फ़िज़ाओं में जो मोहब्बत का पयाम आया है mushaira ,
फ़िज़ाओं में जो मोहब्बत का पयाम आया है ,
किसी के दिल की दुआ है या फिर बस लब से सलाम आया है ।
ज़मीर बढ़के थाम लेता है उन अश्क़ों को ,
जो अश्क़ हथेलियों में कभी टिकते नहीं ।
इश्क़ का नाम कितना तंज़ तंज़ लगता है ग़ालिब ,
बर्बाद ज़माने में कोई इश्क़ करके आबाद हुआ शख़्स बता ।
जो मोहब्बत के रास्ते में चल निकला ,
गोया ज़माने में लोग उसे ही क्यों कहते हैं ग़ालिब की वो क़ाफ़िर हो निकला ।
खाली चर्चे थोड़ी न सुर्खरू हैं फ़िज़ाओं में ,
मयार ए नौ गुल खिले हैं बाग़ ए बहार में ।
दुआ आइन ए मोहब्बत की बेअसर निकली ,
ज़माने भर की बद्दुआओं का मोहब्बत पर क़हर था इस कदर ।
उम्र भर की कमाई पूँजी की हिफाज़त के वास्ते ,
बस इब्न ए इंसान ही खड़ा है कतार में दीन ओ ईमान की महफ़ूज़ियत के वास्ते ।
सियासत में दीन ओ ईमान की बातें ही बेजा हैं ,
जो चल जाए बिना रोके उसी में सियासियों की भी रज़ा है।
सूरत ए तस्वीर तो सियासतों की फानी हैं,
एक तरफ़ ईमान की बातें दूजी तरफ़ चुप्पी ग़ज़ब की बेईमानी हैं ।
चाँद तारे भी नज़रों में कब तलक रहते क़ामिल ,
ज़रा सी पलकें झपक गयीं और वो भी नीले आस्मां की तफ़री में निकल गए ।
सर्द रातों का बुझा बुझा सूरज ,
दिन के उजालों में भी दिख न पायेगा ।
तेरे हिस्से की पूरी अना तेरी ,
मुझे मेरे हिस्से का पूरा आसमान देदे ।
लरज़ते अल्फ़ाज़ों को जब पनाह मिलती हैं सर्द रातों में ,
बढ़ के थाम लेता हैं कलम शायर सफहों में जज़बातों को ।
इधर बिस्तर में ओढ़े ढाँके को जाड़े की चिंता हैं ,
उधर सरहद पर सिपाही दुश्मन की गोली से हर रोज़ मरता है ।
भक्तों पर प्रभु की माया का इस कदर ख़ुमार है ,
आप खुद ही अपनी जांच करवा लो आप तो भगवान् विष्णु के अवतार हैं।
हमारी तो एज थी इसलिए गुरेज है ,
तुम्हे किसने हिदायतें देदी सर्द रातों में क्यों कर इश्क़ से परहेज है ।
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