ghost printing press a true horror story in hindi ,

0
9098
ghost printing press a true horror story in hindi ,
ghost printing press a true horror story in hindi ,

ghost printing press a true horror story in hindi ,

प्लीज मुझे मत मारो आखिर मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है , और एक मासूम की चीख घर की चार दीवारी में घुट के रह जाती है , और ये खबर अखबार की सुर्ख़ियों में छप जाती है और घड़ घड़ करती प्रिंटिंग प्रेस की मशीन बंद हो जाती है , इसी के साथ कैमरा ज़ूम आउट होता हुआ पूरनमासी की रात में आसमान के बादलों को चीरता हुआ कहीं खो जाता है , कट टू कैमरा प्रेस की दीवार पर लगी घडी पर फोकस डालता है रात के ३ बज चुके हैं तभी साथी पार्टनर आवाज़ लगाता है छुट्टी का टाइम हो गया शिंदे क्या सारी रात यही पर मगजमारी करेगा , जा घर जा घर में बीवी बच्चे राह देख रहे होंगे , शिंदे साथी की आवाज़ सुनकर हंस देता है और पेपर की डिलीवरी के लिए पैकिंग करने में लग जाता है , साथी बोलता है ये लड़्के लोग का काम है रे शिंदे तू अभी नया नया मुंबई में आया है न सुरु से इतनी चम्मचगीरी नहीं करने का जो जिसका काम है उसको करने दे अपन को अपना काम करने का और निकलने का , और यही बोलते बोलते शिंदे अपने साथी दोस्त के साथ प्रेस से बाहर निकल जाता है , शिंदे अभी मुंबई में नया नया है और आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है , तीन बच्चे हैं बेचारे के बड़ी बेटी का नाम मुनिया है जो की १४ साल की है बाकी दो लड़के है एक १२ साल का सुदीप एक ३ साल का छोटू ,

urdu shayari in hindi love,

पैसों की कमी के चलते शिंदे अपने परिवार के लिए बोरीवली में फ्लैट नहीं ले पाया था और उसे दहिसर के स्लम एरिया में एक घर किराए से कम दाम में मिल गया था , सब कहते थे उसमे भूत है मगर शिंदे पढ़ा लिखा था उसे भूत प्रेत में विश्वास नहीं था , घर बड़ा नहीं था बस दो कमरे थे उसी में खाना पीना रहना सोना सब हो जाता था कुल मिलाकर एक परिवार के रहने के लिए पर्याप्त था , बस प्रॉब्लम एक थी वह ये की बर्षात के दिनों में घर की छत से पानी टपकता था , शिंदे और शिंदे की पत्नी के लिए बेहद समस्या थी जिसके चलते कई रात दोनों का जागकर काटनी पड़ती थी और बच्चों के लिए छत से पानी का टपकना मनोरंजन का पर्याय बन चुका था , जहां भी पानी टपकता बच्चे फ़ौरन पतीला लेकर भरने के लिए पहुंच जाते , किसी तरह दिन काट रहे थे , एक दिन बच्चे घर में अकेले थे , अचानक गैस चूल्हा अपने आप जलने लग जाता है , मुनिया डर जाती है , मगर सुदीप को मजा आता है वो छोटू के साथ बैठ कर हसने लगता है , तभी शिंदे की पत्नी बाजार से आ जाती है वो गैस चूल्हा जलता हुआ देखकर मुनिया को डाँट लगाती है और कहती है तू तो बड़ी है न गैस चालू करके बैठी है देखती नहीं है घर का खर्चा कितनी मुश्किल से चलता है मुनिया कहती आई मैंने कुछ नहीं किया गैस अपने आप चालू हो गयी थी , तभी शिंदे की पत्नी एक झापड़ मुनिया के गाल में जड़ देती है और कहती है एक तो गलती करती है ऊपर से बहस भी करती है , मार पड़ते ही मुनिया चुप चाप सिसक सिसक कर रोने लगती है और एक कोने में दुबक जाती है ,

इसके बाद शिंदे की पत्नी दूसरे कमरे में काम में लग जाती है , तभी बाजू वाले कमरे से सुदीप के हसने की आवाज़

