ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ funny shayari ,

0
1372
ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ funny shayari ,
ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ funny shayari ,

ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ funny shayari,

ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ ,

सुर्ख रंग ए लहू अश्क़ों से धो लेता हूँ

 

हमने कई महफिलें लुटायी थी एक लाल रंग की ख़ातिर,

सुर्ख हुयी आँख बस एक वो हमारा न हुआ ।

 

हाल ए खू था मंज़िल ए रूबरू न हुआ ,

रगों में लहू बन दौड़ता है तेरा इश्क़ ता उम्र सुर्ख़रू न हुआ ।

 

एक उम्र खटा गयी इश्क़ ए तफ़री में ,

बस दिल ए फितना की रसूखदारी ख़त्म नहीं होती ।

 

बस ये लुक़्मे हैं सुर्ख आँखों के ,

वादी ए इश्क़ में गुलों पर सख़्त पहरा है ।

romantic poerty 

हुश्न पर पहरों की ख़ातिर चौकियाँ कोतवालियों में तब्दील हुईं ,

दिलों के चोट्टों को क्या कोतवाल रोक पाएंगे ।

 

चौकस निगाहें हर तरफ फ़िराक ए तफ़री ,

विसाल ए यार दिल में लब पर लेके ग़ज़ब की अना बैठा है ।

 

अब भी अरमान सँवर जाते हैं घुप अंधेरों में ,

राह ए मुफ़लिश में गुल मिलेंगे कोई खार नहीं ।

 

आफ़त ए इश्क़ का क़ारोबार सजा रखा है ,

वो झुकी पलकों से पूछते हैं मायूसी का माज़रा क्या है ।

 

एक हम ही नहीं आतिश ए इश्क़ में अपना नशेमन जलाने वाले ,

कुछ आतिश ए हुश्न ने भी अपना हाँथ जला रखा है ।

 

बात जितनी लम्बी हो थाह रात की उतनी गहरी हो ,

इश्क़ के दरियाओं की गहराइयाँ नहीं नापी जाती ।

 

क़ैद ए बामुशक़्क़त में जान जाती है ,

इल्म न था ए इश्क़ में बेमुरव्वत ही जान जाती है ।

 

दिलों की नादानी दिलों का टूटना बिख़र जाना ,

तज़ुर्बा ए इश्क़ की बतलाता है गिर के थम जाना ।

 

महफ़िलें सजा करती थी तन्हा दिलों की रात में ,

सबने ये समझा आशिक़ो का अच्छा खड़ा क़ारोबार हो गया ।

sad shayari 

तेरा हर एक सुख़नवर समेट रखा था जज़्बात ,

मीलों चला जाता हूँ मैं तन्हा तमाम रात ।

 

ये उम्र ए दराज़ और तामीर ए इमारतों की ख्वाहिश ,

गोया आशिक़ तो खुद की मीनारों में बस किरायेदार हुआ करते हैं ।

pix taken by google