लाल किले के प्राचीर से उद्घोष हो गया funny political shayari,

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लाल किले के प्राचीर से उद्घोष हो गया funny political shayari,
लाल किले के प्राचीर से उद्घोष हो गया funny political shayari,

लाल किले के प्राचीर से उद्घोष हो गया funny political shayari,

लाल किले के प्राचीर से उद्घोष हो गया ,

बित्ते भर का तीर जैसे समसीर हो गया ।

 

जो पूछ लेता है अतीत का गौरव ,

वो बच्चा दुधमुँहा नहीं होता ।

 dard shayari

सहादतो के दम पर बुलंद होती है आज़ादी या ,

घर छुपे बैठों का कोई नाम ओ निशाँ तक नहीं होता ।

 

जश्न ए आज़ादी ,

देश बड़े गौरव से जश्न मनाता रहा वो घर का चौका बर्तन करती रही

 

शाम ढलते घर की चौखट से मीनारों की जलती बत्तियाँ तकती रही ,

रात में वहशी निकल आते हैं शहरी राहों में .

वेहसत के ख़ौफ़ से पाँव दहलीज के बाहर कभी धरती नहीं ।

 

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे मना कर,

लोग क्यों अनहैप्पी घरों में घुस गए ।

 

घुस गया फुटपाथ भी अपनी खुली बरसातियों में ,

जब हुयी बरसात फिर से आज़ादी के जज़्बात सारे धुल गए ।

 

देखता है जब कोई इस सड़क के ओर से ,

मुड़ रहा है कोई बच्चा उस सड़क के छोर से ।

 

है बदन पर पोशाक लकलक , हाँथ में चमकती पोथियाँ ,

देख कर फिर सहमI बच्चा अब कहाँ मिलेगी कल की रोटियाँ ।

 

सब आज़ादी का जश्न मना जाते हैं ,

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा गाकर के सो जाते हैं ।

 

ज़ख्म चुभता है नासूर बनकर ,

दिल के ज़ख्मों पर कोई गुखरू नहीं पड़ता ।

 

नसीब के पत्थरों से ठोकर खाकर के ,

पत्थरों का बुतखाना पत्थर लगने लगा ।

 

साँस लेने को दम नहीं मिलता ,

गम इतना है गम छुपाने को शहर नहीं मिलता ।

 

मुतमईन न रख दिल को तेरे ,

और आगे भी मुब्तला कर ले ।

 

दुश्मनो से शिकायत कैसी ,

दोस्तों से कवायद कर ले ।

 

बुझ गए घर चरागों से शहर भर के सभी ,

एक नशेमन दिल को जलाये हुए जाने तकता क्या है ।

 good morning shayari

पत्थरों के शहर में लोग पत्थरों को ख़ुदा कहते हैं ,

टकरा के टूट गए दिल पत्थरों से फिर दिल टूटने का क्यों गिला करते हैं

pix taken by google