bhootiya car bhoot pret ki kahani in hindi ,

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मुंबई सेंट्रल रेलवे ट्रैक पर सरपट दौड़ती ट्रैन रात के करीब २ बजे ट्रैन पर बैठे ड्राइवर को ऐसा लगता है की रेलवे ट्रैक पर कोई कार आगे आगे दौड़ रही है , कोई भयानक हादसे के अंदेशे से वो ट्रैन की रफ़्तार कम करता है , तभी उसे ऐसा लगता है की ट्रैन और कार का एक्सीडेंट होने वाला है , और अचानक से कार रेलवे ट्रैक से ग़ायब हो जाती है ।
ड्राइवर ट्रैन आगे बढ़ा देता है । कार रेलवे ट्रैक से उतर कर लोहे के ब्रिज के नीचे गहरी खाइयों की और चली जाती है ।

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दूसरा दिन रात के करीब १० बज चुके हैं बांद्रा का एक एक इलाका जहां ज़्यादातर पुरानी बाइक्स की खरीद फरोख्त का काम होता है , वहीँ कलीम भाई की दूकान सेकंड हैंड बाइक्स की दुकान है , दुकान बंद करके सभी बाइक्स को अंदर गेराज में रखकर कलीम भाई अपने घर चले जाते हैं , रात गहरी होती जा रही है , रास्ता अब सूनसान हो चुका
दीवाल पर टंगी घडी में लगभग रात के १ बजे चुके हैं , ज़मीन से होता हुआ प्रकाश का फोकस सीधा बाइक्स की हेड लाइट्स पर पड़ता है और अचानक से सभी बाइक्स की लाइट्स जल जाती है , और इंजन स्टार्ट हो जाता है , गेराज का गेट अपने आप खुलता है बाइक्स के बाहर निकलते ही पुनः बंद हो जाता है , बाइक्स मुंबई सेंट्रल रोडवे पर लग भाग १०० की रफ़्तार से दौड़ जाती है , और ये कुछ देर बाद सभी बाइक्स रेलवे ब्रिज के नीचे आकर इकठ्ठा हो जाती है , बाइक्स की संख्या लगभग १५ है सभी बाइक्स के नकाबपोश राइडर्स हैं ,

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और लग भग मुंबई से १०० किलोमीटर दूर एक टनल में घुसती हुयी एक रेलवे ब्रिज के नीचे जाकर एकत्रित हो जाती हैं , बाइक राइडर्स सम्हल भी नहीं पाते हैं , की उन्हें वहाँ मौजूद तांत्रिक द्वारा मंत्रो के पास में बाँध दिया जाता है , सभी बाइक राइडर्स नाकाम रहते हैं  , और थक कर वहीँ घुटनो के बल बैठ जाते हैं , तभी वहां रेलवे ट्रैक से उतरती एक कार एक दिखाई देती है , और कुछ ही पलों में उस कार से एक गैंगस्टर बाहर निकलता है जिसका नाम है बालाजी भालेराव घोलपडे , वहाँ मौजूद तांत्रिक और उसके चमचे बालाजी के सामने भीगी बिल्ली की तरह दुम हिलाने लगते हैं , तभी बालाजी बोलता है , कुछ उगला इन निकम्मो ने आखिर बैंक की लूट का माल कहाँ है , और वो मन्त्रपास में बंधे एक राइडर्स के पास जाकर उसकी गर्दन पकड़ता है , और उसे अपने से ३ फ़ीट ऊपर उठा देता है , और बोलता है डिकोस्टा तुझे क्या लगा मर गया तू मुझे मेरा माल नहीं मिलेगा , तेरी मौत तुझे मुझसे मुक्ति दिला देगी , डिकोस्टा जो की अब सिर्फ आत्मा है तिल मिला जाता है , तांत्रिक मंत्र पास का कसाव और बढ़ा देता है , सभी १५ बाइक राइडर्स तिल मिला जाते हैं , बालाजी चिल्लाता है , मुझे इनका बॉस चाहिए , वही बताएगा , बैंक लूट का माल कहाँ है ।

और बालाजी आसमान की तरफ देखता हुआ चिल्लाता है , भाऊ मेरा पैसा मार के चैन से नहीं रह पायेगी तेरी आत्मा , अमावस की काली रात के सन्नाटे में बालाजी की आवाज़ गूंजती तो दूर दूर तक है मगर रेलवे ब्रिज से गुज़रती ट्रैन की गड़गड़ाहट में दब जाती है ,

