बंगले के भीतर वो साया, जो काँटों वाला गदा घसीटते हुए अंदर गया था, अब एक अंधेरे कमरे में खड़ा था। उसकी आंखें आग की तरह जल रही थीं और होंठों पर एक विकृत मुस्कान थी।
कट टू – मुंबई शहर, तीन महीने बाद।
मुंबई में एक नया बाइकर ग्रुप उभर रहा था – Ghost Hunters on Wheels, जिसका नेतृत्व कर रहा था कबीर, एक राइडर जो अंधेरे से डरता नहीं था।
कबीर को इंटरनेट पर एक पुराना ब्लॉग मिला – “मुंबई-पुणे हाईवे पर लापता कपल्स”, और उस बंगले की तस्वीर जिसने सैकड़ों लोगों को निगल लिया था।
कबीर ने अपनी टीम बनाई –
आदित्य – टेक्नोलॉजी और कैमरा हैकर
नेहा – ऑक्युल्ट रिसर्चर
रवि – बाइक स्टंट मास्टर
सना – स्पिरिचुअल मीडियम
वे सब एक मिशन पर निकले – उस बंगले में जाकर सच सामने लाना। उनका इरादा था भूतों के शिकारी बनकर उनकी आत्मा को मुक्ति दिलाना… या अगर संभव हो तो उन्हें नष्ट करना।
जैसे ही वो बंगले के पास पहुंचे…
रात के 2 बजे, कोहरे से ढका बंगला जैसे एक बार फिर जीवन में जाग उठा। गेट अपने आप खुल गया, और अंदर से वो डरावनी सीटी की आवाजें आने लगीं।
कबीर ने अपनी टीम को रेडी किया – “याद रखना, हम सिर्फ रिकॉर्डिंग के लिए नहीं आए हैं, ये भूत अब और जान नहीं लेंगे।”
जैसे ही वो अंदर गए, उन्हें दीवारों पर खून से लिखा एक संदेश मिला –
“हम लौट आए हैं…”
सना को कुछ अजीब सा महसूस हुआ – “यहाँ सिर्फ भूत नहीं हैं… कोई और शक्ति है जो इन आत्माओं को नियंत्रित कर रही है…”
तभी पहली चीख सुनाई दी – आदित्य की!
वो एक मिरर रूम में फँस चुका था, जहाँ हर शीशे में उसका कोई ना कोई डरा हुआ रूप दिख रहा था। एक शीशे से कंटीले गदे वाला भूत निकला और आदित्य की पीठ पर हमला कर देता है।
नेहा ने जल्दी से एक रक्षक मंत्र पढ़ा और आदित्य को बाहर खींच लाई, लेकिन उसकी पीठ पर कांटों के गहरे निशान थे।
अब शुरू हुआ असली खेल – “शिकारी का तांडव”
हर कमरे में आत्माओं की चीखें, भूतों की परछाइयाँ और दीवारों से खून टपकना शुरु हो गया।
रवि ने ड्रोन कैमरा उड़ा कर बंगले का नक्शा स्कैन किया – तहखाने में एक पुराना चक्रव्यूह था, जहाँ आत्माओं को बांधकर रखा गया था, और उस साये को बल मिलता था।
कबीर ने तय किया – उस चक्रव्यूह को तोड़ना होगा।
वे सब तहखाने में पहुंचे, वहां फिर से वही तांत्रिक अनुष्ठान चल रहा था – पर इस बार एक आत्मा खुद हवन कर रही थी…
वो आत्मा थी पहले कपल की लड़की – प्रिया, जो अब अपने पापों से मुक्त होना चाहती थी।
प्रिया ने उन्हें बताया –
“हम सबको इसी साये ने मारा था, हम तो खुद भी फँस चुके थे, अब वही साया वापस आकर और आत्माओं को निगल रहा है… इसे रोकना होगा!”
