the dark fantasy witch story in hindi ,
सुबह सुबह का वक़्त संध्या अपने परिवार के साथ घर के आंगन में बैठी अपने बाबू जी के साथ न्यूज़ पेपर पढ़ने का एक आनंद ले रही थी , तभी संध्या की नज़र न्यूज़ पेपर की हेडलाइंस पर पड़ती है जिसमे छपा था की शहर में बच्चे चुराने वाली गैंग का फैला आतंक , हेडलाइंस देखते ही संध्या ज़ोर ज़ोर से पेपर पढ़ने लगती है , शहर में बच्चे उठाने वालों की गैंग का फैला आतंक हर आदमी दहशत में कल घंटाघर इलाके में बच्चा चोर होने के शक में भीड़ ने एक संदिग्ध युवक को पीटा , युवक इलाके में अपने साथी के साथ तफरी कर रहा था , वहीँ पास खड़े एक बच्चे को चॉकलेट का प्रलोभन देकर पास बुलाने की कोशिश कर रहा था , तभी लोगों की नज़र उस पर पड़ गयी भीड़ ने युवक को धर दबोचा और जमकर पीट दिया जबकि बाइक चलाने वाला साथी मौके की नज़ाक़त देखकर वहाँ से रफूचक्कर हो गया , पकडे गए युवक को पुलिस के हवाले कर दिया गया बाद में पुलिस से पूछताछ में पता चल; की वो युवक कॉरेक्सी था , मेडिकल के नशे की वजह से वो ऐसी हरकतें कर रहा था , न्यूज़ पढ़ने के फ़ौरन बाद संध्या अपने भाई संजय के लड़के को अपने गले से लगा लेती है और कहती मेरे बच्चे को कोई मुझसे अलग नहीं कर सकता है काट डालूंगी सबको , संध्या का भाई उसे समझाता है पागल हो गयी है क्या कौन उसके मुन्ना को उससे अलग कर रहा है , संध्या कहती शहर में बच्चे उठाने वाली गैंग आई है अपने मुन्ना को किसी के पास नहीं जाने दूगी , और मुन्ना को सीने से चिपकाए दौड़ती हुयी घर के अंदर चली जाती है ,
cut to ,
वक़्त गुज़रता जाता है , मुन्ने के प्रति संध्या का प्रगाढ़ प्रेम बढ़ता जाता है , लेकिन कहते हैं न वक़्त के सामने किसी की नहीं चलती स्कूल की पढ़ाई ख़त्म होने के बाद संध्या को शहर के अच्छे से कॉलेज में एडमीशन दिला दिया जाता है , और रहने के लिए गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था कर दी जाती है, वहाँ उसकी बहुत सी नयी दोस्त बन जाती है संध्या शहर के चकाचौंध में खुद को धीरे धीरे एडजस्ट करने की कोशिश में लग जाती है, संध्या पढ़ने में होशियार थी , पहले तो कॉलेज की लड़कियों द्वारा उसे विरोध का सामना करना पड़ता है मगर बाद में सभी उसकी फ्रेंड्स बन जाती है , रेहाना , रूबी , डॉली , नताशा दोस्ती इतनी घनिष्ट होती जाती है , बातों बातों में कब रात गुज़र जाती थी किसी को पता भी नहीं चलता था , हॉस्टल की लडकियां रूम में सिगरेट और शराब लेकर बैठ जाती थी , पहले तो संध्या को ये सब बड़ा ऑक्वर्ड लगता था मगर बाद में वो भी पार्टी एन्जॉय करने लग गयी , हॉस्टल नाम का गर्ल हॉस्टल था , रात में हॉस्टल मैनेजर को पैसे खिला कर लड़कियों के बॉयफ्रेंड्स अक्सर रूम में आते रहते थे , और फिर सुबह होने से पहले निकल जाते थे , कई बार हाउस मैड ने रूम साफ़ करते वक़्त यूज़ किये हुए कॉन्डम्स पकड़े थे , वार्डन द्वारा बात प्रिंसिपल तक पहुंच जाती थी और वार्निंग देकर सब कुछ शांत कर दिया जाता था , संध्या और उसकी फ्रेंड्स भी अब रोज़ रोज़ की वार्निंग पाकर बेशर्म हो चुकी थी , और नशे की आदी भी हो चुकी थी अब सिगरेट और शराब से वो बोर हो चुकी थी , वो कुछ नया ट्राई करना चाहती थी ,
धीरे धीरे संध्या के व्यवहार में आकस्मिक बदलाव देखने को मिलने लगे थे , घर वाले उसकी हरकतों से परेशान थे ,
