शब् ए महताब हसरतें दिल की निकल रही हैं बारी बारी shayari in hindi,
शब् ए महताब हसरतें दिल की निकल रही हैं बारी बारी ,
जैसे इस रात के बाद ज़िन्दगी की सेहर ही न हो ।
आदम ए सूरत से ही मोहब्बत की तक्सीन करो ,
गोया फ़ज़्ल करो इश्क़ वालों को कोई ज़मानतदार मिल जाएँ ।
उम्र ए दराज़ से क्या कुछ नहीं होता ,
हर एक लम्हो का तज़ुर्बा साथ होता है ।
परिंदे मोहब्बतों के ज़माने की अदावतों से वास्ता नहीं रखते ,
उड़ते हैं खुले आसमानो में इन्सानी फ़ितरतों से राब्ता नहीं रखते ।
आदम ए सूरत में आदम ए सीरत निखार दूँ ,
तेरी भी कहीं फितरत न बदल जाए इंसान के आगे ऐ मेरी जान ए ग़ज़ल आ मैं तेरी नज़रें सँवार दूँ ।
हर एक रंग मुझमे ज़िंदा है ,
हर एक रंग में मैं रचा बसा सा हूँ ।
आज कल तबीयत बड़ी नासाज़ रहा करती है ,
गोया हर दर्द के बाद जिस्म कोई राग नया छेड़ ही देता है ।
एक उम्र बसर कर दी तेरे कूचे में ,
अब किसकी गलियों में ज़िन्दगी का खाना खराब करें ।
मिलने को गर ख़ैरात में सल्तनतें मिल जाएँ ,
गोया ग़म ए मुफ़लिश में भी जीने का एक अपना मज़ा है ।
अपनी तस्वीरों से कह दो ये हिज़ाब ए हुश्न छोड़ दें ,
हम बहुत देर तलक मिजाज़ ए आशिक़ी में रह नहीं सकते ।
लाख बंदिशें रख लें ज़माने वाले ,
मिल के रहेंगे ज़माने में मिलने वाले ।
वो रोज़ क़फ़स पर उजली चादर उढाता है ,
मैं पिंजर के भीतर भी खाली मैला ही बैठा हूँ ।
वादी ए चमन में बहारें आईं आके चली भी गयीं ,
गुंचा ए गुल में उड़ती खश्बूओं का चर्चा सुर्खरू ही रहा ।
आज फिर ग़म ए फुरक़त में कोई रोया है ,
साँझ से हवाओं में फिर नमी सी है ।
इज़हार ए इश्क़ में हर बात का मतलब नहीं होता है ,
इक़रार ए मोहब्बत में बस अंदाज़ ए बयान होता है ।
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