को धीमपुर में रहने केलिए एक अलग से महल बनवा देती है , और देखभाल के लिए चितरंजन को हिदायत दे दी जाती है की समय समय पर आकर महारानी वीचारु का ध्यान रखे , और साथ ही साथ अपने बूढ़े माँ बाप की सेवा अधीमपुर में जाकर किया करें , बेचारा चितरंजन महारानी के आदेश की अवहेलना कैसे कर सकता है , इधर फुवांचू की सेना से टकराने के लिए चारु और वीचारु रेडकैट सेना तैयार कर लेती है जिसमे नगर भर की तमाम भगेल ,रखैल, प्रोस्टीटूट तंत्रविद्या में पारंगत , जिन्होंने अपने परिवार के किसी न किसी सदश्य , पति, पुत्र ,सास ,बहू, ननद या अन्य किसी अपने सगे सम्बन्धी की बलि देकर तांत्रिक सिद्धियां हासिल की हों , ये औरतें काला जादू वुडू और टोना टोटका करने में पूरी तरह से दक्ष थीं , इनमे कुछ जंगली जनजाति की भी सामाजिक रूप से अपेक्षित महिलायें थी , और चरित्रहीन महिलाओं को हथियार चलाना घुड़सवारी और पुरुषों को हर तरह से अपने मोह जाल में फंसा कर उनका वध करने की ट्रेनिंग दी जाती थी , इधर वीचारु अधीमपुर की महिलाओं को भी धीमपुर की रेडकैट महिलाओं की फ़ौज में शामिल करने का मुहीम चला देती है , मगर उसका ये मुहीम ज़्यादा दिनों तक नहीं चल पाता है और गुप्तचरों के माध्यम से फुवांचू को इस योजना की भनक लग जाती है , और वो चिकोटा को बुला कर उसी के सामने वीचारु को राज्य से बेदखल कर देता है और बेचारा मासूम चितरंजन कुछ नहीं कर पाता है ,
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चारु और वीचारु की रेडकैट गैंग में कुछ ठरकी बुढ़ियों को भी शामिल किया गया था जो की अपनी ठरक मिटाने के लिए अधीमपुर के नवयुवकों को अपने जाल में फँसाती फिर उनका दैहिक आर्थिक शोषण करती और उन्हें इतना मानसिक प्रताड़ित करती की वो या तो पागल हो जाते या फिर आत्महत्या करने पर उतर आते , अगर आत्म हत्या नहीं करते तो अपने परिवार के सदस्यों को मार डालते , इस तरह अन्य युवतियां भी अधीमपुर के नवयुवको और बुजर्गों को अपना टारगेट बनाती और उन्हें अपनी उँगलियों में नचाती , धीरे धीरे अधीमपुर चारु और वीचारु के हुश्न्जाल वाले शीतयुद्ध से भीतर ही भीतर खोखला होता जा रहा था , फुवांचू को अब इस बात का एहसास होने लगा था की धीमपुर उसके हाँथ में आये या न आये मगर अधीमपुर की बनी बनाई सल्तनत ज़रूर उसके हाँथ से चली जाएगी , और दखते देखते आखिरकार हुआ भी वही , चारु और वीचारु की रडकट सेना इतनी मजबूत होती गयी की अधीमपुर की सेना में भी चारु कर वीचारु के चाहने वाले पैदा होने लगे थे , और जब चारु और वीचारु की सेना अधीमपुर की गलियों में अपना आतंक मचाती थी तब अधीमपुर की सेना एक दो मुक़ाबले तक ही उनका सामना कर पाती थी, इसके बाद अधीमपुर की रक्त रंजित मवाद और पस से भरी सादे मांस की बदबू वाली सकरी गलियों में कहीं खो जाती थी , इधर चारु और वीचारु की रेडकैट सेना अधीमपुर के घरों में छुपे बैठे बूढ़े और बच्चों का खुल ए आम का नरसंहार कर रही थी पहले तो सिर्फ ताजे गोस्त की पूर्ती के लिए ही वध कर रही थी जो की धीरे धीरे शौक में तब्दील होता गया , बेबस फुवांचू चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था , उसके दोनों उत्तराधिकारियों को खो चुका था , चारु और वीचारु की रेडकैट सेना कभी भी फुवांचू के किले में हमला कर सकती थी , और फुवांचू चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था , राज्य को बचाने के लिए फुवांचू ने अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलवाई मंत्रिमंडल ने चिकोटा को आमंत्रित करने का प्रस्ताव रखा चिकोटा को मंत्रणा के लिए बुलाया गया ,
चिकोटा के चरणों में शास्टांग दंडवत गिर जाता है , और कहता है त्राहिमाम महामहिम मुझे अगर कोई भूल चूक हो गयी हो तो क्षमा करें , अगर लेनी देनी में कोई कमी रह गयी हो तो मैं अपना सब कुछ आपके चरणों में न्योछावर करने के लिए तैयार हूँ , आखिर हम एक दूसरे के पडोसी हैं , और आप हमारे समधी भी हैं , चिकोटा मुस्कुराता हुआ फुवांचू से कहता है अब बहुत देर हो चुकी है समधी जी हमने आपके पुत्र को तो पहले ही अपने राज्य का उत्तराधिकारी बनाने की मनसा मन में ले रखी थी लेकिन आपने लालच के चलते हमारे राज्य को अलग ही तरीके से हथियाने का प्लान बना डाला अब , मेरे हाँथ में कुछ नहीं है अब आपका और आपके राज्य का भविष्य आपकी दोनों बहुओं चारु और वीचारु के हाँथ में हैं , तभी लड़खड़ाता हुआ चितरंजन सभा में आ पहुँचता है , उसकी तरफ देखते हुए चिकोटा हँसता हुआ कहता है आ गए आपके राज्य के भावी उत्तराधिकारी खुद के कदमों को सम्हाला नहीं जा रहा है अब ये सम्हालेंगे आपके राज्य को , फुवांचू चितरंजन के मुँह में थूक देता है और कहता है धिक्कार है ऐसे पुत्र पर जो अपने पुत्र धर्म का पालन न कर सके , लड़खड़ाता हुआ चितरंजन कहता है पिता जी मुझे माफ़ कर दीजिये और वीचारु मेरी जान चिल्लाता हुआ वहीँ धड़ाम से गिर जाता है , तभी चारु और वीचारु की रेडकैट सेना अधीमपुर के सैनिकों को रौंदती हुयी फुवांचू के महल में प्रवेश कर जाती है , और एक ही झटके में फुवांचू को सिंहासन से खींच की कर फर्श पर फेंक दिया जाता है , तथा दूसरे ही पल फुवांचू और उसका लाचार बेटा चितरंजन बेड़ियों से जकड़े चारु और वीचारु के सामने असहाय खड़े दया की भीख मांगते नज़र आते हैं , उन्हें उन्ही के महल में नज़र बंद कर दिया जाता है , और तमाम उम्र वो महल में ही बंदी की तरह जीवन व्यतीत करते हैं , खाने के लिए उन्हें बावर्ची खाने में बचे कुछ सड़े गले मांस के टुकड़े और बासी रोटियां दी जाती है , ताकि वो ज़िंदा दिखाई देते रहें , बस मरे नहीं , कहते हैं चारु की प्रेमविमुखता के बाद त्रिजुआकैट के जंगलों में पागल साधु के वेश में भटकते हुए रंजन को आज भी देखा जा सकता है ।
story continue……….
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]]>कहने को नवाबों का शहर था लखनऊ मगर अंग्रेज क्या गए अपने साथ शहर के नवाबों की सारी नवाबी भी साथ लेते गए , मगर कुछ घरानो की रगों में अभी भी नवाबों का रुआब देखने को मिल जायेगा , हमारी कहानी एक ऐसे ही घराने के बिगड़ैल नवाब की है , जो की दौलत के नशे में इतना मगरूर है की हर इंसान को इंसान नहीं अपना गुलाम समझता है , ट्राफिक जाम का माहौल था , सड़क के बीच ओ बीच दिलावर के बेटे ने अपनी जिप्सी लगा रखी थी , शहर में बड़ा ख़ौफ था दिलावर के बेटे का जिसका नाम नवाब था , वो सड़क के बीच में जीप खड़ी करके सिगरेट पी रहा था , तभी एक अंकल अपनी नब्बे के दसक की खटारा स्कूटर का हॉर्न टीटियाते हुए कुछ चिल्लाते हैं मगर नवाब उनकी बात को अनसुना कर देता है अपनी सिगरेट की कश लगाने में मशगूल हो जाता है , तभी स्कूटर वाले अंकल नवाब के पास आकर कहते हैं बेटा गाड़ी किनारे कर ले ट्रैफिक जाम लगा है लोगन को जान नू परेशानी होवै सै एम्बुलेंस भी फंसी है पीछे नवाब तुरंत अपने जींस के पैंट में फंसा तमंचा निकाल कर हवा मे लहराता हुआ अंकल की कनपटी में धर के तान देता है , और कहता है तू बड़ा सयाना बन रहा है बड़ी फ़िक्र हो पड़ी है तेरे को ज़माने की ,
वाली कोई और नहीं खुद बुजुर्ग की बेटी नशरीन होती है , झापड़ पड़ते ही नवाब की अकल ठिकाने आ जाती है नशरीन नवाब को ज़बरदस्त झाड़ती हुयी नसीहत देती है और कहती है , शक्ल से तो खानदानी लगते मगर बात करने की तमीज रत्ती भर की नहीं है तुममे घर वालों ने यही तालीम दी है तुम्हे अपने बुजुर्गों से इसी तरह से बात की जाती है , यही तहजीब है तुम्हारी यही तालीम ओ तरबियत मिली है तुम्हे , शर्म आनी चाहिए तुम्हे एक तो बीच सड़क में गाड़ी खड़ी करके रखे हो ऊपर से राहगीरों के साथ बदतमीजी कर रहे हो , इतना कह कर वो अपने अब्बू को सम्हालती हुयी वहां से चली जाती है , नवाब को नशरीन का झापड़ गाल पर नहीं दिल पर लगा था , नवाब बस नशरीन को देखता हक्का बक्का रह जाता है और इसी के साथ नवाब की जीप बीच सड़क हट है जाती है और सड़क का ट्रैफिक चालू हो जाता है , इसी के साथ कैमरे का फोकस ज़ूम आउट होता हुआ आसमान की तरफ चला जाता है , नशरीन का थप्पड़ नवाब के गाल पर नहीं उसके दिल पर पड़ा था उसकी बातें नवाब के दिल पर घर गयी थी वो चाह कर भी नशरीन के चेहरे को अपने ज़हन से मिटा नहीं पा रहा था , दिन रात सोते जागते अब बस नशरीन , नशरीन को हासिल करना उसकी ज़िन्दगी का मकसद बन गया था , वो हर हाल में नशरीन को पाना चाहता था , रात भर नशरीन का चेहरा नवाब की आँखों में छाया रहा वो सो नहीं पाया और सुबह होते ही नशरीन के घर की सामने वाली गली में नशरीन का इंतज़ार इसके बाद कॉलेज तक उसका पीछा इसके बाद दिन भर नशरीन का कॉलेज से निकलने का इंतज़ार करना और शाम को उसके पीछे पीछे घर तक जाना नवाब का इस तरह रोज़ पीछा करना नशरीन को नागवारा गुज़र रहा था , मगर वो नवाब को कुछ बोल नहीं पा रही थी , इधर नशरीन के अब्बू भी नवाब की हरकतों से खुश नहीं थे , नशरीन का एक रिश्तेदार था नदीम जो की नशरीन को दिल ओ जान से पसंद करता था , मगर नशरीन ने कभी उसे भाव नहीं दिया , नदीम भी नशरीन का पीछा करता था मगर जब उसने अपनी मोहब्बत के रास्ते में नवाब को देखा तो उससे रहा नहीं गया और वो नवाब को रोक लिया नवाब ने जब तरीके से समझाया तो नदीम खुद बा खुद किनारा कर लिया ,
नवाब का इकतरफा इश्क़ सातवें आसमान पर था इधर वो अपना काम धंधा छोड़कर बस नशरीन के ख्यालों में खोये हुए थे उधर नशरीन के कान में जूँ तक नहीं रेंग रही थी , नवाब सारा सारा दिन घर से लापता रहता है घर वालों धीरे धीरे ताल्लुक़ात ख़त्म होते जा रहे थे अपने लड़के की ये बेरुखी नवाब के अब्बूजान दिलावर को नागवारा गुज़र रही थी अपने बेटे की मसरूफियत की वजह जानने की उनकी दिली तमन्ना थी , उन्होंने इसके लिए अपने मुस्टंडे मुश्ताक़ को ये काम सौंपा , मुश्ताक़ ने बखूबी अपने काम को ईमानदारी के साथ अंजाम दिया और दिलावर को नवाब की मशरूफियत की वजह से रूबरू करवाया, वजह जान कर दिलावर के पैरों के नीचे से ज़मीन सरक जाती है , दिलावर गुस्से से आग बबूला हो जाता है वो कहता है उस दो टके की लड़की की ये औक़ात वो किसी भी सूरत में हमारे नवाब खानदान की बहू नहीं बन सकती , आनन् फानन में दिलावर मुश्ताक को आदेश देता है की किसी भी सूरत मे नशरीन की मौत की खबर सुननी है , मुझे नशरीन और उसका परिवार पूरे लखनऊ में नहीं दिखना चाहिए , इसके लिए तुम्हे उन्हें बम से उड़ाना पड़े या गोली चलानी पड़े जो करना पड़े वो करो , मुश्ताक़ अपने आका का हुकुम कैसे टाल सकता है और एक दिन भरे बाजार में नशरीन के ऊपर गोली चला दी जाती है , भीड़ बहुत ज़्यादा थी बाजार में भगदड़ मच जाती है और इसी भीड़ का फायदा उठाकर नशरीन किसी तरह वहाँ से जान बचा के भाग निकलती है, नशरीन पर हुए जानलेवा हमले के चलते नशरीन का परिवार दहशत में आ जाता है और नशरीन के अब्बू किसी तरह से नशरीन को लेकर रातों रात लखनऊ से बाहर निकल जाते हैं ,
नहीं होती है , नवाब नशरीन को बिना देखे बेताब हो जाता है , दिन गुजरने लगते हैं नवाब को किसी तरह पता चलता है की नशरीन पर हमला करने वाला कोई और नहीं उसके बाप का गुर्गा मुश्ताक़ ही था , जिससे की उसके दिल में अपने बाप दिलावर के लिए नफरत और बढ़ जाती है अब नवाब को नशरीन के साथ साथ मुश्ताक़ की भी तलाश रहती है इधर नवाब को अपने अब्बू के बिजनेस के काम से कानपुर जाना पड़ता है, वहीँ उसे अचानक बाजार में मुश्ताक मिल जाता है जिसे देखते ही मुश्ताक उसके पीछे लग जाता है और थोड़ी ही देर में धर दबोचता है , और एक सॉलिड पिटाई के बाद मुश्ताक़ सारे राज़ खुद बा खुद उगल देता है , वो बताता है की उसके बाप ने ही नशरीन को जान से मारने के लिए भेजा था ताकि नशरीन तुम्हारी ज़िन्दगी से दूर चली जाए , मुश्ताक़ ये भी बताता है की नशरीन और उसके अब्बू अब कानपुर में ही रहते हैं , नवाब नशरीन का पता लेता है और उसके साथ वही शादी करता है और उसे उसके अब्बू के साथ लेकर लखनऊ चला आता है , नशरीन पर हुए हमले में अपने बाप का हाँथ पाकर नवाब अपने बाप से बेहद नाराज़ होता है , नशरीन पर करवाए गए जानलेवा हमले में दिलावर का हाँथ होने की बात को लेकर बाप बेटे के बीच झड़प भी होती है नवाब अपनी बेगम नशरीन के साथ अलग किराए के मकान में रहने लगता है , और अपना अलग व्यवसाय सुरु कर लेता है नशरीन और नवाब की शादी से नशरीन के अब्बू भी खुश नहीं थे , वो अपने पुस्तैनी मकान में अकेले ही रहते हैं उनका पुराना रिश्तेदार नदीम उनकी सेवा करता है , बेटी के साथ हुए अन्याय का सदमा उन्हें बर्दास्त नहीं होता है , और एक दिन अचानक उन्हें हार्ट अटैक आ जाता है , उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ता है , नदीम फ़ौरन नशरीन को इस बात की ख़बर पहुँचाता है और नशरीन को बताता है की डॉक्टर कल ऑपरेशन करेगा लगभग ४ लाख का खर्चा आएगा पैसे का इंतजाम करना पड़ेगा , नशरीन नवाब से कहती है अब्बू हॉस्पिटल में एडमिट है नवाब कहता है ठीक है कल सुबह ९ बजे हॉस्पिटल चलेंगे , आप परेशान न हो नशरीन किसी तरह रात गुज़ारती है , और सुबह पहर जाने कब उसकी नींद लग जाती है और जब उठती है तो सुबह के ८ बज चुके थे , बिस्तर पर नवाब को न पाकर उसका दिमाग ठनकता है वो घर में नवाब को चारों तरफ ढूंढती है मगर कहीं उसका पता नहीं चलता है है वो तैयार हो जाती है सोचती है की नवाब कहीं आस पास ही होगा हॉस्पिटल जाने के टाइम तक आ जायेगा मगर नवाब नहीं आता है , वो उसे कॉल करती है मगर नवाब फोन भी नहीं उठाता है ,
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दोपहर के १२ बज चुके थे गुस्से से आगबबूला नशरीन अकेली ही हॉस्पिटल के लिए रवाना होती है , हॉस्पिटल पहुंचकर देखती है अब्बू उसके सामने बेड पर सकुसल लेते हुए हैं , नदीम बताता है अब्बू का ऑपरेशन हो चुका है , नशरीन को डॉक्टर बताता है की नवाब ने टाइम में पैसे जमा कर दिए थे जिसके चलते ऑपरेशन समय पर हो सका , नवाब के प्रति नशरीन के दिल में भरी नफ़रत मोहब्बत में तब्दील होने लगती है , वो जब घर लौटती है तब नवाब भी घर आ चुका होता है , नशरीन का नवाब को देखने का अंदाज़ आज कुछ और था नवाब के प्रति नशरीन का दिल मोहब्बत से लवरेज़ था , वो नवाब से पूछती है सुबह सुबह कहाँ ग़ायब हो गए थे बिना बताये , नवाब कहता है वो बिजनेस के सिलसिले में ज़रा मशरूफ हो गया था , और बताएं कैसे हैं अब आपके अब्बू तबीयत तो ठीक है न उनकी, गहरी ठंडी सांस भरती हुयी खिड़की की तरफ मुँह किये खड़े नवाब को नशरीन पीछे से जकड लेती है और कहती है अच्छा जी ऐसे अनजान बन रहे हैं जैसे कुछ जानते ही नहीं आज आपकी वजह से मेरे अब्बू ज़िंदा है , आपने बिना किसी को बताये हॉस्पिटल की फीस भर दी अगर समय पर पैसों का इंतज़ाम न होता तो आज शायद मैं अनाथ हो जाती ये बोलते बोलते नशरीन की आँखें डबडबा जाती हैं , नवाब नशरीन के कंधे को पकड़ कर अपने सामने लाता है और उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में भरता हुआ उसके आंसू पोछता है , और उसे कहता है मैंने तो बस अपनी मोहब्बत का फ़र्ज़ अदा करने की कोशिश की है क्या तुम्हारे अब्बू मेरे अब्बू नहीं हैं , नवाब की बात सुनकर नशरीन की आँखें ख़ुशी से छलक जाती हैं , वो नवाब की चौड़ी छाती और बलिष्ठ भुजाओं में खुद को सिमटने से रोक नहीं पाती है , नवाब नशरीन के माथे को चूमता है और उसे अपनी बाहों में भर लेता है नशरीन नवाब की पनाहों में जन्नत का सुख महसूस करती है , उसे लगता है दोनों जहां की तमाम खुशियां उसकी बाहों में हैं और वो चाह कर भी अपने आपको नवाब की बाहों से जुदा नहीं कर पाती है ,