अंतिम युद्ध: साया बनाम शिकारी
कबीर ने गदा उठाई, जो पहले साये के पास थी, और मंत्र शक्ति के साथ उस पर हमला किया।
साया ने उसे हवा में उठा लिया और दीवार पर पटक दिया – “तू भी मरेगा, बाकी सब की तरह!”
लेकिन इस बार, कबीर अकेला नहीं था…
नेहा और सना ने मिलकर एक रक्तमंत्र पढ़ा जो आत्मा को बांध सकता था।
आखिरकार, साया की शक्ति कमज़ोर पड़ने लगी।
साया की गूंजती हुई आवाज़ आई –
“मैं अभी नहीं मरा… मैं फिर लौटूंगा…”
कबीर ने आखिरी वार किया और साया हवन कुंड में समा गया।
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एपिलॉग:
टीम थकी हारी, खून से लथपथ, लेकिन ज़िंदा बाहर निकली।
Ghost Hunters on Wheels की ये पहली जीत थी… लेकिन क्या आखिरी?
जैसे ही वो बंगलो की दहलीज पार करते हैं, दीवार पर लिखा दिखता है:
“अब अगला शिकार कौन?”
प्रस्तावना –
जिस रात कबीर और उसकी टीम साया को अग्निकुंड में झोंककर बंगले से बाहर निकले, एक झनझनाहट-सी हवा चली।
बंगले के नीचे ज़मीन फटी… और वहां से उठी एक काली किताब – “तामसी ग्रंथ”।
काली ज्वाला में लिपटी इस किताब को किसी ने उठा लिया — एक नौजवान, यश, जो खुद अंधेरे से खेलना चाहता था।
कट टू – मुंबई, 6 महीने बाद
Ghost Hunters on Wheels अब एक प्रसिद्ध टीम बन चुकी थी।
नेहा कॉलेज में पैरानॉर्मल साइंस पढ़ा रही थी, रवि बाइक स्टंट्स के जरिए अपने एक्सपीरियंस शेयर कर रहा था, और सना मीडियम बन चुकी थी।
पर कबीर बदल गया था…
उसकी आंखों के नीचे काले घेरे थे, रातों को बुरे सपने आते थे –
हर सपने में वही साया… काँटों वाला गदा… और एक नई आवाज़ –
“मेरे ग्रंथ से खेला है किसी ने… अब तू जिम्मेदार है।”
नई समस्या: पुणे के पास ‘खंडहरगढ़ गांव’
एक रिपोर्ट आती है – गांव में लोगों के चेहरे जल रहे हैं बिना आग के।
बच्चों की आंखों से खून बह रहा है, और मंदिर की मूर्तियाँ रात में रो रही हैं।
कबीर टीम को इकट्ठा करता है – “शुरुआत फिर से हो रही है… लेकिन इस बार वो अकेला नहीं है… कोई इंसान उसकी शक्ति को मुक्त कर चुका है।”
टीम गाँव पहुंचती है –
गांव वीरान है, लेकिन मंदिर की सीढ़ियों पर खून के निशान हैं।
सना महसूस करती है – “यह कोई आम आत्मा नहीं… यह ‘तामसी ऊर्जा’ है।”
नेहा पुराने मंदिर के तहखाने में एक गड्ढा खोजती है… उसमें एक किताब की राख है।
राख की गर्मी आज भी वैसी है, जैसे कल ही जलाई गई हो।
तभी एक झटका लगता है – यश प्रकट होता है।
वो अब आधा इंसान, आधा राक्षस बन चुका है। उसके हाथों में कंटीले गदे की छाया है, और आंखों में साया की आग।
“तुमने साया को जलाया था, अब मैं उसे वापस लाऊँगा… और इस बार, हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे।”
युद्ध की शुरुआत –
यश और उसकी “शिकारी आत्माएं” – वो सब जो साया की मौत के बाद जंगल में फंसी थीं – अब वापस आ चुकी हैं।
