कब्रिस्तान का श्राप: जमीन फाड़कर निकला भयानक भूत – डरावनी हिंदी कहानी,
रात का अंधेरा घना था, और गांव की पुरानी कब्रिस्तान में सन्नाटा पसरा हुआ था। हवा में एक ठंडी सिहरन थी, जैसे कोई अनजानी ताकत जाग रही हो। अचानक, जमीन फटने की आवाज गूंजी – क्रैक! क्रैक! – जैसे कोई भूकंप आ रहा हो। कैमरा एंगल: वाइड शॉट, ग्राउंड लेवल से ऊपर की ओर, धीरे-धीरे जूम इन जमीन पर। जमीन की दरारें फैलती जा रही थीं, मिट्टी उछल रही थी, और पेड़ों की पत्तियां सरसराने लगीं। गांव का युवक, राजू, जो रात में कब्रिस्तान से गुजर रहा था, रुक गया। उसकी आंखें फैल गईं, दिल की धड़कन तेज हो गई। वह पीछे हटते हुए बड़बड़ाया, “ये क्या हो रहा है? भगवान रक्षा करना!” कैमरा एंगल: क्लोज-अप राजू के चेहरे पर, उसकी आंखों में डर साफ दिख रहा है, बैकग्राउंड में जमीन की दरारें ब्लर होकर फैल रही हैं। अचानक, दरार से एक काला, सड़ा हुआ हाथ बाहर निकला। नाखून लंबे और टूटे हुए, त्वचा सड़ी हुई और कीड़ों से भरी। हाथ ने मिट्टी को पकड़ा और जोर से खींचा, जैसे कोई जीवित होकर बाहर आने की कोशिश कर रहा हो। राजू चीखा, “अरे राम! ये क्या है? कोई भूत?” कैमरा एंगल: लो एंगल शॉट, हाथ के नीचे से ऊपर की ओर, हाथ को और भी डरावना दिखाते हुए, धीमी गति में मूवमेंट। हाथ ने और जोर लगाया, और अब कंधा बाहर आया। मिट्टी उड़ रही थी, और एक डरावनी कराह की आवाज सुनाई दी – “उउउउ… मैं… आया…”। राजू की टांगें कांपने लगीं, वह भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन डर से जड़ हो गया। आसपास की कब्रें हिलने लगीं, जैसे सारी आत्माएं जाग रही हों। कैमरा एंगल: ओवर-द-शोल्डर शॉट राजू की ओर से, दरार पर फोकस, बैकग्राउंड में कब्रिस्तान की धुंधली छाया। अब पूरा शरीर बाहर आने लगा। पहले सिर – बाल उलझे हुए, आंखें लाल और खाली, मुंह से लार टपक रही थी। आदमी का चेहरा डरावना था, जैसे सदियों से दफनाया गया हो – त्वचा झुर्रीदार, दांत काले और नुकीले। वह कराहते हुए बोला, “तुम… सब… मरोगे… मैं लौट आया हूं!” उसकी आवाज गहरी और भयानक थी, जैसे कब्र से गूंज रही हो। कैमरा एंगल: एक्सट्रीम क्लोज-अप डरावने आदमी के चेहरे पर, आंखों में जूम इन, जहां से एक कीड़ा रेंगता हुआ दिख रहा है। राजू ने हिम्मत जुटाई और चिल्लाया, “तू कौन है? यहां से चला जा!” लेकिन डरावना आदमी अब पूरी तरह बाहर निकल चुका था। उसका शरीर लंबा और दुबला, कपड़े फटे हुए और मिट्टी से सने। वह राजू की ओर बढ़ा, हाथ फैलाए, और हंसते हुए बोला, “मैं हूं मौत का दूत… तुम्हारी आत्मा मेरी है!” हवा में ठंड बढ़ गई, और दूर से कुत्तों के रोने की आवाज आई। राजू भागा, लेकिन डरावना आदमी उसके पीछे था, कब्रिस्तान की रात और भी भयानक हो गई।
राजू ने पूरे जोर से दौड़ लगाई। उसके पैरों तले सूखी पत्तियां चरमराती हुईं, लेकिन पीछे से वो डरावना आदमी बढ़ता जा