सुनायी देती है वो आकर देखती है मगर ये क्या गैस फिर जलने लगती है , मुनिया कोने में बैठी अभी भी रो रही थी सुदीप छोटू को खिलाता हुआ हंस रहा है शिंदे की पत्नी दौड़कर गैस चूल्हे की बटन बंद करती है और मुनिया को कहती है तुझे शर्म नहीं आती इतनी पिटाई के बाद भी तूने गैस चालू कर दी , सुदीप बोलता है दीदी ने कुछ नहीं किया है चूल्हा रोज़ अपने आप जलता है और हमे मज़ा आती है , बच्चों की बात सुनकर शिंदे की पत्नी हैरान रह जाती है , इस घटना का ज़िक्र वो अपने पती से करती है और कहती है सुनते हो जी मुनिया के पापा घर में भूत है आज गैस चूल्हा अपने आप चालू हो गया था , शिंदे कहता है कोई भूत वूत न है सब मन का वहम है , और बत्तियां बुझाकर सबको सुला देता है , अभी शिंदे की आँख भी ढंग से लगी न थी , उसे ऐसा लगता है कोई शख्स उसके बाजू के लेटा हुआ है वो पीछे की तरफ देखता है मगर कोई नहीं दिखता है वो एक बार सीधा लेट जाता है , तभी उसे ऐसा लगता है जैसे कोई उसकी गर्दन दबा रहा है वो उठ्कलर बैठ जाता है बच्चे और पत्नी को सही सलामत देखकर शिंदे चैन की सांस लेता है , मटके से पानी निकाल कर पीता है तभी बाजू वाले कमरे से बर्तनो के खड़खड़ाने की आवाज़ सुनायी देती है ऐसा लगता है जैसे कोई खाना बना रहा हो , वो दौड़कर लाइट ऑन करता है , जूठे बर्तन पर चूहों ने धमाचौकड़ी मचा रखी थी , शिंदे को देखकर वो खुद बखुद भाग जाते हैं , लाइट्स ऑफ करके शिंदे आकर वापस सो जाता है ,

cut to ,

शाम का वक़्त है बच्चे खेलकर घर आ चुके है शिंदे की पत्नी घर का काम करने में लगी है , शिंदे को प्रेस जाने की जल्दी है वो अपना टिफिन लेकर साइकिल से प्रेस की तरफ निकल जाता है दीवार से चिपक कर सुदीप किसी से बातें कर रहा है पास बैठी मुनिया पढ़ाई में इतनी मसरूफ है की उसे कुछ पता ही नहीं चलता है , अचानक सुदीप तेज़ तेज़ से बातें करने लगता है और फिर अचानक ही दहाड़ मार मार कर रोने लगता है सुदीप के रोने की आवाज़ सुनकर शिंदे की पत्नी रूम में आती है और मुनिया को डाँट लगाती हुयी कहती है तूने क्यों मारा इसे और सुदीप को कहती है जब नहीं पटती है तेरी दीदी के साथ तो अलग अलग काहे नहीं बैठते हो , और मुनिया की चुटिया पकड़ कर घसीटती हुयी अपने कमरे में ले जाती है मुनिया कहती है आई मैंने नहीं मारा इसे शिंदे की पत्नी कहती है तुमने नहीं मारा तो क्या भूत ने मारा उसे , और जैसे अंदर के कमरे में जाती है गैस चूल्हा जलने लगता है , वो लपक कर गैस बंद करती है तभी दूसरे कमरे से एक बार सुदीप के रोने की आवाज़ आती है । वो एक बार फिर दूसरे कमरे में जाती है , सुदीप के गाल पर पड़े पंजे के निशान को देखकर वो दंग रह जाती है और चीखती हुयी अपने बच्चों को लेकर घर से बाहर भागती है और कहती है खा गयी डायन मेरे बेटे को भूत है इस घर में मुझे एक पल नहीं रहना इस घर में और रात बच्चों के साथ घर के बाहर ही गुज़ार देती है , सुबह जब शिंदे घर आता है और बीवी बच्चों को घर के बाहर बैठा हुआ देखता है तो हैरान रह जाता है , घटना को जानने के बाद उन्हें समझा बुझा कर घर के अंदर ले जाता है ,