रवि को हमला करके जमीन में घसीट लिया जाता है, नेहा को मंदिर की मूर्ति में बंद कर दिया जाता है, और सना की आत्मा को छूकर यश उसे बेहोश कर देता है।
कबीर अकेला रह जाता है…
तभी वो पुराना तांत्रिक (मर चुका) आत्मा बनकर प्रकट होता है।
“कबीर, अगर तू इसे रोकना चाहता है, तो तुझे उसी की शक्ति अपनानी होगी… लेकिन खुद को खोने का खतरा रहेगा।”
अंतिम निर्णय –
कबीर वो “तामसी ग्रंथ” का दूसरा भाग खोलता है –
उसमें लिखा है:
“शक्ति पाने के लिए खुद को अंधेरे में झोंक, पर दया ना खोना… नहीं तो तेरा अंत उसी गदे से होगा।”
कबीर मंत्र पढ़ता है, उसकी आंखें चमक उठती हैं।
अब उसका शरीर रोशनी और अंधेरे का संगम बन जाता है।
एंडिंग सीन –
यश और कबीर आमने-सामने खड़े होते हैं,
एक तरफ साया की आत्मा, दूसरी तरफ कबीर की “प्रबुद्ध शक्ति”।
तभी आसमान से बिजली गिरती है…
मंदिर का शिखर टूटता है…
और सबकुछ धूल में समा जाता है…
कट टू ब्लैक –
एक साल बाद, एक बच्चा जंगल में एक टूटी हुई गदा उठा लेता है, और उसकी आंखों में आग चमकती है।
(Ghost Hunters on Wheels की नई पीढ़ी और फिर से जागी हुई बुराई की एक थर्राती कहानी…)
प्रस्तावना –
जंगल में वो बच्चा, जो टूटी गदा उठाता है… अब 15 साल का हो चुका है।
नाम है अर्जुन।
उसकी आंखों में अब भी लाल चमक है, मगर वो खुद नहीं जानता कि उसके भीतर साया की आत्मा धीरे-धीरे जाग रही है।
वो अनजाने में अजीब चित्र बनाता है —
गदा, खून, मंदिर, और “Ghost Hunters on Wheels” की पुरानी तस्वीरें।
कट टू – कबीर की वापसी
कबीर अब छाया में जी रहा है।
उसने खुद को दुनिया से दूर कर लिया है, पर वो जानता है —
गदा फिर लौट आई है, और अबकी बार किसी मासूम के ज़रिए कयामत लौटेगी।
वो अपनी टीम की बची हुई सदस्य सना से मिलता है, जो अब एक छोटे से शहर में स्कूल टीचर है।
कबीर: “साया अब अर्जुन में है… अगर उसे रोका नहीं गया, तो वही तामसी शक्ति अब इंसानी दुनिया पर राज करेगी।”
Ghost Hunters on Wheels – New Generation
कबीर एक नई टीम बनाता है:
1. रूहानी (Kabir की भांजी) – तेज़ दिमाग और आध्यात्मिक जुड़ाव
2. ज़ैन (पहले पीढ़ी के रवि का बेटा) – बाइक एक्सपर्ट और फिजिकल ट्रेनर
3. आरुषि (सना की शिष्या) – एक युवा मीडियम जो आत्माओं से संवाद कर सकती है
टीम का नाम अब बनता है —
“Ghost Hunters on Wheels: Reborn”
भविष्य की लड़ाई – अर्जुन vs इंसानियत
अर्जुन अब सपनों में गदा घुमाता है।
जिस स्कूल में वो पढ़ता है, वहां बच्चे गायब होने लगते हैं।
मंदिर की मूर्तियाँ रोने लगती हैं।
और जब रात आती है, अर्जुन का चेहरा डरावना हो जाता है —
वो अब खुद नहीं, साया है।
कबीर की अंतिम लड़ाई
कबीर जानता है, ये उसकी आखिरी जंग है।
वो अर्जुन से आमने-सामने मिलता है।
