ख़ैरात की मोहब्बत से हमको वास्ता नहीं romantic shayari,

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ख़ैरात की मोहब्बत से हमको वास्ता नहीं romantic shayari,
ख़ैरात की मोहब्बत से हमको वास्ता नहीं romantic shayari,

ख़ैरात की मोहब्बत से हमको वास्ता नहीं romantic shayari,

ख़ैरात की मोहब्बत से हमको वास्ता नहीं ,

तू मेरे हक़ की नफ़रत ही मुझको लौटा दे

 

तेरी ज़ुल्फ़ों से सुलझे तो,

तेरी अंदाज़ ए गुफ़्तगू में उलझे हैं सुख़नवर मेरे ।

 good morning shayari

बड़े लोगों से बड़ा डर लगता है ,

बड़ी बड़ी इमारतें बुतों के मक़बरों में बदल रही हों जैसे ।

 

गुनाह ही जिसकी फितरत हो ,

वो मुब्तला ए साफ़गोई क्या करेंगे ।

 

सारे फ़लसफ़े बयान हो रहे हैं ,

तुम्हारी बस एक बेज़बानी में ।

 

तुम हाल ए दिल लिखो न लिखो ,

हमें चेहरे पढ़ने की आदत है ।

 

हम किस्सों से निकलते कैसे ,

वो हर दिन नए किरदार बना लेता था ।

 

ज़मीर ए ख़ाक पर एक दाग़ बनकर ,

रहा ताउम्र तेरा ज़िक़्र अनहद ही मेरी ज़ात बनकर

 

कभी दिल भी मिलते हैं ज़बानों के साथ ,

बस सियासतदानों ने नफ़रतें फैलाने का ठेका लेके रखा है

 

ज़र्द पत्तों से ना करो हिज़्र के मौसम की हाल ए बयानी ,

सब्ज़ बागों से बिछड़ने का अंजाम बुरा होता है ।

 

ग़म के आँसू से बहुत गीला है मलबा मेरा ,

सूख जाए खिज़ा ए हिज़्र से तो खुद ख़ाक ए सुपुर्दगी कर दूँ ।

 

कुछ लेनदार कुछ देनदार के सिवा,

और कौन होगा मेरे जनाज़े में ।

 

जो दर्द है वही अपना है ,

पल दो पल की खुशियों से तर्क़ ओ ताल्लुक़ निभाऊँ कैसे

 

जितने रिश्ते हैं जहाँ भर के सम्हाले नहीं जाते ,

अब और तर्क़ ओ ताल्लुक़ बढ़ाऊँ कैसे

 

दिखता नहीं फिर भी सल्तनत तेरी तुझ पर फ़िदा है ,

लगता है सर ज़मीन का हामी तू ही ख़ुदा है

 

आँधियों में जलते चरागों का जिगर पाले ,

हँथेलियों के दम पर भँवर में फँसी कश्तियाँ निकाले ।

 

रात के सन्नाटे में आता है नींदों का क़त्ल करने ,

दिल के उजालों में भीड़ में कहीं खो जाता है ।

 

तल्ख़ खंज़र से क़त्ल करके क़ातिल ,

मीठी ज़बान से मरहम लगाना चाहता है ।

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क्या ख़बर थी अमन के चरागों को ,

रौशनी का ये क़ाफ़िला सुर्ख सफक उजालों के पार निकल जायेगा ।

pix taken by google