त्रिपुण्ड त्रिकूट तिलकधारी रावण पूर्वजों की परिपाटी में रहा festival shayari in hindi,

0
1229
त्रिपुण्ड त्रिकूट तिलकधारी रावण पूर्वजों की परिपाटी में रहा festival shayari in hindi,
त्रिपुण्ड त्रिकूट तिलकधारी रावण पूर्वजों की परिपाटी में रहा festival shayari in hindi,

त्रिपुण्ड त्रिकूट तिलकधारी रावण पूर्वजों की परिपाटी में रहा festival shayari in hindi,

त्रिपुण्ड त्रिकूट तिलकधारी रावण पूर्वजों की परिपाटी में रहा ,

अब तो बस टीका लगाना ही सियासी ज़ौक़ है ।

 

मर गया रावण समर में अग्निदग्धा जल रही ,

सीता की सी कथा व्यथा ज्यों की त्यों चलती रही ।

 

इंसानो में छुपा घूमता है शाम ओ सेहर ,

रावण भी कभी पुतलों में दहन होता है ।

hard touching story in hindi,

कर रहा है स्वर्ण शासन हर धरा की धीज पर ,

है खड़ा व्याकुल सा रावण हर गली के मोड़ पर ।

 

ग्यानी सा ध्यानी नहीं धूर्त में नहीं मूरख ,

पर नारी के मोह में लंका बारी बुडवक ।

 

वरण में द्वेष विनाश का कारण ,

सीता हरण का क्लेश वंश को तारण ।

 

ब्राह्मण तपश्वी गज सा मनबल इन्द्र को भी मात दे ,

देव सुर गन्धर्व किन्नर दशानन से काँपते ।

 

दस सर धर के कोई रावण नहीं होता .

करतूत भी वैसी हो की सर झुकाये सामने लक्ष्मण खड़ा हो ज्ञान ले ।

 

पौराणिक क्विंदन्तियों से भी किरदार निकल आते हैं ,

राह चलते हज़ार रावण मिल जाते हैं ।

 

एक तीली में जहान को जलाने का हुनर ,

फिर तेरी मैय्यत में क्यों साज ओ सामान उठा लाये हैं ।

alfaaz shayari 

इस फेयर एंड हैण्डसम मुखड़े पर ना जाओ सोणियो ,

बिना दाढ़ी मूछ के भी इश्क़ में राँझा फ़क़ीर होते हैं ।

 

सरहदों की राह जोड़ते उम्रें गुज़र गयी ,

कुछ तार दिल से दिल को अनछुए से छू गए ।

 

हकीकत में रात बड़ी लम्बी थी ,

ख़्वाब आँखों में बसे सेहर कहीं दूर पलकों में खड़ी थी ।

 

काश मुमकिन होता नज़ारों का हकीकत में तब्दील हो जाना ,

हम ख्यालों के सदके आँखें नीलाम कर देते ।

 

हमें क्या बर्बाद करेगे अँधेरे ग़म ए गर्दिशों वाले ,

हम तो दिन के उजालों में अपना आशियाना तबाह किये हैं ।

2line attitude shayri

शोर ग़ुल में रात का जब जश्न ये थम जायेगा ,

सुरमयी सा चाँद लेकर एक पहर फिर आएगा ।

 

घुट रही हैं साँसे सुनामी भीड़ में ,

मैं पर भी एक जहान तामीर करता रोज़ हूँ ।

pix taken by google