भूत बंगलो में दीपदान kids horror story,

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भूत बंगलो में दीपदान kids horror story,
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भूत बंगलो में दीपदान kids horror story,

मुंबई लोखण्डवाला से चार बंगलो के बीच का एरिया दिन भर वाहनों की आपाधापी रात भर बिजली की चकाचौंध , इसी

एरिया में एक ऐसी अंडर कंट्रक्शनबिल्डिंग है जो बरसों से सूनी पड़ी है , कहते हैं इस बिल्डिंग में भूतों पिशाचों और चुड़ैलों

का कब्ज़ा है इसी वजह से कोई भी कॉन्ट्रैक्टर इस बिल्डिंग में ज़्यादा दिनों तक काम कर नहीं पाया , बाहर से ये बिल्डिंग

समान्य दिखाई देती है मगर इसके अंदर का राज़ आज भी दिल दहला देने वाला है ।

रात के २ बज चुके हैं आसमान पर चाँद पूरे शबाब पर है तभी बिल्डिंग की पर छत भेड़िये की परछाई के साथ भेड़ियों के

रोने की आवाज़ , एक आवाज़ के बाद सीढ़ियों से नीचे की तरफ भागता भेड़िया बिल्डिंग के अंदर उड़ते चमगादड़ , माहौल

कोऔर खतरनाक बना देते है।

 

रैक में बैठा तेंदुआ लिफ्ट से दहाड़ मारकर निकलता शेर ये और ये क्या यहां तो जंगली जानवरों के साथ साथ इंसानो के

भी भूत हैं सबके सब भूत हैं तभी तो एक साथ हैं वरना कबका एक दुसरे को खा पी जाते , इन सबसे अनजान बिल्डिंग के

ग्राउंड फ्लोर में एक भिखारिन हर रात अपने बच्चों के साथ आकर रुक जाती है शायद उसके दो बच्चों के अलावा कोई

नहीं है , उसका इस दुनिया में , शहर में काफी रौनक है चारों तरफ रौशनी और पटाखों की आवाज़ें गूँज रही हैं , बच्चे माँ

से कहते हैं माँ इस दिवाली हम भी दीप जलायेगे इस जगह पर भिखारिन उन्हें बहला फुसला कर सुला देती है ,

ये बात भूतों को पसंद नहीं आती है , अगर इस बिल्डिंग में दीप दान हुआ तो वो जगह भूतों को छोड़नी पड़ जाएगी सब ने

निर्णय लिया की आज से वो भिखारिन और उसके बच्चों को भी उस बिल्डिंग में नहीं रहने देंगे ।

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उनका भी वही हश्र करेंगे जो उन्होंने आज तक उस बिल्डिंग में आने वालों का किया था , चूंकि मुंबई में वैसे भी गर्मी

बहुत पड़ती है इसीलिए सारे भूत पिशाच और चुड़ैल दिन के समय वर्सोवा की मरघटायी से लगे समंदर में जलमग्न रहते

हैं और रात होने तक इस बिल्डिंग में आकर अपना डेरा जमा लेते हैं , उस शाम भी वो यारी रोड से धमाचौकड़ी मचाते हुए

चार बंगलो की तरफ आ ही रहे थे , की उनकी नज़र फर्नीचर की दूकान पर भीख मांग रही उसी भिखारिन और उस के

बच्चों पर पड़ी ,

 

वो दूकान के बाहर लकड़ियों की चिल्फियां बीन रहे थे ,शायद आज पकाने को कुछ अन्न मिल गया था , वैसे तो वो भीख

में मिले खाने से ही काम चला लेते थे । दूकान दार किसी कस्टमर को फर्नीचर दिखा रहा था , वो फ़ौरन भिखारिन की

तरफ लपका और उसे और उसके बच्चों को लकड़ियां फेंककर भाग जाने को कहा , भिखारिन आँख में आंसू लिए अपने

बच्चों को सीने से लगाए फ़ौरन उस जगह से चल निकली , और जाकर उसी बिल्डिंग के एक कोने में अपने सिसकते

बच्चों को ढाढ़स बंधा कर सुलाने का प्रयास करने लगी , एक एक भूत उसके सामने से मुँह लटकाये सीढ़ियों की और

गुज़रते गए , और ऊपर जाकर अपनी अपनी जगह में चुपचाप बैठ गए , शायद भूतों को भी आज की ये घटना अच्छी

नहीं लगी थी , भूतों के मध्य भी आज चर्चा का विषय उत्पात नहीं अपितु भिखारिन के बच्चों की ख़ुशी थी ,

सबने बोला यार बहुत बुरा हुआ बेचारी भिखारिन और उसके बच्चों के साथ , क्यों न हम सब मिल कर कुछ करें ताकि

बच्चे तो खुश हो जाएँ , सभी भूतों ने उसी रात फैसला किया जो भी हो इस बिल्डिंग में दिवाली मनाएंगे , फिर क्या सभी

भूत लग गए जुगाड़ में उसमे सभी जात मज़हब धर्म के भूत थे लेकिन मरने के बाद सबका मज़हब एक ही हो जाता है ,

बस नहीं रह जाती मानवता जो आज इन भूतों ने ये साबित कर दिया की उनसे ज़्यादा मानवता इंसानो में भी नहीं हो

सकती ,

 

दूसरे दिन जब शाम को भिखारिन अपने बच्चों के साथ बिल्डिंग में गयी तो देखा सारी बिल्डिंग रौशनी से जगमगा रही

थी , बच्चों का चेहरा खिल उठा भिखारिन भी खुश हो गयी अच्छे अच्छे पकवान नए नए कपड़े फोड़ने को पटाखे सुरसुरी

सब था बच्चों को लगा जैसे जन्नत मिल गयी उनको , इस तरह भूतों ने भी बच्चों के सात खूब एन्जॉय किया और भूत

बंगले में दीप दान भी हो गया । और इसी दीप दान के साथ भूतों की आत्मा भी मृत्यु लोक से आज़ाद हो गयी और हवा

में उड़ती हुयी आसमान की और चली गयी ।

 image shayari

pix taken by google