जो कीन्हे काज ब्याह मा न नुकुर या तनिकौ तुनुक मिजाज़ी hindi literature poetry ,

0
571
जो कीन्हे काज ब्याह मा न नुकुर या तनिकौ तुनुक मिजाज़ी hindi literature poetry ,
जो कीन्हे काज ब्याह मा न नुकुर या तनिकौ तुनुक मिजाज़ी hindi literature poetry ,

जो कीन्हे काज ब्याह मा न नुकुर या तनिकौ तुनुक मिजाज़ी hindi literature poetry ,

जो कीन्हे काज ब्याह मा न नुकुर या तनिकौ तुनुक मिजाज़ी ,

सरऊ के गाँव मेड़ी से हुका पानी बंद कराई परपाजी।

 

ता काहे परेशान होतिस ही ,

गा है गर दिल तोड़ के जा तोर है ता वापस लौटबै करि कहाँ भागी गठजोड़ के ।

 

लग्गा दूती ही हो श्रृंगार जिसका ,

ऐसे लबरा लबरी चाहे जहाँ आग लगवा दें ।

 

पानी काँजी से बचत घर कटुईंदार ,

द्वारे गोफना लए खड़े बंद हथियार ।

 

ज़हन से फरिका तक बर्केटा मार दीन ,

रात से तोरी याद पड़ी दैय्या नाहर सी चौगान में ग़मगीन ।

 

घर के सगली दीवार दिहरान जाथी ,

लोगन का पड़ोसिन के टुचके पिचके तसली डेचका भड़बन के पड़ी ही ।

hindi shayari 

बिसादखाने से रोशन है हुश्न का श्रृंगार अगर ,

तरकारी खटकहाई की ही बियारी में परोसी होगी ।

 

माल मवेशी का निकबर मर गयीं ,

जो भर भर गगरी दूध में अहिरा छुट्टा मसकत पानी ।

 

बिंदी टिकुली चुड़िया तरकी सिंगार सजा मनिहारी के ,

तरछन चुइगा तरछी छुइगा अब रात कटत बलिहारी मा ।

 

मनुस चाबन भयो बिरहुला , बिरहुला भा नहीं न सूती भर भयो दूध ,

बाप का ज़िंदा गाँव का मोड़ा बढ़ायौ दाढ़ी मूँछ ।

 

जब चौखट के भीतर ही हमारी मुलाक़ातें नहीं होती ,

फिर चौगान में आके फाफड़ कूटना कैसा ।

 

दो चार गंडों में बँट गया कैसे बढ़ते परिवारों का काम ,

दो चार बीघा और ज़मीन में फ़ज़ली लगवाओ आम

funny sms 

जेठ बैशाख के लूका में भी गर पाला पड़े ,

तोहें सथरी बिछवा दूं अमुवा की छाँव तले ।

 

मट्ठा न हो खट्टा अगर रसाज की कढ़ी मा ,

कूचा न कपार लोढ़बा सिलौटी मा नून बूक लै या ता मिर्ची खूथ लै भात खा लै अचार मा ।

 

ककई खीलत साँझ भई ,

लीख मिला न चीलर ज्योनार का अबेरी हो गयी ख़त्म करा परपंच ।

 

आपन भुगतब अपने करमे ,

करे कौन गुरुआरी जाके टट्ठ में कुदई की रोटी कौन सजावै सोहारी

 

उनही पार्टी मा जाय के डिओ परफ्यूम के पड़ी ही ,

यहां लू से सगला करेजा बरा जात है ।

pix taken by google