जाते हैं , नवाब कहता है अब्बू अब आप हमारे साथ ही रहिये लेकिन वो मना कर देते हैं , उनके दिल में नवाब के लिए कोई मलाल नहीं था , वो अपनी ज़िन्दगी को नवाब की दी हुयी सौगात समझने लगते हैं , सब कुछ ठीक ठाक चलने लगता है , नशरीन नवाब के बच्चे की माँ बनने वाली है, ये बात जानकर नवाब बेइंतेहा खुश होता है , इधर नवाब का बिजनेस लखनऊ के बाहर भी बड़े बड़े शहरों में फ़ैल रहा था , और कहते हैं न जब सब कुछ सही चलने लगे तो समझ जाना चाहिए की अब कुछ न कुछ गड़बड़ होने वाला है , एक दिन नवाब बिजनेस के सिलसिले में बनारस गया हुआ था लौटने में काफी रात हो गयी थी नशरीन बार बार नवाब को फोन लगा रही थी , मगर नेटवर्क न मिलने की वजह से नवाब का फोन नहीं लग रहा था , राह देखते देखते नशरीन की न जाने कब आँख लग जाती है और जब सुबह नशरीन का फोन बजता है तब पता चलता है की कोहरे की वजह से कार और बल्कर की भयानक टक्कर में नवाब की मौत हो गयी हैं डेड बॉडी लखनऊ दोपहर तक पहुंच जाएगी , खबर सुनते ही वो धड़ाम से फर्श पर गिर पड़ती है , और जब उसे होश आता है तब वो अपने आपको नवाब की मैय्यत के सामने खड़ा पाती है पर नवाब की मौत का सदमा नशरीन को अंदर तक तोड़ के रख देता है उसे लगता है नवाब की मौत के साथ वो खुद को भी खत्म कर ले मगर उसे पेट में पल रहे नवाब के मोहब्बत की निशानी को सम्हाल कर रखने की ज़िम्मेदारी का ख्याल आत्महत्या करने से रोक लेता है , नवाब की मौत के बाद नशरीन अपने अब्बू के घर में जाकर रहने लगती है वो किसी पर बोझ न बने इसलिए आगे की पढ़ाई चालू कर देती है नौकरी के लिए आवेदन फॉर्म भर्ती रहती है , इधर नवाब और नशरीन के मोहब्बत की निशानी एक बेटा पैदा होता है नशरीन उसका नाम छोटे नवाब रखती है कहते हैं न कभी ख़ुशी कभी ग़म , कभी धूप कभी छाँव हर रात के बाद सवेरा ज़रूर आता है और नशरीन की तक़दीर में भी वो दिन लौट आता है , एक दिन नशरीन की मेहनत रंग लाती है और वो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त हो जाती , दिन गुजरने लगते हैं तभी एक दिन नशरीन के पास एक रजिस्ट्री आती है जिसमे दिलावर अपनी वसीयत में तमाम ज़मीन जायदाद नशरीन और उसके बेटे के नाम कर देता है , मगर नशरीन दिलावर की वसीयत ठुकरा देती है और जवाब में लिखकर भेजती है मैंने नवाब का दिल देखकर उनसे शादी की थी आपकी ज़मीन जायदाद से मुझे कोई लेना देना नहीं है , आपकी मिलकियत आपको मुबारक हो , नशरीन का जवाब पढ़कर दिलावर की आँखें शर्म से झुक जाती हैं । दोनों हांथो को पीछे किये हुए दिलावर निरुत्तर सा घर के लॉन में टहलने लगता है इसी के साथ कैमरे का फोकस आसमान की तरफ जाता हुआ ज़ूम आउट हो जाता है , नशरीन छोटे नवाब को एक बेहतरीन परवरिश देने में जुट जाती है इसी के साथ कहानी ख़त्म हो जाती है ।
bhoot pret ki sachi kahaniyan,
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सुबह सुबह का वक़्त संध्या अपने परिवार के साथ घर के आंगन में बैठी अपने बाबू जी के साथ न्यूज़ पेपर पढ़ने का एक आनंद ले रही थी , तभी संध्या की नज़र न्यूज़ पेपर की हेडलाइंस पर पड़ती है जिसमे छपा था की शहर में बच्चे चुराने वाली गैंग का फैला आतंक , हेडलाइंस देखते ही संध्या ज़ोर ज़ोर से पेपर पढ़ने लगती है , शहर में बच्चे उठाने वालों की गैंग का फैला आतंक हर आदमी दहशत में कल घंटाघर इलाके में बच्चा चोर होने के शक में भीड़ ने एक संदिग्ध युवक को पीटा , युवक इलाके में अपने साथी के साथ तफरी कर रहा था , वहीँ पास खड़े एक बच्चे को चॉकलेट का प्रलोभन देकर पास बुलाने की कोशिश कर रहा था , तभी लोगों की नज़र उस पर पड़ गयी भीड़ ने युवक को धर दबोचा और जमकर पीट दिया जबकि बाइक चलाने वाला साथी मौके की नज़ाक़त देखकर वहाँ से रफूचक्कर हो गया , पकडे गए युवक को पुलिस के हवाले कर दिया गया बाद में पुलिस से पूछताछ में पता चल; की वो युवक कॉरेक्सी था , मेडिकल के नशे की वजह से वो ऐसी हरकतें कर रहा था , न्यूज़ पढ़ने के फ़ौरन बाद संध्या अपने भाई संजय के लड़के को अपने गले से लगा लेती है और कहती मेरे बच्चे को कोई मुझसे अलग नहीं कर सकता है काट डालूंगी सबको , संध्या का भाई उसे समझाता है पागल हो गयी है क्या कौन उसके मुन्ना को उससे अलग कर रहा है , संध्या कहती शहर में बच्चे उठाने वाली गैंग आई है अपने मुन्ना को किसी के पास नहीं जाने दूगी , और मुन्ना को सीने से चिपकाए दौड़ती हुयी घर के अंदर चली जाती है ,
cut to ,
वक़्त गुज़रता जाता है , मुन्ने के प्रति संध्या का प्रगाढ़ प्रेम बढ़ता जाता है , लेकिन कहते हैं न वक़्त के सामने किसी की नहीं चलती स्कूल की पढ़ाई ख़त्म होने के बाद संध्या को शहर के अच्छे से कॉलेज में एडमीशन दिला दिया जाता है , और रहने के लिए गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था कर दी जाती है, वहाँ उसकी बहुत सी नयी दोस्त बन जाती है संध्या शहर के चकाचौंध में खुद को धीरे धीरे एडजस्ट करने की कोशिश में लग जाती है, संध्या पढ़ने में होशियार थी , पहले तो कॉलेज की लड़कियों द्वारा उसे विरोध का सामना करना पड़ता है मगर बाद में सभी उसकी फ्रेंड्स बन जाती है , रेहाना , रूबी , डॉली , नताशा दोस्ती इतनी घनिष्ट होती जाती है , बातों बातों में कब रात गुज़र जाती थी किसी को पता भी नहीं चलता था , हॉस्टल की लडकियां रूम में सिगरेट और शराब लेकर बैठ जाती थी , पहले तो संध्या को ये सब बड़ा ऑक्वर्ड लगता था मगर बाद में वो भी पार्टी एन्जॉय करने लग गयी , हॉस्टल नाम का गर्ल हॉस्टल था , रात में हॉस्टल मैनेजर को पैसे खिला कर लड़कियों के बॉयफ्रेंड्स अक्सर रूम में आते रहते थे , और फिर सुबह होने से पहले निकल जाते थे , कई बार हाउस मैड ने रूम साफ़ करते वक़्त यूज़ किये हुए कॉन्डम्स पकड़े थे , वार्डन द्वारा बात प्रिंसिपल तक पहुंच जाती थी और वार्निंग देकर सब कुछ शांत कर दिया जाता था , संध्या और उसकी फ्रेंड्स भी अब रोज़ रोज़ की वार्निंग पाकर बेशर्म हो चुकी थी , और नशे की आदी भी हो चुकी थी अब सिगरेट और शराब से वो बोर हो चुकी थी , वो कुछ नया ट्राई करना चाहती थी ,
इधर संध्या की कुछ फ्रेंड्स जादू टोना पर विश्वास करने वाली थी, वो नए नए लड़कों को अपने हुश्न के जाल में फ़साने के लिए तरह तरह के जादू टोना का सहारा लेती थी , संध्या भी जादू टोना वालों के पास आना जाना सुरु कर चुकी थी , हॉस्टल में आने जाने वाले लड़कों में एक लड़का सुदीप था , जिसकी संध्या से दोस्ती हो गयी थी , वो संध्या के मोह जाल में इस तरह फंस चुका था की उसके लिए कुछ भी कर सकता था , संध्या उसके भोलेपन का भरपूर फायदा उठाती थी , मोबाइल रिचार्ज से लेकर होटल , ट्रैवलिंग, महँगी महंगी ड्रेस यहां तक की सुदीप ने संध्या को स्कूटी भी गिफ्ट कर रखी थी , वो संध्या को हमेशा खून से लिखे ख़त भेजा करता था , एक बार तो हद हो गयी , सुदीप ने संध्या को ख़त लिखा , जो की हॉस्टल की लड़कियों के हाँथ में लग गया , ख़त में लिखा , मेरी प्राणो से प्रिय प्राणेश्वरी , ये ख़त नहीं मेरे दिल के जज़्बात हैं जब से तुम्हे देखा है जानेमन मेरे दिन का चैन रातों की नींद हराम हो गयी हैं , तम्हारे टमाटर जैसे गाल में जिन्हे मैं अपने होठों से चूसना चाहता हूँ , तुम्हारे मदभरे नैन दो मय का प्याला हैं जिन में मैं डूब मरना चाहता हूँ , तुम्हारे होठ गुलाब की दो पंखुड़ियां है जिन्हे मैं अपने होठों की शबनम से भिगोना चाहता हूँ , तुम्हारे मादक जिस्म को अपनी बाहों में भर कर एक नई दुनिया की ऊँचाहियों में ले जाना चाहता हूँ , तुम्हारे अधरों की प्यास मेरे दिल की ज्वाला को दीप्तमान कर देती है , तुम्हारे जिस्म के उतार चढ़ाव और कटाव पर थिरकने के लिए मेरी उंगलियां बेताब मचल रही हैं , मेरी बाहों में कब आओगी मेरी स्वप्न सुंदरी मेरी वीरान पड़ी इस ज़िन्दगी को अपने रूप और यौवन से कब महकाओगी मेरी जान तुम्हारे रूप और यौवन का प्यासा तुम्हारे हुश्न का दास सुदीप , और इतना पढ़कर संध्या की फ्रेंडस लव लेटर को हवा में उछाल देती हैं , तभी रेहाना कहती है ओये होये कोई हमे भी तो मिले इस तरह से हम पर मरने वाला रूबी कहती है आशिक़ नहीं पक्का फ्रॉड है साला , फ़्लर्ट कर रहा है संध्या के साथ चाहे तो जितने जितने की भी शर्त रख ले,
तभी डोली रेहाना के हाँथ से खत छुड़ा लेती है , और उसे हॉस्टल की दीवार पर रखती है इसके बाद बेड शीट पर रखती है कभी अपने गाउन पर रखती है और तेज़ तेज़ से हंसती हुयी कहती है गिर गिट को मार कर उसके खून से लिखा हुआ ख़त है ये देख हर नए रंग के साथ रंग बदल रह है ये , और वो सबको ख़त में लिखी लिखावट को रंग बदलते हुए दिखाती है , सभी कहते हैं हाँ यार ये तो सच है सभी पूछती है डोली से तुझे कैसे पता चला हमें तो ये ख़त सामान्य ख़त की तरह ही दिख रहा था , डोली कहती है उसे तंत्र विद्या आती है , सभी कहती हैं वोऊ हमें भी सीखा दे तंत्र विद्या , मगर डोली मना कर देती है , रेहाना कहती है अब इस ख़त का क्या किया जाये , हमारी प्यारी संध्या के साथ चीटिंग कर रहा था साला नताशा कहती है करना क्या है खून भरे ख़त का जवाब खून भरी मांग से थोड़ी न दिया जायेगा खून भरे ख़त से दिया जायेगा रूबी पूछती है वो कैसे , नताशा कहती है सभी के मॉस्किटो नेट में मच्छर होंगे सब को इकठ्ठा करो उन्होंने हमारा खून चूसा है अब खून का क़र्ज़ अदा करने का वक़्त आ गया है उसने गिरगिट के खून से ख़त लिखा है हम मच्छर के खून से ख़त का जवाब देंगे , सभी मिलकर अपने अपने मॉस्किटो नेट में छुपे मच्छरों को ढूंढ ढूंढ कर मारती है , और खून भरे ख़त का जवाब मच्छरों के खून से लिखती हैं , ,,,, तुम्हारे प्यार मे तड़प रही मेरे प्राणो से प्रिय प्राणनाथ , जब से तुम्हे देखा है मेरी धड़कने बेताब रहती हैं , आपकी विरह वेदना हार्ट अटैक न मसक दे कहीं बस इसी बात का भय निरंतर बना रहता है , मैं आपके प्यार के लिए पल पल तड़प रही हूँ , और आपके द्वारा आपकी ही तरह एक तेजस्वी पुत्र को जन्म देना चाहती हूँ , मेरी नानी कहती है प्यार का चरम सुख जितना गहरा होता है पुत्र उत्पन्न होने की सम्भावना उतनी प्रबल हो जाती है , अब अपने ह्रदय की व्यथा को शब्दों में ज़्यादा व्यक्त नहीं कर सकती , आगे के कार्यक्रम का क्रियान्वयन आपसे मिलने के पश्चात ही बताया जा सकेगा नेक्स्ट संडे आप हॉस्टल में आइये और मुझे दूर कहीं आउटिंग के लिए ले चलिए हो सके तो रूम का अरेंजमेंट भी कर लीजियेगा अब आगे क्या लिखूं आप खुद ही समझदार हैं , प्यार में व्याकुल आपकी प्यारी संध्या ,
संध्या का लव लेटर पाकर सुदीप के अरमान सातवें आसमान पर थे , वो फ़ौरन मार्केट से ब्रांडेड कपडे और परफ्यूम की शॉपिंग करता है और नेक्स्ट संडे सजधज कर संध्या से मिलने के लिए लवर्स पॉइंट पर पहुंच जाता है , संध्या से मिलते ही दोनों में हाय हेलो होता है , संध्या की नज़र सुदीप की कलाई पर होती है , वो सुदीप की बाहों से जैकेट को ऊपर उठाकर कट के निशाँ ढूढ़ने में लग जाती है , मगर सुदीप के हाँथ में कोई भी कट का निशान न पाकर वो गुस्से से आग बबूला हो जाती है , और सुदीप से नाराज़ होकर वहाँ से वापस लौटने लग जाती है , तभी अपनी जेब से ब्लेड निकाल कर सुदीप अपनी कलाई में कट मार लेता है , आस पास के लोगों में हल्ला मच जाता है संध्या पलट कर देखती हैं , और अपनी रुमाल बांधकर सुदीप की कलाई से बह रहे खून को रोकने का प्रयास करती है , किन्तु खून की धार रुकने का नाम नहीं लेती है , तभी संध्या सुदीप का हाँथ पकड़ कर पार्क के बाहर निकलती है उसे अपनी स्कूटी में बिठाकर डॉक्टर के पास ले जाती है , और मलहम पट्टी के बाद संध्या सुदीप के गले से लिपट जाती है , सुदीप भी संध्या को गले लगाकर जी भर के रोता है , संध्या सुदीप की आँखों में आँखें डालकर कहती है मुझे माफ़ कर दो जान मैंने तुम्हारे प्यार पर शक किया , सुदीप की नम आँखें झुकी हुयी हैं , वो चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाता है , और खींच कर संध्या को एक बार फिर अपनी बाहों में भर लेता है ,
ली थी , सभी संध्या की बातें सुनकर हैरान थी , संध्या भी धीरे धीरे सुदीप की मोहब्बत के गिरफ्त में बंधती चली जाती है , वक़्त गुज़रता जाता है , वक़्त के साथ साथ सुदीप के व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है , संध्या को सुदीप की मोहब्बत पर शक होने लगता है , और एक दिन वो सुदीप को किसी अन्य लड़की के साथ ओयो होटल से निकलते हुए देख लेती है , संध्या के तन बदन में आग लग जाती है , वो अपनी फ्रेंड्स को बताती है की उनका शक सही था , सुदीप सही लड़का नहीं है वो उसके साथ चीटिंग कर रहा था , संध्या के दिमाग में सुदीप की बेवफाई का बदला लेने का ज़बरदस्त प्लान चल रहा था , मगर उससे पहले वो लाइफ में एन्जॉय करना चाहती थी , इसी फ़्रस्ट्रेशन को निकालने के लिए संध्या की फ्रेंड्स कॉल बॉय एक अरेंजमेंट करवाती हैं , संध्या नशे धुत थी और वो कहती हैं एक से मेरा क्या होगा और अपने साथ दुसरे कॉल बॉय को भी बेड पर खींच लेती हैं , सुबह जब होश से उठती हैं तब सभी फ्रेंड्स कहती हैं कल रात को क्या हो गया था तेने छोरी , दो दो को एक साथ ले रही थी , संध्या शर्म से मुँह छुपाती हुयी कहती हैं ओ सॉरी क्या तुम लोगों ने सारा सीन देख लिया क्या ये सब तुम्हारे सामने हुआ फ्रेंड्स कहती हैं हाँ , एक फ्रेंड कहती हैं वीडियो भी हमारे पास देखेगी , और सभी संध्या का वीडियो देखकर हॅसने लगती हैं। ,
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संध्या डॉली को अकेले में मिलती है , और उससे तंत्र विद्या सीखने की इच्छा ज़ाहिर करती है डॉली उसकी तरफ मदभरी आँखों से देखती है और मुस्कुराती हुयी कहती है इस दुनिया में मुफ़्त का कुछ नहीं मिलता हर चीज़ की कीमत होती है , संध्या कहती है मैं कोई भी कीमत देने के लिए तैयार हूँ , डॉली कहती है वो तो तुम दोगी ही मेरी जान वैसे तुम हो बहुत सेक्सी बस एक रात के लिए मेरा हमबिस्तर बनना होगा और संध्या के जिस्म में हाँथ फेरना सुरु कर देती है , पहले तो झिझकती है फिर संध्या भी डॉली के स्पर्श से मदमस्त होने लगती है , दोनों में लिप्स टू लिप्स किश सुरु हो जाता है और एक एक करके पहले डॉली संध्या के कपडे उतारती है इसके बाद संध्या डॉली के कपडे उतार देती है दोनों निर्वस्त्र अवस्था में ही एक दूसरे से लिपटे हुए बेड रूम की तरफ चले जाते हैं , और सारा कमरा सिसकियों की आवाज़ से गूँज जाता हैं ,
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कामाग्नि शांत होने के बाद , डॉली संध्या को शहर से दूर बीहड़ में लेकर जाती है , जहां दूर दूर तक पानी तो क्या किसी जीव जंतु का कोई नाम ओ निशान नहीं था , मीलों पैदल चलने के बाद एक झोपडी दिखाई देती है दोनों झोपडी के पास पहुँचती है , संध्या को बाहर रोक कर डोली झोपडी के अंदर चली जाती है जहां तंत्र विद्या में पारंगत त्रिकाला अपनी तंत्र साधना में लगी थी , आस पास मरे हुए कुत्ते और भेड़ियों के शव पड़े थे जिससे भयानक दुर्गन्ध आ रही थी , मुँह में रुमाल लगा कर डोली एक कोने में खड़ी हो जाती है घंटों की तंत्रसाधना के बाद त्रिकाला अपनी आँखें खोलती है और त्रिकाला का इशारा पाकर डोली त्रिकाला के क़दमों में साक्षात दंडवत गिर जाती है त्रिकाला मुस्कुरा कर उसे उठने को कहती है और आने की वजह पूछती है त्रिकाला उसे बताती है की उसकी एक दोस्त उससे मिलना चाहती है , डोली संध्या को अंदर ले जाती है संध्या भीतर घुसते ही एक कोना पकड़ कर खड़ी हो जाती है त्रिकाला संध्या से पूछती है वो तंत्र विद्या क्यों सीखना चाहती है संध्या कहती है उसे अपने बॉय फ्रेंड से बदला लेना है, क्यूंकि उसने उसके साथ चीटिंग की है , त्रिकाला संध्या को तंत्र विद्या की पेचीदगी से अवगत कराती है , और कहती है एक जवान इंसान की बलि देनी होगी , संध्या तैयार हो जाती है अगले महीने की अमावश की रात को शैतानी शक्तियां अपनी पुरजोर ताक़त में रहेगी जगह और वक़्त मैं बताऊंगी तुम बस उसे लेकर वहां पहुंच जाना , इतना कहकर त्रिकाला दोनों को वहाँ से डांटकर भगा देती है ,
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संध्या अपनी फ्रेंड्स के साथ खंडाला पिकनिक मनाने जाती है ,वहां वो सुदीप को भी बुला लेती है दोनों पिकनिक की फ्रेंड्स से अलग घूमने निकल जाते हैं संध्या सुदीप को एक खंडहर में लेकर जाती है , जहां त्रिकाला पहले से मौजूद रहती है संध्या सुदीप को कहती है तुम दो मिनिट रुको मैं अभी हल्की होकर आती हूँ संध्या की बात सुनकर सुदीप मुस्कुरा देता है , सुदीप कहता है जो जो करना है यही पर कर लो जानेमन हमसे कैसा शर्माना , संध्या धत पगले बोलकर वहाँ से चली जाती है , तभी त्रिकाला अपनी तांत्रिक शक्ति से वहाँ अँधेरा कर देती है , सुदीप घबरा जाता है , वो संध्या तुम कहाँ हो बोलकर चिल्लाता है , तभी वहां कुछ डरावनी आवाज़ें सुनायी देती है सुदीप पैंट में ही सूसू कर देता है , तभी अँधेरे में संध्या आती है और सुदीप की बॉल्स को अपने हांथों में ले लेती है , और मसलने लगती है , सुदीप संध्या के स्पर्श से कामुक हो जाता है , वो आनंद में खोने लगता है तभी संध्या अपने हथेली की मांसपेशियों का दबाव बड़ा देती है और इसी के साथ सुदीप के चिलगोजे के छिलके उधड़ जाते हैं और बॉल्स ज़मीन पर आ गिरती है , अपनी बॉल्स को अपनी आँखों के आगे फुदकता देख कर सुदीप अवाक रह जाता है दर्द के मारे उसकी आँखों से आंसू निकल जाते हैं और कुछ ही पल में सुदीप का बेजान जिस्म वहीं पर धड़ाम से गिर जाता है , और एक अंजान साया सुदीप की लाश को घसीटता हुआ दूर ले जाता है ,
