गौधूलि की बेला है पगडण्डियों पर गौएँ तितर बितर alfaaz shayari,

0
4215
गौधूलि की बेला है पगडण्डियों पर गौएँ तितर बितर alfaaz shayari,
गौधूलि की बेला है पगडण्डियों पर गौएँ तितर बितर alfaaz shayari,

गौधूलि की बेला है पगडण्डियों पर गौएँ तितर बितर alfaaz shayari,

गौधूलि की बेला है पगडण्डियों पर गौएँ तितर बितर ,

चौखट पर आँखें हर रोज़ टिकी गउअन का चरवाहा गया किधर ।

 

हिंदी की बिंदी को नया आयाम दें ,

कण कण में रज फाँकती सुबह की पहली किरण को प्रणाम दें ।

 

ऐ मुझे ज़िन्दगी देने वाले हंसी आती है तेरी सादगी पर ,

खुद को सादा रख कर मुझमे सारे रंग भर दिए ।

 

हर चश्म ए चरागों से बज़्म रोशन होती नहीं ,

इस रात की सुबह न हो और शमें जलाइए ।

 

बारहां इश्क़ से दिल जुदा नहीं होता ,

जब जहां होता हूँ मैं तब वहाँ नहीं होता ।

 

हर अक़्स ए नुमाइश का ये दिल भी तलबग़ार कहाँ ,

सामने हर शक़्स दीदा ए पसंद हो ज़रूरी तो नहीं

love shayari 

यूँ ही नहीं बनता कोई आईना अक़्स की सूरत ,

जाने किस तरह उसे दिल से उतारा होगा ।

 

ज़माने भर की पसंदगी की ग़र परवाह करते ,

खुद का नशेमन जला के लोगों के घरों में उजाला करते ।

 

कौन किसको पसंद करता है ,

वो तो मज़बूरियां है जो साथ साथ रखती हैं ।

 

हम चाँद तारों को पसंद करते हैं ,

गोया आरज़ू ए यार बसा कर दिल में फिर सुबह ओ शाम करते हैं

 

इश्क़ ए आफत कहूँ या इश्क़ ए रज़ामंदी ,

हर दौर ए पसंदगी में दोनों क़ज़ा ही ही होगी ।

 

शब् ए माहताब ओ रूबरू ए विसाल ए यार ,

तक़दीर मिली ऐसी आईन ए ज़र ने थोड़ी मोहलत तलब करी ।

 

ख़ुलूस ए आशिक़ी ओ जज़्बा ए इश्क़ लबालब ,

एक मुलाक़ात और इश्क़ का सिलसिला ही ख़त्म ।

 

साहिल को सफ़ीने की दरकार हो न हो ,

दरियाओं का साहिल से मिला भी मुक़म्मल ही नहीं ।

 

चाप कदमो के मिला कर चलता है ,

वक़्त सूरज है तो चाँद कभी

 

शाम से नयनो में नमी सी है ,

बुझा बुझा हैं मन अंधेरों में तिश्नगी सी है ।

romantic shayari ,

picture taken by google