तू नज़रों का तजस्सुस का तू ही दिल की जुस्तजू 2line attitude shayari,
तू नज़रों का तजस्सुस का तू ही दिल की जुस्तजू ,
क़यामत तेरा तग़ाफ़ुल जब भी हो रूबरू ।
गर्म रेत् पर होती नहीं है खाली वादे वफ़ा की सुर्खियाँ ,
रख कर लबों पर उँगलियाँ कुछ लिखना ही है तो मोहब्बत लिख दो।
है तेरा नूर ओ रहम और करम या मौला ,
तेरे दम से है तहफ़्फ़ुज़ ओ जहान ए जमाल ।
रात की तन्हाईयाँ भी तेरी नज़ाक़त की गुलाम ,
तू चले जिस ओर डाले डोर साँसे दिल को थाम ।
बन गयी बात एक तसब्वुर से ,
वो तेरा छत पे आना चाँद को घूँघट उढ़ाना हाल ए दिल को ताज़ा कर गया ।
वही दर्द वही आह का फुवां वही सरगोशी ,
जुदा होकर भी मिलते जुलते से मेरे लहू का क़तरा सा लगते हो ।
उन दरख़्तों की शाखों से पूँछो ,
बिन माँ बाप के परिंदों को जिसने पाला है ।
राह में दोस्त मिले मुशाफ़िर बनकर ,
फिर उसी राह में मुशाफ़िर ही कभी दोस्त बन जाए नामुमकिन तो नहीं ।
मेरे शहर से बस रोज़ गुज़र जाते हैं ,
कोई सामान किसी घर में वो भूले होंगे ।
साथ चलने से बस वक़्त गुज़र जाता है ,
वक़्त काटने के लिए बस साथ चलना हो ज़रूरी तो नहीं ।
धुँधली धूप की कश्तियों के डूबते लंगर ,
सुबह से शाम तलक मेरी दहलीज़ से पूछते हैं तेरा पता जैसे ।
मैं खण्डहरों में भी रात का जलता चराग ,
तू महलों में बुझा बुझा दिया क्यों है ।
आज़ादी का उड़न खटोला दो नैनो का बना हिंडोला ,
पथिक राह प्यासी मृगतृष्णा फिर क्यों अश्रु बहाये रे ।
हक़ीक़ी ए इश्क़ का सुबा ना हुआ ,
रात घुड़ दौड़ में बस शाम ओ सेहर दौड़ रही ।
हक़ीक़ी ए इश्क़ के दरूं रात के सिसकते पलछिन ,
तन्हाइयों के चाबुक से चाप पड़ते गिन गिन ।
रोई बहुत हक़ीक़ी ए इश्क़ से तार्रुफ़ जो हुआ ,
जो तस्वीर कभी तकिये में दबी रहती थी ।
pix taken by google