इधर संध्या की कुछ फ्रेंड्स जादू टोना पर विश्वास करने वाली थी, वो नए नए लड़कों को अपने हुश्न के जाल में फ़साने के लिए तरह तरह के जादू टोना का सहारा लेती थी , संध्या भी जादू टोना वालों के पास आना जाना सुरु कर चुकी थी , हॉस्टल में आने जाने वाले लड़कों में एक लड़का सुदीप था , जिसकी संध्या से दोस्ती हो गयी थी , वो संध्या के मोह जाल में इस तरह फंस चुका था की उसके लिए कुछ भी कर सकता था , संध्या उसके भोलेपन का भरपूर फायदा उठाती थी , मोबाइल रिचार्ज से लेकर होटल , ट्रैवलिंग, महँगी महंगी ड्रेस यहां तक की सुदीप ने संध्या को स्कूटी भी गिफ्ट कर रखी थी , वो संध्या को हमेशा खून से लिखे ख़त भेजा करता था , एक बार तो हद हो गयी , सुदीप ने संध्या को ख़त लिखा , जो की हॉस्टल की लड़कियों के हाँथ में लग गया , ख़त में लिखा , मेरी प्राणो से प्रिय प्राणेश्वरी , ये ख़त नहीं मेरे दिल के जज़्बात हैं जब से तुम्हे देखा है जानेमन मेरे दिन का चैन रातों की नींद हराम हो गयी हैं , तम्हारे टमाटर जैसे गाल में जिन्हे मैं अपने होठों से चूसना चाहता हूँ , तुम्हारे मदभरे नैन दो मय का प्याला हैं जिन में मैं डूब मरना चाहता हूँ , तुम्हारे होठ गुलाब की दो पंखुड़ियां है जिन्हे मैं अपने होठों की शबनम से भिगोना चाहता हूँ , तुम्हारे मादक जिस्म को अपनी बाहों में भर कर एक नई दुनिया की ऊँचाहियों में ले जाना चाहता हूँ , तुम्हारे अधरों की प्यास मेरे दिल की ज्वाला को दीप्तमान कर देती है , तुम्हारे जिस्म के उतार चढ़ाव और कटाव पर थिरकने के लिए मेरी उंगलियां बेताब मचल रही हैं , मेरी बाहों में कब आओगी मेरी स्वप्न सुंदरी मेरी वीरान पड़ी इस ज़िन्दगी को अपने रूप और यौवन से कब महकाओगी मेरी जान तुम्हारे रूप और यौवन का प्यासा तुम्हारे हुश्न का दास सुदीप , और इतना पढ़कर संध्या की फ्रेंडस लव लेटर को हवा में उछाल देती हैं , तभी रेहाना कहती है ओये होये कोई हमे भी तो मिले इस तरह से हम पर मरने वाला रूबी कहती है आशिक़ नहीं पक्का फ्रॉड है साला , फ़्लर्ट कर रहा है संध्या के साथ चाहे तो जितने जितने की भी शर्त रख ले,
तभी डोली रेहाना के हाँथ से खत छुड़ा लेती है , और उसे हॉस्टल की दीवार पर रखती है इसके बाद बेड शीट पर रखती है कभी अपने गाउन पर रखती है और तेज़ तेज़ से हंसती हुयी कहती है गिर गिट को मार कर उसके खून से लिखा हुआ ख़त है ये देख हर नए रंग के साथ रंग बदल रह है ये , और वो सबको ख़त में लिखी लिखावट को रंग बदलते हुए दिखाती है , सभी कहते हैं हाँ यार ये तो सच है सभी पूछती है डोली से तुझे कैसे पता चला हमें तो ये ख़त सामान्य ख़त की तरह ही दिख रहा था , डोली कहती है उसे तंत्र विद्या आती है , सभी कहती हैं वोऊ हमें भी सीखा दे तंत्र विद्या , मगर डोली मना कर देती है , रेहाना कहती है अब इस ख़त का क्या किया जाये , हमारी प्यारी संध्या के साथ चीटिंग कर रहा था साला नताशा कहती है करना क्या है खून भरे ख़त का जवाब खून भरी मांग से थोड़ी न दिया जायेगा खून भरे ख़त से दिया जायेगा रूबी पूछती है वो कैसे , नताशा कहती है सभी के मॉस्किटो नेट में मच्छर होंगे सब को इकठ्ठा करो उन्होंने हमारा खून चूसा है अब खून का क़र्ज़ अदा करने का वक़्त आ गया है उसने