अक़्स बनकर आईने में उतर गया हूँ मैं one line thoughts on life in hindi ,

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अक़्स बनकर आईने में उतर गया हूँ मैं one line thoughts on life in hindi,

अक़्स बनकर आईने में उतर गया हूँ मैं,

ज़िन्दगी तुझको सजाने में इस क़दर संवर गया हूँ मैं ।

 

ख़ैरात में मिली तक़दीर लगती है ,

लाख जद्दोज़हद के बाद भी फ़क़ीर सी लगती है ।

 

उफ़ दबी ज़बान से ये इक़रार ए मोहब्बत ,

दिल में किसके क़त्ल का सामान लिए हो ।

 

ना पूछ इश्क़ में ग़ालिब वाक़िया क्या क्या हुआ ,

ख़ानाबदोश बने फिरते रहे हम और हमारी मुफ्लिशी का चर्चा हरसू हुआ।

 

हमसे जुदा होकर तुम कितना आबाद हुए यही आज़मा रहे हैं हम ,

ज़ौक़ ए इश्क़ में क़तरे को तरसे और कहाँ तक इश्क़ में डूबते जा रहे हो तुम ।

 

बड़ी दहसत है ज़ालिम तेरी ग़ालिब की महफ़िल में ,

कहीं मिजाज़ ए यार से महफ़िल फिर ना ग़मगीन हो जाये ।

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दिल सबका कहीं इतना बड़ा होता है ,

कोई कोई ही ज़ख्म लेने को ख़ुदा होता है ।

 

इक वक़्त था जब सब्ज़ बागों के नज़ारे सुर्खरू होते थे हरसू ,

अब आलम ये है की आइना ए बहार की भी उम्मीद नहीं होती रूबरू ।

 

यूँ तो लफ़्ज़ों में भी नशा होता है ,

गोया फिर तो ग़ालिब के सुखन में मैकशी है सारी ।

 

चिंगारियां कितनी भी गर्त में दबी हों ,

गोया आस्मां छूने की ख्वाहिश बुलंदियों तक ले ही जाएगी ।

 

ता उम्र रही दुनिया में मुझे दुश्मनो की तलाश ,

एक मुझसे ही नाराज़ शख्स मेरे अंदर छुपा था ।

 

मोहब्बत भी जायज़ है अदावत भी जायज़ है ,

रगों के दरमियान गर रवानी ए लहू हो सुर्खरू जमाने भर से बगावत भी जायज़ है ।

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ख़ुदा की बन्दगी छोड़ दी , जब से खुदाओं के ख़ुदा बनने लगे ,

और मर गया दर पर भिखारी ख़ाक बीनते भीतर पकवान पर पकवान चढ़ते रहे ।

 

मंदिर मस्जिद भी देख लेंगे दीन ओ ईमान के बाद ,

पहले ये तो देख लें दर पर जो मर रहा है वो इब्न ए इंसान ही है क्या ।

pix taken by google