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सुबह के ९ बज चुके हैं , कलीम भाई अपनी शॉप का खोलते हैं गेराज में बाइक्स न पाकर हैरान हो जाते हैं , वो थाने में जाकर बाइक्स चोरी की कम्प्लेन लिखवाते हैं , पुलिस बाइक सर्चिंग में लग जाती है , सी सी टीवी फुटेज से पता चलता है की बाइक निकली तो मुंबई रोडवेज से हैं मगर कहाँ गयी हैं आगे का सुराग नहीं लग पाता है ,

इधर बालाजी तांत्रिक को आदेश देता है मुझे मेरा पैसा किसी भी हाल में चाहिए , हम तुम्हे मालामाल कर देंगे तुम डिकोस्टा की आत्मा को बुलाने का प्रबंध करो , तांत्रिक बोलता है ठीक है उसके लिए आज रात का इंतज़ार करो , तांत्रिक तरह तरह की अघोर विद्या से बाइकर्स की आत्माओं को कष्ट देता है मगर कोई फायेदा नहीं होता कोई आत्मा कुछ भी बोलने को तैयार नहीं होती दर असल उन्हें कुछ पता ही नहीं होता है ,

रात के १२ बज चुके हैं दिन भर की कड़ी तपश्या के बाद तांत्रिक भाऊ को बुलाता है , भाऊ की आत्मा झील की अनंत गहराइयों से कार समेत बुलबुले छोड़ती गुड़गुडाती हुयी एक बार फिर रेलवे ट्रैक पर दौड़ती हुयी नज़र आती है , तभी पीछे से आ रही ट्रैन का ड्राइवर रेलवे कण्ट्रोल रूम पर फोन लगाता है , रेलवे ट्रैक पर एक कार दौड़ रही है , हर रेलवे जोन को सूचित किया जाता है , बात पुलिस तक पहुँचती है , पुलिस सर्चिंग में तत्काल लग जाती है , इधर सामने से आरही ट्रैन में भाऊ की कार आर पार घुस जाती है पीछे की ट्रैन वाला ड्राइवर भौचक्का देखता रह जाता है , और सामने से आरही ट्रैन दुसरे ट्रैक पर आराम से गुज़र जाती है , तभी उसकी नज़र एक बार फिर सामने के ट्रैक कर दौड़ रही कार पर पड़ती है , वो डर जाता है अपने साथी को जगाता है तभी कार रेलवे ब्रिज आते ही ट्रैक से नीचे उतर कर जंगल की अनंत खाइयों में गुम हो जाती है ,

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इधर बालाजी भालेराव घोलपाड़े बाइकर्स को तरह तरह की यातनाएं दे रहा था , तभी भाऊ की आग उगलती कार उन सबके बीच आकर रूकती है आसमान पर मीलों दूर तक धूल के गुबार फ़ैल जाते हैं , कार का दरवाज़ा आसमान की तरफ खुलता हैं , भाऊ बाहर निकलता है , तांत्रिक उस पर भी मन्त्रपांस फेंकता है , जिससे भाऊ की आत्मा बेचैन हो जाती है मगर कुछ ही देर में भाऊ ठीक हो जाता है ,

बालाजी भालेराव बोलता है भाऊ मुझे मेरा पैसा लौटा दे , वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा , भाऊ बोलता है क्या करेगा रे तू मरेगा तू मेरे को मार न मैं तो पहले से ही मरा हुआ हूँ मूर्ख मेरे पापों की सजा मुझे मिल चुकी है अब ये अनाथ आश्रम के बच्चों का पैसा मैं तुझे नहीं लेने दूँगा , बालाजी भाऊ की बात सुनकर फायर हो जाता है , और तांत्रिक को आदेश देता है जला दे इसकी रूह को जब तक जलेगा नहीं तब तक कुछ बकेगा नहीं तांत्रिक मन्त्रपास में आग उत्पन्न करता है और मन्त्रपांस में बंधे भाऊ और उसके साथी बाइकर्स जलन महसूस करने लगते हैं , कुछ बाइकर्स तो जलकर ख़ाक भी हो जाते हैं , मगर भाऊ को हलकी जलन के अलावा कुछ नहीं होता शायद उसकी नेक नीयत की वजह से वो अब एक पुण्यात्मा बन गया था । भाऊ जवाब देता है तू मुझे मारकर कल भी रुपये नहीं लूट पाया था और आज भी नहीं कुछ नहीं पायेगा ।

