सियासतदानों ने कितनी रियासतें बदली romantic shayari,

0
1362
सियासतदानों ने कितनी रियासतें बदली romantic shayari,
सियासतदानों ने कितनी रियासतें बदली romantic shayari,

सियासतदानों ने कितनी रियासतें बदली romantic shayari,

सियासतदानों ने कितनी रियासतें बदली ,

ये आसमानी परिंदे हैं घर का पता ढूढ़ लेते हैं ।

 

जमींदोह रखोगे कब तलक इल्म ए मज़हब के नाम पर ,

पर परिंदों के लगा दो फिर परवाज़ देख लो ।

 

कभी किसी गुल के रंग ओ बू को बाँट सकते हो ,

पूछना है तो किसी बेज़बान से उसका मज़हब पूछो

kulbhata

एक किस्सा सुना था शहर ए वेहसत का हमने ,

नाम मज़हब का लगा कर परिंदों के पर काट दिए ।

 

परिंदे निकले थे कुछ चैन ओ अमन के जज़ीरे से ,

सुना है आसमाँ की बुलंदियों पर ख़ुदा की रहमत बरसती है ।

 

परों पर सुनहरे वर्क़ करके ,

मेरा मुंसिफ ही कहता है चलो उड़ कर बताओ ।

 

लूट गए वहसी परिंदे शाही मीनारों को ,

जो बच गए ज़िंदा दर ओ दीवारों से लुक़मान को तकते हैं ।

 

सरहदों की सारी हदें तोड़ने वाले ,

परिंदे मज़हबी बेड़ियों में लाचार बैठे हैं ।

 

दिल के जज़्बों को हर्फ़ दर हर्फ़ पन्नो में उरेख लेता हूँ ,

बेज़बानी में परवाज़ ए परिंदों को नया आगाज़ देता हूँ ।

 

दिल फ़िरक़ा परस्ती में उतरा है आजकल ,

कहीं पर आहें भरता है कहीं की बात करता है ।

 

सात समंदर पार भी घर मिलते नहीं ,

कुछ परिंदे मोहब्बतों की तलास में बहुत दूर निकल आये हैं ।

 

ये मज़हबी इल्म है या खाली ज्ञान की बातें ,

सुना है इन महीनों में ख़ुदा की रहमत बरसती है ।

 

फ़लक़ से ज़मीन तक हर शख़्स हर सै में ज़र्रे ज़र्रे में तेरी रहमत बरसती है ,

तू मुझमें है मौजूद फिर भी न जाने किसकी आस रहती है ।

 

गर्दिश ए वक़्त ग़र आया है तो टल जायेगा, र

हमतें उसकी हैं हर सै में तू यक़ीन तो कर ।

 

जाने क्यों अंजुमन में फिरता है दिल घटा बनकर ,

गोया सब्ज़ बागों के अलावा फ़िज़ा में खिज़ा भी है ।

 

मिजाज़ ए मौसम और दिलों के तर्क़ ओ ताल्लुक़ ,

जब जब बारिश आई तब तब हम रोये ।

hindi kahaniyan

हम ख़्यालों से मिटा देंगे उन्हें,

गोया वो दर ओ दीवारों पर कोरे हर्फ़ लिखना बन्द तो कर दें

 

ज़रीवाले ख़्वाबों से पोसीदा थी रातें ,

चाँद तारों के दरमियाँ हादसा कुछ और हुआ होता ।

pix taken by google