गिरगिट के खून से ख़त लिखा है हम मच्छर के खून से ख़त का जवाब देंगे , सभी मिलकर अपने अपने मॉस्किटो नेट में छुपे मच्छरों को ढूंढ ढूंढ कर मारती है , और खून भरे ख़त का जवाब मच्छरों के खून से लिखती हैं , ,,,, तुम्हारे प्यार मे तड़प रही मेरे प्राणो से प्रिय प्राणनाथ , जब से तुम्हे देखा है मेरी धड़कने बेताब रहती हैं , आपकी विरह वेदना हार्ट अटैक न मसक दे कहीं बस इसी बात का भय निरंतर बना रहता है , मैं आपके प्यार के लिए पल पल तड़प रही हूँ , और आपके द्वारा आपकी ही तरह एक तेजस्वी पुत्र को जन्म देना चाहती हूँ , मेरी नानी कहती है प्यार का चरम सुख जितना गहरा होता है पुत्र उत्पन्न होने की सम्भावना उतनी प्रबल हो जाती है , अब अपने ह्रदय की व्यथा को शब्दों में ज़्यादा व्यक्त नहीं कर सकती , आगे के कार्यक्रम का क्रियान्वयन आपसे मिलने के पश्चात ही बताया जा सकेगा नेक्स्ट संडे आप हॉस्टल में आइये और मुझे दूर कहीं आउटिंग के लिए ले चलिए हो सके तो रूम का अरेंजमेंट भी कर लीजियेगा अब आगे क्या लिखूं आप खुद ही समझदार हैं , प्यार में व्याकुल आपकी प्यारी संध्या ,
संध्या का लव लेटर पाकर सुदीप के अरमान सातवें आसमान पर थे , वो फ़ौरन मार्केट से ब्रांडेड कपडे और परफ्यूम की शॉपिंग करता है और नेक्स्ट संडे सजधज कर संध्या से मिलने के लिए लवर्स पॉइंट पर पहुंच जाता है , संध्या से मिलते ही दोनों में हाय हेलो होता है , संध्या की नज़र सुदीप की कलाई पर होती है , वो सुदीप की बाहों से जैकेट को ऊपर उठाकर कट के निशाँ ढूढ़ने में लग जाती है , मगर सुदीप के हाँथ में कोई भी कट का निशान न पाकर वो गुस्से से आग बबूला हो जाती है , और सुदीप से नाराज़ होकर वहाँ से वापस लौटने लग जाती है , तभी अपनी जेब से ब्लेड निकाल कर सुदीप अपनी कलाई में कट मार लेता है , आस पास के लोगों में हल्ला मच जाता है संध्या पलट कर देखती हैं , और अपनी रुमाल बांधकर सुदीप की कलाई से बह रहे खून को रोकने का प्रयास करती है , किन्तु खून की धार रुकने का नाम नहीं लेती है , तभी संध्या सुदीप का हाँथ पकड़ कर पार्क के बाहर निकलती है उसे अपनी स्कूटी में बिठाकर डॉक्टर के पास ले जाती है , और मलहम पट्टी के बाद संध्या सुदीप के गले से लिपट जाती है , सुदीप भी संध्या को गले लगाकर जी भर के रोता है , संध्या सुदीप की आँखों में आँखें डालकर कहती है मुझे माफ़ कर दो जान मैंने तुम्हारे प्यार पर शक किया , सुदीप की नम आँखें झुकी हुयी हैं , वो चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाता है , और खींच कर संध्या को एक बार फिर अपनी बाहों में भर लेता है ,
संध्या अपनी रूम मेट्स को बतलाती है की सुदीप कितना प्यार करता है उसके लिए उसने आज अपनी कलाई तक काट
ली थी , सभी संध्या की बातें सुनकर हैरान थी , संध्या भी धीरे धीरे सुदीप की मोहब्बत के गिरफ्त में बंधती चली जाती है , वक़्त गुज़रता जाता है , वक़्त के साथ साथ सुदीप के व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है , संध्या को सुदीप की मोहब्बत पर शक होने लगता है , और एक दिन वो सुदीप को किसी अन्य लड़की के साथ ओयो होटल से निकलते हुए देख लेती है , संध्या के तन बदन में आग लग जाती है , वो अपनी फ्रेंड्स को बताती है की उनका शक सही था , सुदीप सही लड़का नहीं