sachi darawni kahaniya ghost of coalmines ,

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sachi darawni kahaniya ghost of coalmines ,
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sachi darawni kahaniya ghost of coalmines ,

झारखंड की कोयला खदाने उगलने को तो पैसे के साथ साथ सोना हीरा भी उगलती हैं , मगर ज़मीन खोदते खोदते कभी कभी कुछ ऐसे राज़ भी खोल देती है जो कल्पना से परे होते है , रात का वक़्त कोयले की खदान में दौड़ते डोज़र की लाइट्स से चौधियां कर जाने कहाँ से एक सियार मिटटी की लीख पर डोज़र के आगे आगे दौड़ा जा रहा था , डोज़र के ड्रायवर ने बोला अभी निपटा हूँ साले को साथ बैठे गौतम जी ने बोला निपटा दे साले को लगे हाँथ मिटटी में इसकी कबर भी बना देना , ड्रायवर एक झटके में सियार को डोज़र की चपेट में लेता है और वही उसे दफना देता है , लाश को वहीँ छोड़ देता तो दूसरे दिन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वाले पंचनामा करने आ जाते और फालतू का ठेकेदार से पैसे ऐंठते, गौतम जी को ज़मीन से लगभग ३००० मीटर ऊपर टीन के सेड के पास उनके ठीहे में छोड़ने के बाद डोज़र अपने काम में वापस लग जाता है , गौतम जी कोयला खदान में सुपरवाइज़र हैं , नए नए आये हैं आज उनका पहला दिन है और हफ्ते का आखिरी भी और आज ही उनकी रात ड्यूटी है , ठीहे पर पहुंचने के बाद गौतम जी टीन के सेड पर बनी टेबल पर पर अपना कम्बल डालते हैं सिरहाने अपना बैग रखते हैं आस पास कुछ देर टॉर्च चमकाते हैं यहां वहाँ काम देखते हैं लगभग १ बजे टी टाइम हो जाता है सभी वाहन चालक चाय पीने जाने के लिए गौतम जी को बोलते हैं , गौतम जी बोलते हैं नहीं यार मैं नहीं जाऊँगा तुम लोग हो आओ मैं यहीं आराम करुगा , ठण्ड का वक़्त है , माहौल शांत होते ही गौतम जी की जाने कब आँख लग गयी , पता ही नहीं चला , तभी टीन के सेड पर पर तड़ातड़ पत्थरों की बारिश होने लगती है , गौतम जी की नींद खुल जाती है वो टॉर्च जला कर फ़ौरन बाहर की तरफ़ लपकते हैं , बाहर देखते हैं सब मसीने बराबर चल रही है , गौतम जी अपनी घडी में टाइम देखते हैं घडी में १:३० बजा है गौतम जी को लगता है की शायद टी टाइम आधे घंटे का ही हुआ होगा , वो आकर एक बार फिर चैन की नींद सो जाते हैं , तभी सिक्योरिटी गार्ड आता है और गौतम जी को जगाता है और बोलता है सोने आते हैं क्या यहां देखिये आपका वायरलेस बज रहा है गौतम जी आँख मीजते हुए वायरलेस में सीनियर इंजीनियर से निर्देश लेते हैं इसके बाद फ़ौरन ऑपरेटर को आदेश देते हैं और डंप ट्रक में बैठ कर दूसरी दिशा की और चल देते हैं । तभी गौतम जी एक बार फिर टाइम देखते हैं अभी २:३० बजा था , गौतम जी ड्राइवर से पूछते हैं तू आज १:३० बजे से काम में लग गया आधा घंटा में चाय पी के लौट आया ड्राइवर बोलता है कहाँ गौतम जी मैं तो अभी आया हूँ आप भी सटक गए हैं क्या अभी २:३० बज गया है , गौतम जी को लगता है हो सकता है नींद की वजह से उन्होंने घडी देखने में गलती कर दी हो ।

