नस्तर चुभो रही है ज़ालिम तेरी निगाह bewafa shayari,

0
1112
नस्तर चुभो रही है ज़ालिम तेरी निगाह bewafa shayari,
नस्तर चुभो रही है ज़ालिम तेरी निगाह bewafa shayari,

नस्तर चुभो रही है ज़ालिम तेरी निगाह bewafa shayari,

नस्तर चुभो रही है ज़ालिम तेरी निगाह ,

नासूर सवालों के लाज़िम नहीं जवाब

 

वादों की दलीलों के यूँ दायरे में न जा ,

चेहरे बदल रहा है हर रोज़ आइना नया नया ।

 

लिहाफ बदल देता है हर गुनाह के बाद मेरा खुदा ,

गम ए गर्दिश में भी मेरी ज़ीस्त दाग़दार होने नहीं देता ।

 

हम तो मशरूफ़ थे मशहूर उन्हें करने में ,

फिर हादसा ऐसा हुआ की नामचीन हम भी होते गए ।

 

ज़िन्दगी तो ख़ुद दर्द का सौदा है ,

इन बर्बादियों का जश्न मनाऊँ कैसे ।

2 line shayari 

दर्द ए दिल के छालों का सफक को रोना कैसा ,

रात भर जलते रहे दरीचे में अँधेरा बनकर ।

 

बिक गए सब ख्वाब दिल की तलहटी गहरायी में ,

पुतलियाँ बस आँख की पटपर की ज्वाला सेकती ।

 

दर ओ दीवार भी खामोश नहीं ,

तेरी तन्हाइयों में बात करते हैं ।

 

अब अगर दिल में मैं नहीं जलता ,

तद्फीन ही हुआ हूँ मज़ारों में अभी बुझा तो नहीं ।

 

बिकने को बिक गए ज़र्द पत्ते बहार के ,

शफ़्फ़ाफ़ ए रंग ओ बू का ख़रीदार न मिला ।

 

मासूम निगाहों का ज़माने में ख़रीदार न था ,

नफरतों के दौर में मोहब्बतों का बाज़ार न था ।

 

कभी हाल ए दिल का मुआयना करके देखो ,

वीरानियों में दौर ए उल्फ़त की सदायें पाओगे ।

 

गिन गिन के ले रही हैं नज़रें तेरी हिसाब ,

कुछ हादसे से पहले कुछ मोहब्बतों के बाद

 

गुलों की पेचीदगी में उलझे हैं चमन के रक़्स सारे ,

कभी खुश्बुओं में कभी अक़्स में तकते नक़्स सारे ।

 

उन आँखों में अब आँसू बचे ही नहीं ,

जिन आँखों ने पत्थरों से पसीना निकलते देखा है ।

 

कितना लुटा लुटा है शहर मेरे साथ ,

चलता तो है तन्हा तन्हा सफ़र मेरा ।

bhoot pret ki kahani hindi,

सुने सुने से लगते हैं किसी ज़िरह की तरह ,

खोये खोये हो ज़माने में शहर की गुफ़्तगू बनकर ।

pix taken by google