है वो उसके साथ चीटिंग कर रहा था , संध्या के दिमाग में सुदीप की बेवफाई का बदला लेने का ज़बरदस्त प्लान चल रहा था , मगर उससे पहले वो लाइफ में एन्जॉय करना चाहती थी , इसी फ़्रस्ट्रेशन को निकालने के लिए संध्या की फ्रेंड्स कॉल बॉय एक अरेंजमेंट करवाती हैं , संध्या नशे धुत थी और वो कहती हैं एक से मेरा क्या होगा और अपने साथ दुसरे कॉल बॉय को भी बेड पर खींच लेती हैं , सुबह जब होश से उठती हैं तब सभी फ्रेंड्स कहती हैं कल रात को क्या हो गया था तेने छोरी , दो दो को एक साथ ले रही थी , संध्या शर्म से मुँह छुपाती हुयी कहती हैं ओ सॉरी क्या तुम लोगों ने सारा सीन देख लिया क्या ये सब तुम्हारे सामने हुआ फ्रेंड्स कहती हैं हाँ , एक फ्रेंड कहती हैं वीडियो भी हमारे पास देखेगी , और सभी संध्या का वीडियो देखकर हॅसने लगती हैं। ,
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संध्या डॉली को अकेले में मिलती है , और उससे तंत्र विद्या सीखने की इच्छा ज़ाहिर करती है डॉली उसकी तरफ मदभरी आँखों से देखती है और मुस्कुराती हुयी कहती है इस दुनिया में मुफ़्त का कुछ नहीं मिलता हर चीज़ की कीमत होती है , संध्या कहती है मैं कोई भी कीमत देने के लिए तैयार हूँ , डॉली कहती है वो तो तुम दोगी ही मेरी जान वैसे तुम हो बहुत सेक्सी बस एक रात के लिए मेरा हमबिस्तर बनना होगा और संध्या के जिस्म में हाँथ फेरना सुरु कर देती है , पहले तो झिझकती है फिर संध्या भी डॉली के स्पर्श से मदमस्त होने लगती है , दोनों में लिप्स टू लिप्स किश सुरु हो जाता है और एक एक करके पहले डॉली संध्या के कपडे उतारती है इसके बाद संध्या डॉली के कपडे उतार देती है दोनों निर्वस्त्र अवस्था में ही एक दूसरे से लिपटे हुए बेड रूम की तरफ चले जाते हैं , और सारा कमरा सिसकियों की आवाज़ से गूँज जाता हैं ,
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कामाग्नि शांत होने के बाद , डॉली संध्या को शहर से दूर बीहड़ में लेकर जाती है , जहां दूर दूर तक पानी तो क्या किसी जीव जंतु का कोई नाम ओ निशान नहीं था , मीलों पैदल चलने के बाद एक झोपडी दिखाई देती है दोनों झोपडी के पास पहुँचती है , संध्या को बाहर रोक कर डोली झोपडी के अंदर चली जाती है जहां तंत्र विद्या में पारंगत त्रिकाला अपनी तंत्र साधना में लगी थी , आस पास मरे हुए कुत्ते और भेड़ियों के शव पड़े थे जिससे भयानक दुर्गन्ध आ रही थी , मुँह में रुमाल लगा कर डोली एक कोने में खड़ी हो जाती है घंटों की तंत्रसाधना के बाद त्रिकाला अपनी आँखें खोलती है और त्रिकाला का इशारा पाकर डोली त्रिकाला के क़दमों में साक्षात दंडवत गिर जाती है त्रिकाला मुस्कुरा कर उसे उठने को कहती है और आने की वजह पूछती है त्रिकाला उसे बताती है की उसकी एक दोस्त उससे मिलना चाहती है , डोली संध्या को अंदर ले जाती है संध्या भीतर घुसते ही एक कोना पकड़ कर खड़ी हो जाती है त्रिकाला संध्या से पूछती है वो तंत्र विद्या क्यों सीखना चाहती है संध्या कहती है उसे अपने बॉय फ्रेंड से बदला लेना है, क्यूंकि उसने उसके साथ चीटिंग की है , त्रिकाला संध्या को तंत्र विद्या की पेचीदगी से अवगत कराती है , और कहती है एक जवान इंसान की बलि देनी होगी , संध्या तैयार हो जाती है अगले महीने की अमावश की रात को शैतानी शक्तियां अपनी पुरजोर ताक़त में रहेगी जगह और वक़्त मैं बताऊंगी तुम बस उसे लेकर वहां पहुंच जाना , इतना कहकर त्रिकाला दोनों को वहाँ से डांटकर भगा देती है ,