romantic urdu shayari in hindi,

रात के १० बज चुके हैं शिंदे अपना टिफिन लेकर प्रेस जा चुका है शिंदे की पत्नी बच्चों के साथ आराम कर रही है , तकरीबन रात के १२ बजे सुदीप की आँख खुलती है वी माँ को बाजू में न पाकर हैरान रह जाता है तभी उसकी नज़र दीवार पर बने रैक पर पड़ती है जहां शिंदे की पत्नी लेटी नज़र आती है माँ को इतनी ऊचाई पर लेटा देख कर सुदीप हैरानी में पड़ जाता है इतनी ऊंचाई पर बिना सीढ़ी के जाकर लेट पाना नामुमकिन है , सुदीप की आवाज़ सुनकर मुनिया डर जाती है वो भी माँ को रैक में लेटा देखकर हैरान रह जाती है और डर के मारे छोटू और सुदीप को साथ लेकर घर के बाहर भाग जाती है , आज बच्चों की रात बाहर गुज़रने वाली थी तभी पड़ोस के अंकल की नज़र घर के बाहर बैठे बच्चों पर पड़ती है वो बच्चों को घर के अंदर लेकर जाते हैं शिंदे की पत्नी नीचे बिस्तर पर सो रही थी माँ को बिस्तर पर लेटा देख कर बच्चों की जान में जान आती है , वो एक बार फिर माँ के बाजू में जाकर सो जाते हैं , और जब सुबह शिंदे से बच्चों की मुलाक़ात होती है तब सब बारी बारी से बताते हैं बापू कल रात आई रैक पर सोयी थी , शिंदे बच्चों की बात सुनकर हँस देता है और कहता है हाँ तेरी माँ बंदरिया है कहीं भी चढ़ सकती है , सुदीप हँसता हुआ कहता है सच्ची बापू शिंदे कहता है , हाँ पगले क्यों नहीं , शाम का वक़्त प्रेस की आज छुट्टी है इसलिए शिंदे भी आज अपने परिवार के साथ खाना खाने बैठता है थोड़ी देर में शिंदे की पत्नी खाना परोसना सुरु करती है जितने बर्तन खाली होते हैं सब एक एक करके पहले पतीला फिर कुकर फिर कड़ाही , फिर तबा सब हवा में उड़ने लगते हैं बर्तनो को हवा में उड़ता हुआ देख शिंदे भी डर जाता है , तभी अंदर के कमरे से किसी औरत के चीखने की भयानक आवाज़ें आने लगती हैं शिंदे बीवी बच्चों समेत घर से बाहर निकल जाता है ,

और अपने पड़ोसिओं को घटना से अवगत करवाता है और मदद की गुहार लगाता है एक पडोसी बताता है शिंदे साहेब आप इस मकान में रह रहे होना ये मकान भुतहा है इसलिए ये तुम्हे इतने कम दाम में मिल गया हम लोग बहुत पहले से हैं मोहल्ले में १० साल से मकान खाली था इसके पहले भी जितने लोग आये न सबके सब मर गए या तो पागल होकर के भाग गए तुम पर देवा की कृपा है जो तुम अभी तक ज़िंदा हो , शिंदे कहता है तो अब क्या करूँ मैं , पडोसी बोलता है भूरा तांत्रिक है वो भूत प्रेत भगाता है ,

शिंदे भूत प्रेत जैसी बातों पर विश्वास नहीं करता है , मगर हाल ही में हुयी अप्रिय घटनाओ ने उसकी अंतरात्मा को झकझोड़ के रख दिया है , और न चाहकर भी उसे भूरा तांत्रिक के पास जाना पड़ जाता है , भूरा तांत्रिक अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाली तमाम सामग्री की लिस्ट शिंदे को थमा देता है , जिसे शिंदे बाजार से खरीद कर रख लेता है दूसरे दिन भूरा तांत्रिक अपने ताल तम्बूरे के साथ घटना स्थल पर पहुंच जाता है , और तंत्र मंत्र का सारा झाम झकड़ा फैला के बैठ जाता है , सभी को आदेश देता है की आप सब घर के बाहर चले जाएँ , सभी घर के बाहर चले जाते हैं इसी के साथ भूरा तांत्रिक घर की कुंडी अंदर से बंद कर लेता है और तंत्र साधना में लग जाता है , लगभग पांच मिनिट के बाद भूरा तांत्रिक घर का दरवाज़ा खोलता है उसकी हालत देख कर ऐसा लगता है की भीड़ के झुण्ड ने उसकी लात घूसों से बेदम पिटाई की है , भूरा तांत्रिक अपना सामान समेटता हुआ भागता है सभी उसको रोकने की नाकामयाब कोशिश करते हैं और पूछते हैं तांत्रिक बाबा हुआ क्या क्यों यूँ दुम दबा कर भागे जा रहे हो वो कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं था , सभी उसके पीछे लग जाते हैं और आखिरकार जाकर वो अपनी कुटिया में रुक जाता है , एक लोटा ठंडा पानी पीने के बाद बताता है , तुम्हारे घर में बहुत बड़ा भूत है जिसे भगा पाना मेरे बस की बात नहीं है मैं तो बच गया तुम भी उस घर से फ़ौरन निकल जाओ वरना जान से मारे जाओगे , और हाँ ये लो तुम्हारे खर्चे का पैसा मुझे ऐसी कमाई नहीं चाहिए जिसमे जान का खतरा हो ,

