रुख़ पर शोखी ए आतिश bewafa shayari,

0
1081
रुख़ पर शोखी ए आतिश bewafa shayari,
रुख़ पर शोखी ए आतिश bewafa shayari,

रुख़ पर शोखी ए आतिश bewafa shayari ,

रुख़ पर शोखी ए आतिश,

बचा के दामन को क़फ़स की बात करते हैं ।

 

शाकिया मैक़शी पैमाने में ,

दिलों का आशियाँ लुट गया मैखाने में ।

 

रेज़ा रेज़ा है क़फ़स को चंद साँसों की तलब ,

जिस्म से रूह तलक कितनी बेहयाई हैं ।

hindi shayari 

दर्द ए दिल जब क़फ़स से रूह तलक जाता है ,

तब सुखन में किरदार उभर आता है ।

 

महफ़िल ए रानाईयों का कौन तलबग़ार यहाँ ,

ख़ानाबदोशी है बियाबानों में आशियाना तामीर किया करते हैं।

 

ग़म ए मुफ्लिशी ने मारा है इस क़दर ,

किसके काँधे पर सर रखकर के किसके दिल में आशियाना तलाश करते ।

 

दिल के माल ओ मिल्कियत की परवाह किसे ,

लुट गया सारा साज़ ओ सामान भरे बाजार बेफ़िक्री से ।

 

इल्म न था आशियाँ इस क़दर जलाएगा बूँदा बाँदी में ,

सोचा था अबके सावन में हम भी गीत गाएंगे ।

 

लुटा लुटा है शहर भर का कारोबार यहाँ ,

कोई हुश्न ए आदम ने डाला डाका या कोई हसीं वाकिया होके गुज़रा ।

 

हादसों के शहर में बड़े हसीन हादसे हुआ करते हैं ,

माल ओ मिल्कियत से लबरेज़ लोगों के दिल ए सामान लुटा करते हैं ।

literature poetry 

कितना ग़मगीन कितना लुटा लुटा सा है ,

हाल सबका है ज़ाहिर हर शख्स क्यों जुदा जुदा सा है ।

 

लुटा के दौलत ए मसर्रत का हुनर आता है ,

ग़मो को रख सीने में जो मुस्कुराता है ।

 

मुस्कुराना ही अदा थी अपनी ,

देख कर लब पर तबस्सुम वो मेरे जाने कैसे खीझ गया ।

 

राह ए फ़क़ीरी में लुट गया मुंसिफ ,

गीता ओ क़ुरआन में एका करते ।

 

तंज़ और तल्खियों में सुर्खियां पिरोते हो ,

हुश्न ए महफ़िल से लुट लुटा के आये हो क्या ।

 

ज़ुज़बी ही जाम मेर लब तक पहुँच पाते हैं ,

हम तो तेरी आँखों के पैमानों से ही मचल जाते हैं ।

 

बड़ी फुर्सत में मेरे सरताज बैठे हैं ,

क़त्ल का तैयार रख के सामान सरतार बैठे हैं ।

pix taken by google