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संध्या अपनी फ्रेंड्स के साथ खंडाला पिकनिक मनाने जाती है ,वहां वो सुदीप को भी बुला लेती है दोनों पिकनिक की फ्रेंड्स से अलग घूमने निकल जाते हैं संध्या सुदीप को एक खंडहर में लेकर जाती है , जहां त्रिकाला पहले से मौजूद रहती है संध्या सुदीप को कहती है तुम दो मिनिट रुको मैं अभी हल्की होकर आती हूँ संध्या की बात सुनकर सुदीप मुस्कुरा देता है , सुदीप कहता है जो जो करना है यही पर कर लो जानेमन हमसे कैसा शर्माना , संध्या धत पगले बोलकर वहाँ से चली जाती है , तभी त्रिकाला अपनी तांत्रिक शक्ति से वहाँ अँधेरा कर देती है , सुदीप घबरा जाता है , वो संध्या तुम कहाँ हो बोलकर चिल्लाता है , तभी वहां कुछ डरावनी आवाज़ें सुनायी देती है सुदीप पैंट में ही सूसू कर देता है , तभी अँधेरे में संध्या आती है और सुदीप की बॉल्स को अपने हांथों में ले लेती है , और मसलने लगती है , सुदीप संध्या के स्पर्श से कामुक हो जाता है , वो आनंद में खोने लगता है तभी संध्या अपने हथेली की मांसपेशियों का दबाव बड़ा देती है और इसी के साथ सुदीप के चिलगोजे के छिलके उधड़ जाते हैं और बॉल्स ज़मीन पर आ गिरती है , अपनी बॉल्स को अपनी आँखों के आगे फुदकता देख कर सुदीप अवाक रह जाता है दर्द के मारे उसकी आँखों से आंसू निकल जाते हैं और कुछ ही पल में सुदीप का बेजान जिस्म वहीं पर धड़ाम से गिर जाता है , और एक अंजान साया सुदीप की लाश को घसीटता हुआ दूर ले जाता है ,
इसी के साथ त्रिकाला और संध्या वहाँ से ग़ायब हो जाती है , दूसरे दिन पुलिस सुदीप की मौत के इन्वेस्टीगेशन के लिए
गर्ल्स हॉस्टल पहुंच जाती है , वो संध्या को सुदीप के मर्डर के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है संध्या को कोर्ट ले जाया जाता है , तभी दीपक की नज़र संध्या पर पड़ती है उसके पिता पुणे के मेयर हैं जिसके कारण दीपक का मुंबई क्राइम ब्रांच में अच्छा दबदबा था , वो संध्या से मिलता है अपना परिचय बताता है , और एक अच्छे से वकील को लगाकर उसकी जमानत करवा देता है , पर्याप्त सबूत और गवाह न मिलने की कारण कुछ दिनों में ही संध्या बाईज्जत बरी हो जाती है , और धीरे धीरे दीपक और संध्या की दोस्ती प्यार में बदल जाती है , दीपक संध्या को लॉ की पढ़ाई करने की सलाह देता है , संध्या वक़ालत पढ़ने में लग जाती है इधर गाँव में उसकी शादी तय कर दी जाती है , संध्या दीपक के प्यार में बुरी तरह से फंस चुकी थी , बड़ी बड़ी पार्टियां डांस डिस्को बार में आना जाना सुरु हो चुका था , संध्या धीरे धीरे मुंबई की चकाचौंध में पूरी तरह से खो चुकी थी , इधर गाँव में उसके पिता उसकी शादी तय कर देते हैं , संध्या गाँव चली जाती है दीपक उसे बार बार फोन करता है , संध्या मण्डप में बैठी हुयी थी शादी चल रही थी जैसे ही फेरे सुरु होते हैं संध्या एक एक करके अपने कपडे उतारना सुरु कर देती है , और मंडप से नग्न अवस्था में ही भाग खड़ी होती है , और वहाँ से भागते भागते जंगल में पहुंच जाती है , सभी उसका पीछे करते हैं मगर अँधेरे की वजह से कोई उसे ढूढ़ नहीं पाता है , और भागते भागते संध्या त्रिकाला के पास पहुंच जाती है , त्रिकाला उसे इस अवस्था में देखकर हैरान रह जाती है ,
