दाग तेरे भी दामन के फ़फ़क के रो देगे funny shayari,
दाग तेरे भी दामन के फ़फ़क के रो देगे ,
जो देखेगे गम मेरा खुद बा खुद सुबक के सो लेगे ।
लिबास कैसा कैसा हिज़ाब कैसा कैसा ,
जहां में ख़ाक ए मुजस्सिम का हमाम कैसा कैसा ।
ज़मीन से फलक तक सजे हो जश्न के मंज़र ,
हर शख्स हो खुश हाल जहां में कोई बदहाल नहीं हो ।
सर्द रातों में ज़हर सा जलता बदन ,
मोहब्बत नासूर बनकर सर पर चढ़ी हो जैसे ।
खेलेंगे सुख़नवर तहज़ीब ए शायरी के फ़न ,
रात की घनेरी ज़ुल्फ़ों में चाँद तारे पिरो लेगे ।
ज़ुल्फें घनेरी में क्या काले हर्फ़ पढ़ते हो ,
तहरीर ए मोहब्बत में कोई खुर्रम नहीं होता ।
ज़ुल्फ़ों के गिरफ़्त से बच गए होंगे ,
तभी बुतक़दों के दर पर बैठकर तस्बीह जपते होंगे ।
बक्स देती है मौत डर के आके कूचे पर ,
आदमी बचता नहीं काली ज़ुल्फ़ों की गहरायी से ।
मैं अक़्स तेरा तू मेरी परछाई ,
दरमियान रूहों के लिबास कैसा पर्दा कैसा ।
कहते हैं लिबास से ओहदे का पता चलता है ,
क्या गरीब इंसान नहीं होता ।
जो सीधी दिल से गयी बात बनाये न बनी ,
गोया जो तराने होठों के सुने ज़माना गुनगुनाने लगा ।
लफ़्ज़ों के मायने बदल जाते हैं जब ,
होंठ पर आके लफ्ज़ अटक जाते हैं जब ।
ये लब पे तिश्नगी वो वादे वफ़ा कम थे क्या ,
जो निगाहों में ज़हर भर के सजा लाये हो मेरे मरने को ।
महफिलों में ग़म ए लज़्ज़त तो देखो ,
लाख रंजिश छुपाये दिलों में लब पर मुस्कान लेके आये हैं ।
दिल ए वीरान में टूटे खण्डहरों से सदा आती है ,
लब खुले भी नहीं और अरमानो ने दम तोड़ दिया ।
मुर्दों के तड़पते लब तो देखो ,
दिलों में ना जाने राज़ कितने दफ़न करके सिमटा होगा ।
लब खुले या खामोश रहें ,
अंजुमन में शब् ए गुल हर रोज़ खिला करते हैं ।
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