गर्ल्स हॉस्टल पहुंच जाती है , वो संध्या को सुदीप के मर्डर के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है संध्या को कोर्ट ले जाया जाता है , तभी दीपक की नज़र संध्या पर पड़ती है उसके पिता पुणे के मेयर हैं जिसके कारण दीपक का मुंबई क्राइम ब्रांच में अच्छा दबदबा था , वो संध्या से मिलता है अपना परिचय बताता है , और एक अच्छे से वकील को लगाकर उसकी जमानत करवा देता है , पर्याप्त सबूत और गवाह न मिलने की कारण कुछ दिनों में ही संध्या बाईज्जत बरी हो जाती है , और धीरे धीरे दीपक और संध्या की दोस्ती प्यार में बदल जाती है , दीपक संध्या को लॉ की पढ़ाई करने की सलाह देता है , संध्या वक़ालत पढ़ने में लग जाती है इधर गाँव में उसकी शादी तय कर दी जाती है , संध्या दीपक के प्यार में बुरी तरह से फंस चुकी थी , बड़ी बड़ी पार्टियां डांस डिस्को बार में आना जाना सुरु हो चुका था , संध्या धीरे धीरे मुंबई की चकाचौंध में पूरी तरह से खो चुकी थी , इधर गाँव में उसके पिता उसकी शादी तय कर देते हैं , संध्या गाँव चली जाती है दीपक उसे बार बार फोन करता है , संध्या मण्डप में बैठी हुयी थी शादी चल रही थी जैसे ही फेरे सुरु होते हैं संध्या एक एक करके अपने कपडे उतारना सुरु कर देती है , और मंडप से नग्न अवस्था में ही भाग खड़ी होती है , और वहाँ से भागते भागते जंगल में पहुंच जाती है , सभी उसका पीछे करते हैं मगर अँधेरे की वजह से कोई उसे ढूढ़ नहीं पाता है , और भागते भागते संध्या त्रिकाला के पास पहुंच जाती है , त्रिकाला उसे इस अवस्था में देखकर हैरान रह जाती है ,
संध्या त्रिकाला से कहती है मुझे अमर होना है , त्रिकाला कहती है इसके लिए तुम्हे एक बच्चे की बली देनी होगी और वो बच्चा तुम्हारा अपना खून होना चाहिए , संध्या को अपने भाई का बेटा मुन्ना याद आता है अब वो उसकी बली देनी की तैयारी में जुट जाती है , मुन्ना को लाने के लिए वो वापस गाँव जाती है , घर वाले पहले उसे घर के अंदर घुसने नहीं देते हैं , किन्तु तमाम मिन्नतों के बाद संध्या के बाप को उस पर दया आ जाती है , वो संध्या को घर में आने की इजाज़त दे देता है , संध्या धीरे धीरे घर वालों के सामने खुलने लगती है , और धीरे धीरे मुन्ना के साथ करीबी बढ़ाने में लग जाती है जब सब लोग सो जाते हैं तब वो मुन्ना को परियों की कहानी सुनाया करती है , और बताती है की जो परियां कहानी में थी वो उस जंगल में रहती है , मगर एक दिन उसकी ये कहानी उसका भाई सुन लेता है , वो संध्या को डांटता है की बच्चे को अनाप सनाप कहानियां सुनाती रहती है , और मुन्ना को छीनता हुआ अपने साथ ले जाता है , भाई की इस हरकत पर संध्या गुस्से से आग बबूला हो जाती है , और एक दोपहर वो मुन्ना को लेकर चुपचाप जंगल की और चली जाती है त्रिकाला के पास ले जाकर छुपा कर वापस आ जाती है , घर में मुन्ना को न पाकर सब उसे ढूढ़ना सुर करते हैं संध्या से पूछा जाता है की मुन्ना कहाँ है संध्या कहती है मुझे नहीं पता , हो सकता है बच्चा चुराने वाली गैंग जो शहर में एक्टिव है वो मुन्ना को उठा कर ले गयी हो , भाई का दिमाग घूमता है उसे संध्या के द्वारा मुन्ना को सुनायी जाने वाली कहानी याद आती है जिसमे वो उसे परियों से मिलाने के लिए जंगल ले जाने वाली थी , वो फ़ौरन जंगल की तरफ दौड़ लगाता है , मीलों पैदल चलने के बाद उसे वहाँ त्रिकाला की झोपडी दिखाई देती है , वो लात मार कर त्रिकाला की झोपडी का दरवाज़ा तोड़ता है सामने त्रिकाला मुन्ना को बिठाकर तंत्र विद्या में लीन थी की तभी संध्या का भाई मुन्ना को वहां से उठा लेता है , त्रिकाला भाले से उस पर वार करती है संध्या का भाई भाले के वार से बचता है , तभी संध्या भी वहां पहुंच जाती है मुन्ना संध्या को देखकर डर जाता है , वो अपने बाप को बताता है की उसे संध्या ही यहां लेकर आई हैं , संध्या भाई को देखकर भयानक रूप परिवर्तित करती है और उसकी तरफ आगे बढ़ती है , वो उसे ज़मीन पर गिरा देती है और अपने नुकीले नाखून अपने भाई की गर्दन में घुसाने वाली ही होती है तभी संध्या के पिता गाँव वालों के साथ वहां पहुंच जाते हैं , और चुड़ैल बनी संध्या को मार मार कर अधमरा कर देते हैं , तभी वहां त्रिकाला आ जाती है , वो संध्या को साथ में लेकर वहां से ग़ायब हो जाती है , इसके बाद संध्या कहाँ जाती है क्या करती है किसी को पता नहीं चलता है , उसके माँ बाप भाई बहन भी उसे ढूढ़ने की कोशिश नहीं करते हैं , ।
एक लम्बे इलाज़ के बाद संध्या नॉर्मल हो जाती है दीपक उसे रहने के लिए अपना एक घर दे देता है , और डी एस ए में उसकी जॉब लगवा देता है संध्या वकालत भी कम्पलीट कर लेती है , मगर वकीलों की भुखमरी को देखकर वो कोर्ट कभी कभार ही जाती थी , ,,,
the dark fantasy witch story in hindi part2
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]]>खंडाला की वादियों में दीपक की बाहों में बाहें डाले संध्या घूम रही थी , दोनों प्रेमालाप में इतने व्यस्त थे की समय का पता ही नहीं चल रहा था सूर्य अपनी लालिमा चारों और बिखेर रहा था , प्रेम में वशीभूत युगल जोड़ा एक दूसरे में समां जाने के लिए व्याकुल हो रहा था , वक़्त थमने का नाम नहीं ले रहा था , भावनाये आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हुयी जा रही थी , संध्या दीपक की बाहों में खोती चली जा रही थी दीपक की आँखों में आँखें डाल कर संध्या बोलती है जान तुम मुझे कभी धोखा तो नहीं दोगे न , दीपक कहता है कभी नहीं , यही सवाल जब दीपक संध्या की आँखों में आँखें डाल कर पूछता है तो संध्या नज़रें चुराने लगती है और हाँ में सर हिला देती है , अभी दीपक कुछ कह ही रहा था की अचनाक संध्या दीपक को अपने से अलग करके दूर फेंक देती है , क्यों की उसके अंदर छुपी हुयी चुड़ैल जाग्रत हो जाती है उसका मन करता है क्यों न दीपक को खंडाला की पहाड़ियों से नीचे फेंक दूँ मगर दीपक की मासूमियत पर उसे तरस आ जाता है , संध्या भी दीपक की सच्ची मोहब्ब्बत की गिरफ़्त में इस कदर फंस चुकी थी की चाहकर भी उसे जान से नहीं मार सकती थी , दीपक से अलग होकर संध्या दूर खड़ी हो जाती है दीपक कहता है क्या हुआ बेबी यूँ अचानक तुम्हारा मूड कैसे ऑफ हो गया , संध्या कहती है कुछ नहीं मुझे शादी के पहले किसी भी प्रकार का फिजिकल रिलेशन पसंद नहीं है , दीपक कहता है ओह कम ऑन कौन सी दुनिया में जी रही हो तुम हम इक्कीसवी सदी के युवा है आजकल तो ये सब कॉमन बात है , संध्या कहती है तुम्हारे लिए होगी मेरे लिए नहीं है , और ज़रा सी बहस के बाद दोनों वहाँ से रवाना हो जाते हैं ,
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एक लड़का सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर के अंदर जाता है , फर्स्ट गेट में रेसेप्निस्ट सर्विस लिस्ट देती है , इसके बाद उसे अंदर के रूम में पंहुचा दिया जाता है , जहां दूसरी रेसेप्निस्ट मेनू कार्ड दिखाती है , लड़का फिर कहता है उसे फुल सर्विस चाहिए अब उसे सीधा थर्ड डार्क रूम में पंहुचा दिया जाता है जहां ५ लडकियां कतार में खड़ी हो जाती हैं और उनमे से चूज करने का ऑप्शन दिया जाता है लड़का दो लड़कियों को पसंद करता है और बाकी तीन लडकियां चली जाती है , मसाज सुरु होती है और थोड़ी ही देर बाद लड़के के नंगे बदन पर नरम नरम हांथों के स्पर्श जन्नत प्राप्ति की अनुभूति दिला रहा था बदन के ऊपरी हिस्से से जब हथेलियां नीचे की तरफ बढ़ती हैं उस वक़्त का अनुभव कुछ अलग ही होता है मगर उस नादान लड़के को क्या पता था की इस बार ऊपर से हाँथ नीचे नहीं आने वाले और एक कड़ाक की आवाज़ के साथ लड़के की गर्दन टूट जाती है सर को जिस्म से अलग कर दिया जाता है , इसी के साथ वहाँ पर मौजूद सभी लडकियां अपने असली चुड़ैल रूप में आ जाती है और गर्दन से बह रहे खून को एक लड़की बड़े से जार में भर लेती है तत्पश्चात सभी चुड़ैलों में एक एक ग्लास ताज़ा खून बाँट दिया जाता है सभी सैतान का शुक्रिया अदा करती हैं , और लड़के के मृत जिस्म को जंगल में फेंक दिया जाता है ,
से टपक रहे मांस के टुकड़े खुद खा लेती है , तभी एक असीसीटेंट जैस्मिन की नज़र उस पर पड़ती है वो कहती है दीदी बहुत दिनों से इंसानी मांस नहीं मिला आखिर कब तक हम रात भर गली के कुत्ते और अन्य जानवरों का सड़ा मांस खाकर जवान और खूब सूरत दिखेंगे , दीदी अब तो हमारे दांत और फेफड़े भी कुत्तों की तरह दिखने लगे हैं और स्पा में जितने भी कस्टमर बचे हैं सब के सब बी पी शुगर पेसेंट हैं और ५० प्लस हैं , अब हमारा जिस्म जवान मर्द का ताज़ा खून मांग रहा हैं , आपका क्या हुआ कल आप दीपक सर के साथ खंडाला गई थी न , संध्या कहती है कुछ नहीं हुआ क्या होगा वो प्यार है मेरा अब तुम सब की प्यास बुझाने के लिए क्या मैं अपने होने वाले सौहर का खून कर दूँ , जैस्मिन कहती है दीदी मैंने ऐसा कब बोला था मैं तो ये पूछ रही थी की शादी के बाद तो आप दीपक सर के साथ पुणे शिफ्ट हो जाएगी न , संध्या कहती है तो क्या हुआ मैं यहां आती जाती रहूंगी तुम सब लडकियां सनसिटी चलाते रहना , और इतना कहकर संध्या वहाँ से डी एस ए के ऑफिस के लिए रवाना हो जाती है , मुंबई ओशिवारा का इलाका सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर बाहर से देखने पर तो सब कुछ ठीक ठाक दिखाई देता था मगर इसके अंदर जो कुछ होता था , वो कल्पना से भी परे थे , कहते हैं आज़ादी के बाद से मुंबई कमाटी पूरा के लिए बदनाम था मगर ये रेड लाइट एरिया धीरे धीरे हर जगह फ़ैल रहे थे , और इस मकड़जाल में जो एक बार फंस जाता है वो कभी निकल नहीं पाता है , और अब ये मकड़ जाल पॉस इलाकों में भी फैलता जा रहा था , स्पा और ब्यूटी पार्लर के नाम से , सारे शहर में जो चीज़ें रात के अँधेरे में होती है सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर में भी वही सब दिन दहाड़े हो रहा था , बस किसी को नज़र नहीं आ रहा था ,
बैंक का एच आर जिसके द्वारा संचालित डी एस ए चलता है और जिसमे फाइनेंस सेक्टर में कई लड़के लडकियां काम करते हैं , संध्या भी उन्ही में से एक है , कहने को तो संध्या दीपक की गर्लफ्रेंड है मगर एच आर के साथ भी उसके जिस्मानी ताल्लुक़ात होते रहते हैं , दीपक बहुत बड़ी रिच फॅमिली से बिलोंग करता है , उसके पिता जी पुणे के मेयर रह चुके हैं उन्हें दीपक और संध्या के अफेयर के बारे में पता है और वो नहीं चाहते की संध्या जैसी आवारा किस्म की लड़की का उनके खानदान के साथ नाम जुड़े पर कहते हैं न , दिल आया गधी पर तो परी किस काम की , यही हाल दीपक का भी था वो संध्या के हुश्न्जाल में इस तरह फंस चुका था की न चाह कर भी उसे छोड़ नहीं सकता था , और संध्या की फरमाइशें पूरी करने में लगा रहता था , इसी मोहब्बत के चलते उसने अपना एक बंगला संधा को दे रखा था जिसे संध्या डी एस ए और पार्लर के लड़के लड़कियों को रेंट में देती थी और अपना खर्चा चलाती थी , अब चूंकि संध्या का एच आर के साथ भी नाजायज़ सम्बन्ध था इसलिए एच आर चिन्मय ने सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर का मालिकाना हक़ संध्या को दे रहा था , वो सनसिटी की हेड थी ,
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डी एस ए का ऑफिस कुछ नए लड़के लड़कियों की एंट्री हुयी हैं , रोहन राजेश सुमित मुंबई में अभी नए नए थे , रोहन संध्या के गाँव का ही था , गाँव से तात्पर्य अर्थात आप किसी भी शहर के क्यों न हो अगर आप मुंबई गए हो तो बाहर गाँव के ही बोले जाओगे , रोहन दीदी करके संध्या के बंगलो में पीछे साइड एक रूम क इंतजाम कर लिया था बाकी आगे साइड के बाकी कमरों में तीन लडकियां रहती थी ऊपर के फ्लोर में खुद संध्या रहती थी , दिवाली का वक़्त था , संध्या अपने गाँव गयी हुयी थी उसने घर की ज़िम्मेदारी रोहन को दी हुयी थी , रोहन घर में अकेले रहते रहते बोर हो चुका था वो राजेश और सुमित को फ़ोन करता है भाई पार्टी कहीं पार्टी एन्जॉय करते हैं , राजेश और सुमित भी इसी फ़िराक में थे घर खाली मिले और दारु पार्टी का लुत्फ़ लिया जाए , और तीनो मिलकर संध्या के बंगलो में दारू पार्टी एन्जॉय करते हैं , यहां संध्या की गैर मौजूदगी में आगे साइड रहने वाली तीनो लडकियां रूबी , रेहाना ,और स्टेला भी खूब पब और डिस्को पार्टी एन्जॉय करने में लग जाती है , डेली का डेली डिस्को पब जाना कोई रोकने टोकने वाला नहीं था , एक रात १ बजे का समय रूबी और स्टेला पब से लौटती हैं रेहाना की तबीयत खराब होने की वजह से वो आज रूम में फोन साइलेंट मोड में डाल कर सो रही थी , तभी मैन गेट में रूबी और स्टेला की एंट्री होती है वो पहले डोर बेल बजाती है , फिर रेहाना को कॉल करती हैं जब सैकड़ों रिंग डालने के बाद भी रेहाना दरवाज़ा नहीं खोलती है तब रूबी और स्टेला कहती हैं की फोन साइलेंट में डालकर सो गयी कमीनी अब सुबह तक बाहर ही रहना पड़ेगा , तभी स्टेला के मन में प्लान आता है वो करती है , क्यों न पीछे वाले रूम में जो लड़का रहता है हम उससे हेल्प लेले रात ही तो गुज़ारनी है और हम दोनों ने पी भी इतनी रखी है की रात में कहीं नहीं जा सकते , स्टेला की बात पर रूबी हामी भर देती है और दोनों बॉउंड्री वाल कूंदकर रोहन वाले रूम का दरवाज़ा खटखटाने लग जाती हैं , रूम के अंदर ज़बरदस्त दारू पार्टी चालू थी , दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज़ सुनकर तीनो शांत हो जाते हैं , राजेश और सुमित कहते हैं भाई लड़की की आवाज़ आ रही है तीनो के चेहरे ख़ुशी के मारे खिल जाते हैं , रोहन राजेश और सुमित को रूम में छुपने के लिए बोलता है और खुद दरवाज़ा खोलता है ,
हमारी , रोहन पूछता है आखिर हुआ क्या है इतनी रात गए तुम लोग बाहर कैसे घूम रही हो , रूबी कहती है देखो हमारी एक रूम पार्टनर रूम के अंदर सो रही है हम दोस्त की बर्थडे पार्टी में चले गए थे इसलिए आने में लेट हो गए , वो दरवाज़ा नहीं खोल रही है सुबह होने में २ से ३ घंटे लगेंगे तब तक हमें अपने रूम में रुकने का मौका दे दो , रोहन कहता है अफकोर्स व्हाई नॉट अंदर आ जाओ वो आकर सामने रखे सोफे पर बैठते ही सोने लगती है , और धीरे धीरे सो जाती हैं , कुछ ही देर में सुमित और राजेश भी हॉल में आ जाते हैं वो दो लड़कियों को एक साथ देखकर ख़ुशी से उछल जाते हैं , राजेश कहता है भाई लडकियां दो और हम तीन क्या बोलता है खेल दें फिर रोहन कहता है कुछ हो गया तो तुम जानो हालाँ कि मन तो मेरा भी है बेसुध की वजह से रूबी की टॉप थोड़ा नीचे सरक गयी थी जो की किसी भी जवान लड़के को बहकाने के लिए पर्याप्त थे , राजेश से रहा नहीं जाता वो बढ़कर रूबी के जिस्म को स्पर्श करना सुरु कर देता है , रूबी कोई विरोध नहीं करती है इधर सुमित भी स्टेला के पैर से पैर रगड़ना सुर कर देता है , स्टेला का कोई जवाब नहीं मिलता है , सुमित का भी हौसला और बढ़ जाता है और कमोवेश में उत्तेजित सुमित स्टेला के होंठ पर होंठ रख कर चुम्बन लेना सुरु कर देता है तभी स्टेला उसे एक झापड़ जड़ देती है और दूर फेकती हुयी कहती है हाउ डेयर यू क्या समझ रकह है तुम लोगों ने बाजारू लड़की हैं हम जो चाहे वो कर लोगे थोड़ी देर ठहरने के लिए जगह क्या मांगी सीधा इज़्ज़त में हाँथ डाल दिए रेहाना चिल्ला चिल्ला कर तीनो को डाँटना सुरु कर देती है अभी पुलिस को बुलाती हूँ रेप एटेम्पट लगवा के थाने में बिड़वाती हूँ तभी रूबी की भी नींद खुल जाती है अपने अस्त व्यस्त कपडे को ठीक करती हुयी भी तीनो पर चिल्लाने लगती है,
