मुलाज़िमों की तरह सजा के रखे हैं बुत अज़ायब घरों में hindi shayari ,

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मुलाज़िमों की तरह सजा के रखे हैं बुत अज़ायब घरों में hindi shayari ,
मुलाज़िमों की तरह सजा के रखे हैं बुत अज़ायब घरों में hindi shayari ,

मुलाज़िमों की तरह सजा के रखे हैं बुत अज़ायब घरों में hindi shayari ,

मुलाज़िमों की तरह सजा के रखे हैं बुत अज़ायब घरों में ,

तहरीर वक़्त की रियासत में ये भी किसी के हमनवां होंगे ।

 

घायल है इस क़दर क़ाफ़िर शहर भर के हसीनों को सनम करके ,

इबादतगाहों में न धर लें मोहब्बतों का   खुदा करके ।

 

हिल जाते हैं तख़्त ओ ताज़ पलट जाते हैं ,

पुरज़ोर हो अवाम आगाज़ तो सियासतदान बदल जाते हैं

 

मीनारों पर बैठे परिंदे भी मज़हबी निकले ,

शिकारी के जाल में फँस कर भी दुआएँ हर रोज़ करते हैं ।

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रोज़ लगते हैं मज़मे मज़हबियों के मैखानो पर ,

काफिरों ने भी इश्क़ से तौबा कर ली गोया मज़हबी बन बैठे ।

 

दिखता है तो हाल ए दिल सा दिख ,

खिलखिलाते चेहरों से इश्क़ के मारों का पता ही नहीं चलता

 

करते थे पैरवी इश्क़बाज़ों की मुहाने से ,

भँवर में कूंद कर करते तो अंदाज़ा इश्क़ गहरायी का पता चलता

 

कभी सनम सनम करते हो कभी ख़ुदा ख़ुदा करते हो ,

बिला वजह जाने तुम किस ख़याल गुल में गुमसुदा से रहते हो ।

 

कमबख़्त दिल मुखाल्फत पर अटका है ,

गोया हम राहगीरों को सनम नहीं कहते ।

 

किसी को ख़ुदा कहते हो किसी को सनम करते हो ,

ये माज़रा जुस्तजू क्या है दुश्मनो पर भी रहम करते हो ।

 

ये ज़ौक़ शायरी ही है जो जगाये रखती है ,

गोया कौन करता है सेहर सनम रूठ जाने के बाद

 

जो बैठे हैं पैमानों को सनम करके ,

कौन पूछे हाल ए दिल कौन गम मुब्तला करे ।

 

एक हम ही हैं जो बार बार पलट आते हैं गोया ,

दोबारा पूछता कौन है किसको सनमख़ाने में ।

 

दिल है न बिना बारिश के भी दुबुक्की मारता रहता है ,

जाने किसके दुपट्टे से लिपटे जाने किसको सनम  कहता रहता है

 

दलीलों पर दलीलें ठोंक देते हैं ,

हमको सनम करने से पहले मेहबूब सनम को रोक देते हैं

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मोहब्बतें हो हमसफ़र हो ,

अदावतें हो जुस्तजू मोहब्बत में भी ये मुमकिन ही नहीं

 

जलता रहा नशेमन बारिश हिज़्र में ,

अब आंसू बहा के कह रहे हैं घर बसाइये ।

pix taken by google