निर्मोही कागा क्यों रे काहे तोहे लाज न आई sad love poetry ,

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निर्मोही कागा क्यों रे काहे तोहे लाज न आई sad love poetry ,
निर्मोही कागा क्यों रे काहे तोहे लाज न आई sad love poetry ,

निर्मोही कागा क्यों रे काहे तोहे लाज न आई sad love poetry ,

निर्मोही कागा क्यों रे काहे तोहे लाज न आई , ताने मोसे कैसी बैर भजाई ।

मैं बिरहन ही का मिली थी तोहे , करन ठिठोली का तोहे भाई ।

 

सुबह सकारे सांझ तिराहे , और न कौनौ काम तिहारे ।

बैठ मुंडेर पर मोरी ही तू , जाने किसको टेर लगाई ।

 

बैरी पिया जा बेस विदेसवा , मोपे तोहे तनिकौ रहम न आई ।

का तोरा भी घर छूटा है , तोसे पानी पिंगल रूठा है ।

 

या तोरी चंचल चपलता पर , कोयलिया तोहीं दीन्ह भगायी ।

जा रे जा निर्मोही कागा , मोरा सूना आंगन का न तोहे देत दिखाई ।

 

जो तू होता तनिकौ सुमधुर , कोयलिया राखत तोहें ह्रदय लगाई ।

मुझ बिरहन का घर ही मिला का तोहे , निसदिन आ आ शोर मचाये ।

love shayari 

हर आहट पर होती छतविछत मोहे लागत मोरे पिया घर आये ,

देख के तोरी कारी सूरत मन मोरा बस जर जर जाई ।

 

या तू सोच के दर पर मोरे आया की ये बिरहन भी मरी ही जाई ,

अब तक जो देती थी रोटी के टूको तू का ओखर शोक मनाये ।

 

मिले जो मुर्दा कौनौ जनावर तू बस बोटी नोच के खाये ।

तू न समझे पीर परायी , तोहे काहे लाज शरम कबहुँ आई ।

 

जा तू भी कबहुँ पार समंदर , डूब मरे तू बीच धार में मोरी तोहे लग जाए हाय ।

जिन मछरिन को तू ताकत बाहर , जल भीतर निर्लज्ज तोहे नोच के खाएं ।

 

मैं सब जानू तोरी कारी करतूतें , ऐसै न तू कलमुँहा कहाये ।

कारी सूरत सोच भी कारी , कारी रात में क्यों न निकले भाई ।

 

चुपके बैठा बनके खूसड़ का तोहे भी डर लागत है ,

तोरी कांये कांये बनी पहेली मोसे का बोलत आहे ,का मोरे पी ने भेजी पत्री जा तैं कछु बोलन चाहत आहे ।

 

मोरे दिन भर का तू साथी रात न बैरन काटी जाए ,

का तू मोरा भी ले जाये संदेसवा काहे पी को मोरी याद न आये ।

 

चल जा झूठे सांझ हो चली पत्तल के संग काहे जूठन खाये ।

जा बैठे पी परदेस विदेसवा तोहे पहरेदार लगाए ।

sad poetry in urdu about love 

pix taken by google