उनकी सगाई के तोहफ़े में हमने भी खार पाया है dard shayari,

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उनकी सगाई के तोहफ़े में हमने भी खार पाया है dard shayari,
उनकी सगाई के तोहफ़े में हमने भी खार पाया है dard shayari,

उनकी सगाई के तोहफ़े में हमने भी खार पाया है dard shayari,

उनकी सगाई के तोहफ़े में हमने भी खार पाया है ,

वो आँसुओं में डुबोकर सगुन के बताशे बाँट आये हैं ।

 

दो एक सिक्कों से बच्चे बहल जाते थे ,

जम्हूरियत के कारिंदों ने सारी की सारी टकसाल लूट ली ।

 

भूखे नंगों के एक दिन का व्यापार छिन गया ,

अब तो सुना है जम्हूरियत का प्लास्टिक के झण्डों से अपमान होता है ।

love shayari

वतन की ख़ाक मलकर देखो बदन बिन इत्र ओ गुल के ,

पसीने में भी संदली गमगमायेगा

 

सहीदों की सहादत ने जश्न ए आज़ादी का जो बीज बोया था ,

बुज़ुर्गियत ए दाना ने वो पौध सेया है पाला है ।

 

लगे सरकारी अम्बेसडरों में तिरंगे धूल फाँके हैं ,

गली में मर गया वो जो झण्डे बनाता था ।

 

वाज़ेह ए बुज़ुर्गियत को ठेंगा दिखा जाता है ,

आज का युवा नशे की लत में वक़्त से पहले बूढ़ा हो जाता है ।

 

ज़माना जो भी हो वाज़ेह ए बुज़ुर्गियत ये कहती है ,

जो बात कल गलत थी वो सच्ची हो नहीं सकती ।

 

अँधेरे गुमनाम रास्तों में भटक जाते हैं ,

जवानी के बहके कदम जो वाज़ेह ए बुज़ुर्गियत से वाक़िफ़ नहीं होते ।

 

साँझ ढलते ही बूढ़े बरगद से उम्र ए वाज़ेह का तज़ुर्बा लेने ,

पंछियों के झुण्ड ने दरख्तों में डाला डेरा होगा ।

bewafa shayari , 

सूखी काँस के गेसू में वाज़ेह ए वक़्त है जो कह रहा है ,

सावन था जो देखो मुझसे पहले बूढ़ा हो चला है ।

 

झील में भी कभी चाँद उतरते देखा है ,

चाँदनी रात का नज़ारा भी गज़ब होता है ।

 

बदन कुंदन मनोबल बढ़ रहा है ,

जुड़ा अध्यात्म से तप सृजन नव कर रहा है ।

 

संगीन ए सहादत ज़ाया नहीं जाती ,

सहीदों की ख़ाक ए कुंदन से मादर ए वतन का सिंगार होता है ।

 

बहुत जान है मादर ए वतन की ख़ाक में अपनी ,

यूँ ही नहीं फिरंगी गस खाके दुम दबाया था ।

pix taken by google