डाबर में डूबता तो आशिक़ का खिताब मिलता hindi shayari ,
डाबर में डूबता तो आशिक़ का खिताब मिलता ,
गोया मेहबूब की नज़रों में डूबा न मुलाक़ात हुयी न जनाज़ा नशीब था ।
अज़ल अज़ाब अज़ीब एक दास्तान है मोहब्बत ,
बस किस्से कहानियों में मुलाक़ात इश्क़ के किरदार से हुयी ।
शहेंशाह ए तन्हाई का सरताज बना फिरा ,
मुलाक़ात से महरूम इश्क़ के दर से बेदख़ल ।
ये जीना भी कोई जीना है बस यादों का समंदर है ,
बस दूर तलक धुंध ही धुंध है न साहिल न लंगर है।
लफ्ज़ हैं बस किताबों में ही पाए जाते हैं ,
वादे वफ़ा गोया वादी ए चमन में लाख सुर्खरू हो चाहे ।
निकलता है धुआँ दिल में दफ़न उसकी यादें अब भी ताज़ा है ,
हुआ न ख़ाक सर्दी में बदन अब भी आग ज़्यादा है ।
मर गया आशिक़ इश्क़ करते करते ,
वो अब भी कहते हैं जनाब हाल कैसा है ।
दुश्मनो से प्यार होता गया ,
जब से दोस्तों को आज़माया हमने ।
इतनी नफरत है इस दिल में ज़माने को जला सकता हूँ ,
कमबख्त दिल ही है जो ज़माने भर की आतिशों में ख़ाक होता नहीं है ।
क़ुर्बान हुए इश्क़ में फ़क़त दिल ही दिल में वो ,
गोया बेफिक्रे बने फिरते रहे हमको इल्म न हुआ ।
चाहत है बहुत दिल की हशरतें हज़ार हैं ,
पहलू में मेरे यार हो बस प्यार ही प्यार हो ।
आवाज़ह ही रहा इश्क़ में न कोई आशिक़ ही मिला न कोई आशना ही हुआ ,
आसरे में बस उम्रें गुज़री शहर बेवफ़ा रहा ।
बनके साँस का एहसास रग में दौड़ता लहू ,
फ़िज़ा में घुली खुशबू इस कदर मिला है तू ।
आजिज़ है ज़िन्दगी , आदिल न आफ़ताब हुआ ,
आजिम है मक़बरा उसका जो फ़नाह इश्क़ में हुआ ।
घर भूल आया दर्द ए दिल की दवा ,
अब इश्क़ के बाजार में बढ़ी धड़कन से मरेगा इश्क़ करने वाला ।
आसूदाह रहा जब तक तेरा नाम साथ था ,
अज़ल आशुफ़्ता फिरा अकेला तन्हा तेरे बगैर ।
pix taken by google
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