रूम में मचे हल्ले की आवाज़ से रेहाना की नींद खुल जाती है , वो भी वहां आ धमकती है , बात और समय की नज़ाकत को समझते हुए रूबी और स्टेला को शांत करवाती है , और तीनो लड़कों को वार्निंग देती है और कहती है संध्या दीदी को आ जाने दो , फिर मैं उनको सारी घटना बताउंगी वो बताएगी की क्या करना है तुम सबके साथ , इतना कह कर रूबी और स्टेला को खींचती हुयी अपने रूम में ले जाती है , दो दिन गुज़र जाते हैं तीसरे दिन संध्या आजाती है , तीनो लडकियां संध्या की दरबार में हाज़िर होती हैं , और रूम में हुए हंगामे से संध्या को अवगत करवाती हैं , तीनो की बात सुनने के बाद संध्या रोहन को बुलवाती है , संध्या डाँटती हुयी रोहन को कहती है , तुम मेरे गाँव के थे इसलिए मैंने तुम्हे रूम दिया और तुमने उसके बदले क्या किया , मेरे भरोसे को चकनाचूर कर दिया रोहन सर झुकाये सामने चुपचाप खड़ा था , संध्या एक बार फिर डांटती हुयी कहती है अगर अभी रूम में पुलिस आ जाती तो क्या होता मेरी इज़्ज़त का तुमने ये सोचा आस पास के लोग क्या सोचते होंगे मेरे बारे की मैं धंधा करवाती हूँ अपने घर मे मुझे अब ऐसी गलती दुबारा नहीं मिलनी चाहिए वरना फाइनेंस की जॉब तो जाएगी ही मुंबई में रहने लायक भी नहीं रहोगे , और तुम्हे मैंने अकेले रूम में रहने के लिए बोला था तुम दो और लड़कों को ले आये , मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं है की मेरी गैर हाज़िरी में मेरे घर में कोई हंगामा हो , रोहन चुप चाप वहाँ से चला जाता है , इसके बाद संध्या रूबी रेहाना और स्टेला की क्लास लेती है , संध्या तीनो को झाड़ती हुयी कहती है , मेरी गैर हाज़िरी में क्या गुलछर्रे उड़ाए जा रहे थे , रोज़ डिस्को पब शराब ये सब क्या है तुम तीनो का भूखों मरने की स्थिति थी तुम सबकी मैंने तुम्हे सहारा दिया और तुम मुझे ही बदनाम करने में लग गयी रूबी कहती है दीदी मैं इन लड़को की हरकत के बारे में पुलिस में कम्प्लेन करूगी , संध्या कहती है कितनी बड़ी सती सावित्री हो तुम तीनो मुझे अच्छी तरह से पता है , एक तो सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर ठीक ढंग से चलाया नहीं जाता है , तुम लोगों से , तुझे क्या लगता है पुलिस आती तो तेरे बारे में पूछताछ नहीं करती और सारा काला चिटठा खोल के रख देती , और स्टेला तू बहुत बड़ी सरीफ बन रही है कितनी बार स्कूल में लड़कों के साथ बाथरूम में पकड़ी जा चुकी है , स्टूडेंट तो छोड़ उस बूढ़े प्रोफेसर पॉल सर के साथ भी तेरे बाप ने रंगे हाँथ पकड़ा था न तुझे जिसके चलते उसने आधी रात को घर से लात मार कर बाहर कर दिया था तुझे, तब तुझे मैंने सहारा दिया था , भूल गयी एहशान फरामोश , संध्या की बातें सुनकर स्टेला शांत हो जाती है , सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर का तुम लोगों को पता है न मैंने वकालत भी की है तुम लोगों को लॉकअप में बंद करवा के इतने डंडे मरवाऊँगी की सारी हेकड़ी धरी की धरी रह जाएगी , तुरंत निकलो यहां से मुझे पुलिस का नाम भी नहीं सुनायी देना चाहिए , तुम लोगों की ज़बान से , तीनो लडकियां संध्या के क़दमों में गिरकर गिड़गिड़ाने लग जाती है , और संध्या से कहती हैं दीदी हमें माफ़ कर दो , दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी , संध्या कहती है अच्छे खासे शिकार फसे थे तुम्हारे हांथों में तुमने उन्हें भी जाने दिया , तीनो लडकियां कहती है सॉरी दीदी , संध्या कहती है अब सॉरी वोरी से काम नहीं चलेगा तीनो लड़को को गियर में लो मैं रोहन को बोल दूँगी वो तुम्हे उनसे मिलवा देगा , इसके बाद वो लडकियां वहाँ से चली जाती है , उनके जाने के बाद संध्या रोहन को फोन लगाती है और कहती अपने दोस्तों को बोल देना लडकियां उनसे मिलकर माफ़ी माँगना चाहती है और दुबारा मुझे कोई लफड़ा नहीं चाहिए , ओके दीदी बोलकर फोन रख देता है रोहन के चेहरे में स्माइल आ जाती है ,
वो राजेश और सुमित को बताता है की फ़िक्र करने की कोई आवश्यकता नहीं है मैटर सलट गया है , स्टेला एक दिन खुद रोहन से मिलकर माफ़ी मांगती है और उसे कहती है गलती मेरी फ्रेंड्स की थी उस रात के बर्ताव के लिए मैं तुम तीनो से माफ़ी मांगती हूँ , मेरी फ्रेंड्स भी माफ़ी माँगना चाहती हैं , वो तुम्हारे दोस्तों से मिलना चाहती है तो बुलाओ किसी दिन बरिस्ता में साथ बैठ कर कॉफी पीते हैं , और कॉफी की मिठास के साथ दिलों के गिले शिकवे भी दूर हो जायेंगे स्टेला की बात सुनकर रोहन ख़ुशी से झूम उठता है वो फ़ौरन राजेश और सुमित को बताता है है भाई सेटिंग का जुगाड़ है नेक्स्ट सन्डे लडकियां बरिस्ता में मिलने वाली हैं , रोहन का ऑफर सुनकर राजेश और सुमित के चेहरे ख़ुशी से खिल जाते हैं , वो बोलते है न अब तो लडकियां भी तीन और हम भी तीन अब तो बस मज़ा आ जायेगा सन्डे के दिन का तीनो को बेशब्री से इंतज़ार होता है बरिस्ता में तीनो लड़कियों से मिलते हैं कॉफी के साथ देर तक गप सप इसके बाद फिर मुलाक़ात का दौर सुरु हो जाता है तीनो की दोस्ती कब प्यार में बदल जाती है समझ में ही नहीं आता है , फिर सुरु होता है लेट नाईट पार्टी का दौर करीबियां बढ़ती जाती वो उन्हें लेने और छोड़ने सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर तक जाने लग जाते हैं धीरे धीरे रोहन राजेश और सुमित सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर के अंदर भी जाने लगते हैं , तीनो का मन भी मसाज करवाने का करता है तीनो उन लड़कियों से कहते हैं , यार हमे भी जन्नत की सैर करवाओ कभी बॉडी में बड़ा पैन हो रहा है साला , तीनो लडकियां कहती हैं क्यों नहीं जानेमन तुम्हे तो हम अपने हांथों से जन्नत की सैर करवाएंगे , और तीनो को ले जाकर तीन अलग अलग केबिन में अंदर कर दिया जाता है फिर एक एक करके तीनो लडकियां उनके साथ केबिन में प्रवेश कर जाती है , पहले तीनो को एक एक करके निर्वस्त्र किया जाता है इसके बाद उन्हें सीधा लेटने को बोल दिया जाता है अब हर एक के ऊपर एक लड़की बैठ कर मसाज करती है तभी रूबी के खुले बाल राजेश के मुँह में घुसने लगते हैं , रूबी कहती है मेरे हाँथ में तेल लगा है प्लीज़ इन्हे अपने मुँह से हटा दीजिये , राजेश कहता है जानेमन अभी तो बाल ही अंदर गया है अब और न जाने क्या क्या अंदर जाने वाला है , राजेश की बात सुनकर रूबी कुटिल मुस्कान देती है और कहती ओह रेअली राजेश कहता है हाँ रूबी कहती है बड़ा भरोसा है अपने आप पर राजेश कहता है अपने आप पर नहीं तुम्हारे प्यार पर , तभी रूबी का चेहरा एक भयानक चुड़ैल के रूप में परिवर्तित हो जाता है , राजेश भौचक्का रह जाता है , वो कुछ समझ पाता इससे पहले रूबी के नुकीले दांत राजेश की गर्दन में पूरी तरह से पैबस्त हो चुके थे , और राजेश की चीख के साथ महौल शांत हो जाता है , बाजू वाले केबिन में मसाज का आनंद ले रहा सुमित भीतर ही भीतर प्रफुल्लित हो जाता है , और रेहाना से कहता है लगता है जन्नत में पहुंच गया राजेश ,
सुमित के गर्दन पर मारती है और दूसरे ही पल सुमित की गर्दन तड़पते हुए केबिन की फर्श पर जा गिरती है और रेहाना की तरफ देखती है जैसे वो उससे कहना चाह रही हो की मैंने तो तुमसे सच्चा प्यार किया था फिर क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा तभी मुंडी पर सैंडल से किक मारती हुयी रेहाना कहती है बेचारे को जन्नत भी नहीं मिली , राजेश और सुमित की चीख सुनकर रोहन घबरा जाता है , और स्टेला से पूछता है मुझे लगता है की कुछ गड़बड़ है, वो नग्न अवस्था में ही केबिन से बाहर की तरफ भागता है , तभी मौजूद वहाँ लेडी बाउंसर उसे खींच कर गैलरी की तरफ फेंक देती है जहां जन्मो से भूखी चुड़ैलें मरे हुए कुत्तों का सड़ा हुआ माँस खा रही थी हो हल्ला सुनकर संध्या वहां आ जाती है रोहन उसके कदमो में गिर कर रहम की भीख मांगता है और कहता है दीदी मुझे बचा लो मैं आपके गाँव का हूँ , संध्या कहती यही तो तू मेरे गाँव का था तो तुझे रूम दिया उसके ऐवज में तूने क्या किया साले तूने रूम में हंगामा खड़ा करवा दिया , जेल जाने की बंदोबस्त कर दिया था तूने अब मर , तभी स्टेला वहाँ आ जाती है और रोहन की टाँगे पकड़कर घसीटती हुयी एक बार पुनः केबिन के अंदर ले जाती है , और थोड़ी ही देर में रोहन की चीख भी सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर के अंदर घुट के रह जाती है , थोड़ी देर में सबके लिए एक एक ग्लास ताज़ा ब्लड लाया जाता है , वहाँ मौजूद सभी चुड़ैले ब्लड से अपनी जिह्वया की प्यास बुझाती हैं , तभी संध्या के फोन में रिंग बजती है संध्या फोन उठाती है चिन्मय सर कहते हैं डी एस ए के ऑफिस आ जाओ फाइनेंस सेक्टर के नए कस्टमर डील करने हैं , संध्या जी सर बोलकर फ़ौरन डी एस ए के लिए रवाना हो जाती है , ऑफिस जैसे ही संध्या प्रवेश करती है चिन्मय का चेहरा खिल जाता है वो अपनी सीट से उठ जाता है और संध्या के करीब आकर उसके पिछवाड़े में हाँथ फेरता हुआ कहता है , और बताओ कैसा है तुम्हारा नया आशिक़ दीपक सुना है खूब गुलछर्रे उड़ाए जा रहे हैं नए बॉयफ्रेंड के साथ कभी हमे भी मौका दो और इतना कहर अपने होंठ संध्या के कान पर घुमाना सुरु कर देता है , संध्या कहती है यहीं पर सब कुछ करेंगे क्या सर सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर में चलते हैं तभी चिन्मय कहता है अरे हाँ हमारी असली ऐशगाह तो वही है सुना है नयी नयी फुलझड़ियाँ आई हुयी हैं वहाँ पर सबसे के साथ सर्विस लूँगा संध्या कहती है , सर इस कनीज के होते हुए आपको किसी और की तरफ जाने की क्या ज़रुरत है , चिन्मय कहता है बूढी हो गयी हो तुम , अब तुम में वो बात नहीं , माँस लटक रहे हैं तुम्हारे जिस्म से कब तक फुल जैकेट पहन कर अपने जिस्म से लटकती माँस को छुपाओगी जाने मन , चिन्मय की बात सुनकर संध्या गुस्से को अंदर ही अंदर दबा कर कसमशा के रह जाती है ,
paying guest a erotic witch story part 1 ,
अपमान का घूँट पीकर संध्या मुस्कुराती हुयी चिन्मय की तरफ पलटती है और उसके सीने से अपने जिस्म को चिपकाती हुयी कहती है आप भी सर मज़ाक बहुत करते हैं , चिन्मय भी उसकी कमर में हाँथ डालता हुआ उसे अपनी तरफ खींच लेता है और दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए कार की तरफ बढ़ जाते हैं , कार सीधा सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर के बाहर जाकर रूकती है संध्या रिसेप्सनिस्ट से कहती है सर के लिए ख़ास वाला हॉल खुलवाओ और तुम सब लडकियां सर के लिए रेडी हो जाओ आज इन्हे ऐसी सर्विस प्रोवाइड करवाएंगे की सर ज़िन्दगी भर याद रखेंगे , तत्पश्चात चिन्मय सर ओनली अंडरवियर में एक बेड पर लेट जाता हैं , कई खूबसूरत हसीनाएं उसे चारों तरफ से घेर लेती हैं , एक लड़की चिन्मय के सीने के ऊपर बैठ कर आँख पर काली पट्टी बाँध देती है और जिस्म पर तेल की बूंदे टपका कर ऊपर से नीचे तक हाँथ फेरना सुरु कर देती है , थोड़ी ही देर में चिन्मय को उल्टा लेटने का आदेश दिया जाता है , इसके बाद उसके हाँथ पैर पर हंथकड़ी लगा दी जाती है , थोड़ी ही देर में संध्या चाबुक से चिन्मय को पीटना सुरु कर देती है , चिन्मय चिल्लाता हुआ कहता है आराम से करो जो भी करना लेकिन संध्या के चाबुक चलाने की रफ़्तार कम नहीं होती है वो चिन्मय को गाली देती हुयी कहती है हरामखोर मुझे कहता है बूढी हो गयी हैं तू क्यूं बे जब तेरी बीवी बीमारी से जूझ रही थी तब तेरे जिस्म की भूख मैं मिटाती थी , और आज मैं बूढी हो गयी हूँ और वहाँ मौजूद लड़कियों को आदेश देती है इसे इतना मारो की इसके जिस्म में हड्डियों के अलावा माँस का एक भी टुकड़ा दिखाई न दे, चिन्मय चिल्लाता हुआ उन लड़कियों की तरफ देखता है सभी चुड़ैलों का रूप धारण कर चुकी थी , सबके हाँथ पर चाबुक थे और सभी चिन्मय के जिस्म पर चाबुक बरसाए जा रही थी , और तब तक चबुक चलाना नहीं बंद कर देती हैं जब तक की चिन्मय का जिस्म कंकाल में नहीं बदल जाता है , उसके हड्डियों के ढाँचे को उसकी कार में डाल दिया जाता है , जिसे पुलिस दो चार दिन में बरामद कर लेती है , इधर दीपक के पिता की मौत के बाद दीपक पुणे का मेयर बन जाता है , और संध्या दीपक के साथ घर बसा लेती है मुंबई में डी एस ए का ऑफिस और सनसिटी स्पा एंड मसाज पार्लर अभी भी चालू है जिनको संध्या अभी भी ऑनलाइन ऑपरेट करती है और कभी कभी मुंबई आती जाती रहती है।
the end ,
pics taken by google ,
]]>प्लीज मुझे मत मारो आखिर मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है , और एक मासूम की चीख घर की चार दीवारी में घुट के रह जाती है , और ये खबर अखबार की सुर्ख़ियों में छप जाती है और घड़ घड़ करती प्रिंटिंग प्रेस की मशीन बंद हो जाती है , इसी के साथ कैमरा ज़ूम आउट होता हुआ पूरनमासी की रात में आसमान के बादलों को चीरता हुआ कहीं खो जाता है , कट टू कैमरा प्रेस की दीवार पर लगी घडी पर फोकस डालता है रात के ३ बज चुके हैं तभी साथी पार्टनर आवाज़ लगाता है छुट्टी का टाइम हो गया शिंदे क्या सारी रात यही पर मगजमारी करेगा , जा घर जा घर में बीवी बच्चे राह देख रहे होंगे , शिंदे साथी की आवाज़ सुनकर हंस देता है और पेपर की डिलीवरी के लिए पैकिंग करने में लग जाता है , साथी बोलता है ये लड़्के लोग का काम है रे शिंदे तू अभी नया नया मुंबई में आया है न सुरु से इतनी चम्मचगीरी नहीं करने का जो जिसका काम है उसको करने दे अपन को अपना काम करने का और निकलने का , और यही बोलते बोलते शिंदे अपने साथी दोस्त के साथ प्रेस से बाहर निकल जाता है , शिंदे अभी मुंबई में नया नया है और आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है , तीन बच्चे हैं बेचारे के बड़ी बेटी का नाम मुनिया है जो की १४ साल की है बाकी दो लड़के है एक १२ साल का सुदीप एक ३ साल का छोटू ,
पैसों की कमी के चलते शिंदे अपने परिवार के लिए बोरीवली में फ्लैट नहीं ले पाया था और उसे दहिसर के स्लम एरिया में एक घर किराए से कम दाम में मिल गया था , सब कहते थे उसमे भूत है मगर शिंदे पढ़ा लिखा था उसे भूत प्रेत में विश्वास नहीं था , घर बड़ा नहीं था बस दो कमरे थे उसी में खाना पीना रहना सोना सब हो जाता था कुल मिलाकर एक परिवार के रहने के लिए पर्याप्त था , बस प्रॉब्लम एक थी वह ये की बर्षात के दिनों में घर की छत से पानी टपकता था , शिंदे और शिंदे की पत्नी के लिए बेहद समस्या थी जिसके चलते कई रात दोनों का जागकर काटनी पड़ती थी और बच्चों के लिए छत से पानी का टपकना मनोरंजन का पर्याय बन चुका था , जहां भी पानी टपकता बच्चे फ़ौरन पतीला लेकर भरने के लिए पहुंच जाते , किसी तरह दिन काट रहे थे , एक दिन बच्चे घर में अकेले थे , अचानक गैस चूल्हा अपने आप जलने लग जाता है , मुनिया डर जाती है , मगर सुदीप को मजा आता है वो छोटू के साथ बैठ कर हसने लगता है , तभी शिंदे की पत्नी बाजार से आ जाती है वो गैस चूल्हा जलता हुआ देखकर मुनिया को डाँट लगाती है और कहती है तू तो बड़ी है न गैस चालू करके बैठी है देखती नहीं है घर का खर्चा कितनी मुश्किल से चलता है मुनिया कहती आई मैंने कुछ नहीं किया गैस अपने आप चालू हो गयी थी , तभी शिंदे की पत्नी एक झापड़ मुनिया के गाल में जड़ देती है और कहती है एक तो गलती करती है ऊपर से बहस भी करती है , मार पड़ते ही मुनिया चुप चाप सिसक सिसक कर रोने लगती है और एक कोने में दुबक जाती है ,
सुनायी देती है वो आकर देखती है मगर ये क्या गैस फिर जलने लगती है , मुनिया कोने में बैठी अभी भी रो रही थी सुदीप छोटू को खिलाता हुआ हंस रहा है शिंदे की पत्नी दौड़कर गैस चूल्हे की बटन बंद करती है और मुनिया को कहती है तुझे शर्म नहीं आती इतनी पिटाई के बाद भी तूने गैस चालू कर दी , सुदीप बोलता है दीदी ने कुछ नहीं किया है चूल्हा रोज़ अपने आप जलता है और हमे मज़ा आती है , बच्चों की बात सुनकर शिंदे की पत्नी हैरान रह जाती है , इस घटना का ज़िक्र वो अपने पती से करती है और कहती है सुनते हो जी मुनिया के पापा घर में भूत है आज गैस चूल्हा अपने आप चालू हो गया था , शिंदे कहता है कोई भूत वूत न है सब मन का वहम है , और बत्तियां बुझाकर सबको सुला देता है , अभी शिंदे की आँख भी ढंग से लगी न थी , उसे ऐसा लगता है कोई शख्स उसके बाजू के लेटा हुआ है वो पीछे की तरफ देखता है मगर कोई नहीं दिखता है वो एक बार सीधा लेट जाता है , तभी उसे ऐसा लगता है जैसे कोई उसकी गर्दन दबा रहा है वो उठ्कलर बैठ जाता है बच्चे और पत्नी को सही सलामत देखकर शिंदे चैन की सांस लेता है , मटके से पानी निकाल कर पीता है तभी बाजू वाले कमरे से बर्तनो के खड़खड़ाने की आवाज़ सुनायी देती है ऐसा लगता है जैसे कोई खाना बना रहा हो , वो दौड़कर लाइट ऑन करता है , जूठे बर्तन पर चूहों ने धमाचौकड़ी मचा रखी थी , शिंदे को देखकर वो खुद बखुद भाग जाते हैं , लाइट्स ऑफ करके शिंदे आकर वापस सो जाता है ,