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cut to next day ,

सुबह सुबह का वक़्त है सभी कर्मचारी कैंटीन में चाय पी रहे हैं , तभी खून से लथपथ एक शख्स कैंटीन के अंदर दाखिल होता है , सभी कहते हैं लखना तोहे कौन ने पीट दिया बे कौनौ की लुगाई का छेड़त रहे का बे , लखना कहता है का छेड़त रहे दुर्भाग्य रहो हमार जो रात ड्यूटी लगी रही भालू ने नीछ खाओ हमहें , तुम लोगन को ठिठोली सूझत ही काहे , तभी गौतम जी के साथ बैठे ड्राइवर ने बोला का बे लखना कौनौ कबाड़न का सटावत रहे का , ओहिन का नोचा लागत है , खूब रंगरलियां मन रहे हो आजकल कबाड़न की गैंग के साथ बड़ा नाम कमा रहे हो बे हमारा भी मुँह मीठा करवाओ कभी खूब गुटखा खैनी का आदान प्रदान करते हो कबाड़न के साथ , एकाध को धैलो वहीं जंगल में मंगल करते रहना , इतना सुनकर लखना आगबबूला होकर बिना चाय पिए कैंटीन के बाहर निकल जाता है , और सामने बैठे गौतम जी के साथ डंप ट्रक का ड्राइवर हसने लगता है । और कहता है बहुत हरामी है साला ये लखना आज तक गाँव की कौनौ चोरी का नहीं बचाओ है ससुरा बड़ा रसिया है उम्र कब्र पर सोने की हो गयी है और सेज़ सजाने के ख्वाब देखता रहता है ससुर के नाती , इतना कहते हुए ड्राइवर गौतम जी के साथ वहां से निकल जाता है ।

cut to coal mines ,

दोपहर का वक़्त है कोयले की खदान में बेगर के इर्द गिर्द डोज़र चल रहे हैं लगभग ३०० मीटर दूर डंप ट्रक माल ढो रहे हैं , तभी बाजू की झाड़ियों से कुछ खड़खड़ाने की आहट महसूस होती है , गौतम जी बड़े गौर से उस झाडी की तरफ देखते हैं उन्हें लगता है हो न हो कोई भालू है तभी एक गन्दी सी ड्रेस में एक औरत सामने आती है , वो गौतम जी से कहती है खैनी खिलाओ न साहेब गौतम जी कहते हैं मैं खैनी नहीं खाता वो औरत कहती है गुटखा ही खिला दो साहेब , गौतम जी कहते हैं मैं गुटखा भी नहीं खाता तभी वो औरत गौतम जी की तरफ अश्लील इशारे करती है गौतम जी कहते हैं थोड़ा दूर रहो मैं ड्यूटी में हूँ चलो जाओ यहां से वो औरत कहती है सुनिए न साहेब कुछ कबाड़ इकठ्ठा किया है लेके निकल जाऊं ,गौतम जी कहते हैं सिक्योरिटी गार्ड देख लिया तो मैं नहीं जानता , औरत कहती है सिक्योरिटी गार्ड तो को तो हम अपने लहंगे के अंदर रख के चलते हैं , आप बोलो तो आप की भी व्यवस्था करवा दें , एक एक से करारी लुडूईया हैं हमारे पास , गौतम जी कहते हैं जाओ निकलो मुझे कोई मतलब नहीं है तभी वो औरत सीटी बजाती है लगभग बीसियों औरतों और लड़कियों का झुण्ड बोरियों में कबाड़ का सामान लेकर वहाँ से निकल जाते हैं ,कबाड़ियों का ये झुण्ड देखकर गौतम जी के होश उड़ जाते हैं ,

