खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी hindi literature,

0
994
खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी hindi literature,
खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी hindi literature,

खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी hindi literature,

खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी ,

ये मुस्कुराहट ये हंसी ठहाका सम्हाल के रख बुढ़ापे में काम आएगी ।

 

थाना लूट लै गे डकैत ,

सिपाहियाने में हड़कंप मचिगा ।

काज होतै भई बिटिया सगली ससुरारी मा भूकंप मचिगा ।

 

दालें दरी जाती गर चक्की के पाटों में ,

जेतवा में हल जोत कर कोदौ का कना उड़ाया जाता ।

 

दाल जितनी थी काली सियासत वाली .

लोगों ने खुद निकाली कूटी काँड़ी फलिहाई वाली ।

good night sms

आदतें बिगड़ जाती हैं गर पका पकाया मिला जाये ,

सब कुछ हज़म हो जाता है जब जी जाँगर भी लग जाए ।

 

टुकुर टुकुर ललचाये भँवरबा ,

उमड़ घुमड़ बदलिन संग इतराये मनवा ।

 

बंधी रुपैया पूँजिगर की पूँजी ,

भाँज भई सीपन जस मोती ।

 

कबहू माघ पूस के पाला मारिस ,

कबहूँ झुलसा जेठ बैसाख दुपहरिया मा ।

बेवजहा इश्क़ हमार मौसम के सूली चढ़ि गा अरहरिहा मा ।

 

संसद मा नेता के भाषन ,

काजे गमने पठौनी बिदा समधी समधिन जस गारी ।

 

गुदाम बकसुआ में कसके ,

रह गए उचकते अरमान दब के ।

 

लेहड़ों से सारा समशान अटा है ,

हर एक शख्स दूसरे को निवाला समझे डटा है ।

 

का नाथन के नाथ नातन का अनाथ कै के ,

कौन रुद्री पढ़ी है कौन समुंदरी बाँचे कहाँ जा बसे हो लोगन का सर्वनाश कै के।

 

बाग़ बगीचन अमवा बिरबन ,

झूलत झूला मोहत वन उपवन ।

 

चुआना न ओरमानी माने ,

सावन के रिमझिम करे मनमानी काहे ।

 

सूखे बिरबन मा काहे चिर्री गिरी ,

बलकत मनवा मोसे सम्हलत नाही ।

 

सरौने सगले जेल मा गोलहंथी चाटें ,

जीजा ससुरारी मा बैठे गौंतरी उड़ावे ।

 dosti shayari

जगत मा बैठ के पी गए जो सारी बोतल ,

तोरे नैनं के कुइयाँ मा डुबकी लगाई कैसे ।

 

चीमट दोमट से लीमरों के घर क्या बसेंगे ,

जो खुद के आँसू बहती बाढ़ में बहाये आये हैं ।

 

रोज़ रोज़ नयी दुआ देना बंद कै दे ,

बद दुआ के साथ तू का मनई न कहइहै ।

pix taken by google