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शाम का वक़्त है बच्चे खेलकर घर आ चुके है शिंदे की पत्नी घर का काम करने में लगी है , शिंदे को प्रेस जाने की जल्दी है वो अपना टिफिन लेकर साइकिल से प्रेस की तरफ निकल जाता है दीवार से चिपक कर सुदीप किसी से बातें कर रहा है पास बैठी मुनिया पढ़ाई में इतनी मसरूफ है की उसे कुछ पता ही नहीं चलता है , अचानक सुदीप तेज़ तेज़ से बातें करने लगता है और फिर अचानक ही दहाड़ मार मार कर रोने लगता है सुदीप के रोने की आवाज़ सुनकर शिंदे की पत्नी रूम में आती है और मुनिया को डाँट लगाती हुयी कहती है तूने क्यों मारा इसे और सुदीप को कहती है जब नहीं पटती है तेरी दीदी के साथ तो अलग अलग काहे नहीं बैठते हो , और मुनिया की चुटिया पकड़ कर घसीटती हुयी अपने कमरे में ले जाती है मुनिया कहती है आई मैंने नहीं मारा इसे शिंदे की पत्नी कहती है तुमने नहीं मारा तो क्या भूत ने मारा उसे , और जैसे अंदर के कमरे में जाती है गैस चूल्हा जलने लगता है , वो लपक कर गैस बंद करती है तभी दूसरे कमरे से एक बार सुदीप के रोने की आवाज़ आती है । वो एक बार फिर दूसरे कमरे में जाती है , सुदीप के गाल पर पड़े पंजे के निशान को देखकर वो दंग रह जाती है और चीखती हुयी अपने बच्चों को लेकर घर से बाहर भागती है और कहती है खा गयी डायन मेरे बेटे को भूत है इस घर में मुझे एक पल नहीं रहना इस घर में और रात बच्चों के साथ घर के बाहर ही गुज़ार देती है , सुबह जब शिंदे घर आता है और बीवी बच्चों को घर के बाहर बैठा हुआ देखता है तो हैरान रह जाता है , घटना को जानने के बाद उन्हें समझा बुझा कर घर के अंदर ले जाता है ,
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रात के १० बज चुके हैं शिंदे अपना टिफिन लेकर प्रेस जा चुका है शिंदे की पत्नी बच्चों के साथ आराम कर रही है , तकरीबन रात के १२ बजे सुदीप की आँख खुलती है वी माँ को बाजू में न पाकर हैरान रह जाता है तभी उसकी नज़र दीवार पर बने रैक पर पड़ती है जहां शिंदे की पत्नी लेटी नज़र आती है माँ को इतनी ऊचाई पर लेटा देख कर सुदीप हैरानी में पड़ जाता है इतनी ऊंचाई पर बिना सीढ़ी के जाकर लेट पाना नामुमकिन है , सुदीप की आवाज़ सुनकर मुनिया डर जाती है वो भी माँ को रैक में लेटा देखकर हैरान रह जाती है और डर के मारे छोटू और सुदीप को साथ लेकर घर के बाहर भाग जाती है , आज बच्चों की रात बाहर गुज़रने वाली थी तभी पड़ोस के अंकल की नज़र घर के बाहर बैठे बच्चों पर पड़ती है वो बच्चों को घर के अंदर लेकर जाते हैं शिंदे की पत्नी नीचे बिस्तर पर सो रही थी माँ को बिस्तर पर लेटा देख कर बच्चों की जान में जान आती है , वो एक बार फिर माँ के बाजू में जाकर सो जाते हैं , और जब सुबह शिंदे से बच्चों की मुलाक़ात होती है तब सब बारी बारी से बताते हैं बापू कल रात आई रैक पर सोयी थी , शिंदे बच्चों की बात सुनकर हँस देता है और कहता है हाँ तेरी माँ बंदरिया है कहीं भी चढ़ सकती है , सुदीप हँसता हुआ कहता है सच्ची बापू शिंदे कहता है , हाँ पगले क्यों नहीं , शाम का वक़्त प्रेस की आज छुट्टी है इसलिए शिंदे भी आज अपने परिवार के साथ खाना खाने बैठता है थोड़ी देर में शिंदे की पत्नी खाना परोसना सुरु करती है जितने बर्तन खाली होते हैं सब एक एक करके पहले पतीला फिर कुकर फिर कड़ाही , फिर तबा सब हवा में उड़ने लगते हैं बर्तनो को हवा में उड़ता हुआ देख शिंदे भी डर जाता है , तभी अंदर के कमरे से किसी औरत के चीखने की भयानक आवाज़ें आने लगती हैं शिंदे बीवी बच्चों समेत घर से बाहर निकल जाता है ,
और अपने पड़ोसिओं को घटना से अवगत करवाता है और मदद की गुहार लगाता है एक पडोसी बताता है शिंदे साहेब आप इस मकान में रह रहे होना ये मकान भुतहा है इसलिए ये तुम्हे इतने कम दाम में मिल गया हम लोग बहुत पहले से हैं मोहल्ले में १० साल से मकान खाली था इसके पहले भी जितने लोग आये न सबके सब मर गए या तो पागल होकर के भाग गए तुम पर देवा की कृपा है जो तुम अभी तक ज़िंदा हो , शिंदे कहता है तो अब क्या करूँ मैं , पडोसी बोलता है भूरा तांत्रिक है वो भूत प्रेत भगाता है ,
शिंदे भूत प्रेत जैसी बातों पर विश्वास नहीं करता है , मगर हाल ही में हुयी अप्रिय घटनाओ ने उसकी अंतरात्मा को झकझोड़ के रख दिया है , और न चाहकर भी उसे भूरा तांत्रिक के पास जाना पड़ जाता है , भूरा तांत्रिक अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाली तमाम सामग्री की लिस्ट शिंदे को थमा देता है , जिसे शिंदे बाजार से खरीद कर रख लेता है दूसरे दिन भूरा तांत्रिक अपने ताल तम्बूरे के साथ घटना स्थल पर पहुंच जाता है , और तंत्र मंत्र का सारा झाम झकड़ा फैला के बैठ जाता है , सभी को आदेश देता है की आप सब घर के बाहर चले जाएँ , सभी घर के बाहर चले जाते हैं इसी के साथ भूरा तांत्रिक घर की कुंडी अंदर से बंद कर लेता है और तंत्र साधना में लग जाता है , लगभग पांच मिनिट के बाद भूरा तांत्रिक घर का दरवाज़ा खोलता है उसकी हालत देख कर ऐसा लगता है की भीड़ के झुण्ड ने उसकी लात घूसों से बेदम पिटाई की है , भूरा तांत्रिक अपना सामान समेटता हुआ भागता है सभी उसको रोकने की नाकामयाब कोशिश करते हैं और पूछते हैं तांत्रिक बाबा हुआ क्या क्यों यूँ दुम दबा कर भागे जा रहे हो वो कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं था , सभी उसके पीछे लग जाते हैं और आखिरकार जाकर वो अपनी कुटिया में रुक जाता है , एक लोटा ठंडा पानी पीने के बाद बताता है , तुम्हारे घर में बहुत बड़ा भूत है जिसे भगा पाना मेरे बस की बात नहीं है मैं तो बच गया तुम भी उस घर से फ़ौरन निकल जाओ वरना जान से मारे जाओगे , और हाँ ये लो तुम्हारे खर्चे का पैसा मुझे ऐसी कमाई नहीं चाहिए जिसमे जान का खतरा हो ,
मेरे भाई मेरी नाशिक के एक बड़े तांत्रिक से जान पहचान है फिल्म इंडस्ट्री के जितने बड़े बड़े दिग्गज प्रोडूसर डायरेक्टर है सब चेले हैं उसके सभी की फिल्मो का महूरत रिलीजिंग डेट का निर्धारण वही करते हैं , शिंदे कहता है यार तुझे पता है मेरे पास इतने पैसे नहीं है शिंदे का दोस्त बोलता है तू पैसे की टेंशन न ले अपने प्रेस का जो मालिक है न तावड़े वो भी उसी का चेला है और मसान बाबा की कृपा के बिना प्रिंटिंग प्रेस तो क्या एक अखबार नहीं बिकेगा मुंबई में , तू चल मेरे साथ कल नाशिक मसान बाबा को अपुन बताएगा तेरी प्रॉब्लम के बारे में वो पैसे को ज़्यादा तवज्जो नहीं देता है । वो कस्टमर और केस देख कर बात करता है तू परेशान मत हो अपुन है न तेरे साथ ,
दूसरे ही दिन शिंदे अपने मित्र के साथ नाशिक के लिए रवाना हो जाता है , और मसान बाबा को अपनी परेशानी से अवगत करवाता है शिंदे की समस्या सुनकर मसान बाबा कहते हैं जा बच्चा बाबा तेरा काम फ्री में करेगा ये भूत को भगाना बाबा के अस्तित्व की बात बन गयी है अब या तो भूत नहीं या तो बाबा मसान नहीं , और दूसरे ही दिन बाबा अपने चेलों के साथ मुंबई के लिए रवाना हो जाता है , और शिंदे के घर में डेरा डाल देता है , और तंत्र साधना में लग जाता है रात का वक़्त आता है , काफी मशक्कत के बाद मसान बाबा भूतों को वश में करता है , और शिंदे और उसकी पत्नी को घर के अंदर बुलवाता है , और वश में किये भूतों से बात करता है , एक चुड़ैल बोलती है मुझे ज़िंदा जला दिया गया था इस घर में मेरा कोई कसूर नहीं था मेरे सास ससुर दहेज़ की मांग कर रहे थे मेरे माँ बाप से मेरे परिवार वालों के पास इतने पैसे नहीं थे की और दहेज़ दे सकें , जिसके चलते मेरे साल ससुर और पति ने मुझ पर घास लेट डाल कर आग लगा दी और मैं मर गयी , एक भूत बोलता है मुझे मज़बूर किया था मेरे बॉस ने मरने के लिए उसके मेरी पत्नी के साथ नाजायज़ सम्बन्ध थे , वो रौबदार था पैसे की वजह से पत्नी भी मुझसे बेवफाई कर रही थी मैं मज़बूर था क्या करता मुझे मरना पड़ गया , इन भूतों में एक बच्ची भी थी जिसे उसके लड़की होने की वजह से मार डाला गया था , सभी की कहानियां दर्द भरी थी सभी भूतों की दास्तान सुनने के बाद मसान बाबा कहते हैं तुम सबको इस घर से जाना पड़ेगा , खाली कर दो तुम सबके सब इस घर को सभी भूत पहले हँसते हैं फिर बिना कोई जवाब दिए वहाँ से भाग जाते हैं ,मसान बाबा कहते हैं शिंदे तुम परेशान मत हो अगली पूरनमासी की रात मैं इन सबकी स्थाई व्यवस्था कर दूँगा क्यूंकि पूरनमासी की रात भूत प्रेत सब अपने शबाब में रहते हैं और तांत्रिक शक्तियां भी ताक़तवर रहती है , जिससे भूत प्रेत को वश में करना भी आसान हो जाता है , इतना कहकर मसान बाबा वापस नाशिक के लिए रवाना हो जाता है , मसान बाबा के जान के बाद शिंदे की वही पुरानी दिनचर्या सुरु हो जाती है , रात का वक़्त है तक़रीबन तीन बज चुके हैं , शिंदे अपने साईकल से घर की तरफ लौट रहा था अभी उसने दहिसर चेक नाका क्रॉस ही किया था की पीछे से एक महिला की आवाज़ सुनायी देती है और स्ट्रीट लाइट्स जलने बुझने लगती हैं और वो शिंदे से पूछती है खैनी है तेरे पास , शिंदे कुछ नहीं बोलता है और साईकल की रफ़्तार तेज़ कर आगे बढ़ जाता है ,
खैनी मांगती है आज फिर शिंदे अपनी साईकल की रफ़्तार तेज़ कर देता है , और वहाँ से चला जाता है , उसे लगता है कोई पागल बुढ़िया है जो की हर आने जाने वाले से खैनी मांगती फिरती है , इसी तरह रोज़ का क्रम बन जाता है , दिन गुजरने लगते हैं और आखिर पूरनमासी की रात भी आ जाती है , मसान बाबा आज पूरे साज़ सामान के साथ शिंदे के घर पहुंच जाते हैं , घर को चारों तरफ से मंत्रोच्चारण द्वारा शुद्ध किये गए चांदी के तार से बाँध दिया जाता है , और देर रात के यज्ञ अनुष्ठान के बाद मसान बाबा भूतों को वश में करके वहीँ दफ़ना देते हैं , और शिंदे को कहते हैं अब भूतों से डरने की कोई ज़रुरत नहीं है मैंने इन्हे मन्त्रों की शक्ति से बाँध दिया है अब आप आराम से इस घर में रह सकते हो , शिंदे मसान बाबा के चरणों में नतमस्तक हो जाता है , मसान बाबा उसे उठाते हैं और मुस्कुराते हुए वहाँ से चले जाते हैं , दूसरे दिन शिंदे आराम से ऑफिस जाता है और अपना काम ख़त्म करके जब रात के ३ बजे वापस लौट रहा होता है तब वही दहिसर चेक नाका के पास एक बुढ़िया जर्जर हालत में मिलती है शिंदे समझ जाता है ये फिर खैनी मांगेगी , बुढ़िया फिर खैनी मांगती है शिंदे कुछ जवाब नहीं देता है और साईकिल की रफ़्तार तेज़ कर देता है , तभी अचानक से बुढ़िया साईकिल के बाजू में आ जाती है , वो हवा में उड़ रही होती है उसके पाँव के पंजे पीछे की तरफ मुड़े होते हैं शिंदे डर जाता है , बुढ़िया एक ही झटके में शिंदे को साईकिल समेत उठा कर दूर फेंक देती है शिंदे की साईकिल आसमान में २० फ़ीट तक उछल जाती है बुढ़िया भारी आवाज़ में शिंदे से कहती है , मुझे मेरे घर से निकालेगा तू , तेरे बाप का घर नहीं है , कोई मेरे होते हुए मेरे घर पर कब्ज़ा नहीं कर सकता मालकिन हूँ मैं , और इतना कह कर काले धुएं के साथ आस्मां में ग़ायब हो जाती है , शिंदे हड़बड़ाहट में साईकिल उठाता है , और सीधा घर की तरफ प्रस्थान कर जाता है , और घर पहुंचते ही बीवी को कहता है सामान बाँध मुझे अब एक पल नहीं रहना इस घर में , और अपना सामान बाँध कर रात में ही घर खाली कर देता है , और वहीँ प्रेस के पास बोरीवली में शिफ्ट हो जाता है , बाद में लोगों से पता चलता है , जिस घर में शिंदे अपने परिवार के साथ रहता था , वो घर मिस्टर मखीजा का बंगलो हुआ करता था मिस्टर और मिसेज मखीजा की मौत के बाद से लगभग २० साल से खाली पड़ा था और धीरे धीरे स्लम एरिया से घिरता चला गया , भूतिया होने के कारण कोई किराए से नहीं लेता था जो लेता था वो या तो आत्महत्या कर लेता था , या फिर भूत के डर से पागल हो जाता था , बहुत पहले उस घर में एक नवविवाहित युवती को दहेज़ के लालच में सास ससुर और पति के द्वारा मिटटी तेल डालकर ज़िंदा जला दिया गया था , इसके बाद बोरोवली से छपने वाले न्यूज़ पेपर में उसे आत्महत्या का रूप देकर छापा गया था , क्यों की प्रेस का मालिक नवविवाहिता के ससुर का दोस्त था , और खबर को गलत छापने के लिए पैसे खा लिया था , कहते उस घटना के बाद घर बहुत दिनों तक बंद था , और जब खुला तो उसमे एक स्ट्रगलर रहने आया जो की कुछ दिनों में है पागल हो गया था , और उसी घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था , इसके बाद जो भी रहने आया भी या तो खुद मर गए या तो मार दिए गए।
pics taken by google ,
]]>हार गया हूँ मैं अपनी ज़िन्दगी से मैंने दिल ओ जान से चाहा था तुम्हे और तुम महज़ कुछ चांदी के सिक्कों के लिए मेरा साथ छोड़ दिया क्या कमी थी मुझमे , क्या मैं तुम्हारे क़ाबिल नहीं था , क्या मेरे पास दौलत नहीं थी , आखिर क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा , ऐसी क्या बात थी परमिंदर में श्रुति जिसके लिए तुमने मुझे छोड़ दिया मैं मर भी गया तो अगले जन्म में तुम्हे हासिल करके बताऊँगा , नहीं छोड़ूगा मैं परमिंदर को उसके लिए मुझे चाहे बार बार जन्म लेना पड़े ये आखरी अल्फ़ाज़ थे राज़ के , इसके बाद मोबाइल की बैटरी लो हो जाती है और फोन ब्लिंक करके बंद हो जाता है , राज़ का अंकल कहता है जाने कौन से मनहूस घडी में पला पड़ा था राज़ का इस चुड़ैल से डायन खा गयी मेरे भतीजे को ,
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मर्च्युरी हॉल में श्रुति अपने बॉय फ्रेंड परमिंदर और उसके दोस्तों के साथ प्रवेश करती है क्यों की उसे डर है की मोबाइल में में वायरल राज़ का सुसाइड नोट न पुलिस के हाँथ लग जाए और अगर राज की फॅमिली वालों ने उसके खिलाफ एक्शन लिया तो पुलिस तो टॉर्चर करेगी ही फॅमिली की इज़्ज़त भी ख़ाक में मिल जाएगी , उसके तेजी के साथ बढ़ते कदम उसकी घबराहट को साफ़ उजागर कर रहे थे , मर्चुरी हॉल लाशों से भरा हुआ था लाशों की तादाद में ज़्यादा होना राज़ की लाश तक पहुंच पाने में खुद वार्ड बॉय के लिए मुश्किल बन रहा था , तभी श्रुति की चीख निकल जाती है श्रुति का दुपट्टा एक लाश के हाँथ में फंस जाता है जिसका हाँथ बेड से बाहर लटक रहा था , सभी पलटकर देखते हैं और श्रुति का दुपट्टा लाश के हाँथ से अलग करते हैं , श्रुति को राज़ के अंतिम दर्शन कराये जाते हैं श्रुति लाश के ऊपर सर रखकर फूट फूट कर रोने लगती है , और कहती है आखिर क्यों किया तुमने ऐसा तभी राज़ के रिलेटिव की नज़र श्रुति पर पड़ती है और वो आकर पूछते हैं तुम्ही श्रुति हो राज़ के फ़ोन में जो सुसाइड नोट मिला है उसमे तुम्हारा ज़िक्र है आखिर क्या हुआ था तुम दोनों के बीच और परमिंदर की तरफ देखते हुए कहते हैं ये लड़का कौन है और इसके चेहरे में चोंट का निशान क्यों है परमिंदर और उसके दोस्त कहते हैं एक्सीडेंट हो गया था बाइक से राज़ के रिलेटिव पूछते हैं कल शाम राज़ से तुम्हारी बात हुयी थी तुम्हारे और उसके बीच गाली गलौच भी हुआ था , परमिंदर सफाई देता है राज़ मेरा बहुत अच्छा दोस्त था हमारे बीचे में हमेशा कहासुनी होती रहती थी मगर इसका मतलब ये नहीं है की उसकी मौत में मेरा कोई हाँथ है या मैंने उसे आत्महत्या करने के लिए फ़ोर्स किया है , तभी श्रुति रोती हुयी कहती है मुझे माफ़ कर दीजिये अंकल मैंने कुछ नहीं किया मुझे नहीं पता था की ज़रा सी बात के लिए राज़ इतना बड़ा कदम उठा लेगा मेरा उद्देश्य कतई ये नहीं था की राज़ आत्महत्या करे वो मेरा एक अच्छा दोस्त था बस हमारी दोस्ती को उसने जाने क्या समझ लिया और इतना बड़ा कदम उठा लिया । तभी राज़ के फादर वहाँ आ जाते हैं और कहते हैं मेरा बेटा इस दुनिया से जा चुका है , मैं अब कोई और बवाल नहीं चाहता प्लीज़ मेर बेटे की मौत का तमाशा मत बनाइये इसके पहले की कोई बखेड़ा खड़ा हो आप लोग यहां से चले जाइये ,
जनो के सुपुर्द नहीं कर दी जाती है , वार्ड बॉय राज़ के रिलेटिव को पास में बुलाता है और ५०० रूपये की माँग करता है ताकि लाश को अच्छी तरह से सिला जा सके राज़ के अंकल ५०० देते है और १० मिनिट बाद लाश को राज़ के परिवार जनो के सुपुर्द कर दिया जाता है सारा हॉस्पिटल रोने की चीख चिल्लाहट से गूँज उठता है श्रुति भी ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है साथ में आये परमिंदर और उसके दोस्त भी रोने लगते हैं और लाश के जाने के बाद श्रुति और परमिंदर भी वहाँ से निकल जाते है , रास्ते में परमिंदर श्रुति से कहता है अच्छा ड्रामा करती हो जानेमन इतना तेज़ दहाड़ मार मार कर रो रही थी जैसे राज़ की एक्स नहीं उसकी ब्याहता पत्नी हो तुम , श्रुति आँसू पोछती हुयी कहती है जस्ट शट अप भूख के मारे मेरी अंतड़ियाँ चिपक रही थी तभी कार में पीछे बैठा दोस्त समोसे आगे बढ़ाता है श्रुति समोसे हाँथ में लेती है और हंसती हुयी कहती है बड़ा आशिक़ बना हुआ था मर गया आखिर कुत्ते की मौत और समोसे खाना सुरु कर देती है।