भूरा तांत्रिक की प्रतिक्रिया देख कर शिंदे डर जाता है , तभी शिंदे का दोस्त ढाढस बंधाते हुए कहता है तू चिंता मत कर

मेरे भाई मेरी नाशिक के एक बड़े तांत्रिक से जान पहचान है फिल्म इंडस्ट्री के जितने बड़े बड़े दिग्गज प्रोडूसर डायरेक्टर है सब चेले हैं उसके सभी की फिल्मो का महूरत रिलीजिंग डेट का निर्धारण वही करते हैं , शिंदे कहता है यार तुझे पता है मेरे पास इतने पैसे नहीं है शिंदे का दोस्त बोलता है तू पैसे की टेंशन न ले अपने प्रेस का जो मालिक है न तावड़े वो भी उसी का चेला है और मसान बाबा की कृपा के बिना प्रिंटिंग प्रेस तो क्या एक अखबार नहीं बिकेगा मुंबई में , तू चल मेरे साथ कल नाशिक मसान बाबा को अपुन बताएगा तेरी प्रॉब्लम के बारे में वो पैसे को ज़्यादा तवज्जो नहीं देता है । वो कस्टमर और केस देख कर बात करता है तू परेशान मत हो अपुन है न तेरे साथ ,

real horror story in hindi,

दूसरे ही दिन शिंदे अपने मित्र के साथ नाशिक के लिए रवाना हो जाता है , और मसान बाबा को अपनी परेशानी से अवगत करवाता है शिंदे की समस्या सुनकर मसान बाबा कहते हैं जा बच्चा बाबा तेरा काम फ्री में करेगा ये भूत को भगाना बाबा के अस्तित्व की बात बन गयी है अब या तो भूत नहीं या तो बाबा मसान नहीं , और दूसरे ही दिन बाबा अपने चेलों के साथ मुंबई के लिए रवाना हो जाता है , और शिंदे के घर में डेरा डाल देता है , और तंत्र साधना में लग जाता है रात का वक़्त आता है , काफी मशक्कत के बाद मसान बाबा भूतों को वश में करता है , और शिंदे और उसकी पत्नी को घर के अंदर बुलवाता है , और वश में किये भूतों से बात करता है , एक चुड़ैल बोलती है मुझे ज़िंदा जला दिया गया था इस घर में मेरा कोई कसूर नहीं था मेरे सास ससुर दहेज़ की मांग कर रहे थे मेरे माँ बाप से मेरे परिवार वालों के पास इतने पैसे नहीं थे की और दहेज़ दे सकें , जिसके चलते मेरे साल ससुर और पति ने मुझ पर घास लेट डाल कर आग लगा दी और मैं मर गयी , एक भूत बोलता है मुझे मज़बूर किया था मेरे बॉस ने मरने के लिए उसके मेरी पत्नी के साथ नाजायज़ सम्बन्ध थे , वो रौबदार था पैसे की वजह से पत्नी भी मुझसे बेवफाई कर रही थी मैं मज़बूर था क्या करता मुझे मरना पड़ गया , इन भूतों में एक बच्ची भी थी जिसे उसके लड़की होने की वजह से मार डाला गया था , सभी की कहानियां दर्द भरी थी सभी भूतों की दास्तान सुनने के बाद मसान बाबा कहते हैं तुम सबको इस घर से जाना पड़ेगा , खाली कर दो तुम सबके सब इस घर को सभी भूत पहले हँसते हैं फिर बिना कोई जवाब दिए वहाँ से भाग जाते हैं ,मसान बाबा कहते हैं शिंदे तुम परेशान मत हो अगली पूरनमासी की रात मैं इन सबकी स्थाई व्यवस्था कर दूँगा क्यूंकि पूरनमासी की रात भूत प्रेत सब अपने शबाब में रहते हैं और तांत्रिक शक्तियां भी ताक़तवर रहती है , जिससे भूत प्रेत को वश में करना भी आसान हो जाता है , इतना कहकर मसान बाबा वापस नाशिक के लिए रवाना हो जाता है , मसान बाबा के जान के बाद शिंदे की वही पुरानी दिनचर्या सुरु हो जाती है , रात का वक़्त है तक़रीबन तीन बज चुके हैं ,  शिंदे अपने साईकल से घर की तरफ लौट रहा था अभी उसने दहिसर चेक नाका क्रॉस ही किया था की पीछे से एक महिला की आवाज़ सुनायी देती है और स्ट्रीट लाइट्स जलने बुझने लगती हैं और वो शिंदे से पूछती है खैनी है तेरे पास , शिंदे कुछ नहीं बोलता है और साईकल की रफ़्तार तेज़ कर आगे बढ़ जाता है ,

