रूबरू आते हैं तो मिलते हैं ऐसे love shayari,
रूबरू आते हैं तो मिलते हैं ऐसे ,
कोई हमसे भी ज़्यादा ख़ूबरू मिल गया हो जैसे ।
खुश्क मौसम है मेरी आँखों से शबनम लेता जा क़ासिद ,
कहीं जमाल ए यार में मेरे ताज़गी की कमी न हो जाए ।
सरगोशियों में उठती सदायें सुन लेना ,
कभी हमसे बढ़कर मोहब्बत किसी से भी कर लेना ।
शबनमी होठों पर तबस्सुम रखकर ,
रात का मुसाफ़िर अनजान रास्तों पर निकल गया ऐसे ।
इल्म है सबको सब मुसाफ़िर हैं ,
जाने क्यों गरूर ए आतिश से दूसरों के घरौंदे फूंक देते हैं ।
one line thoughts on life in hindi
दबी ज़बान थी सरगोशियों में बातें ,
हाल ए दिल का मुब्तला किये बगैर जाने कितने मुसाफ़िर अंजुमन से होके गुज़र गए।
राह के सूखे दरख्तों की दास्तान थी अपनी ,
हवा के झोकों सा कोई परिंदा चैन ओ सुकून लेके चला गया ।
कभी ज़ीने से कभी झुरमुट से कभी आँचल की ओट से ,
तपते सूरज की किरणें दिल में घर बनाना चाहती हैं ।
शब् ए गुल बस यूँ ही महका करते हैं ,
वो कहते हैं रात के मुसाफिरों से मोहब्बत नहीं होती ।
मैं मुसाफ़िर हूँ ग़मगीन राहों का ,
इन जश्न ए रानाइयों से आँखें चौंधिया सी जाती हैं ।
कभी क़ासिद ही मुहैया ही न हो पाए अगर ,
बेझिझक नजरों से पयाम पार करो ।
द्वारे दस्तक क़ासिद की आमद ,
खटकती कुंडियों से दिल आज फिर बाग़ बाग़ हुआ ।
बोल देना लगन के लिए कोई भी मुहूर्त निकलवा ले क़ासिद ,
दिल से दिल के रस्तों के लिए बारों महीने खेत सूखे रहते हैं।
वल्दियत के नामे कुछ बचे न बचे क़ासिद ,
बारातियों को उच्चिष्ठ पकवान मिलना चाहिए।
चंद साँसों की मोहलत दे क़ासिद ,
खत के ऐवज़ में जान ले जाना ।
क़ासिद से कह दो ये खबरें बहुत रोज़ की हुईं ,
ज़म्हूरियत की स्याही से जुलाहे के रसद की आमद को भर दे ।
इक बला की सादगी थी उसमे ,
एक मासूम नज़र से शकील ज़ार ज़ार हुआ ।
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