funny shayari काँख में बैशाखी दबाये उठ रहा है ,
काँख में बैशाखी दबाये उठ रहा है ,
देश मेरा धीरे धीरे तरक्की कर रहा है ।
ज़िन्दगी जश्न है कहीं है ग़म ए तन्हाई ,
फिर ज़माने में फरिश्तों जैसे इंसानो से मिलाता क्यों है ।
हर बार हम ही लिखते हैं हाल ए दिल अपना ,
कभी दीदार ए यार भी ग़मख़्वार तो मिले हमसे ।
जितने चिलमन थे झुलस गए सारे ,
अब मेरे क़ातिल नक़ाब को बेपर्दा कर दो ।
राह ए उल्फ़त में फशाने और सही ,
एक ही मंज़र के सिवा नज़रों को गवारा ही नहीं दूसरा मंज़र ।
होता है अपनों से गिला शिकवा ,
गैरों से बस दरख़्वास्त लगती है ।
ये पैगाम ए इश्क़ आया है ,
इश्क़ है तो तुम खुद को इश्क़ में बर्बाद कर लो ।
फ़नाह हो जाते हँसते हँसते परवाने ,
चराग एक बार प्यार से मुस्कुरा तो देता ।
हम में तब्दीलियत जो आई है ,
ये तेरे इश्क़ की गहरायी है ।
घुमा फिरा के हमको आदत नहीं सीधा सादा सवाल करते हैं ,
क्या तुमको भी इश्क़ है हमसे या हम ही बस खानाखराब करते हैं ।
खिज़ा में जब ग़ुल खिलते हैं ,
तब कहीं जाकर शाम ए बज़्म में बहार आती है ।
शब् ए बारात कहीं मातम है ,
ज़िन्दगी ज़िन्दगी अपने आप से मद्धम है ।
ज़िन्दगी जब ख़ुद जश्नों का बारात लगती है ,
एकाध जश्न छूट भी जाएँ तो मातम कैसा ।
वहाँ घर लुटा है किसी अपने का ,
यहाँ ख़ुद की दुनिया वीरान लगती है ।
देखने में रेशम की डोर है और कुछ भी नहीं,
मानो तो राखी जन्मो जन्मो का बंधन है ।
तू दिल की तरफ रुख़ तो कर ,
राह ए मंज़िल बनाने में उम्रें गुज़ार देंगे ।
आज हम भी तो जाने इश्क़ हमने बस किया है ,
या तुम्हारे सर पर भी ये बला है ।
एक रास्ता एक मुशाफिर रात का तन्हा सफ़र हम दोनो ,
मिजाज़ ए मौसम की तब्दीलियत में जुटी क़ायनात सारी ।
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