रहा था। उसकी चाल अजीब थी – जैसे कोई लाश चल रही हो, पैर घसीटते हुए, लेकिन तेजी से। कैमरा एंगल: ट्रैकिंग शॉट, राजू के पीछे से, कैमरा तेजी से उसके साथ दौड़ता हुआ। बैकग्राउंड में कब्रिस्तान की काली छायाएं और दरारें दिख रही हैं। राजू ने मुड़कर देखा। वो आदमी अब सिर्फ दस-बारह कदम पीछे था। उसकी लाल आंखें अंधेरे में चमक रही थीं। वह गरजते हुए बोला, “भाग मत… तेरी आत्मा मेरी है… सदियों से इंतजार था!” राजू की सांसें तेज हो गईं। वह चीखा, “कोई है? बचाओ मुझे!” लेकिन कब्रिस्तान में सिर्फ उसकी आवाज गूंज रही थी। अचानक उसके पैर किसी पत्थर से टकराए और वह गिर पड़ा। कैमरा एंगल: हाई एंगल शॉट, ऊपर से राजू के गिरते हुए। धूल उड़ती हुई, चेहरा मिट्टी में लगा। वो पलटकर देखा। डरावना आदमी अब उसके सामने खड़ा था। उसका मुंह फैला हुआ था, जैसे हंस रहा हो, लेकिन कोई हंसी नहीं – सिर्फ एक डरावनी कराह। उसने अपना काला हाथ राजू की ओर बढ़ाया। “तूने मेरी कब्र पर पैर रखा… अब तू मेरे साथ जाएगा!” राजू ने हिम्मत करके उस हाथ को झटका। “नहीं! मैं नहीं जाऊंगा!” उसने पास पड़ा एक पुराना लोहे का क्रॉस उठाया (कब्रिस्तान में पुरानी ईसाई कब्रें भी थीं) और जोर से उसके चेहरे पर मारा। कैमरा एंगल: स्लो-मोशन, क्रॉस हवा में घूमता हुआ, फिर उसके चेहरे पर टकराता हुआ। एक तेज चीख निकली। डरावना आदमी पीछे हटा, उसके चेहरे से काला धुआं निकलने लगा। लेकिन वह गिरा नहीं। उसने फिर गरजते हुए कहा, “ये दर्द मुझे और भड़का रहा है… अब तू बच नहीं सकता!” अचानक आसपास की कब्रों से और हाथ बाहर निकलने लगे। एक, दो, तीन… कई कब्रें फट रही थीं। मिट्टी उड़ रही थी, और कराहने की आवाजें बढ़ती जा रही थीं। कैमरा एंगल: पैनोरामिक शॉट, 360 डिग्री, पूरी कब्रिस्तान में डरावने आकृतियां बाहर निकलती हुईं। राजू अब चारों तरफ से घिर चुका था। वह रोते हुए बोला, “भगवान, माफ कर दो… मैं कभी यहां नहीं आऊंगा!” तभी दूर से एक तेज रोशनी आई – गांव की तरफ से कोई ट्रैक्टर की हेडलाइट। कोई इंसान आ रहा था। डरावने आदमी की आंखें सिकुड़ गईं। वह गुर्राया, “आज तू बच गया… लेकिन अगली रात… मैं फिर आऊंगा!” सारे हाथ और आकृतियां अचानक जमीन में समा गए। बस एक ठंडी हवा बची, और राजू की सांसें। ट्रैक्टर पास आया। ड्राइवर ने देखा तो चिल्लाया, “अरे राजू! क्या हुआ? इतनी रात को यहां?” राजू उठा, कांपते हुए बोला, “भाई… चल, जल्दी घर चल। मुझे कुछ नहीं हुआ… बस… बस एक सपना था।” लेकिन उसकी आंखों में अब भी वो डर था। और कब्रिस्तान में, सबसे पुरानी कब्र पर, एक नई दरार बन गई थी… जैसे इंतजार कर रही हो। कैमरा एंगल: फेड आउट, दूर से कब्रिस्तान पर, रात का अंधेरा और दूर जाती ट्रैक्टर की लाइट्स। बैकग्राउंड में धीमी, डरावनी म्यूजिक।
अगली सुबह राजू घर पहुंचा तो उसकी आंखें लाल थीं, चेहरा पीला पड़ गया था। मां ने देखा तो घबरा गई। “बेटा, क्या
