शबनमी बूदों से ख़लल होती है romantic shayari,

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2006
शबनमी बूदों से ख़लल होती है romantic shayari,
शबनमी बूदों से ख़लल होती है romantic shayari,

शबनमी बूदों से ख़लल होती है romantic shayari,

शबनमी बूदों से ख़लल होती है ,

सबा ए गुल से कह दो कहीं और अपने रंग ओ बू की शिरकत रखें ।

 

कहाँ ये वादियां ए मौसम ये जश्न ए रानाई ,

अब तो दिल में दूर तलक खिज़ा ए खार बिछा है ।

 

उनसे मिलकर के दिल बग़ावत पर आमादा है ,

खबर किसी को नहीं कब कहाँ खिलाफ हुआ

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इश्क़ की गलियों में कितने बेज़बान निकले थे ,

खबर उन्ही को नहीं कहाँ दिल हलाल हुआ ।

 

मैक़दे में रात गुज़री सर पर तेरे इल्ज़ाम आया ,

आज फिर घर से निकला था तौबा करके ,

लब पर सनम का नाम आया।

 

आज की रात बेतहाशा गुज़री ,

जाने कब कहाँ दिल ए नादान तमाशाई हुआ तमाशा करके ।

 

दौलत ए इश्क़ से नायाब होगा क्या ,

मुद्दतों की ख़ाक़सारी में राहत ए दिल कहाँ नसीब होता है ।

 

कौन है अपना पराया जानता है ,

शेरनी के खूंखार जबड़ों में भी शावक महफूज़ होते हैं ।

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हल्की फ़ुल्की सी एक कविता कहना चाहता हूँ ,

मैं इंसान के लिबास में इंसान रहना चाहता हूँ ।

 

जितनी किताबें पढ़ी सब खाली निकल गयीं ,

वो अक्षर काले मोटे दुबले पतले सब स्याही निकल गए ।

 

ऊपर वाले ने भेजा था हमें किस लिए और हम क्या निकल गए ,

इंसान तो बन न सके जानवरों से भी ज़्यादा वहशी दरिंदे निकल गए ।

 

शर्म धोके चेहरे की नाली के पानी में गन्दगी निगल गए ,

एक इंसान तो अब न सके हम बस जुस्तजू ए आदमी ही रह गए।

 

ओ जान लेने वालों कभी एक बार ज़रूर सोचना की ,

चन्द रुपयों के लिए तुमने कितनी ज़िन्दगानियां बर्बाद कर दी

 

मरने को तो कुछ लोग मरे , पर उनके साथ जुड़ा हर एक इंसान मर गया ।

 

ये रक्तरंजित हाँथ लेकर ऊपर वाले के पास कैसे जाओगे ,

और अपने पीछे विरासत में अपने बच्चों को क्या देके जाओगे।

 

एक बार ज़रूर सोचना देना है तो किसी के चेहरे में मुस्क़ान देकर के देखो ,

अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब पाओगे ।

pix taken by google