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रुइया कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स का पहला दिन था राज़ के पहले दिन से कॉलेज में एडमिशन के साथ नए नए दोस्त बन गए जिनमे कुछ लड़के थे कुछ लडकियां दोस्ती का दौर आगे बढ़ता गया पहले दोस्ती चाट चाउमीन तक सीमित थी फिर बियर व्हिस्की वोडका तक पहुंच गयी पहले सब कुछ क्लास में ही होता था जब टीचर नहीं होते थे तब रूम लॉक कर दिया जाता था इसके बाद आउटिंग का दौर सुरु हुआ घर में न जाने कितने बार पॉकेट से कंडोम के पैकेट पकडे गए टीचर्स ने भी रंगे हाँथ पकड़ा पेरेंट्स को बुलाया गया डाँटभी पड़ी मगर अंजाम कुछ नहीं निकला जोश ए जवानी आखिर जीत ही गयी कुछ गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड बन गए कुछ बस ट्राई मारते रह गए , कुछ का दिल टूटा तो कुछ गुल ए गुलज़ार हो गए बस इसी कश्मकश में जूझता राज़ जाने कब २ साल निकाल देता है और क्लास के अंतिम ईयर में उसे भी श्रुति से प्यार हो जाता है , श्रुति उसे प्यार करती है या नहीं ये उसे भी नहीं पता है मगर श्रुति के एक इशारे पर राज़ ज़रूर अपनी जान दे सकता है ये बात सारे कॉलेज को पता थी , लोनावला का ट्रिप है कॉलेज के सभी लड़के लडकियां बस में बैठ चुके थे राज़ अपनी सीट पर अकेला बैठा हुआ था , गाड़ी चल चुकी थी श्रुति अपनी सहेलियों के साथ पीछे बैठी हुयी थी तभी श्रुति की सहेलियां कहती है देख राज़ अकेला बैठा हुआ है , जा चली जा उसके पास श्रुति राज़ के पास आती है और राज़ से पूछती है अकेले अकेले म्यूजिक सुन रहे हो , और राज़ के आई फोन का ईयरबड्स निकाल का एक हिस्सा निकाल कर अपने कान में लगा लेती है , और राज़ का हाँथ अपने हाँथ में लेकर दोनों बातें करने लगते हैं और बातों बातों में श्रुति राज़ से कहती है अपना ब्लूटूथ ईयरबड्स देना ज़रा गाना सुनना है राज़ दोनों ब्लूटूथ ईयरबड्स निकाल कर श्रुति को दे देता है , इसके बाद श्रुति अपनी सहेलियों के पास जाकर बैठ जाती है , और लोनावला पहुंचने पर वो अपनी सहलियों के साथ बस से उतर जाती है इसके बाद न उसे ही ब्लूटूथ ईयरबड्स लौटाने का ध्यान रहता है न ही राज़ उससे मांगता है ,
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और दूसरे दिन सुबह की वाक के बाद जब सभी लड़के लडकियां होटल के रूम में आराम कर रहे होते हैं , श्रुति राज़ के रूम आ धमकती है वो राज़ से कहती है मुझे तुम्हारा वाश रूम उपयोग करना है राज़ कहता है क्यों नहीं श्रुति को आया देख कर राज़ के सभी दोस्त एक एक करके वहाँ से जाना सुरु कर देते हैं , और जाते जाते रूम का दरवाज़ा बंद करके चले जाते हैं , श्रुति जब वाशरूम से बाहर निकलती है राज़ को अकेला पाकर उससे लिपट जाती है , और अपने होंठ राज़ के होंठ में रख कर उन्हें चूमना सुरु कर देती है श्रुति के यकायक अटैक से राज़ घबरा जाता है वो श्रुति को बाहों में कसके जकड़ लेता है राज़ के हाँथ श्रुति के जिस्म पर किसी नाग की तरह लिपटे जा रहे थे श्रुति भी कामाग्नि में पूरी तरह जल रही थी ,वो बौखलाई नागिन की भाँती राज़ पर टूट पड़ती है दोनों मदहोश एक दूसरे में समां जाने के लिए आतुर थे तभी राज़ के हाँथ श्रुति के स्कर्ट को ऊपर उठा लेते हैं , श्रुति थोड़ा झिझकती है राज़ उसकी शर्म ओ हयाको बरकरार रखता हुआ उसकी ड्रेस को यथावत कर देता है और अपने आप में काबू रखकर श्रुति को उसके हाल में छोड़ देता हैं , श्रुति निढाल होकर बेड पर गिर जाती है अभी उसकी काम की ज्वाला शांत नहीं हुयी थी वो राज़ को इस तरह से देख रही थी की जैसे वो वो उसे कच्चा चबा जाएगी , मगर सामाजिक बंधनो में बंधा हुआ राज़ मर्यादा की सीमाओं को नहीं लांघता है और राज़ की इस हरकत पर श्रुति उसके ऊपर बहुत नाराज़ हो जाती और रूम से निकलते वक़्त राज़ की कैप उठा कर अपने सर पर लगा लेती है और जैसे ही हाँथ राज़ के चश्मे की तरफ बढाती है राज़ चश्मे को अपनी तरफ खींच लेता है श्रुति का गुस्सा और डबल हो जाता है और वो गुस्से में वहां से निकल जाती है ।
सभी को बाय करता है वो श्रुति को भी बाय करता है ,श्रुति गुस्से से कहती है , एक बार बाय बोल दिया न अब क्या गले लग के विदाई दूँ ,ये देखकर राज़ हंस देता है परमिंदर उदास होकर बस से उतर जाता है , उसके दोस्त उसे सांत्वना देते हैं भाई एक दिन ये फुलझड़ी ज़रूर तेरी बाहों में होगी और जो ये राज़ तुझे देखकर हंस रहा है एक दिन तेरे नाम को रोयेगा बहन,,,,, उस दिन हम जश्न मनाएंगे ,
दिन गुज़रते जाते हैं फर्स्ट ईयर सेकंड ईयर कब निकल जाता है कुछ पता ही नहीं श्रुति और राज़ की मोहब्बत के चर्चे परवान चढ़ रहे थे धीरे धीरे परविंदर भी राज़ और श्रुति से दोस्ती बढ़ाने में लग जाता है वो महँगे महँगे रेस्टॉरेंट में सबको पार्टियां देता है श्रुति को महँगे महँगे गिफ्ट लाकर देता है श्रुति भी अब उसे पसंद करने लगी थी , यहां राज़ श्रुति की अपनी मम्मी से वीडियो कॉलिंग में बात करवाता है और कहता है देख माँ बहू मिल गयी , श्रुति भी बड़ी नम्रता के साथ मम्मी जी नमस्ते करती है और उनके द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देती है श्रुति की प्यारी प्यारी रस भरी बातों से राज़ की माँ मंत्रमुग्ध हो जाती है , और मन ही मन वो उसे अपनी बहू मान लेती है , राज़ श्रुति के प्यार में कावला बावला होने लगता है एक दिन ग्राउंड में घूमते वक़्त राज़ जीजा जी की श्रुति से बात करवाता है , श्रुति की शक्ल देखते ही राज़ के जीजा जी कहते हैं ये लड़की शराब पीती है न , शक्ल से समझ में आ रहा है , और तू पहले मीठी सुपाड़ी खाता था फिर पान मसाला खाने लगा और अब गुटखा कुछ दिन बाद तू शराब पियेगा , बंद कर इस लड़की का चक्कर बर्बाद कर देगी तुझे घर बिकवा देगी तेरा , जीजा की बात पर राज नाराज़ हो जाता है , गुस्सा होकर चला जाता है , वक़्त गुज़रता जाता है राज़ परमिंदर श्रुति और कुछ दोस्त गोवा ट्रिप का प्लान बनाते हैं सबमे पैसों का कंट्रीब्यूशन होता है श्रुति का खर्चा राज़ ही देता है , लड़कियों के लिए अलग कार की व्यवस्था की जाती है , उसमे वोडका और बियर का इंतज़ाम पहले से किया जाता है मुंबई से रवाना होते ही सभी शराब पीना सुरु कर देते हैं , गोवा पहुंचने तक लड़कियों की हालत बहुत ख़राब हो जाती है। शराब अधिक पीने की वजह से लड़कियों को उलटी सुरु हो जाती है रास्ते में कई बार उलटी करने के बाद लड़कियों की कार आखिर में गोवा पहुँचती है डिनर के बाद रेस्टॉरेंट में देर रात जब सभी सोने पहुंचते हैं तो राज़ को लगता है की श्रुति उसके पास आएगी मगर ऐसा कुछ नहीं होता , श्रुति गर्ल्स के साथ सो जाती है , राज़ को लगता है रास्ते भर में हुयी उलटी की वजह से शायद कमज़ोरी ज़्यादा हो गयी थी इसलिए श्रुति उसके पास नहीं आई ,
गोवा ट्रिप से ही श्रुति ने राज़ से दूरी बनानी सुरु कर दी थी फिर भी राज़ ने श्रुति की शराब सिगरेट होटल का रुकना खाना पीना सब हँसते हँसते वहन किया , गोवा से आने के बाद श्रुति धीरे धीरे राज़ को अवॉयड करना सुरु कर देती है राज़ बोलता है इतना कहाँ बिजी रहती हो जानेमन वो जवाब में कहती है पेपर्स की तैयारी में लगी हूँ राज़ कहता है ओके पढ़ाई में ध्यान दो , श्रुति कहती है हाँ कुछ दिनों बाद तो मैं तुम्हारे पास हमेशा के लिए आ जाऊंगी अच्छा एक बात बताओ तुम्हारा बीमा है क्या राज़ कहता है नहीं है श्रुति कहती है कोई बात नहीं मैं आऊंगी तो करवा दूँगी , राज़ ओके बेबी कहता है श्रुति कहती अब मैं फोन रखूँ राज़ कहता है ओके जा सिमरन जी ले अपनी ज़िन्दगी , श्रुति कहती है दिलवाले दुल्हनियाँ ले जायेंगे का डायलाग मार रहे हो राज़ राज़ है बुढ़ापे का इश्क़ है कुछ तो रंग लाएगा श्रुति कहती है बुड्ढे होंगे तुम मैं नहीं और फोन काट देती है , राज़ और श्रुति के घर में शादी की तैयारियां चलनी सुरु हो जाती है , राज़ कई बार श्रुति को फोन लगाता है मगर श्रुति फोन नहीं उठाती है फिर एक दिन श्रुति का फ़ोन आता है राज़ कहता है और बताओ तैयारियां कैसी चल रही है श्रुति कहती है बढ़िया मेरी तो सब तैयारी हो गयी हैं , देखो मुझे हॉलमार्क वाले गहने चाहिए शादी में मैं ओल्ड मॉडल गहने नहीं पहनती राज़ कहता है शादी की शॉपिंग मम्मी और दीदी करेगी , तुम परेशान मत हो , वो जो भी लेगी अच्छा ही होगा , श्रुति फ़ोन काट देती है दूसरे दिन श्रुति कहती है मुझे मेरे कपड़ों की शॉपिंग करवा दो , मुझे ब्रांडेड कपडे चाहिए , राज़ कहता है ऐसा है वो शॉपिंग भी मम्मी और दीदी ही करेगी श्रुति राज़ का जवाब सुनकर चिढ जाती है , फिर कई दिनों तक राज़ को न फ़ोन करती है नहीं राज़ के फ़ोन का जवाब देती है , फिर एक दिन शाम को वो राज़ को फ़ोन में वीडियो कॉल करती है और बात को बीच में ही काट कर फ़ोन परमिंदर के हाँथ में दे देती है राज़ सामने परमिंदर को देख कर हक्का बक्का रह जाता है , तभी परमिंदर राज़ से कहता है और बता बेटा कैसा है तू तेरी छम्मक छल्लो तो तेरे हाँथ से चली गयी ,
साथ कॉलेज में धावा बोल देता है परमिंदर क्लास में बैठा श्रुति के हँस हँस के बातें कर रहा था , राज़ के एक शॉट में परमिंदर की नाक टूट जाती है वो लहू लुहान फर्श पर गिर जाता है , तभी श्रुति दौड़ती दौड़ती आती है और परमिंदर का सर अपनी गोद में रख कर दहाड़ मार् मार कर रोने लगती है और राज़ से कहती है आई हेट यू नफरत करती हूँ मैं तुमसे , क्यूँ मारा तुमने मेरे परमिंदर को श्रुति की बात सुनकर राज़ बहुत हर्ट होता है , और गुस्से में वो साथियों के साथ वहां से निकल जाता है और सीधा बार में जाकर शराब पर शराब पीता जाता है , और रोते हुए अपने दोस्तों से कहता है हार गया यार मैं क्या कुछ नहीं किया इस लड़की के लिए और इसने मुझे धोखा दे दिया , नहीं जीना है मुझे अब मैं मर् जाऊँगा दोस्त समझाते हैं , लडकियां आती जाती रहती हैं पागल मत बन जीवन अमूल्य है अपने माँ बाप के बारे में सोच , कोई गलत कदम मत उठाना , और समझा कर उसे घर छोड़ आते हैं मगर प्यार में चोट खाया हुआ राज़ खुद पर काबू नहीं रख पाता है और रूम में लगे पंखे पर फाँसी में झूल जाता है , और इसी के साथ उसके जीवन की इहलीला समाप्त हो जाती है ,
6 month later ,
श्रुति और परमंदिर की सगाई है रिंग सेरेमनी चल रही है परमिंदर श्रुति को रिंग पहनाता है लेकिन जैसे ही श्रुति परमिंदर को रिंग पहनाती है रिफ्लेक्टर्स में आग लग जाती है सभी रिफ्लेक्टर्स धू धू करके जलने लग जाते हैं , किसी तरह फायर फाइटिंग की मदद से आग पर काबू पाया जाता है , और बड़ी मुश्किल से श्रुति और परमिंदर को वहाँ से बचा के निकाला जाता है , लेकिन इस हादसे में राज़ का हाँथ का है श्रुति समझ जाती है की ये सब राज़ की आत्मा कर रही है उसे कम से कम एक साल तक शादी नहीं करनी चाहिए थी , वो परमिंदर को शादी के लिए मना करती है परमिंदर कहता है ये सिर्फ तुम्हारे मन का वहम है स्वीट हार्ट मुर्दे कभी रिवेंज नहीं लिया करते बदला तो मैंने लिया है तुम्हे उससे छीन कर और खींच कर श्रुति को अपने सीने से लगा लेता है और श्रुति की गर्दन पर किश करने लगता है , तभी खिड़की के कांच छन् की आवाज़ से चिटक जाते हैं और टूटकर फर्श पर बिखर जाते हैं , श्रुति डर कर परमिंदर के सीने से अलग हो जाती है , तभी लाइट्स बंद हो जाती है और तेज़ तूफ़ान आ जाता है परमिंदर अपनी कार में वहाँ से निकलता है रोड पर लगी हाईटेंशन वायर पर ज़बरदस्त चिंगारी उठती है परमिंदर कार में ब्रेक लगाता है तेज़ ब्रेक के कारण कार एक भयानक चिंघाड़ की आवाज़ के साथ रुक जाती है , तभी कार के सामने से म्याऊं की आवाज़ के साथ बिल्ली गुज़र जाती है , और बिल्ली के गुज़रते ही परमिंदर की कार तेज़ रफ़्तार के साथ वहाँ से गुज़र जाती है , परमिंदर की कार के गुजरने के बाद राज़ का अक़्श प्रकट होता है वो ज़ोर ज़ोर से हँसता है और कहता है मारने को तो मैं तुझे अभी मार देता मगर में तुझे अकेले मरता नहीं देखना चाहता , मरोगे तो दोनों साथ मरोगे , और हँसता हुआ हवा में ग़ायब हो जाता है ,
शादी का दिन फूलों से सजी हुयी कार दूल्हा बने परमंदिर को लेकर दौड़ी जा रही है तभी ब्रेकर में कार थोड़ा जम्प लेती है और कार के बोनट में लगा फूलों का गुलदस्ता गिर कर रोड में आ जाता है तभी रास्ते में चल रहा एक युवक ड्राइवर को कहता है भाई साहेब आपका गुलदस्ता गिर गया है कार से ड्राइवर उतर कर गुलदस्ता उठाता है और कार की पिछली सीट में रख देता है परमिंदर ड्राइवर को चिल्लाता है कैसी सजवाये हो गाड़ी बे रास्ते में ही सब कुछ निकलने लग गया , ड्राइवर कहता है कुछ नहीं साहेब जी सेलो टेप गड़बड़ आर हे हैं आजकल इसी कारण गुलदस्ता उड़ गओ , परमिंदर कहता है अपने पिछवाड़े को अच्छे से चिपका लेना भोस,,,,, कहीं हवा के झोकों के साथ तुम भी हवा में न उड़ जाना , ड्राइवर कहता है भैया जी आप भी न बहुतै मजाकिया हैं , द्वार चार के बाद जयमाला का कार्यक्रम सुरु होता है , जय माला के वक़्त परमिंदर की माला टूट जाती है , फेरों के वक़्त तेज़ तूफ़ान के साथ बारिश हो जाती है जिससे हवन कुंड की आग बुझ जाती है आग से उठते धुएं के बीच ही परमिंदर और श्रुति के फेरे करवा दिए जाते हैं किसी तरह रो धोकर परमिंदर और श्रुति की शादी हो जाती है , अब दूसरे दिन दोनों हनीमून के लिए मनाली रवाना हो जाते हैं , फ्लाइट के बाद परमिंदर सेल्फड्राइविंग कार बुक करता है , दोनों कार से घूमने के लिए निकल जाते हैं बाजू वाली फ्रंट सीट में बैठी श्रुति परमिंदर की जांघ में हाँथ रख देती है और जोश ही जोश में परमिंदर कार की रफ़्तार और तेज़ कर देता है अचानक सामने कोहरा आ जाता है और कुछ ही देर में सब कुछ दिखाई देना बंद हो जाता है , परमिंदर को कुछ समझ में नहीं आता है अचानक सामने सरिया से लदा एक ट्रक खड़ा दिखाई देता है परमिंदर कुछ कर पता इससे पहले ही कार सीधा ट्रक में घुस जाती और ट्रक में लदी सरिया कार के अगले सीसे से सीधा घुस कर श्रुति और परमिंदर के जिस्म को छेदती हुयी पिछले सीसे से बाहर निकल जाती है और दोनों को तड़पने का भी मौका नहीं मिलता है तभी राज़ की आत्मा वहां प्रगट होती है , और सरिया में लगे ब्लड को अपने हाँथ से पोछती हुयी कहती है बोले था न मेरी मौत जाया नहीं जाएगी , और हँसता हुआ राज़ वहाँ से ग़ायब हो जाता है ।
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]]>शहडोल से जबलपुर रोड पर एक लाल रंग की कार लगभग ८० की रफ़्तार में दौड़ी जा रही है , सामने फॉरेस्ट चौकी पर बैठा फॉरेस्ट गार्ड कहता है मरेंगे साले आज इनकी मौत इन्हे यहां खींच कर लाई हैं , अभी कार लगभग ५० किलो मीटर ही चली होगी और जंगल सुरु होते ही कार अचानक पंक्चर हो जाती है , कार में २ कपल सवार है , दोनों कपल कार से बाहर निकल कर देखते हैं , और कार की हालत देख कर कहते हैं ओह शिट उफ़ कार को भी अभी पंक्चर होना था , बोलकर टायर बदलने में लग जाते हैं , एक लड़की झाड़ियों में टॉयलेट के लिए चली जाती है , तभी एक चीख गूंजती है लड़की की चीख सुनकर सभी झाड़ियों की तरफ दौड़ते हैं सामने का दृश्य अत्यंत भयावह था , वहाँ लड़की की सर कटी लाश पड़ी होती है , सभी वापस आकर एक बार पुनः टायर बदलने में लग जाते हैं , तभी टायर बदल रहे लड़के के सर पर एक भयानक दरिंदा रॉड से हमला करता है हमला इतना तेज़ था की लड़के का सर फटकर वही तरबूज की तरह बिखर जाता है , बचा एक कपल जंगल की तरफ भागता है और उन दोनों की चीख के साथ सारा जंगल एक बार पुनः गुंजायमान हो जाता है ,
cut to ,
शाम का वक़्त मायूसी से घिरा हुआ है गुटखा का पाउच हिलाता हुआ छुट्टन यही सोच रहा है की आजकल धंधा धेले भर का नहीं होता है , ऊपर से उधारी वाले देने का नाम नहीं ले रहे हैं , लोहा का दाम दिन दूना रात चौगुना चढ़ रहा है , लगन का सीजन भी बीता जा रहा है और इस बेरोज़गारी के आलम में शादी करेगा कौन बस इसी आस में दिन तो गुज़र जाता है मगर रात कटाये नहीं कटती है , ऊपर से रूस यूक्रेन का युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है कहीं विश्व युद्ध न हो जाए और उसकी हार्डवेयर की दुकान न बंद हो जाए बस इसी सोच में छुट्टन डूबा हुआ अभी गुटखा की एक पीक थूका ही था की , सामने ब्लैक कलर की डस्टर आकर रुक जाती है ,