कहता है – “अगर तुझे जीतना है, तो मुझे मारना होगा… लेकिन याद रख, जो आत्मा तू लेकर चल रहा है, वो तुझे भी जिंदा नहीं छोड़ेगी।”
अर्जुन हँसता है, गदा उठाता है…
लेकिन तभी रूहानी बीच में आती है, मंत्र पढ़ती है…
और अर्जुन की मां की आत्मा को बुला लेती है — वो आत्मा अर्जुन के सीने में समा जाती है… और साया चीखते हुए बाहर निकलता है।
एंडिंग सीन –
कबीर और साया की आत्मा आखिरी बार आमने-सामने होती है।
कबीर आत्मदाह करता है, और साया को अपने साथ लेकर अग्निकुंड में कूद पड़ता है।
कबीर की राख पर गिरती है अर्जुन की एक आंसू की बूंद… और ज़मीन फिर से शांत हो जाती है।
जब एक ऑनलाइन गेम बन जाता है साया की नई गुफा।
कुछ महीने बीत चुके हैं कबीर की मौत के बाद।
अर्जुन अब सामान्य लड़का है, वो स्कूल जाता है, बाइक चलाना सीखता है, और सबसे अहम — अब Ghost Hunters on Wheels का हिस्सा है।
पर बुराई ने अपना रूप बदल लिया है।
अब वह गुफा, वह बंगला, वो खंडहर नहीं…
अब शैतान छिपा है एक ऑनलाइन गेम में।
“BloodBike.exe” – एक खतरनाक गेम
युवाओं के बीच एक नया गेम वायरल हो गया है:
BloodBike.exe – बाइक रेसिंग, मगर हर स्टेज के बाद एक डरावनी चुनौती।
रात को हेडफोन लगाकर खेलने पर उसमें से सुनाई देती है एक भयानक आवाज़:
“तेरी बारी है… अब तू बचेगा कैसे?”
हर जो खिलाड़ी हारता है, उसकी मौत असली ज़िंदगी में हो जाती है — कभी हार्ट अटैक, कभी आत्महत्या, कभी एक्सीडेंट।
और जो जीतते हैं… उनकी आंखों में वही लाल चमक आ जाती है जो अर्जुन की हुआ करती थी।
Ghost Hunters on Wheels की नई जंग
अर्जुन, रूहानी, ज़ैन, और आरुषि अब इस डिजिटल शैतान का पीछा करते हैं।
वो पता लगाते हैं कि ये गेम उसी बंगले के तहखाने से बनाए गए कोड से जुड़ा है,
जहां साया का बलिदान हुआ था।
एक भूतिया हैकर — “DevGhost” — जो कभी उसी बंगले में तांत्रिक के सहायक के रूप में था,
अब साइबर आत्मा बन चुका है।
“Real vs Virtual”
Ghost Hunters खुद को गेम में फंसा हुआ पाते हैं।
अब बाइक रेस असली लगती है।
हर मोड़ पर मौत छिपी है:
- एक ब्रिज जो अचानक गायब हो जाता है,
- एक ट्रक जो आग से बना है,
- और अंत में एक गुफा, जिसके बाहर लिखा होता है:
“वापसी अब संभव नहीं…”
क्लाइमैक्स – शुद्धि या विनाश?
रूहानी गेम को हैक करने की कोशिश करती है।
अर्जुन देवघोस्ट को बाइक चैलेंज में ललकारता है।
दोनों वर्चुअल बाइक रेस में आमने-सामने।
एक तरफ साया की डिजिटल शक्ति… दूसरी तरफ अर्जुन की मानवता और कबीर की सीख।
रूहानी मंत्रों को कोड में बदलती है।
Code + Spirit = New Weapon.
DevGhost हारता है… गेम खुद-ब-खुद डिलीट हो जाता है।
एंडिंग –
Game खत्म… लेकिन अर्जुन को एक फाइल मिलती है —
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और स्क्रीन पर एक वॉइस:
“Bike रुक गई, मगर खेल नहीं…
story written pics by ai