सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में bewafa shayari,

0
1646
सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में bewafa shayari,
सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में bewafa shayari,

सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में bewafa shayari ,

सिझ रहे हैं अरमान गर्म जिस्म की सिगड़ी में ,

सर्द रातों में दिल की आँच एकदम बराबर है ।

 

गर मोहब्बत पहली मर्तबा में मुक़म्मल हो जाती ,

लोग आईने में आशियाना बना लेते ।

 

शब् ए जवानी में रंग भर दें ,

चाँदनी रातों में ज़ुल्फ़ों का साया करके ।

 

मेरी हर रात पर बस रूहों का कब्ज़ा है ,

सुबह को मेरे शेर भी मेरे पास में नहीं होते ।

 

कहते हैं कलम में इक आग है जो कभी बुझती नहीं ,

दिल में खुशनुमा दाग है मोहब्बत का ,

बस उसे स्याही से रोज़ धोता हूँ ।

 

नगमे बनकर फिर ख्वाब उभरते हैं अश्क़ों में ,

शायद इसीलिए मैं अब तलक पूरी तरह से मैला हूँ ।

 

तुम तो नज़रों में दिलों से खेल लेते हो ,

मेरा बोलना भी ज़हर हो जाता है ।

 

बिस्तर की सिलवटें बदन की अकड़न ,

गम ए दौरान वर्जिश दिल बड़ा तंदुरुस्त रखती है

hindi shayari

गम ए दौरान जल के ख़ाक न हो जाएँ सेहर होने तक ,

दिल के अरमान बड़े नाज़ुक है सर्द रातों में

 

लबों पे गुज़ारिश है , है दिल में इल्तेज़ा ,

जिसका भी रहो बनके सारी उम्र भर रहो ।

 

मुझसे मेरी मोहब्बत का मसीहा सवाल करता है ,

बोल तेरे दिल के जलते अरमानो को बुझाऊँ कैसे ।

 

गम ए दौरान गर्दिशों ने छेंका बहुत ,

हम उल्फतों के शिकंजे से छक छका के छट गए

 

गम ए दौरान जलती चिताओं के लुआठे ,

हम छक छका के रूहों को बचा के ले गए ।

 

दो चार बूँद और डाल गगरी में ,

शाकी सारा का सारा समंदर आज प्यासा है ।

 

लौट के आ गए जनाब फिर से महफ़िल में ,

अब न जाने किसका घर बार उड़ा के जायेगे ।

 

खींच के बैठ जा कुर्सी तू मेरे सिरहाने में ,

तू भी साथ मेरे ठिठुरे जो सारी रात,

तो मुझको मेरी रूहों को सुकून मिले ।

literature poetry

pix taken by google