संध्या त्रिकाला से कहती है मुझे अमर होना है , त्रिकाला कहती है इसके लिए तुम्हे एक बच्चे की बली देनी होगी और वो बच्चा तुम्हारा अपना खून होना चाहिए , संध्या को अपने भाई का बेटा मुन्ना याद आता है अब वो उसकी बली देनी की तैयारी में जुट जाती है , मुन्ना को लाने के लिए वो वापस गाँव जाती है , घर वाले पहले उसे घर के अंदर घुसने नहीं देते हैं , किन्तु तमाम मिन्नतों के बाद संध्या के बाप को उस पर दया आ जाती है , वो संध्या को घर में आने की इजाज़त दे देता है , संध्या धीरे धीरे घर वालों के सामने खुलने लगती है , और धीरे धीरे मुन्ना के साथ करीबी बढ़ाने में लग जाती है जब सब लोग सो जाते हैं तब वो मुन्ना को परियों की कहानी सुनाया करती है , और बताती है की जो परियां कहानी में थी वो उस जंगल में रहती है , मगर एक दिन उसकी ये कहानी उसका भाई सुन लेता है , वो संध्या को डांटता है की बच्चे को अनाप सनाप कहानियां सुनाती रहती है , और मुन्ना को छीनता हुआ अपने साथ ले जाता है , भाई की इस हरकत पर संध्या गुस्से से आग बबूला हो जाती है , और एक दोपहर वो मुन्ना को लेकर चुपचाप जंगल की और चली जाती है त्रिकाला के पास ले जाकर छुपा कर वापस आ जाती है , घर में मुन्ना को न पाकर सब उसे ढूढ़ना सुर करते हैं संध्या से पूछा जाता है की मुन्ना कहाँ है संध्या कहती है मुझे नहीं पता , हो सकता है बच्चा चुराने वाली गैंग जो शहर में एक्टिव है वो मुन्ना को उठा कर ले गयी हो , भाई का दिमाग घूमता है उसे संध्या के द्वारा मुन्ना को सुनायी जाने वाली कहानी याद आती है जिसमे वो उसे परियों से मिलाने के लिए जंगल ले जाने वाली थी , वो फ़ौरन जंगल की तरफ दौड़ लगाता है , मीलों पैदल चलने के बाद उसे वहाँ त्रिकाला की झोपडी दिखाई देती है , वो लात मार कर त्रिकाला की झोपडी का दरवाज़ा तोड़ता है सामने त्रिकाला मुन्ना को बिठाकर तंत्र विद्या में लीन थी की तभी संध्या का भाई मुन्ना को वहां से उठा लेता है , त्रिकाला भाले से उस पर वार करती है संध्या का भाई भाले के वार से बचता है , तभी संध्या भी वहां पहुंच जाती है मुन्ना संध्या को देखकर डर जाता है , वो अपने बाप को बताता है की उसे संध्या ही यहां लेकर आई हैं , संध्या भाई को देखकर भयानक रूप परिवर्तित करती है और उसकी तरफ आगे बढ़ती है , वो उसे ज़मीन पर गिरा देती है और अपने नुकीले नाखून अपने भाई की गर्दन में घुसाने वाली ही होती है तभी संध्या के पिता गाँव वालों के साथ वहां पहुंच जाते हैं , और चुड़ैल बनी संध्या को मार मार कर अधमरा कर देते हैं , तभी वहां त्रिकाला आ जाती है , वो संध्या को साथ में लेकर वहां से ग़ायब हो जाती है , इसके बाद संध्या कहाँ जाती है क्या करती है किसी को पता नहीं चलता है , उसके माँ बाप भाई बहन भी उसे ढूढ़ने की कोशिश नहीं करते हैं , ।
एक लम्बे इलाज़ के बाद संध्या नॉर्मल हो जाती है दीपक उसे रहने के लिए अपना एक घर दे देता है , और डी एस ए में उसकी जॉब लगवा देता है संध्या वकालत भी कम्पलीट कर लेती है , मगर वकीलों की भुखमरी को देखकर वो कोर्ट कभी कभार ही जाती थी , ,,,
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