दूसरी रात भी शिंदे प्रेस से लौट रहा था था तब ठीक उसी जगह वही बूढी औरत फिर से मिलती है , वो आज फिर शिंदे से

खैनी मांगती है आज फिर शिंदे अपनी साईकल की रफ़्तार तेज़ कर देता है , और वहाँ से चला जाता है , उसे लगता है कोई पागल बुढ़िया है जो की हर आने जाने वाले से खैनी मांगती फिरती है , इसी तरह रोज़ का क्रम बन जाता है , दिन गुजरने लगते हैं और आखिर पूरनमासी की रात भी आ जाती है , मसान बाबा आज पूरे साज़ सामान के साथ शिंदे के घर पहुंच जाते हैं , घर को चारों तरफ से मंत्रोच्चारण द्वारा शुद्ध किये गए चांदी के तार से बाँध दिया जाता है , और देर रात के यज्ञ अनुष्ठान के बाद मसान बाबा भूतों को वश में करके वहीँ दफ़ना देते हैं , और शिंदे को कहते हैं अब भूतों से डरने की कोई ज़रुरत नहीं है मैंने इन्हे मन्त्रों की शक्ति से बाँध दिया है अब आप आराम से इस घर में रह सकते हो , शिंदे मसान बाबा के चरणों में नतमस्तक हो जाता है , मसान बाबा उसे उठाते हैं और मुस्कुराते हुए वहाँ से चले जाते हैं , दूसरे दिन शिंदे आराम से ऑफिस जाता है और अपना काम ख़त्म करके जब रात के ३ बजे वापस लौट रहा होता है तब वही दहिसर चेक नाका के पास एक बुढ़िया जर्जर हालत में मिलती है शिंदे समझ जाता है ये फिर खैनी मांगेगी , बुढ़िया फिर खैनी मांगती है शिंदे कुछ जवाब नहीं देता है और साईकिल की रफ़्तार तेज़ कर देता है , तभी अचानक से बुढ़िया साईकिल के बाजू में आ जाती है , वो हवा में उड़ रही होती है उसके पाँव के पंजे पीछे की तरफ मुड़े होते हैं शिंदे डर जाता है , बुढ़िया एक ही झटके में शिंदे को साईकिल समेत उठा कर दूर फेंक देती है शिंदे की साईकिल आसमान में २० फ़ीट तक उछल जाती है बुढ़िया भारी आवाज़ में शिंदे से कहती है , मुझे मेरे घर से निकालेगा तू , तेरे बाप का घर नहीं है , कोई मेरे होते हुए मेरे घर पर कब्ज़ा नहीं कर सकता मालकिन हूँ मैं , और इतना कह कर काले धुएं के साथ आस्मां में ग़ायब हो जाती है , शिंदे हड़बड़ाहट में साईकिल उठाता है , और सीधा घर की तरफ प्रस्थान कर जाता है , और घर पहुंचते ही बीवी को कहता है सामान बाँध मुझे अब एक पल नहीं रहना इस घर में , और अपना सामान बाँध कर रात में ही घर खाली कर देता है , और वहीँ प्रेस के पास बोरीवली में शिफ्ट हो जाता है , बाद में लोगों से पता चलता है , जिस घर में शिंदे अपने परिवार के साथ रहता था , वो घर मिस्टर मखीजा का बंगलो हुआ करता था मिस्टर और मिसेज मखीजा की मौत के बाद से लगभग २० साल से खाली पड़ा था और धीरे धीरे स्लम एरिया से घिरता चला गया , भूतिया होने के कारण कोई किराए से नहीं लेता था जो लेता था वो या तो आत्महत्या कर लेता था , या फिर भूत के डर से पागल हो जाता था , बहुत पहले उस घर में एक नवविवाहित युवती को दहेज़ के लालच में सास ससुर और पति के द्वारा मिटटी तेल डालकर ज़िंदा जला दिया गया था , इसके बाद बोरोवली से छपने वाले न्यूज़ पेपर में उसे आत्महत्या का रूप देकर छापा गया था , क्यों की प्रेस का मालिक नवविवाहिता के ससुर का दोस्त था , और खबर को गलत छापने के लिए पैसे खा लिया था , कहते उस घटना के बाद घर बहुत दिनों तक बंद था , और जब खुला तो उसमे एक स्ट्रगलर रहने आया जो की कुछ दिनों में है पागल हो गया था , और उसी घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था , इसके बाद जो भी रहने आया भी या तो खुद मर गए या तो मार दिए गए।

pics taken by google ,