गोया एक लम्स वफ़ा का मिलता Alfaaz shayari,

0
1516
गोया एक लम्स वफ़ा का मिलता Alfaaz shayari,
गोया एक लम्स वफ़ा का मिलता Alfaaz shayari,

गोया एक लम्स वफ़ा का मिलता Alfaaz shayari,

गोया एक लम्स वफ़ा का मिलता ,

जलते बुझते सरारों से बर्फ बनाने का हुनर भी दिखता ।

 

दूसरों के दामन पर सबकी नज़र रहती है ,

अपने हाँथों की कालिख को वो हुनर कहते हैं ।

 

सामरिक शक्तियों में वो क़हर होती है,

आने वाली नश्लें तक तबाह करती हैं ।

 

तुम्हारी किश्मत में जश्न ए रानाईयां ही सही ,

हम ग़म फुरक़त की महफिलों में जश्न मना लेंगे ।

bazm sham e ghazal,

ख्वाब ज़र्द होकर के मेरी आँखों में ,

सब्ज़ बाग़ों के चारागार खार बनके जिगर में चुभते हैं ।

 

बात उनसे कुछ ऐसे लहज़े में हुयी ,

जो किसी ने न देखी न भाली न सुनी

 

रात भर सोती नहीं आँखों के नीचे धब्बा है ,

हाल ए दिल की बेचैनियां छुपाने का हुनर भी तुमको आता है ।

 

देखे हैं तूफ़ानो में उड़ते बाज़ों के हुनर ,

बड़ी ख़ामोशी से थामे रखते हैं तूफ़ानो में जिगर

 

जिश्म लाख पंगु सही ,

हमने देखे हैं ज़माने में हुनर दिल से जंगबाजों के ।

 

सुर्ख लबों की खुस्की कहती है ,

जलते जलते दिलों के अरमान बुझे बुझे क्यों हैं ।

 

हटाओ ज़ुल्फ़ रुख़सार से दो लबों के ज़ाम होने दो ,

कौन जीता है सेहर तक अभी तो शाम होने दो ।

 

मुसल्सल तेरी यादों के जुगनू जिगर में जलते हैं,

मैं हर रात घनघोर अँधेरे में अँधेरा ओढ़ के सोता हूँ ।

 

पिले बैठे हैं मुर्दों पर मुर्दे,

शहर ए आदम के समशानो में हर शख्स आदमख़ोर लगता है ।

 

क़ातिलों के शहर में हर रोज़ क़त्ल ए आम होता है .

क़त्ल करता है हुश्न और कम्बख़्त इश्क़ बदनाम होता है ।

 

यक़ीन आता नहीं तेरी क़ाफ़िर निगाहों पर ,

तेरी क़ातिल निगाहें शहरी सियाशत् सीख रखी है ।

 

एक लफ्ज़ में सिमटा था फ़साना शहर में,

आया जो रूबरू तो मायने बदल गए ।

 

जागी रही नज़र तो सेहर दूर तक न थी,

जैसे हुयी खत्म सवेरा बाहों में सिमट गया

inspirational moral stories for adults,

हर बात लहज़े में बयाँ होती नहीं ,

कुछ हुश्न ओ इश्क़ के हुनर अंधेरों में चलते हैं ।

pix taken by google