नमक के साथ दो चार चावल पानी में घोलती होगी dard shayari ,

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नमक के साथ दो चार चावल पानी में घोलती होगी dard shayari ,
नमक के साथ दो चार चावल पानी में घोलती होगी dard shayari ,

नमक के साथ दो चार चावल पानी में घोलती होगी dard shayari ,

नमक के साथ दो चार चावल पानी में घोलती होगी ,

तब भिखारिन बच्चों की खुशियों को त्यौहार से तौलती होगी ।

 

तेरे कूचे में बर गए मेरे भी ख्वाब झुलस के ,

जब मेरे सामने तेरे घर में भूखे बच्चों की खातिर पतीली में पानी पक रहा था।

 

जिन नाज़नीनों के सहारे शहर ए शाम टिकी होती थी ,

आज वो भी शब् ए माहताब , आफ़ताब होके गए ।

 

कितने मौसम निकल गए हवा के झोकों से ,

बस दिल के अंजुमन में बहार ए मोहब्बत नहीं आई ।

 

सर्द मौसम है गुलपोश नगीनो में रंग ओ बू की कमी ,

आज दिखलाये जलवा जमाल ए यार तो जाने l

 

शहर ए रौनक से रानाईयाँ चुरा लाया हूँ ,

अब कलम बेबाक मचलती है तो मचलने दो ।

 

मर गए कुछ तो इश्क़ के कतरे कतरे को ,

जो बचे जहान ए मुंसिफ से हमारे मेहबूब बने या खुद ख़ुदा हो गये ।

 

नाखुदाओं की सरपरस्ती अच्छी ,

ख़ुदा वाले खुद की कश्तियाँ डुबा रहे खुद ही ।

 

कुछ दिल से हम न मज़बूर हुए होते ,

कुछ इश्क़ न तुमपे मेहरबान होता गोया तुम तब भी क्या नाखुदाओं के ख़ुदा होते

bewafa shayari 

क्या ज़मीनो पर बस नाखुदा होते हैं ,

सिर्फ मतलब परस्तों पर मेहरबान होते हैं ।

 

तरदीद ए मोहब्बत में आसमानो को नाखुदा कहके ,

ज़मीन से नाखुदाओं को सज़दे कर लेना ।

 

लोग मोहब्बतों में क़त्ल होते हैं ,

मोहब्बतों के नाखुदा क्या बेज़बान होते हैं ।

 

कितने दिन और जी लेता मोहब्बतों के सज़दे में ,

हर दिन एक नया मेहबूब ए दुश्मन न बनाया होगा ।

 

रश्म ए उल्फ़त की बातें छेड़ दी फिर दिल को तन्हा कर दिया ,

कुछ न बची बात जब मोहब्बत को मुद्दा कर दिया

love shayari , 

हमने उगाया नहीं दरख्तों को ,

फिर कोई घर में घुस के नफरतों के बीज कैसे बोकर के गया ।

 

तालीम ओ तरबियत की तौहीनी करते करते ,

हम बिरादर से ब्रॉदर बनते गए ।

pix taken by google