cut to next week night shift ,

खदान में चारों तरफ मसीने चल रही हैं , गौतम जी सेड पर बैठे अपने घर में बात कर रहे हैं , तभी एक ट्रक में कुछ बन्दूक धारी कबाड़ियों का आगमन होता है , सिक्योरिटी गार्ड देखते ही वहाँ से भाग जाता है , गौतम जी भी समझ जाते हैं जान का खतरा है वो भी चुपचाप सेड में घुस जाते हैं कबाड़ी कबाड़ पड़ी मसीनो के पार्ट्स ट्रक में लोड करते हैं और वो भी वहाँ से निकल जाते हैं , उनके निकलते ही सिक्योरिटी गार्ड गौतम जी के पास आता है , गौतम जी बोलते हैं बड़ा जलवा है माइंस में कबाड़ियों का गार्ड कहता है सब पुलिस की मिली भगत है गौतम जी देखते जाइये यहां तो जाने क्या क्या होता है , गौतम जी सिक्योरिटी गार्ड से कहते हैं ये बता सब मसीनो के पार्ट्स कबाड़ी ढोये पड़े हैं मगर वो जो एक पुराना डोज़र खड़ा है उसे कोई हाँथ भी नहीं लगाता ।सिक्योरिटी गार्ड कहता है उस डोज़र की बात न करिये गौतम जी उसकी कहानी बहुत लम्बी और खतरनाक है अपनी ड्यूटी कीजिये बस , इतना कहते हुए ड्राइवर गौतम जी की बात को टाल देता है , जिनकी आठ आने की औक़ात नहीं थी , आज ठेकेदार बने बैठे हैं यहां आप भी एक काम करो ज़मीन वमीन बेचकर एकाध गाड़ी लगवा दो माइंस में सोना उगलेगी सोना , और खैनी मलता हुआ वहाँ से चला जाता है ।

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अगली रात टी टाइम हो चुका है गौतम जी आज भी कैंटीन नहीं गए , उन्होंने सेड में थोड़ा देर आराम करने का निश्चय किया है सिरहाने बैग रख कर वो टेबल में लेट जाते हैं , अभी आँख लगी ही थी की एक शख्स सेड के पास आकर पूछता है कोई है कोई है क्या , वो पहले बाहर से चिल्लाता है फिर सेड के अंदर चला आता है , गौतम जी की आँख खुल जाती है , गौतम जी उस अन्जान शख्स को देखकर हक्का बक्का रह जाते हैं , वेशभूसा से वो शख्स डोज़र का ड्राइवर लग रहा था , गौतम जी पूछते हैं कौन हो भाई कहाँ से आये हो , अभी तो टी टाइम हुआ है वो शख्स बोलता है डोज़र का ड्राइवर हूँ ओवर टाइम कर रहा हूँ बेटी की शादी करनी है ज़्यादा पैसे कमाने हैं , खैनी है आपके पास गौतम जी कहते हैं हाँ है , वो उसे खैनी की डिब्बी देते हैं , वो शख्स तम्बाकू की डिब्बी लगभग खाली ही कर देता है की तभी गौतम जी बोलते हैं आराम से भाई अभी सारी रात पड़ी है वो शख्स अपने दांत बाहर निकाल कर हसने लगता है गंदे दाँत बाहर निकाल कर हसने लगता है दांतों में भयानक काई लगी हुयी है ऐसा लगता है जैसे सालों से ब्रश ही न किया हो , और अपनी हथेली से कुछ तम्बाकू वापस डिब्बी में डाल देता है, और गौतम जी से पूछता है आप भी लेंगे गौतम जी कहते हैं हाँ बना लो , वो शख्स तम्बाकू मलने लगता है , गौतम जी कहते हैं मैंने तुम्हे आज तक नहीं देखा तुम कौन हो भाई वो शख्स गौतम जी की तरफ देखता है और बोलता है डोज़र का ड्राइवर और गौतम जी को बताता है वो देखिये वो खड़ा है मेरा डोज़र , गौतम जी टॉर्च मारते हैं और कहते हैं ये अँधेरे में कहाँ से आगया है , गौतम जी कहते हैं ये तो बरसों से बंद पड़ा डोज़र है क्या मज़ाक करते हो , वो शख्स एक बार फिर गंदे दाँत निकाल कर हंस देता है । तभी गौतम जी के घर से फोन आता है , उनकी बेटी वीडियो कालिंग पर उनसे बात करती है उसे आज नींद नहीं आरही है , गौतम जी बात करते हैं और गुड नाईट करके उसे सुला देते हैं , तभी वो शख्स एक बार फिर गौतम जी से आग्रह करता है , मुझे भी घर में बात करनी है , गौतम जी कहते हैं बताओ नंबर अभी बात करवा देता हूँ , वो शख्स नंबर बताता है जिसे गौतम जी डायल करते हैं , मगर वो नंबर उपलब्ध नहीं है का जवाब देकर कट जाता है , गौतम जी कहते हैं भाई ये नंबर उपलब्ध नहीं है , कौन से ज़माने का नंबर बता रहे हो , वो शख्स बोला अभी दो महीना पहले ही तो हमारे मकान मालिक ने नया फोन लगवाया था , गौतम जी कहते हैं फोन लगवाया था आज के दौर में तो सब मोबाइल लेते हैं , वो शख्स कहता है हमारे ज़माने में तो मोबाइल कोई जानता भी नहीं था , गौतमजी कहते हैं कौन से ज़माने के हो भाई वो शख्स बोलता है नब्बे के दसक के हैं , गौतम जी को उस शख्स पर शंका होने लगती है हो न हो ये इंसान नहीं है , गौतम जी उस शख्स से कहते हैं अपना आधार कार्ड दिखाओ , वो शख्स कहता है ये क्या होता है गौतम जी कहते है अपनी आई डी प्रूफ दिखाओ वो अपना बिल्ला नंबर दिखाता है , जो सचमुच ९० के दसक का था , गौतम जी समझ जाते हैं हो न हो ,ये शख्स इंसान नहीं है आज बहुत गलत फंसे हैं और मन ही मन सोचते हैं की कास सबके साथ चाय पीने कैंटीन ही चले जाते ,