हुआ? रात भर कहां था?” राजू ने हकलाते हुए कहा, “मां… कुछ नहीं… बस थक गया हूं।” लेकिन उसकी आवाज कांप रही थी। वह दिन भर बिस्तर पर पड़ा रहा, लेकिन नींद नहीं आई। आंखें बंद करते ही वो डरावना चेहरा, वो लाल आंखें, वो काली हाथ… सब सामने आ जाते। शाम को गांव के कुछ लड़के उसके घर आए। “राजू भाई, आज रात फिर कब्रिस्तान चलें? वो पुरानी कहानी सुनाई है ना, आज मिलकर देखते हैं!” राजू ने सिर हिलाया, “नहीं… मैं नहीं जाऊंगा। तुम लोग मत जाओ।” लेकिन लड़के हंस पड़े। “अरे डरपोक! हम तो मस्ती करने जा रहे हैं।” रात हुई। राजू घर में ही था, लेकिन उसका मन बार-बार कब्रिस्तान की तरफ जा रहा था। बाहर हवा तेज चल रही थी। अचानक बिजली चली गई। अंधेरा छा गया। कैमरा एंगल: इनसाइड शॉट, राजू के कमरे का, खिड़की से बाहर अंधेरा। कैमरा धीरे-धीरे खिड़की की तरफ पैन करता है। खिड़की पर एक खटखटाहट हुई। राजू चौंक गया। वह उठा, धीरे-धीरे खिड़की के पास गया। बाहर देखा तो कोई नहीं था। लेकिन फिर खटखटाहट हुई। इस बार तेज। कैमरा एंगल: क्लोज-अप खिड़की पर, बाहर की तरफ से कोई काला साया दिखता है। राजू ने दरवाजा खोला। बाहर कोई नहीं। लेकिन जमीन पर… एक काला निशान था, जैसे कोई सड़ा हुआ हाथ रखा गया हो। उसकी हथेली का निशान। राजू पीछे हटा। तभी बाहर से आवाज आई – गहरी, कराहती हुई: “मैंने कहा था… अगली रात…” राजू ने दरवाजा बंद किया, पीठ दरवाजे से लगाई। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। अचानक घर की सभी खिड़कियां एक साथ खटखटाने लगीं। बाहर से कई कराहने की आवाजें – “उउउउ… आ गया… आ गया…” कैमरा एंगल: क्विक कट्स, घर के चारों तरफ की खिड़कियां, बाहर से काले हाथों के साये, दरारें, लाल आंखें झांकती हुईं। राजू चीखा, “मां! पापा!” लेकिन घर में कोई नहीं था। मां-पापा गांव के मेला देखने गए थे। वह अकेला था। अचानक मुख्य दरवाजा धड़ाम से खुल गया। डरावना आदमी अंदर घुस आया। उसके पीछे और कई लाशें – सबकी आंखें लाल, मुंह से काला धुआं निकल रहा था। वो आदमी राजू की तरफ बढ़ा, धीरे-धीरे। “अब तू नहीं बचेगा… तेरी आत्मा मेरी है… और तेरे गांव की सारी आत्माएं हमारी होंगी!” राजू ने पास पड़ी एक तलवार (घर में पुरानी सजावट वाली) उठाई। “तुम सब यहां से चले जाओ! नहीं तो…” डरावना आदमी हंसा – एक भयानक, गूंजती हुई हंसी। “तलवार से क्या करेगा? हम पहले ही मर चुके हैं!” उसने हाथ बढ़ाया। राजू ने तलवार मारी, लेकिन तलवार उसके शरीर से गुजर गई, जैसे हवा हो। आदमी ने राजू का गला पकड़ लिया। कैमरा एंगल: स्लो-मोशन, राजू का चेहरा, आंखें फैली हुईं, सांस रुकती हुई। तभी दूर से एक जोरदार आवाज आई – “रुक!” गांव का बूढ़ा पंडित, हाथ में एक बड़ा दीया और हनुमान जी की मूर्ति लिए, दरवाजे पर खड़ा था। उसने मंत्र पढ़ना शुरू किया: “ॐ हनुमते नमः… ॐ जय हनुमान…” दीये की लौ तेज हुई। डरावने आदमी की आंखें सिकुड़ गईं। वह पीछे हटा। “नहीं… ये नहीं!” पंडित ने और जोर से मंत्र जपे। लाशें एक-एक करके पीछे हटने लगीं। डरावना आदमी चीखा, “ये अंत नहीं है… हम फिर आएंगे!” और सब अचानक धुंध में गायब हो गए। कैमरा एंगल: वाइड शॉट, घर के अंदर, पंडित राजू को सहारा दे रहा है। बाहर रात का अंधेरा। राजू रोते हुए बोला, “पंडित जी… ये सब सच था?” पंडित ने कहा, “हां बेटा… वो कब्र पुरानी है। सदियों से एक श्राप है। लेकिन आज तू बच गया। कल सुबह हम सब मिलकर उस कब्र को बंद करेंगे।” लेकिन राजू की आंखों में अब भी डर था। क्योंकि उसने देखा था – सबसे पुरानी कब्र पर वो दरार… अभी भी हल्की-हल्की हिल रही थी। कैमरा एंगल: फेड आउट, कब्रिस्तान पर, रात का अंधेरा, और एक धीमी कराह की आवाज दूर से।
