आशिक़ है तलबग़ार है दीदा ए यार का romantic shayari ,
आशिक़ है तलबग़ार है दीदा ए यार का ,
मुलाक़ात बहाना है कोई अख़्ज़ ये नहीं ।
अज्ज मेरी तू है मैं फ़लक़ का आसमान ,
विसाल ए यार नहीं होगी कभी दिल को पता था ।
अर्जमंद न हुआ कोई शहेंशाह न हुआ ,
गोया जिसने भी की मुहब्बत तमाम उम्र तड़पा है विसाल ए यार को ।
मुलाक़ात हुयी दिल भी मिले गुल भी खिले ,
फिर वक़्त शैदाई हुआ बहार लुटी गुलशन उजड़े ।
इश्क़ भी फ़ज़ूलख़र्ची है और कुछ भी नहीं ,
बेफ़िक़्रों के बीच हम भी वक़्त ज़ाया नहीं करते ।
नज़र हो फलक पे सदा इरादे रखना बुलंद ,
हौसलों से चलती है ज़िन्दगी ,
क़दम चूमेगा आसमान दो मुट्ठी की है ज़मीन दो मुट्ठी के है ज़माने भर के फ़साने सारे ।
इश्क़ का नाम तबाही है जलजला से भरा है दरिया ,
किनारे बैठ के लेता मज़ा , क्यों कूदा मरने को अब पायेगा सज़ा ।
हंसा चुगा मोती सारे बैठे सागर नीर ,
कबिरा तन मन खोय के तस्बीह जपे गंगा तीर ।
तस्बीह की लड़ी में साँस सा पिरोया है यादों का मंज़र ,
कुछ ख़्वाब अधूरे हैं कुछ अश्क़ के मोती हैं पल पल ।
ख़्वाब यादों के कातू कैसे ,
हाँथ जुलाहे का है करघा न पोनी न रुई ।
आब ए रूह पर तू हिज़ाब न उढा कफ़न का ,
आसिम नहीं हूँ आशिक़ नाम है मेरा ।
दिल फेंक परिंदे सा फिरता है तितर बितर,
हर दिल अजीज़ की मोहब्बत भी बस दीदा ए यार है ।
तन्हाई भी कहाँ तन्हा होती है ,
साथ तेरी याद मेरे पल पल रोती है ।
न अपनाता इन्हें कुनबा न देता क़ब्र में सोने ,
न मैखाना भी होता साथ तो न जाने आशिक़ कहाँ जाते ।
मैय्यत में मेरी आये हैं साथ लेके क़फ़न वो ,
गोया बस एक मुलाक़ात की ख़लिश भी मिट गयी ।
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हम तो आशिक़ हैं बिना देखे भी मर सकते हैं ,
फ़िक्र उनकी करो जो मुलाक़ात के लिए ही सजाते हैं हर रोज़ नया फ़न।
pix taken by google ,