बर्बाद ए मोहब्बत की ख़ातिर गली कूचों की भी गवाही हो bewafa shayari,

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बर्बाद ए मोहब्बत की ख़ातिर गली कूचों की भी गवाही हो bewafa shayari,
बर्बाद ए मोहब्बत की ख़ातिर गली कूचों की भी गवाही हो bewafa shayari,

बर्बाद ए मोहब्बत की ख़ातिर गली कूचों की भी गवाही हो bewafa shayari,

बर्बाद ए मोहब्बत की ख़ातिर गली कूचों की भी गवाही हो ,

बस दिलों पर न इल्ज़ाम ए बेवफ़ाई , कुछ मौसम ए रुस्वाई  

पर भी इल्ज़ाम होना चाहिए

 

हैं मेरी बर्बादियों के वादियों में भी रहनुमा ,

ज़र्रे ज़र्रे से तबाही ए मोहब्बत के सबूत मिलना चाहिए ।

 

ग़र फलक पर न बिठाती और न करती इश्क़ ए पैरवी ,

तो क्या होता हाल ए दिल जो बर्बाद दिखना चाहिए ।

 hindi shayari

मुलाज़िमत ख़ुद की तक़दीर में हो अगर ,

हुकूमत ए इश्क़ को बेवफाई का इल्ज़ाम न दो ।

 

वफ़ा ए तर्क़ ओ ताल्लुक़ और रूबरू ए सनम ,
साथ उनके मुतल्लिक़ संगदिल ज़माना भी न था ।

 

बेवफ़ाओं के शहर में वफ़ा की उम्मीद लगाए बैठे हैं ,
शम ए हरम में दिल को चराग़ बनाये बैठे हैं ।

 

ग़रूर उनका भी टूटेगा बस एक बेवफ़ाई के बाद ,
बात बात में जो अपनी सच्ची मोहब्बत का दम भरते हैं।

 

इबादतों से ग़र ख़ुदा मिलते ,
हर दुआ में हम सनम कहते।

 

कुछ ऐब ख़ुद में थे कुछ वो बेकदर निकला,

इस तरह ज़माने में वादे वफ़ा का सिलसिला निकला ।

 

दिल अगर टूटा था तो क्या बस खता दिल की थी ,

आँखों के ज़रिये दिल में उतरने वालों को भी इल्ज़ाम देना चाहिए ।

 

ग़र न करते इज़हार ए मोहब्बत जो लब पड़े खामोश हैं ,

अब सुखन हों या सुख़नवर दिलों की तिश्नगी बुझनी चाहिए

 

गुनाहों के दौर में ग़र न करते इश्क़ ए खता ,

गिर ही जाते दो क़दम लरज़ कर न मिलती हिज्र ए वीरानियाँ

 

है पहलवान वक़्त ग़र तो ज़ोर आज़मा ले हाँथों का ,

जाने क्यों गुल ए गुंचा को थामे खड़ा है जिसमे समसीर होना चाहिए ।

 

यूँ तो दिल कागज़ बना फिरता है बिलकुल बेज़बान ,

इज़हार ए मोहब्बत की खातिर स्याही क़लम तक न नसीब होना चाहिए ।

 

हैं अगर ये बेगुनाह सब ,

बेगुनाही की भी सदा ए तस्वीर आना चाहिए ।

bhoot pret ki kahani hindi,

दिल था जो अपना कभी गैरों की महफ़िल में जा बसा ,

सारे गुनाहों की क्या दिल ही था खIली वजह ,

क्या इसे ही वक़्त से पहले सूली में लटकना चाहिए

pix taken by google