अगली सुबह गांव में हलचल मच गई। राजू ने सब कुछ पंडित जी को बता दिया। पंडित जी ने गांव के सरपंच को बुलाया
और कहा, “ये पुरानी कब्र है… सदियों पुरानी। इसमें एक श्राप है। वो आदमी कोई साधारण इंसान नहीं था – वो एक काला जादूगर था, जिसने मौत को धोखा दिया था। अब उसकी आत्मा जाग गई है।” सरपंच ने कहा, “तो अब क्या करें?” पंडित जी बोले, “आज शाम को हम सब मिलकर उस कब्र को बंद करेंगे। हवन करेंगे, मंत्र पढ़ेंगे। लेकिन रात होने से पहले सब घर लौट आएं।” कैमरा एंगल: मीडियम शॉट, गांव की सड़क पर लोग इकट्ठा हो रहे हैं। पंडित जी बीच में खड़े हैं, हाथ में लाल किताब। शाम हुई। लोग कब्रिस्तान पहुंचे। पंडित जी ने सबसे पुरानी कब्र के पास हवन की तैयारी की। लकड़ी जल रही थी, घी की खुशबू फैल रही थी। मंत्रों की आवाज गूंज रही थी: “ॐ नमः शिवाय… ॐ हनुमते नमः…” राजू भी वहां था। उसकी आंखें डरी हुई थीं, लेकिन आज वह डर नहीं दिखाना चाहता था। अचानक हवा तेज हो गई। आग की लपटें असामान्य रूप से ऊंची उठने लगीं। जमीन हिलने लगी। कैमरा एंगल: लो एंगल शॉट, कब्र पर फोकस, दरारें फिर से फैलती हुईं। पंडित जी ने जोर से कहा, “रुक जाओ! तुम्हें अब शांति मिलेगी!” लेकिन दरार से वही काला हाथ बाहर निकला। इस बार और तेजी से। पूरा शरीर बाहर आया – वो डरावना आदमी। उसके पीछे और लाशें उठने लगीं। गांव वाले घबरा गए। कुछ भागने लगे। डरावना आदमी गरजते हुए बोला, “तुम सब मुझे रोक नहीं सकते! ये गांव मेरा है… ये कब्र मेरा है!” उसने पंडित जी की तरफ हाथ बढ़ाया। पंडित जी ने हनुमान जी की मूर्ति उठाई और जोर से मंत्र पढ़ा: “जय हनुमान ज्ञान गुण सागर… जय कपीस तिहुं लोक उजागर!” मूर्ति से एक तेज रोशनी निकली। वो रोशनी डरावने आदमी पर पड़ी। वह चीखा, “नहीं… ये रोशनी… जलाती है!” उसके शरीर से काला धुआं निकलने लगा। लाशें एक-एक करके जमीन में समाने लगीं। डरावना आदमी अंत में घुटनों पर बैठ गया। उसकी आंखों में अब डर था। वो कराहते हुए बोला, “मैं… मैं गलत था… मुझे माफ कर दो…” पंडित जी ने कहा, “अब जा… शांति से सो जा।” एक आखिरी चीख के साथ वो आदमी जमीन में समा गया। दरार बंद हो गई। हवन की आग फिर से शांत हो गई। कैमरा एंगल: वाइड शॉट, कब्रिस्तान अब शांत। लोग एक-दूसरे को देख रहे हैं। राजू ने राहत की सांस ली। वह पंडित जी के पैरों में गिर पड़ा। “धन्यवाद पंडित जी… सब खत्म हो गया।” पंडित जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां बेटा… लेकिन याद रखना – श्राप खत्म हुआ, लेकिन डरना मत। भगवान की शक्ति से बड़ा कुछ नहीं।” कैमरा एंगल: फेड आउट, कब्रिस्तान पर सूरज उगता हुआ। सुबह की पहली किरण पुरानी कब्र पर पड़ रही है। बैकग्राउंड में शांत भजन की धुन। गांव में अब शांति थी। लेकिन राजू की आंखों में वो रात हमेशा याद रहेगी… और वो जानता था – कभी-कभी अंधेरे में छिपे खतरे फिर भी लौट सकते हैं।
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