जश्न ए ग़ालिब में बड़ी धूम मची है प्यारे sad shayari ,

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जश्न ए ग़ालिब में बड़ी धूम मची है प्यारे sad shayari ,
जश्न ए ग़ालिब में बड़ी धूम मची है प्यारे sad shayari ,

जश्न ए ग़ालिब में बड़ी धूम मची है प्यारे sad shayari ,

जश्न ए ग़ालिब में बड़ी धूम मची है प्यारे ,

शब् ए बज़्म से दो चार बर्बाद होके जायेंगे सेहर होने तक ।

 

हमें महफ़िल ए रानाइयों का ज़ौक़ न था ,

बस शब् ए बज़्म कुछ नज़्म थिरक जाती हैं ।

 

कितनी सूरत बदल रहा है आदम,

आदम के वास्ते , दो हाँथ पैर वाला आदमख़ोर यही है ।

 

ठिठुरती रातों में जलते साये ,

हर एक लम्स कहता है कोई आदम ही रहा होगा ।

 

आदम ही है जो बस मज़हब पे चलता है ,

गोया जानवर तो इतने इल्मी नहीं होते ।

 maa shayari

इतना नाखुश तो न था सूरत ए दीदा से पहले ,

क्या आदम के शक्ल में इब्लीस टकराया है ।

 

रज रज में मिल गया वो ख़ाक ए वतन सिपाही ,

सैय्याद था वो दुश्मन ए शातिर जो धरा पर नापाक निगाहें रख रहा था ।

 

जिन घरों में ख़ूनी रिश्तों की पटरी नहीं खाती ,

उस धरा में सियासी मज़हबी खेल, खेल जाते हैं ।

 

ज़माने में अब वैसे रफ़ूगर नहीं मिलते ,

दाग़ मिलते हैं बहुत ज़ख्मो को सीने वाले नहीं मिलते ।

 

वो शब् ए चाँद से ढलकता चिलमन ,

लो फिर शाम ए बज़्म में क़त्ल ए आम की सुरुआत हुयी ।

 

यूँ तो पवाईदारों की बखरियों में बज़्म सजती है ,

मगर दौर ए मुफ़लिश की मुफ्लिशी से ही गुलज़ार हुआ करती है ।

 

जिगर बार के बैठे हो शब् ए बज़्म में आकर ,

दिल की धुआँडियों से भी गम के शोले झाँक पड़े हैं ।

 

कहते हैं इश्क़ शबाब पर हो ,

हुश्न में खुद बा खुद रंगत जाग जाती है ।

mushaira

चोंट दिल पर लगे तो बयानबाज़ी शायरी में होती है ,

गोया हाल ए दिल यूँ राह चलते इज़हार किये नहीं जाते ।

 

अगर इस रात की तलहटी में डूब कर देखूँ ,

मेरी आँखों के दरिया में तेरे ही अक़्स बनते हैं ।

 

कभी का मिल लिए होते गले दिल गिले शिकवा बयान होते ,

अभी तो नज़रों की जुम्बिशों में नामा ओ पयाम बाकी है ।

pix taken by google