उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं sad poetry in english urdu ,

0
1157
उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं sad poetry in english urdu ,
उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं sad poetry in english urdu ,

उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं sad poetry in english urdu ,

उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं ,

जिन्हें पाने की ज़िद में दिल अक्सर अब भी टूट जाते हैं ।

 

दिल धड़कता है मेरा साँस अभी ज़िंदा है ,

फिर भी मेरे दिल की ख़ुशी मेरे जीने से शर्मिंदा है ।

गज़ब की गुमसुदगी में जी रहा हूँ मैं ,
तुझसे पहले वादियों में क्या ये आलम ए दस्तूर न था ।
उम्र ए नादानियों में वो ,
कम्बख़्त खिलौनों से खेलते खेलते जाने कब दिल से खेल गया

 

ज़मीन का बंदरबाट a short story ,

वो गया था जब सब हवा हवा सा था ,

गोया आएगा जब लौट के तूफ़ान मचा जायेगा ।

 

ग़म ए उल्फ़त के नज़ारे देखो ,

गोया इधर मैय्यत मेरी उठ रही थी उधर वो गीत गुनगुनाते निकला ।

 

जश्न ए शाद देखा दर दर बिछा हुआ ,

निकला कहीं को था मैं कहीं पर अटक गया ।

 

मेरा साद ओ ग़म बस नज़रों का धोका था ,

हक़ीक़त में मुतमईन यहाँ कुछ नहीं होता ।

 

शाद ए दौलत न सही साथ नहीं ,

मेरा वजूद ताउम्र मेरे साथ रहा ।

 

दर्द ए नाशाद में उम्र ए ज़ाया करके मुफ़लिश ,

वक़्त से पहले बेज़ार हुआ जाता है ।

 

शाद ए जश्न का लुत्फ़ अगर मैं लेता ,

मुद्दतों बाद का ग़म आज मुझको जीने न देता ।

 

उन्हें दिल में बिठाया था ताज ए शानी करके ,

शाद ए जश्न के उन्माद में वो राज़ ए दिल ही सारे लूट गया ।

 

कहाँ से लाकर के दूँ मुतमईन ख्वाब तेरे ,

मैं शाद ओ ग़म में ही बस जश्नों का कारोबार किया करता हूँ ।

 

दिलचस्प मेरे किस्से तमाम रातों के ,

मुँहज़बानी में अब तू भी बेहिसाब से सुन ।

 

फ़िराक ए शायरी ज़हन में रह रह कर ,

ख़्याल ए यार से ज़्यादा मुब्तला कुछ भी नहीं ।

sad poetry in urdu 2 lines 

वो तो हम थे जो नहीं लिखेगे आज ,

वरना तुम तो ग़ज़ल बनके हरदम ज़हन में चढ़ती हो ।

pix taken by google