जिसमे से उतरते हैं दादा राजवीर सिंह , और उनके साथ कुछ टुच्चे टाइप के गुंडे , जो दादा राजवीर अर्थात रज्जू भैया की जी हज़ूरी में हमेशा मसगूल रहते हैं , मजाल है की रज्जू दादा की शेरवानी तो छोड़ो मोजरी में गुटखे की पीक पड़ जाए रज्जू दादा के चमचे चम्मचा गिरी में इतने दक्ष थे की जूती भी जीभ से चाट कर साफ़ करने के लिए तत्पर रहते हैं , रज्जू दादा को देखते ही छुट्टन कुर्सी से उठकर खड़ा हो जाता है , और सलाम दादा करके किनारे खड़ा हो जाता है , छुट्टन दो कुर्सी उठाता हुआ रज्जू दादा के पास लाता है और रज्जू दादा के चमचे भी अपने लिए कुर्सियां जुगाड़ करने में लग जाते हैं , कुछ ही देर में रज्जू दादा के मोबाइल की रिंग बजना सुरु होती है सभी मित्र मंडली लोकेशन राइट करते हुए रज्जू दादा की सेवा में ठीहे पर पहुंचने लगते हैं और देखते ही देखते स्कार्पियो , बोलेरो, थार , फॉर्चूनर, सफारी की लाइन लग जाती है , तभी बात आगे बढ़ती है और बात ही बात में पार्षदी के चुनाव का प्रशंग छिड़ जाता है , तभी रज्जू का एक चमचा मक्खन पॉलिश करता हुआ कहता है , रज्जू दादा की जीत निश्चित है , रज्जू दादा कहते हैं बकवाश बंद करो बे क्षेत्र में काम करना पड़ेगा मोहल्ले का विकाश करना पड़ेगा , पहले बुजुर्गों के सामान के लिए एक सभा का आयोजन करना पड़ेगा , उसमे उन एक श्रीफल और एक एक शॉल का वितरण किया जायेगा , और इस सबकी व्यवस्था लल्लन और उनकी प्रॉपर्टी डीलिंग वाली गैंग करेगी , और हाँ इस बार लौंडिया बाज़ी वाला कोई मैटर नहीं होना चाहिए पिछली बार महिला सम्मान के आयोजन में कितनी मालबाज़ी किये थे तुम लोग मुझे पता है , तभी एक चमचा कहता है , इलाहाबाद से पतुरिया मगाएगे दादा , रज्जू कहता है हाँ मादर,,, इसके बाद बस मुजरा होना बाकी रह गया है , दारु के अलावा कुछ भी नहीं होगा ,
चुनाव लड़ने में भी नहीं किये होंगे , तुमको का हुआ बे छुट्टन काहे मुँह लटकाये बैठे हो , अपने एक छर्रे मोनू की तरफ़ इशारा करते हुए रज्जु भैया कहते हैं तुम छुट्टन को झुका के इसकी गां ,,,, में एक लात नहीं मार सकते हो का बे , मोनू कहता है छोटा भाई है अपने भाई के साथ कोई ऐसा करता है दादा , रज्जु भैया उठते हैं और छुट्टन को अपने गले लगाते हुए कहते हैं , यही प्रॉब्लम तो हमारे साथ भी है की छुटटन को हम अपनी जान से ज़्यादा चाहते हैं , और छुट्टन के गाल में प्यार भरी थपकी देते हुए कहते हैं , ये हमारा छुट्टन बड़ा हरामी है वो तिवारी की बिटिया को लाइन मारता है , और तिवारी को ही चमका दिया लौंडिया तो अंडरग्राउंड हो गयी तिवारी का रास्ते से निकलना भी मुश्किल कर रखा है छुट्टन ने , छुट्टन मुस्कुराता हुआ कहता है , कैसी बात करते हैं रज्जु भैया वो हमारे लिए गुंडे लेकर आई थी बहन ,,, रज्जु कहता है लड़की को गाली काहे देते हो बे जिसकी गां ,,, में दम होगा वो पटा के ले जायेगा वैसे भी तुम्हारी लौंडिया बाज़ी के चक्कर में कितने लौंडों की बजा चुके हैं हम , छुट्टन कहता है आप क्या बजाये हो रज्जु भैया बजाए तो हमारी प्रभु दयाल ने है , १ लाख लेकर कब से बैठा है देने का नाम नहीं ले रहा है , रज्जु दादा फ़ौरन प्रभुदयाल को फोन लगा देते हैं , और प्रभु को बोलते हैं न बे प्रभु इलाके में तुम दो दो प्रॉपर्टी बेच दिए और हमारा कमीशन अभी तक हमारे पास नहीं पंहुचा देखो कल होली है या तो तुम आजाओ हमारे पास चुप चाप रूपया लेकर नहीं तो अगर हम आये तुम्हारे पास तो बहुतै बुरा होगा , फटी के आलम में प्रभुदयाल कहता है जी दादा कल हम खुदई आपकी सेवा में हाज़िर हो जायेगे , रज्जु दादा पूछते हैं कितने समय तक आ जाओगे प्रभुदयाल कहता है दादा दोपहर तक , रज्जु दादा ठीक है बोलकर फोन काट देते हैं , और छुट्टन को कहते हैं अब देखो कैसे हम इनकी मैया ,,, हैं कल , और तुम्हारा भी हिसाब किताब करा देंगे हाँथो हाँथ ,
cut to ,
दोपहर का वक़्त होली का दिन छुट्टन की दुकान के सामने रज्जु दादा के पुलिस के साथ चमचों का जमावड़ा लगा हुआ है , जाम पर जाम छलक रहे हैं , तभी रज्जु दादा प्रभुदयाल को फोन लगा देते हैं , और कहते हैं कैसे हो बेटा प्रभुदयाल तुम्हे कहे रहे न आज हमारी सेवा में हाज़िर होना है प्रभु कहता है जी दादा बस आही रहा हूँ रास्ते में हूँ , रज्जु दादा कहते हैं तुम जहां हो वहीँ रुको हम अभी आते हैं और हॉकी रोड लेकर मुस्टंडे डस्टर में सवार हो जाते हैं , प्रभुदयाल रास्ते में ही मिल जाता है और गाड़ी खड़ी करते ही प्रभु दयाल के ऊपर दो चार डंडे पड़ जाते हैं कराहता हुआ प्रभु दयाल सड़क पर लोटने लगता है , रज्जु दादा उसे मारने के लिए आगे बढ़ते हैं मगर छुट्टन बीच में ही रज्जु दादा को रोक लेता है। और कहता है जाने दीजिये बेचारे को भाई है अपना , प्रभुदयाल भी हाँथ जोड़ता हुआ फ़ौरन रज्जु दादा का कमीशन जेब से निकालता है , और उनके हाँथ में रख देता है रज्जु दादा कहते हैं ये तो हमारा पैसा हुआ और छुट्टन का भी एक लाख तुम पेले हुए बैठे हो वो कौन लौटाएगा बे , प्रभुदयाल फटी के आलम में फ़ौरन छुट्टन का अकाउंट नंबर लेकर पैसा ट्रांसफर करता है , छुट्टन कहता है यही काम अगर प्रभु भैया आप प्यार से कर देते ये मार पिटाई की नौबत ही नहीं आती , और प्रभुदयाल के ऊपर थूकते हुए सभी वहाँ से निकल जाते हैं , कार में बैठने के बाद रज्जु दादा कहते हैं आज बहुत माल आ गया है अब बस मालबाज़ी की जाएगी , छुट्टन कल तुम सुबह तैयार रहना हम शहडोल जायेगे फिर हम वहाँ से जबलपुर चलेंगे , छुट्टन कहता है कोई ख़ास व्यवस्था है क्या दादा रज्जु कहता है तुम देखते जाओ बस , और मुस्कराहट के साथ गाड़ी आगे बढ़ा देते हैं। सुबह सुबह का वक़्त छुट्टन फ़ौरन तैयार होकर रज्जु दादा के गेट पर हॉर्न बजाना सुरु कर देता है , रज्जु दादा आंख मीजते हुए दरवाज़ खोलते हैं और छुट्टन को बोलते हैं रात भर नींद नहीं आई का बे छुट्टन , जवाब में छुट्टन मुस्कुरा देता है , और बेंच पर पड़ा हुआ अखबार पढ़ने में व्यस्त हो जाता है , इधर रज्जु दादा भी तैयार हो जाते हैं , और रज्जु दादा की गाडी शहडोल के लिए रवाना हो जाती है , रास्ते में रज्जु दादा दोनों लड़कियों को फोन लगाते हैं , और जबलपुर में होटल के दो कमरे बुक करते हैं , लगभग ४ घंटे की यात्रा के बाद दोनों शहडोल पहुंच जाते हैं , थोड़ा देर रुकने के बाद रज्जु और छुट्टन अपनी अपनी आइटम के साथ जबलपुर के लिए रवाना हो जाते हैं ,
में शहडोल से जबलपुर के लिए रवाना हो जाती है , लगभग ५ से ६ घंटे के सफर के बाद कार जबलपुर पहुंच जाती है , दोनों आज जबलपुर घूमने के मूड में नहीं है डिनर के बाद दोनों होटल के अपने अपने रूम में घुस जाते हैं , रूम ख़ास कपल के लिए डेकोरेट किया गया है बेड पर जाते ही सुमन जन्मों की भूखी शेरनी की तरह रज्जु पर टूट पड़ती है , रज्जु दादा भले अपने रीवा रियासत के शेर रहे हों मगर शहडोल की जंगली शेरनी के सामने आत्मसमर्पण कर देता है , इधर थका हुआ छुट्टन भी जवानी के खेल की बाज़ी में हार नहीं मानता है , मगर अभी मोनिका भी कमज़ोर खिलाड़ी नहीं थी वो छुट्टन जैसे सुकुमार कोमलांगी नवयुवक का शिकार करने में बेहद माहिर थी रात के २ राउंड के गेम के बाद छुट्टन का थका हुआ जिस्म जवाब दे देता है , अब वो और यौवन के खेल खेलने में अपनी असमर्थता ज़ाहिर कर देता है , और थक हार कर बिस्तर में लेट जाता है , मोनिका फिर भी ज़बरदस्ती उसके जिस्म को नोचती खसोटती रहती है और इसी कश्मकश में रात गुज़र जाती है , सुबह जब आँख खुलती है तब दोनों जोड़े अपने आपको तरो ताज़ा महसूस करते हैं और तगड़े जिस्मानी मिलाप के बाद शॉपिंग उसके बाद भेड़ाघाट जाने की प्लानिंग बनती है , रास्ते में लंच होता है भेड़ाघाट के खूबसूरत नज़ारों के बीच दोनों कपल तरह तरह के पोज में फोटो शूट करते हैं , कुछ रोमांटिक किसिंग सीने के वीडिओज़ बनाये जाते हैं इसी तरह मौज मस्ती में लगभग शाम के ४ बज जाते हैं ,
इसके बाद वो वहीँ से सीधा शहडोल के लिए रवाना हो जाते हैं , लगभग २ घंटे की यात्रा के बाद घनघोर जंगल सुरु होता है जहां पर मोबाइल में नेटवर्क मिलना बंद हो जाता है जिसके कारण कार का जी पी एस सिस्टम काम करना बंद कर देता है , और कुछ ही देर में गाडी का एक टायर धड़ाम की आवाज़ के साथ फूट जाता है , डर के मारे मोनिका छुट्टन के सीने से चिपक जाती है छुट्टन भी मौके का पूरा फायदा उठाते हुए मोनिका को अपनी बाहों में कसके जकड लेता है इधर सुमन का भी मन करता है की लपक कर रज्जु की बाहों में सिमट जाए , मगर रज्जु की ड्राइविंग सीट में बैठे होने की वजह से गियर लीवर बीच में आ जाता है , और सुमन अपने अपने आप में तड़प कर रह जाती है , मोनिका कहती है छोड़ो भी जीजा जी औरजीजी देख लेंगे तो क्या कहेगे मगर रज्जु मोनिका की बात सुन लेता है और छुट्टन को बोलता है तुम साले कार में भी बस चूमा चाटी करोगे या गाड़ी से उतर कर टायर बदलने में भी मदद करोगे , चलो डिग्गी से टायर निकालो जल्दी , छुट्टन मजबूरी में मोनिका को अपनी आगोश से अलग करता हुआ जी दादा बोलता है और डिग्गी के पास जाकर एक ज़बरदस्त जोहाई लेता है तभी कार की डिग्गी के ऊपर से एक हिरण का कटा हुआ सर धड़ाम से गिरता है , छुट्टन की चीख निकल जाती है , रज्जु फ़ौरन टॉर्च और रिवॉल्वर लेकर छुट्टन की तरफ दौड़ता है और डिग्गी पर हिरण का कटा हुआ सर देखकर ऊपर पेड़ पर टॉर्च की लाइट मारता है ऊपर तेंदुआ टॉर्च की लाइट के प्रकाश के कारण गुस्से से गुर्राता है वो रज्जु पर झपट्टा मारता उसके पहले ही रज्जु उस पर गोली दाग देता है गोली की आवाज़ सुनकर तेंदुआ कूंद कर जाने कहाँ झाड़ियों में गुम हो जाता है ,
जाती है , रज्जु दादा जैसे तैसे कार स्टार्ट कर चलना सुरु करता है , तभी एक पेड़ की डाल टूटकर कार के बिल्कुल सामने आकर गिरती है रज्जु कहता है ये क्या है बहन चो,,, छुट्टन कहता है दादा अब हमें यही चुपचाप कार में बैठ कर तूफ़ान थमने का इंतज़ार करना पड़ेगा , इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है , रज्जु कहता है वो तो ठीक है मगर खुदा न खास्ता अगर हांथियों का हमला हुआ तो कार के साथ साथ हमारा भी कचूमर बन जायेगा , अभी तो फिलहाल तूफान के थमने का इंतज़ार करने के अलावा कोई रास्ता है , कार के अंदर दुबकी मोनिका छुट्टन को देखकर मुस्कुरा रही थी , वो धीरे धीरे अँधेरे का फायदा उठाते हुए छुट्टन की जांघ पर हाँथ रख देती है और धीरे धीरे हाँथ को ऊपर की तरफ बढ़ाना सुरु करती है , तभी रज्जु दादा कहते हैं लाइटर तुम्हारे पास है न छुट्टन , छुट्टन जी दादा कहता है और मोनिका का हाँथ हटाता हुआ ज़रा रुक जा हवस की पुजारिन जीन्स की जेब से लाइटर निकाल कर रज्जु दादा को देता है , रज्जु कार में ही सिगरेट के छल्ले उड़ाना सुरु कर देता है ,
थोड़ी देर में तूफ़ान थम जाता है , रज्जु और छुट्टन कार से उतर कर पेड़ की डाल को किनारे करते हैं , तभी जंगल से कुछ भयानक आवाज़ें सुनायी देती हैं , कुछ ही दूरी पर सामने से एक लड़की दौड़ी चली आ रही है और उसके पीछे बहुत सारे भेड़िया पड़े हुए हैं ये लड़की लाल वाली कार से निकल कर जंगल की तरफ भागे कपल वाली लड़की है , रज्जु आव देखता है न ताव भेड़ियों के झुण्ड पर तड़ा तड गोली चलाना सुरु कर देता है २ -३ भेड़िये वहीँ ढेर हो जाते हैं रज्जु और छुट्टन फ़ौरन उस लड़की को कार के अंदर बिठा देते हैं और कार को चारों तरफ से लॉक कर देते हैं , भेड़ियों का झुण्ड गुस्से से उन्हें घूरता रहता है कार चालू होने की वजह से कोई कार के पास आने की हिम्मत नहीं कर पाता है , लड़की अपनी आप बीती सुनाती है की कैसे उसके साथियों को एक एक करके मार डाला गया , और वो ये भी कहती है की गाडी तुरंत यहां से निकाल लो , वरना यहां के वहशी कबीले हम सब को मार डालेंगे , उनके पास कई नर भक्षी सैतान भी हैं जो इंसान को ज़िंदा खा जाते हैं , लड़की की बात सुनकर मोनिका और सुमन की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है उनका जोश ए जवानी का भूत जाने कहाँ ग़ायब हो जाता है , अभी कार कुछ दूर ही आगे बढ़ी थी की कबीले के कुछ सदश्य उन्हें घेर लेते हैं , और हो हो की भयानक आवाज़ें निकालने लगते हैं , रज्जु का दिमाग घूम जाता है रज्जु कार की स्पीड बढ़ा देता है और कबीले की सदस्यों को उडाता हुआ आगे बढ़ता जाता है , तभी एक सदश्य कार के बोनट पर चढ़कर लकड़ी के डंडे पर बंधे कटीले हथियार से कार के सीसे पर वार करता है , कार का सीसा चटक जाता है , रज्जु का भेजा और गरम हो जाता है , रज्जु अपनी रिवॉल्वर एक बार पुनः लोड करता है और उन लोगों पर फायरिंग सुरु कर देता है , कार की तेज़ रफ़्तार में अचानक ब्रेक लगने से बोनट पर बैठा हुआ सदश्य उचक कर रोड के किनारे जा गिरता है , रज्जु कार की रफ़्तार फिर बढ़ा देता है,
तभी जाने कहाँ से एक नरभक्षी कार के ऊपर आ जाता है , और दरवाज़ा खोल लेता है , और ज़ख़्मी लड़की को बाहर खींचने की कोशिश करने लगता है मगर तभी रज्जु कार को एक पेड़ से सटा कर निकालता है और नरभक्षी उस पेड़ की चपेट में आजाता है और एक ही झटके में सीधा कार से दूर जा गिरता है इधर छुट्टन लड़की को कार के अंदर खींचता हुआ कार का गेट लॉक कर देता है , रज्जो कार की रफ़्तार फुल कर देता है और कुछ ही मिनटों में जंगल का एरिया ख़त्म हो जाता है , कार के जंगल से निकलते ही जंगल में एक बार फिर भयानक चीख गूँज उठती है , और चमगादड़ों का झुण्ड उड़ कर किसी और दिशा की ओर पलायन कर जाता है ,
इस घटना के बाद कार सीधा फॉरेस्ट चौकी पर जाकर रूकती है , सुबह के चार बज चुके थे आसमान में पंक्षी चहचहाने लगे थे , चौकी का गार्ड घोड़े बेचकर सोने में व्यस्त था , रज्जु और छुट्टन कार से उतर कर चौकी का गेट खटखटाते हैं , लग भग १० मिनिट की मशक्कत के बाद गार्ड आँख मींजता हुआ गेट खोलता है , और पूछता है क्या हुआ भाई रात भर जंगल में फंसे रहे क्या , रज्जु कहता है हाँ , गार्ड एक बार पुनः बोलता है और ज़िंदा बच गए , तभी उसकी नज़र कार में बैठी लड़कियों पर पड़ती है , गार्ड कहता है कोई लड़की वड़की का चक्कर है क्या राजू कहता है तुम अपने काम से काम रखो , गार्ड कहता है वो तो मैं रखूँगा ही तुम्हारी कार काली है इस लिए बच गए जंगल के कबीले वाले काल देव के पुजारी हैं इसलिए काली गाड़ी वालों को जान से नहीं मारते तुम लोग बहुत भाग्यशाली हो जो ज़िंदा बच कर आगये अभी कुछ दिन पहले एक लाल कार गयी थी, मगर जंगल में कहाँ ग़ायब हो गयी उसका आज तक कोई पता नहीं चला , रज्जु कहता है पानी मिलेगा क्या , गार्ड एक जग में पानी लेकर आता है , छुट्टन अपने पास रखी बोतल में पानी भरता है , और दोनों कार की तरफ बढ़ने लगते हैं गार्ड एक बार पुनः चौकी का गेट बंद करके अंदर सोने चला जाता है , रज्जु कहता है, घंटा काली कार की वजह से बचे हैं हम लोग , और अपनी रिवॉल्वर पर हाँथ फेरता हुआ कहता है अगर मेरी जाने मन न होती तो आज हम भी न होते , गार्ड झूठ बोलता है मादर,,,, और कार स्टार्ट करके वहाँ से रवाना हो जाते हैं । छुट्टन कहता है दादा अगली बार हम पचमढ़ी चलेंगे मोनिका और सुमन को लेके रज्जु कहता है चुप करो भोस,, अभी मरते मरते बचे हैं , अभी हो जाती जन्नत की सैर अब और कहीं नहीं मनाने जाना हनीमून जो होगा अब बस रीवा में होगा , और मोनिका और सुमन को शहडोल में उतार कर ज़ख़्मी लड़की को ले जाकर रीवा के हॉस्पिटल में भर्ती करा देते हैं।
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]]>ठण्ड की रात है मोहल्ले के बीचो बीच अलाव जल रहा है रज्जन और रमेश दो मित्र आग तापते हुए बैठे हैं रमेश कहता है भाई ठण्ड बहुत है कोई छोकरी मिल जाती तो ठण्ड कट जाती , रज्जन गाली देता हुआ बोलता है गा,,,, अब तुझे अगर इतनी ही ठण्ड लगती है तो तू शादी क्यों नहीं करवा लेता उस लकड़ी को अलाव के ऊपर रख आग ठंडी नहीं पड़नी चाहिए अब आग ही बची जिस्म को गरम रखने का इकलौता सहारा बाकी सब बेकार है सारी दुनिया बेवफा है साली और गाना गुनगुनाने लगता है गम दिए मुस्तकिल कितना नाज़ुक है दिल ये न जाना आये हाय ये ज़ालिम ज़माना , तभी धुंआ रज्जन की आँख में लगता है और रज्जन किनारे खिसकता हुआ रमेश के पास आजाता है , तभी रमेश कहता है तेरी सास बहुत चाहती है तुझे , रज्जन बोलता है यहां रंडापा कटाया नहीं कट रहा है और तू कहता है सास बहुत चाहती है और मुँह बिचकाता हुआ एक बार फिर अपनी जगह पर जाकर बैठ जाता है , तभी रज्जन के फ़ोन में रिंग बजती है रमेश कहता है देख बे आ गया तेरी आइटम का फ़ोन रज्जन धुएं की वजह से मुँह फेरता हुआ जीन्स की ज़ेबे में हाँथ डालता हुआ कहता है अब कौन मर गया , मादर,,,, तभी फ़ोन देख कर रज्जन का चेहरा खिल उठता है रज्जन के चेहरे की ख़ुशी देखकर रमेश पूछता है कौन है बे कोई आइटम है क्या , एक हाँथ से फोन का स्पीकर छुपाता हुआ रज्जन कहता है नहीं देवलौंद वाली भौजी का फोन है रज्जन कहता है हाँ भौजी क्या हाल है बहुत दिन बाद हमारी हमारी याद आई भौजी कहती है ऐसी बात नहीं है लॉक डाउन के बाद सब काम धंधा बंद हो गया है तुम्हारे भैया घर में रहते हैं इसलिए ज़्यादा टाइम घर पर ही देना पड़ता है ,
