खिज़ा के मौसम में बढ़ के बहारें दामन चूम लेती हैं romantic shayari,

0
1413
खिज़ा के मौसम में बढ़ के बहारें दामन चूम लेती हैं romantic shayari,
खिज़ा के मौसम में बढ़ के बहारें दामन चूम लेती हैं romantic shayari,

खिज़ा के मौसम में बढ़ के बहारें दामन चूम लेती हैं romantic shayari,

खिज़ा के मौसम में बढ़ के बहारें दामन चूम लेती हैं ,

बोसा ए इश्क़ के बाद कुछ कलियाँ नाम पूछ लेती हैं ।

 

एक ताज़ा तरीन नज़्म है दिल में आपकी शिरकत के बाद ,

बेखुद है चश्म ए चोंट से न हरकतें न धड़कन न कोई जवाब ।

 

मोहब्बतों के कसीदे पढ़ने में उम्र ए ज़ाया करके ,

आओ तह ए दिल से जज़्बा ए इश्क़ के दो दो हाँथ कर लें ।

 

एक मोहब्बत का इल्म है जो खींच लाता है दिलों को आदम के पास ,

एक हसरत ए बहसत है जो इंसान को इंसान तक आने नहीं देती ।

 funny shayari

रुक्क़ाह थमा गए रोज़मर्रा की ज़रूरीतो वाले .

गोया ये भी न सोचा दिल का रिश्ता है परचून की दूकान तो नहीं ।

 

सुना है जम्हूरियत ए ईमान में चरचनाएँ बहुत होती हैं ,

बस दास्तान ए इश्क़ को कोई ख़ुतबा नहीं मिलता ।

 

चलो दिल में छुपे दरियाओं को पी जाएँ ,

ये आंसू आँखों को खार बनके चुभते हैं ।

 

हर बात बताई जाये ज़रूरी तो नहीं ,

कुछ रिश्ते बस ऐतबार पर चलते हैं ।

 

वैचारिक वैमनश्यता के चलते ,

सौहार्दपूर्ण ढंग से सहिष्णुता के साथ अतिथियों को गिद्ध भोज में सम्मिलित किया जाए ।

 

कितना मांजेगा मुझे माँझे से ,

सद्धी तेज़ है मेरी तेरे मज़हबी इल्म के धागे से ।

 

तुमको तुम्हारे मज़हबी इल्म ने तबाह किया ,

हमने तो बस इश्क़ में बुत ए मुजस्सिम को ज़िन्दगी अदा करी ।

 

बड़ी ज़हमत के बाद आती है ज़बान पर रह रह के ,

वो दास्ताने लैला मजनू ये दौर ए वहशत का इल्म और ज्ञान

 

लाख इल्म सही आज के आदम ए दौर में ,

लेकिन वो तहज़ीबतलफ़्फ़ुज़ वो अंदाज़ ए अदायगी नहीं दौर ए जहां में ।

 good morning shayari

दो निवाले की ललक में मिट रही हो बेटियाँ ,

कौन चौराहे में टंगवाये जहां आबाद है अपना ।

 

यहाँ बस मज़हबी इल्मी हैं सारे जमात में ,

सबसे ऊपर क़ुदरत ने सिर्फ एक इंसानियत ए इल्म बक्शा है सारे जहां में ।

 

धारा सारी गिना गया रिहाइयों वाली ,

एक भी दफ़ा बता देता बेमुरव्वत में फंसे दिल की इश्क़ ए गिरफ़्तारी वाली ।

pix taken by google