फ़लक़ के चाँद तारे हैं गवाह sad poetry in urdu 2 lines ,

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फ़लक़ के चाँद तारे हैं गवाह sad poetry in urdu 2 lines ,
फ़लक़ के चाँद तारे हैं गवाह sad poetry in urdu 2 lines ,

फ़लक़ के चाँद तारे हैं गवाह sad poetry in urdu 2 lines ,

फ़लक़ के चाँद तारे हैं गवाह ,

तेरी नज़र का गुस्ताख़ सरारा हर एक चिलमन जला रहा है ।

 

पसोपेश में मामला संगीन कर गया ,

तेरी नज़रों का तीर दिल तक रंगीन कर गया ।

 

नज़र की जुंबिशों से इशारे तमाम करते हो ,

दिलों के राज़ ए गुल का वज़ू ए एहतेमाम खूब रखते हो ।

 

जिस्म है सुकून मांगता है ,

इस क़दर ज़हन में फ़ितूर ए इश्क़ सवार है तेरा ।

 

जवानी कहीं भी ज़ाया करके आया हो ,

बुढ़ापा आशिक़ों की सोहबत में है इश्क़ ए सहादत में ही जायेगा ।

 

जो बात चलती है वो बात कही जाती है ,

मौज ए बहारों पर कोई इश्क़ का फ़लसफ़ा नहीं होता ।

 

मौसम ए तासीर पर हर बात कही जाती है ,

मौज ए गुल पर तहरीर ए मुआईनो का कोई असर नहीं होता ।

 

शहर हसीन हादसों की तस्वीर बना जाता है ,

खोकर के दिल इश्क़ में हर शक़्स अमीर बना जाता है ।

 

दौर ए इश्क़ की फ़ितरत है क्या , बस मौसमी बुखार है ,

दो चार तल्ख़ बातों का तल्फा गुड़गुड़ाते रहिये ।

 

ग़म ए तन्हाइयों का साफा बांधकर आये ,

न जाने कौन से मुख से महफिलें साद करेंगे ।

 

किसी के हक़ के हिस्से तूने भी चुराए होंगे ,

तब कहीं जाके महल दोमहले बनाये होंगे ।

 

किसी की दब गयी होगी आवाज़ शख़्त पहरों में ,

किसी की आह तूने मलबों में दबाये होंगे ।

 

है सियासत का दरिया इतना मैला ,

तूने भी अपनों के लहू कतरों में बहाये होंगे ।

 

यूँ ही नहीं सजती कुर्सियां हुकुमरानों की ,

जाने कितने मजलूमों के कांधों ने उठाये होंगे ।

 

आगोश में न सही पनाह में तो है ,

ये हकीकत ए रूदाद न सही जुस्तजू ए मोहब्बत अब भी तेरे मेरे दरमियान रवां रवां तो है ।

 

आईंन ए अक्स में लाख सूरतें धुंधली सही ,

बदलते वक़्त की फ़ितरत में मोहब्बत तो है ।

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pix taken by google