रज्जन पूछता है आज अचानक कैसे याद आ गयी हमारी, भौजी कहती है वो डिलीवरी होने वाली है न मेरी रज्जन कहताहै सब लॉकडाउन की रंगरलियों का परिणाम है , कोई दिक्कत होगी तो बताना रीवा संजयगांधी हॉस्पिटल से लेकर बिछिया हस्पताल तक हर जगह पहचान है अपनी एक नर्श है पहचान की गुढ़ें की है अच्छा व्यवहार है अपना , भौजी कहती है अगले महीने की डेट है , रज्जन कहता है कोई चिंता न करना जब डेट होगी बता देना आपका ये देवर कब काम आएगा , रज्जन थोड़ा लसकता हुआ अपनी जींस की ज़िप के ऊपर हाँथ टाइट करता हुआ कहता है भौजी ठंडी बहुत है शादी सुदा लोगों के तो मजे होते हैं भौजी भी मज़ा लेती हुयी कहती है कहाँ मज़ा रे मज़ा बस १५ दिन का रहता है इसके बाद सारी चुल्ल ख़त्म हो जाती है , रज्जन कहता है , भौजी कोई माल पटवाइये न , भौजी कैसी बहकी बहकी बात करते हो देवर जी , रज्जन एक बार फिर अपनी ज़िप एडजस्ट करता हुआ कहता है कोई लड़की न सही तो कोई भौजी ही पटवा दो , भौजी कहती है इतनी बेचैनी बढ़ रही है तो शादी काहे नहीं करे लेते हो , रज्जन कहता है हम जैसे बेरोज़गार से कौन शादी करेगा शादी तो नौकरी वालों की होती है , भौजी कहती है बाणसागर वाली के पास चले जाओ दोनों सहेलियों को तो फंसा रखे हो तुम , रज्जन ठंडी आह भरता हुआ कहता है हाँ सही याद दिलाई भौजी , तभी भौजी कहती है वो गए और फ़ोन काट देती है , रज्जन गाली देता हुआ इहौ बहन,,,,, खड़े में धोखा दे गयी , और फ़ोन को जेब में रख लेता है और रमेश को कहता है क्या हो गया बे तुझे रमेश मुस्कुरता हुआ कहता है कुछ नहीं तेरी हरकतों पे हंसी छूट रही थी , भौजी को तो बक्श दे हब्सी , रज्जन एक बार फिर जीन्स की जेब से फ़ोन निकालता हुआ कहता है रुक अभी बाणसागर फ़ोन लगाता हूँ ,
रज्जन बाणसागर में अंजू को फोन लगाता है बाणसागर वाली गर्लफ्रेंड अंजू फ़ोन उठाती है रज्जन है कैसी हो तुम्हे मेरी ज़रा भी याद नहीं आती अंजू कहती है क्या बताएं राजा बस बिरह की आग में पल पल जल रही हूँ , रज्जन एक बार फिर अपने पैंट की ज़िप टाइट करता हुआ कहता है , हाल तो यहां भी बेहाल हो रहा है एक तो ठंडी ऊपर से तुम्हारी दूरी , ज़रा वीडियो कालिंग में आओ न , अंजू कहती है कहाँ से आऊं अभी लाइट गोल है थोड़ा वेट करो रज्जन थोड़ा लसकता हुआ कहता है कब तक वेट करूँ जानेमन वेट करते करते एज २६ की हो गयी है , तभी लाइट आ जाती है और अंजू कहती है रुको वीडियो कॉल में आती हूँ लाइट आ गयी है , और तुरंत अंजू वीडियो कॉल में आ जाती है , रज्जन उससे हाल चाल पूछता है , और रमेश से उसका परिचय करवाता है , रमेश भाभी जी नमस्ते करता है , अंजू भी नमस्ते करती है , और रज्जन से पूछती है ये कौन है रज्जन बताता है ये मेरे परम मित्र हैं , और अपनी बात आगे बढ़ाता हुआ कहता है यार मिलोगी नहीं बहुत मन कर रहा है , अंजू कहती है बाणसागर रीवा से है ही कइँती दूर बस ८० किलो मीटर गाड़ी उठाओ चले आओ , रज्जन कहता है तुम तो इस तरह बोल रही हो जैसे बाणसागर ४ से ५ किलो मीटर दूर हो , अंजू कहती है तो ठिठुरो अकेले हम तो रजैया के अंदर आराम से सोते हैं अपनी अम्मा के साथ हैं , और फ़ोन काट देती है रज्जन एक बार फिर फ़ोन लगाता है , और बोलता है अच्छा सुनो कल मैं बाणसागर आ रहा हूँ शाम को ७ बजे तक पहुंच जाऊँगा तुम्हारे गाँव में कोई ख़तरा तो नहीं है , तुम गाँव के पास पहुंच के मुझे फ़ोन कर देना मैं लोकेशन देती रहूंगी , रज्जन कहता है ओके और फ़ोन काट देता है , रज्जन एक बार फिर फ़ोन लगाता है , तभी रमेश कहता है अब किसको फ़ोन लगा रहा है रज्जन कहता है रुक अभी बताता हूँ,
सामने से एक लड़की फ़ोन उठाती है रज्जन कहता है मोनिका कैसी हो तुम्हे मेरी याद नहीं आती , मोनिका कहती है ऐसी बात नहीं है लगन चल रही है न वही न्योता बारात में फसी थी रज्जन चुटकी लेता हुआ कहता है कितने दिन हो गए हमें मिले हुए मुझे तो लगा तुम्हारी शादी हो गयी होगी , मोनिका भी अंगड़ाई लेती हुयी कहती है स्वीट हार्ट ऐसी बात मत करो प्लीज़ मैं तुम्हे अपना प्रीतम प्यारे मान चुकी हूँ , रज्जन हँसता हुआ कहता है अच्छा क्या कर सकती हो तुम अपने प्रीतम प्यारे के लिए मोनिका कहती कुछ भी कर सकती हूँ मेरी जान तुम एक बार जान मांग कर तो देखो रज्जन कहता है कोई अपनी जान की जान कैसे मांग सकता है , कल मैं बाण सागर आरहा हूँ रूम का इंतज़ाम करके रखना , मोनिका कहती है कल क्यों अभी आ जाओ घर में भाभी के अलावा कोई नहीं है , रज्जन कहता है लेकिन कल मुझे तुम्हारे अलावा कोई नहीं चाहिए , मोनिका कहती है वो सब तुम मेरे ऊपर छोड़ दो , ओके बॉस कहकर रज्जन फ़ोन काट देता है , तभी रमेश मुस्कुराता हुआ रज्जन की तरफ देखता है और कहता है तू वाक़ई बहुत बड़ा कमीना है , रज्जन रमेश को गले लगाकर गाल चूम लेता है और कहता है ये सब प्यार है पगले , रमेश कहता है तो कल मतलब तू बाणसागर जायेगा , रज्जन मुस्कुराता हुआ कहता है देखते हैं , और अलाव की लकड़ियों को उलट पलट करने में लग जाता है ,
जब कोई आहट नहीं मिलती है तो सोचता है लगता है ये कमीना सुबह सुबह ही बाणसागर निकल गया , और वो वहाँ से चला जाता है ऑफिस पहुंच कर एक बार रज्जन को फोन लगाता है , भाई कहाँ है तू सुबह सुबह ही बाणसागर चला गया क्या रज्जन कहता है नहीं यार सो रहा था , रात भर सीधी वाली के साथ फोन सेक्स में भिड़ा रहा ,,, बहन ,,, इसके चक्कर में नींद ही नहीं आई रमेश कहता है , ज़ायदा हैंडप्रैक्टिस की वजह से ही तू इतना कमज़ोर हो गया है रज्जन कहता है चुप कर साले मुझे पता है की तू कितना बड़ा सरीफ है मेरा मुँह न खुलवा मोहल्ले की ऐसी कोई लड़की, आंटी नहीं बची है जिसके नाम की माला न जपी हो तूने रमेश कहता है चल ओके बता शाम को मिलेगा ना , रज्जन कहता है देखते हैं अपना तो अपॉइंटमेंट है आजका , रमेश कहता है ओके ठीक है तू एन्जॉय कर कंपनी , एकाध आइटम की व्यवस्था मेरे लिए भी करवा देना , रज्जन कहता है अब आ गया ना औक़ात में अभी बहुत गर्रा रहा था , रमेश कहता है बॉस आ गया चल फोन रखता हूँ और कॉल काट देता है , दोपहर का वक़्त है रज्जन खाना पीना खाकर २ तीन पैकेट गुटखा कर सिगरेट का एक पैकेट जेब में रखता है बाणसागर के लिए रवाना हो जाता है , बाण सागर पहुंचते पहुंचते शाम हो जाती है अँधेरा धीरे धीरे बढ़ने लगता है , गाँव के बाहर पहुंच कर रज्जन अंजू को फोन लगाता है , और पूछता है चारों तरफ बाड़ ही बाड़ लगी है एक पगडण्डी है किधर आना है अंजू कहती है पगडण्डी पकड़कर सीधा आते जाओ कहीं मुड़ना नहीं है रस्ते में नदी आएगी पुल से सीधा सामने आते जाना कहीं मुड़ना मत लगभग ३ किलो मीटर लम्बी पगडण्डी है , रज्जन कहता है तू फोन चालू रख यहां आस पास कोई आदमी नहीं है बस कोहरा ही कोहरा है , अंजू कहती है ओके ठीक है मेरा फोन चालू है तुम बस सीधे आते जाओ किसी तरह गिरते पड़ते रज्जन अंजू के पास पहुँचता है , और कहता है कैसा गाँव है तेरा माद ,,,, एक आदमी नहीं है इस गाँव आदमी तो छोड़ परिंदा तक नहीं दिखा कैसे आया हूँ ये मैं ही जानता हूँ , अंजू प्यार भरी आँखों से रज्जन की तरफ देखती है और कहती तुम आ गये बस मेरे लिए इतना ही काफी है ,
रज्जन बाइक को घर के सामने खड़ी करके अंजू के साथ फ़ौरन घर के अंदर घुस जाता है , घर के अंदर घुसते ही अंजू दरवाज़ा बंद कर लेती है और रज्जन से लिपटकर उसे चूमने में व्यस्त हो जाती है , रज्जन भी मौके का फायदा उठाते हुए अमर बेल की तरह उसे अपनी आगोश में ले लेता है और सारा माहौल उह आह की आवाज़ से गुंजाय मान हो जाता है , ठण्ड की ठिठुरन से तड़प रहा रज्जन का जिस्म आग उगलने लगता है और कुछ ही पल में दोनों एक एक करके एक दूसरे के बदन के सारे कपडे उतार कर फेंक देते हैं , और निर्वस्त्र बिस्तर में लेट जाते हैं , एक लम्बी गुत्थम गुत्थी के बाद दोनों अलग होते हैं अंजू आगे बढ़ कर अपने कपडे उठाने की नकामयाब कोशिश करती है की रज्जन एक बार फिर उसे अपनी बाहों में खींच लेता है और लिप्स तू लिप्स किश में व्यस्त हो जाता है , अंजू भी मौके का फायदा उठाती हुयी अनचाहा विरोध प्रदर्शित करती है , पुनः एक मैच समाप्त हो जाता है , अंजू कहती है कितने वहशी हो तुम चलो छोड़ो भी चाय बनाने दो कितनी दूर से थक के आये हो मेरे लिए और मैंने तुम्हे एक कप चाय के लिए भी नहीं पूछा , रज्जन कपडे पहनता हुआ हँसता है और कहता है चाय क्या है मेरी जान तुमने तो वो चीज़ पिला दी है की इसका नशा सात जन्मों तक रहेगा , रज्जन सिगरेट जलाता है अंजू देख लेती है वो सिगरेट तोड़कर फेंक देती है और कहती है जान तुम्हे मेरी मोहब्बत का वास्ता सिगरेट सीना जला कर राख कर देती है , रज्जन कहता है तू क्या समझेगी पगली ठण्ड के दिनों में सिगरेट ही सीने में गर्माहट बनाये रखती है , अंजू फ़ौरन रज्जन के सीने से लिपट जाती है और कहती है मैं हूँ ना गर्माहट बनाये रखने के लिए , रज्जन उसके माथे को चूमता हुआ कहता है वो तो तुम हमेशा रहोगी , अंजू कहती है सच्ची रज्जन कहता है मुच्ची , तभी रज्जन का फोन वाइब्रेट होता है पार्टी २ के नाम से मोनिका का नाम सेव किया हुआ है रज्जन फोन देख कर रख देता है , और साथ लाया गिफ्ट अंजू को देकर वहां से आगे निकल जाता है ,
मरे ही तो नहीं बस बच गए हैं , बहुत खतरनाक गाँव है तुम्हारा , अब बताओ आना कहाँ है , मोनिका कहती है बस सीधे चले आओ आगे जो लाइट का खम्भा है उससे दाएं मुड़ जाना , रज्जन बोलता है , चल फोन रख अभी आता हूँ , फोन काट कर रज्जन अपनी बाइक मोनिका के बताये दिशानिर्देशानुसार दौड़ा देता है , आगे जकर जैसे ही लाइट क खम्भा दिखता है वैसे ही मोनिका भी राइट साइड में साल ओढ़े खड़ी नज़र आती है रज्जन की बाइक फ़ौरन मोनिका की तरफ दौड़ पड़ती है , पास जाकर रज्जन मुस्कुराता हुआ कहता है और बताओ जानेमन ये चुड़ैल बनी क्यों खड़ी हो , मैं तो डर ही गया था , मोनिका कहती है हाँ अब तो मैं चुड़ैल ही लगूँगी न अब तुम्हारा टाँका उस कलमुही अंजू से जो भीड़ गया है , रज्जन कहता है अब यही पर लड़ोगी या घर के अंदर भी बुलाओगी , मोनिका आगे आगे और रज्जन उसके पीछे पीछे घर में प्रवेश कर जाते हैं , रज्जन कहता है अब दरवाज़ा कौन बंद करेगा , मोनिका कहती है जिसे डर हो वो खुद दरवाज़ा बंद कर लेगा , रज्जन गाली देता हुआ मरवायेगी बहन,,, अभी कोई देख लेगा तो हड्डी भी ढूढ़ने में नहीं मिलेगी और दरवाज़ा बंद करता है , रज्जन का खौफ देखकर मोनिका हंस पड़ती है और रज्जन को कहती है जब इतनी फटती है तो आये क्यों रज्जन मोनिका को अपनी बाहों में भरता हुआ कहता है प्यार है पगली और गोदी में उठाकर सीधा कमरे में घुस जाता है और पास आये हिरन को जिस तरह भूखा शेर अपने आगोश में लेता है वैसे ही भूखे शेर की तरह मोनिका के ऊपर टूट पड़ता है , मोनिका शर्म से पानी पानी होती जाती है , और रज्जन से कहती है तुम अपना वहशी पन सारा मुझे अभी ही दिखाओगे या कुछ शादी के बाद के लिए भी बचा के रखोगे , रज्जन कुटिल मुस्कान के साथ कहता है शादी के बाद तो सीधा इन्क़िलाब होगा , पोस्टर छपेंगे हमारी मोहब्बत के मोनिका रज्जन को अपने नीचे कर लेती है और कहती है बहुत तुर्रम खान बनते हो न फोन में अब देखती हूँ कितनी गर्मी है तुममे और एक एक करके रज्जन के सभी कपडे जिस्म से उतार फेंकती है , रज्जन भी कामोवेश में मोनिका को अपनी बाहों में जकड़ लेता है , और लगभग 30 मिनिट की मशक्क्त के बाद दोनों निढाल हो जाते हैं निर्वस्त्र मोनिका रज्जन के सीने में हाँथ फेरती हुयी कहती तुम मुझसे सच्ची मोहब्बत करते हो न जान रज्जन मोनिका की आँखों में आँखें डालकर कर कहता है इसमें भी कोई शक करने की कोई बात है जान अगर प्यार नहीं करता तो क्या तुमसे मिलने इस अँधेरी रात में इतनी दूर आता आई लव यू स्वीट हार्ट मोनिका भी आई लव यू टू बोलकर रज्जन की बाहों में रिलैक्स करने लगती है रज्जन मोबाइल देखता हुआ कहता है उफ़ ११ बज गए अब मुझे जाना होगा , मोनिका कहती है आज रात रुक जाओ न सुबह चले जाना रज्जन कहता है नहीं मरवायेगी क्या सुबह सारा गाँव देख लेगा और मेरी हड्डी पसली एक कर देगा मेरी हड्डी का कचूमर सड़क पर बिखरा पड़ा मिलेगा और हाँ सुबह शॉप खोलनी है , मोनिका कहती है बस एक राउंड और एक बार पुनः रज्जन को अपने ऊपर खींच लेती है लगातार चौथे राउंड के कारण रज्जन की परफॉरमेंस थोड़ा वीक पड़ जाती है , मोनिका कहती है सच बताओ तुम अंजू के पास गए थे न , रज्जन मुस्कुराता हुआ कहता है नहीं पगली पिछले महीने वायरल हो गया था न बस उसी वजह से परफॉरमेंस थोड़ा कमज़ोर पड़ गयी है , मोनिका कहती है पहले तो तुम ५ पांच राउंड तक नहीं थकते थे , गुटका सिगरेट बंद कर दो नहीं तो नपुंसक हो जाओगे , रज्जन कहता है अब नहीं खाऊँगा गुटका तेरी कसम , मोनिका पैंट की जेब से गुटखा निकाल कर दूर फेंक देती है रज्जन दौड़कर गुटखा उठाता है और अपनी जेब में डालता है और कहता है यही तो सहारा है ठण्ड में रात काटने का इसे भी तुम फेंक रही हो , और मोनिका को एक बार पुनः गले लगा देता है मोनिका रज्जन की आँखों में शरारत भरी नज़र से देखती है और कहती है पैसे बहुत है मेरे पास प्लीज़ तुम कभी मुझे धोखा मत देना ,
कर देता है , दोनों एक दूसरे को शरारत भरी नज़र से देखते हैं , और इसी के साथ रज्जन गाडी आगे बढ़ा देता है लग भग २०० मीटर के बाद रज्जन एक बार फिर गाडी रोकता है और सिगरेट जलाता है तभी उसे ऐसा लगता है जैसे कोई लम्बा चौड़ा लगभग ६ फीट का आदमी उसकी तरफ आ रहा है इसके बाद रज्जन पुनः बाइक चलाना सुरु कर देता है , मगर कोहरे की वजह से गाड़ी ज़्यादा तेज़ नहीं चला पाता है , और पल भर में वो आदमी बाइक के आगे आगे चलना सुरु कर देता है , बाइक से आदमी की दूरी लग भग १५ फ़ीट की रहती है , रज्जन बाइक का हॉर्न बजाता है, मगर वो आदमी ज़रा सा भी नहीं हिलता है , रज्जन दाएं से बाइक निकलने की कोशिश करता है वो आदमी दाएं तरफ आजाता है , रज्जन पुनः बाएं से बाइक निकालने की कोशिश करता है वो आदमी बाएं तरफ आ जाता है , रज्जन उसके ज़्याद करीब भी बाइक ले जाने से डरता है क्यों उस आदमी के पास लगभग ६ फ़ीट का लम्बा डंडा था , जो अगर वो आदमी एक बार भी घुमा देता तो तो रज्जन बाइक सहित वहीँ पर ढेर हो जाता , उस आदमी की रास्ते में दाएं बाएं जाने की रफ़्तार से रज्जन समझ जाता है की ये आदमी नहीं भूत है रज्जन लगभग ३ किलो मीटर तक उस आदमी के पीछे पीछे धीरे धीरे चलता रहता है , तभी नदी का पुल आता है और मोड़ पर रास्ता चौड़ा पाकर रज्जन बाइक रफ़्तार के साथ वहाँ से दौड़ा देता है वो आदमी रज्जन को घूरता हुआ बोलता है आज तो बच गया मादर,,,,,, रज्जन उसकी तरफ मुड़ कर देखता है वो आदमी नदी में छलांग देता है , गाड़ी लग भग ८० की रफ़्तार में सीधा रीवा पहुंचकर रूकती है , रज्जन आनन् फानन में बाइक घर के अंदर रखता है , और बेड पर लेटकर फ़ौरन मोनिका को फोन लगाता है , मोनिका पूछती है पहुंच गए जान रज्जन कहता है जान गया तेल लेने तू एक बात बता तेरे गाँव में कोई लम्बा चौड़ा आदमी अभी मरा है क्या , मोनिका कहती है मेरे पापा की पिछले महीने ही मौत हुयी है वो फ़ौज में थे उनकी हाइट ६ फ़ीट थी नदी के पास ही चिता है उनकी रज्जन पूछता है मरने के बाद गाँव में कभी किसी को दिखे हैं के मोनिका कहती है हाँ कई लोगों को रात में दिख चुके हैं जिस रास्ते से तुम आये हो उसी रास्ते में अक्सर उनकी आत्मा घूमती हुयी मिल जाती है लोगों को , रज्जन कहता है आज बचा दिया तेरे बाप ने वरना दामाद का जनाज़ा निकल जाता , और फोन काट देता है और तुरंत अंजू और मोनिका का नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल देता है , और कहता है मादर ,,,,, आज से बाण सागर वाली मोहब्बत खत्म अब सिर्फ रीवा वाली मोहब्बत पर कंसन्ट्रेट किया जायेगा मोबाइल में रात के ३:३० बज चुके थे रज्जन रजाई सर तक ढांक के सीधा सोता है तो दोपहर १२ बजे उठता है ,
शाम का वक़्त है रज्जन अलाव के पास बैठा अकेला आग ताप रहा है की तभी रमेश भी वहाँ आbजाता है और पूछता है और बात भाई कल रात कैसी गुज़री रज्जन गाली देता हुआ कहता है मत पूछ ससुर जी कल दामाद की अर्थी ही निकाल दिए होते बस किसी तरह जान बचा के भागा हूँ वहाँ से , और सारी घटमा विस्तार से बातीने में लग जाता है , इसी के साथ कैमरा ज़ूम आउट हो कर आसमान के बादलों में खो जाता है।
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