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गौतम जी उस शख्स से कहते हैं की तुम बैठो मैं बाथरूम से आता हूँ , वो शख्स गौतम जी की तरफ देखता है और मुस्कुरा कर कहता है कोई बात नहीं आराम से करके आइये फिर दरबार होती है , गौतम जी अपना सामान छोड़ कर वहाँ से भाग खड़े होते हैं , और मिटटी के पहाड़ में जाने किस दिशा की और भागते हैं उन्हें खुद भी खबर नहीं होती और आखिर कार जाने किसी चीज़ से टकरा कर ऊंचाइयों से गिरते चले जाते हैं , और मिटटी में लगभग उनका आधा शरीर गड जाता है , जिससे वो निकल भी नहीं पाते हैं , उधर सेड में बैठा व्यक्ति उनका इंतज़ार करते करते करते थक हारकर चला जाता है , टी टाइम ख़त्म हो जाता है , गाड़ियां काम में लगी रहती है , सुबह हो जाती है शिफ्ट ख़त्म हो जाती है , लखना सेड पार आता है गौतम जी को न पाकर डंप ट्रक के ड्राइवर से पूछता है गौतम जी कहाँ है वो कहता है सेड में होंगे टी टाइम के बाद दिखे नहीं गौतम जी को ढूढ़ने के लिए लोग लगाए जाते हैं और आखिर कार गौतम जी को ज़मीन से खोदकर निकाला जाता है , गौतम जी बेड परे लेटे कुछ सोच रहे हैं की लखना आता है , वो गौतम जी से पूछता है क्या हुआ था रात में गौतम जी आप वहां कैसे पहुंच गए , गौतम जी ने सारी घटना विस्तार से लखना को बताई , लखना ने बोला साहेब मेरी तो ज़िन्दगी गुज़र गयी इस खदान में , लोगों का कहना है की खदान अगर सोना उगलती है न तो बदले में ना जाने कितनी जाने भी लेती है , जो शख्स आपको कल रात में दिखा था न उसकी भी मज़बूरी थी देर रात तक काम करने की वजह से कई दिनों से सोया नहीं था , दिन रात बराबर डोज़र चला रहा था , घर में जवान बेटी थी शादी की चिंता थी उसे , एक रात जाने कैसे मिटटी में धंस गया उसका डोज़र वो शख्स नींद में था बहुत कोशिश की टी टाइम हो चुका था कोई था भी नहीं डोज़र के नीचे दबकर मर गया बेचारा , कंपनी मैनेजर ने उसे वहीँ गड़वा दिया बात रफा दफा हो गयी रजिस्टर से उसका नाम भी उड़ा दिया गया , तब ऑनलाइन कुछ होता नहीं था , कंपनी का पैसा बच गया , उसके परिवार को मुआवज़ा भी नहीं देना पड़ा , बहुत झोलझाल होता है गौतम जी खदान में , यहां कितने राज़ दफ़न हैं ये आप सोच भी नहीं सकते , लखना की बात सुनते ही गौतम जी ने वहाँ से अपना ट्रांसफर करवाने का निश्चय किया और कुछ दिनों बाद ही गौतम जी सिंगरौली चले गए ।

the end ,

pics taken by google ,