घरों की रोशनी के वास्ते ही चरागों को जलाये रखता shayari in hindi,

0
1294
घरों की रोशनी के वास्ते ही चरागों को जलाये रखता shayari in hindi,
घरों की रोशनी के वास्ते ही चरागों को जलाये रखता shayari in hindi,

घरों की रोशनी के वास्ते ही चरागों को जलाये रखता shayari in hindi,

घरों की रोशनी के वास्ते ही चरागों को जलाये रखता ,

इश्क़ का भरम टूटा नहीं था कम्बख्त भरम तो बनाये रखता l

 

बाद ए इश्क़ के भी अदावतें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही हैं ,

यादें तेरी मुसलसल दिल पर मेरे नश्तर चुभा रही हैं l

 

हम जिनकी चाहत में बर्बाद हुए हैं ग़ालिब ,

वो हमारी मैय्यत में आके पूछते हैं ज़ौक़ ए मोहब्बत के अलावा माज़रा क्या हैl

hindi shayari

खुद की जदो में जड़ें तलाश करता है ,

लुटा लुटा सा शहर इब्न ए इंसान को लूटने की हदें पार करता है l

 

नज़रे तरास लेती हैं चेहरा तेरा ,

ख़्वाबों की पलछिन वो साया अजनबी नहीं होता l

 

ख़ुलूस ए इश्क़ दिल में ही दबाये रखा ,

ज़िन्दगी की उम्रें रिश्तों में ज़ाया कर दी l

 

इतने ज़ख्म थे लफ़्ज़ों में न उतरते ,

गोया नासूर बनके ताउम्र जिगर में कसकते l

 

गुंचा ए गुल में डूबे न बाग़ ए बहार में ,

कोई तो हो जो बाब ए सुखन की विरासत सम्हाल ले l

 

तमाम उम्र की जद्दोज़हद थी ज़िन्दगी ,

कोई खुद रोया कोई अपने पीछे रोने वाले छोड़ जाता है ।

 

हर एक के हक़ के निवाले सियासी गुर्गे गटक गए ,

फ़क़ीर बोलता रहा बन्दे तेरी किस्मत खराब है ।

good night sms 

न खुशनुमा से मंज़र न बाग़ ए बहार हो ,

बस एक अरमान है गुलों का ज़मीन ओ आस्मां के आगे रंग ओ बू की दास्तान हो ।

 

रात की गिरह में दफ़न हैं कितने ,

दर्द के नग्मे और जिगर के छाले ।

 

बहिस्त की हूरों को रख ख़ुदा के वास्ते ,

दो वक़्त की रोटी ही बहुत है इब्न ए इंसान के वास्ते ।

 

जानवर में गर वेह्शत है बस पेट के वास्ते ,

गोया इंसान क्यों निकल पड़ा दहशत के रास्ते ।

 

फिरता है कोई, कोई दर दर कोई लुक्मा उड़ा रहा ,

बस पेट की हवस है इंसान इंसान के हक़ को खा रहा ।

 

बग़ावत है किसी में किसी में पेट का जुनून ,

हर शख्स है मज़बूर सा इस भूख के दरूं ।

pix taken by google