story in flash back ,

बालाजी भालेराव घोलपडे और भाऊ दो विपरीत मानसिकता के ऐसे गैंगस्टर हैं जो एक दुसरे की शक्ल नहीं देखना पसंद करते हैं , मगर कुछ ऐसे बिजनेस पेंच फसने की वजह से आज दोनों को एक साथ एक मिशन के लिए काम करना पड़ रहा था , बालाजी बैंक रोबेरी अकेले नहीं कर सकता है इसलिए उसने भाऊ की हेल्प ली , भाऊ ने बालाजी भालेराव घोलपडे की इसलिए मदद के लिए तैयार हुआ क्यों वो नहीं चाहता था बैंक रोबेरी का पैसा किसी भी हालत में बालाजी के हाँथ लगे , क्यों की भाऊ जानता था की ये पैसा बैंक का नहीं है बल्कि देश के तमाम अनाथ आश्रमों के लिए आया यूनिसेफ का पैसा है , पैसों से लदा ट्रक जब मुंबई रोड वे से गुज़र रहा था तभी भाऊ ने ट्रक कैप्चर कर लिया था और पैसों से लदा ट्रक घने जंगलों में डाल दिया था ,जहां नेटवर्क तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता था , जिसे कवर दे रहा था बालाजी भालेराव घोलपडे उसे भी भनक नहीं लगी की ट्रक आखिर गया कहाँ उसे उलझाने के लिए भाऊ ने अपनी बाइकर्स गैंग के साथ बालाजी को उलझा दिया था , और जब वापस मुंबई रोडवे पर आये तो , बालाजी और उसके साथियों ने भाऊ और उसके बाइकर्स की गैंग को घेर लिया ,

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आसमान पर चारों तरफ चाँदनी फैली हुयी है , एक पहाड़ की ऊँचाई पर बालाजी भालेराव घोलपडे अपनी गैंग के दम पर भाऊ की गैंग पर हावी है वो भाऊ के साथ सभी बाइकर्स को क़त्ल करके झील की अनंत गहराइयों में फेंकता जा रहा था , सभी एक एक करके बुलबुले छोड़ते हुए झील में समाते चले गए , सुबह का मंज़र कुछ और ही था पुलिस के सायरन के साथ इलाका गूँज जाता है अखबार की सुर्ख़ियों में खबर छपती है की दो मुंबई टॉप गैंगस्टर भाऊ और उसके साथियों की अनजान गैंगवॉर में मौत , और दूसरी तरफ छपता है यूनीसेफ से आया अनाथ बच्चों का पैसा ले जा रहा ट्रक भी ग़ायब है । इधर पुलिस द्वारा पुरानी बाइक्स की नीलामी में कलीम भाई बाइक्स खरीद लेता है और डेंटिंग पेंटिंग के बाद उन्हें सजा कर अपनी दूकान में रख देता है ।

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इधर मुंबई पुलिस ट्रैन ड्राइवर की बताई लोकेशन के अनुसार घटना स्थल तक पहुंच जाती है , और एक ज़बरदस्त गोली बारी का दौर सुरु होता है , जिसमे की बालाजी भालेराव घोलपडे और उसके साथी पुलिस द्वारा मारे जाते है , तभी मुंबई पुलिस के सामने एक बार फिर भाऊ की कार आग उगलती आकर खड़ी हो जाती है , और विपरीत दिशा में घने जंगल की तरफ दौड़ना सुरु कर देती है , जहां पैसों से भरा ट्रक खड़ा था और भाऊ की कार उस ट्रक में जाकर समां जाती है , थोड़ी देर के लिए पुलिस भौचक्की रह जाती है , मगर जब ट्रक की तहक़ीक़ात की जाती है तो पता चलता है की ये वही यूनीसेफ वाला ट्रक है जिसमे देश भर के तमाम अनाथ आश्रम के बच्चों के लिए रुपिया ले जाया जा रहा था , पुलिस उसे अपने कस्टडी में ले लेती है , उधर न्यूज़ चैनल की ब्रेकिंग न्यूज़ में कुख्यात अंडरवर्ल्ड सरगना बालाजी भालेराव घोलपडे की पुलिस एन्काउंटर में मौत , और जंगल से मिला पैसो से भरा यूनीसेफ का ट्रक । इधर अपनी गुमी हुयी बाइक्स पाकर कलीम भाई का चेहरा भी खिल जाता है ।

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मुंबई सेंट्रल कण्ट्रोल रूम में रेलवे ट्रैक पर किसी अनजान कार के चलते पाए जाने की खबर आती है …….

to be continue….

pix taken by google ,